Ajit Doval Biography in Hindi | भारतीय James Bond, जिससे विश्व की Army भी काँपती है

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 आप में से ज्यादातर लोगों ने, James Bond का नाम जरूर सुना होगा। वास्तविकता में, यह एक काल्पनिक सीक्रेट सर्विस एजेंट हैं। जिसको 1953 में writer, Ian Fleming ने बनाया था। यह सीक्रेट सर्विस एजेंट कहानियां और फिल्मों में, अपने कमाल के कारनामों के लिए पहचाना जाता है। हालांकि James Bond, एक लेखक की कल्पना से परे कुछ भी नहीं है। लेकिन भारत के अंदर एक ऐसी शख्सियत जरूर मौजूद है। जिसे James Bond के तरह ही काम के लिए जाना जाता है। जी हां, बिल्कुल सही पहचाना। यह है- National Security Advisor (NSA) – अजीत डोभाल जी।

     एक ऐसा भारतीय, जो खुलेआम पाकिस्तान को एक और मुंबई हमले के बदले। बलूचिस्तान छीन लेने की चेतावनी देने से, कोई गुरेज नहीं करता। एक ऐसा जासूस, जो पाकिस्तान के लाहौर में 7 साल तक मुसलमान बनकर रहा। वह अपने देश की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहा हो। वह भारत के एक ऐसे नागरिक है। जिन्हें शांति काल में, दूसरे सबसे बड़े पुरस्कार कीर्ति चक्र से सम्मानित किया गया। अजीत डोभाल कई ऐसे खतरनाक कारनामों को अंजाम दे चुके हैं। जिन्हें सुनकर James Bond के किस्से, भी फिके मालूम पड़ते है।

आज वह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के रूप में काम कर रहे हैं। लेकिन पिछले कुछ दशकों में खुफिया एजेंट के रूप में। उन्होंने जो देश हित के लिए काम किया है। वह काबिले तारीफ है। यहां तक कि कई सालों तक अजीत डोभाल ने पाकिस्तान से खुफिया जानकारियां इकट्ठा की। जिन्हें वह, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को भी भेजते रहें। जम्मू कश्मीर से 370 हटाना हो। अमृतसर में ऑपरेशन ब्लैक थंडर या फिर प्लेन हाईजैकर से deal करना हो। हर कामों में अजीत डोभाल को, सबसे आगे रखा जाता है।

Ajit Doval Biography in Hindi

Ajit Doval - An Introduction
अजित डोवाल - एक परिचय

 

नाम

अजित डोवाल

पिता का नाम

गुणनद डोवाल

जन्म 

20 जनवरी 1945

जन्म स्थान

पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड

पत्नी

आरुणि डोवाल

बच्चे

शौर्य डोवाल (Diplomat)

विवेक डोवाल(Chartered Financial Analyst)

व्यवसाय

सिविल सर्वेंट (NAS)

शिक्षा

King George’s Royal Indian Military School, Ajmer

Agra University M.A in Economics

Ajit Doval : Early Life
प्रारम्भिक जीवन

   Ajit Doval ji का जन्म 20 जनवरी 1945 में पौड़ी गढ़वाल के एक छोटे से गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम गुड़नंद डोवाल था। जो खुद भी, एक आर्मी ऑफिसर थे। शायद यही वजह थी। अजीत डोभाल के अंदर बचपन से ही देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। इसके साथ ही उनके जन्म के 2 साल बाद ही, भारत आजाद हो गया। यह ऐसा समय था। जब हर कोई भारत को एक ताकतवर देश बनाने के लिए, अपना योगदान दे रहा था। ऐसे सभी माहौल में पले बढ़े। अजीत भी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा एक सैनिक स्कूल से की। अपनी प्रारंभिक पढ़ाई पूरी करने के बाद, इन्होंने Agra University से economic की डिग्री हासिल की। 

     हालांकि अगर अजीत चाहते। तो एक सामान्य सी नौकरी भी कर सकते थे। लेकिन उन्होंने देश की सेवा करने के लिए, एक IPS ऑफिसर बनने का सोचा। फिर एक साल की कठिन तैयारी के बाद। 1968 में Kerala cadre से IPS के लिए select हो गए। इसके बाद अगले 4 सालों तक। इन्होंने देश हित के लिए, बहुत सारे काम किए। लेकिन 1972 में अजीत डोभाल Intelligence Bureau (IB) से जुड़ गए। यहां पर काम करते हुए। उन्होंने बहुत सारी खुफिया जानकारियां भारत को दी। अजीत डोभाल ने एक खुफिया एजेंट के तौर पर पाकिस्तान में 7 सालों तक काम किया। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने भारतीय सुरक्षा एजेंसी की बहुत सारी मदद की।

First Posting of Ajit Doval
अजित डोवाल की पहली नियुक्ति

1968 में Kerala cadre के लिए चुने जाने के बाद। अजीत डोभाल की पहली posting केरल राज्य में हो गई। अभी लगभग डेढ़ साल ही हुए थे। तभी कन्नूर जिले के थलासेर में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए। जिसे वहां के तत्कालीन पुलिस अधिकारी कंट्रोल नहीं कर पा रहे थे। उस वक्त करुना करण मुख्यमंत्री थे।तब उस वक्त, केरल सरकार ने अजीत डोभाल को थलासेरी भेजने का निर्णय लिया। वहां पहुंचकर उन्होंने मात्र 2 दिन में, ना सिर्फ दंगों को समाप्त किया। बल्कि उन दंगों के दौरान लूटे गए। सारे माल को बरामद कर। उनके असली हकदार को वापस भी लौटाया। इससे उनकी छवि एक दबंग पुलिस ऑफिसर के रूप में, उभर कर सामने आई।

Ajit Doval Appointed in Intelligence Bureau (IB)

अजीत डोभाल को communal riots में मिली, सफलता के बाद। 1972 में उन्हें दिल्ली बुला लिया गया। फिर उन्हें आइबी में नियुक्त किया गया। आईबी में नियुक्त के दौरान, उन्हें James Bond कहा जाता था। Join होने के बाद, उनकी posting मिजोरम में हुई। यह posting उन्होंने खुद मांगी थी। क्योंकि उस वक्त मिजो नेशनल फ्रंट का, विद्रोह चरम पर था। मिज़ो विद्रोहियों ने, मिजोरम को स्वतंत्र घोषित करके। भारतीय सेना के साथ युद्व घोषित कर दिया था। हिंसा बहुत ज्यादा हो रही थी। पुलिस और सेना पर लगातार, हमले हो रहे थे। पाकिस्तान से हथियार सप्लाई हो रहे थे।

तब Ajit Doval वहां secret agent कर गए। वह विद्रोहियों से मिलकर मिज़ो आर्मी में शामिल हो गए। आगे चलकर, उन्होंने विद्रोहियों का brain wash किया। फिर उन्हें surrender करने पर मजबूर कर दिया। सिक्किम में भी मिजोरम जैसे हालात को, अजीत डोभाल ने बहुत अच्छे से हल किया। 1975 में सिक्किम भी भारत में शामिल हो गया। सिक्किम को भारत में शामिल करने में, अजीत डोभाल का बहुत बड़ा हाथ था।

President's Police Medal

    मिजोरम और सिक्किम के योगदान की वजह से। Ajit Doval को प्रेसिडेंट पुलिस मेडल अवार्ड से सम्मानित किया गया। इस medal की विशेषता यह है। यह मेडल 14 साल की सर्विस complete करने के बाद ही मिलता है। लेकिन Ajit Doval को मात्र 7 साल की सर्विस में ही। इसे 1975 में दिया गया। यह सच में उनके लिए बहुत बड़ी achievement थी।

Ajit Doval : Seven Years in Pakistan

 Ajit Doval ने, 7 साल पाकिस्तान में undercover agent बनकर काम किया। इसके लिए उन्होंने proper training भी ली। एक बार वह पकड़े जाने से बाल-बाल बचे। जब उन्हें लाहौर में, एक मौलवी ने पहचान लिया। उस मौलवी ने बताया कि वह भी एक हिंदू है। जिसके परिवार को मार दिया गया था। यदि वह पाकिस्तान में पकड़े जाते। तो यह पक्का था कि भारत सरकार भी उन्हें अपने देश का नागरिक होने से इंकार कर देती। इसके साथ ही, उनको जिंदगी भर जेल में रहना पड़ता। जो torture किया था, वह अलग। क्योंकि हर देश में undercover agent के लिए,ऐसा करने की मजबूरी होती है। उन्होंने पाकिस्तान में रहते हुए। बहुत सारे भारत विरोधी षड़यंत्र को नाकाम किया। बहुत सारी खुफिया जानकारी, भारत सरकार को देते रहे।

Ajit Doval's Role in Operation Black Thunder

 Operation Blue Star की वहज से  ही, इंदिरा गांधी की हत्या हुई थी। 1988 में  एक बार फिर, उन्हीं खालिस्तानी आतंकियों की activity शुरू हो गई। उन्होंने फिर एक बार Golden Temple को अपने कब्जे में लिया। ऑपरेशन ब्लू स्टार के वक़्त, अजीत डोभाल पाकिस्तान में थे। लेकिन इस बार, वह भारत में थे। दोबारा से ब्लू स्टार जैसी गलतियां नहीं दोहराना चाहते थे।उनकी जानकारियां निकालने के लिए, अपनी जान की परवाह न करते हुए। वह ISI agent बनकर, गोल्डन टेंपल में घुस गए।

Ajit Doval ने पाकिस्तान में मिली, जानकारी का भरपूर इस्तेमाल किया। वह उन Terrorist को यकीन दिलाने में सफल रहे। कि वह एक ISI agent है। फिर उनके साथ मिलकर रहने लगे। उनकी बहुत सारी जानकारी जुटाने में लग गए। उनकी कोशिश रंग लाई। वह Golden Temple  को आतंकवादियों को छुड़ाने में कामयाब रहे। Operation Black Thunder में  अजीत डोभाल ने जो साहस भरा काम किया। उसके लिए, उन्हें कीर्ति चक्र से भी सम्मानित किया गया।

Ajit Doval's Role in Kandahar Plane Hijack

 पाकिस्तानी आतंकवादी मसूद अजहर भारत की जेल में बंद था। उसे छुड़ाने के लिए, कुछ आतंकवादियों ने 24 दिसंबर 1999 में काठमांडू से दिल्ली रवाना हुए। एक प्लेन को हाईजैक कर लिया। इसे अफगानिस्तान के कंधार में ले गए। Plane IC- 814, जिसमें 89 यात्री सवार थे। आतंकवादियों ने उन्हें रिहा करने के बदले में। 36 आतंकवादी की रिहाई और 20 करोड़ डॉलर की मांग रख दी।

इन आतंकवादियों से बात करने के लिए, जो डेलिगेशन बनाया गया था। उसमें अजीत डोभाल भी थे। बुरे से बुरे condition में दिमाग को शांत रखना। वह अच्छी तरह जानते थे। Commando action करने के लिए, सारी जानकारियां इकट्ठा कर ली। भारत सरकार पर दबाव के चलते, आतंकियों से बातचीत की गई। लेकिन Negotiation में तीन आतंकियों को छोड़ने पर सहमति बनी। 

जिसमें मसूद अजहर भी था। आगे चलकर, यही मसूद अजहर भारत का सिर दर्द बन गया। 2001 में Parliament attack, 2008 में Mumbai attack, 2016 में Pathankot attack व 2019 में Pulwama attack के लिए, यही मसूद अजहर ही जिम्मेदार था।

Ajit Doval : 5th National Security Advisor

 2014 में केंद्र में मोदी सरकार बनी है मोदी जी को अजीत डोभाल की क्षमताओं के बारे में पूरी जानकारी थी। नई सरकार ने 2014 में अजीत डोभाल को को राष्ट्रीय सुला सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया। National or International Security पर ध्यान रखना। उसके बारे में सलाह देना। यही NSA का काम होता है। IB व RAW जैसे department से भी उनकी रोज बातचीत होती है।

Defensive Offence

 Partition के बाद से ही पाकिस्तान, भारत का सर दर्द रहा है। ऐसे लोगों से लड़ने के लिए, हमारी भी युद्ध नीति बेहतर होनी चाहिए। वह हर बार आतंकी हमला करते रहे। हम उन्हें सिर्फ proof देते रहे। जवाबी कार्रवाई कभी हुई ही नहीं। इसीलिए अजीत डोभाल Defensive Offence का हमेशा समर्थन  करते रहे। Defensive Offence में खुद को पूरी तरह से सुरक्षित रखकर। दुश्मन का ज्यादा ज्यादा नुकसान करना होता है। अजीत डोभाल ने इस युद्ध नीति को, पाकिस्तान के खिलाफ बड़ी अच्छी तरह से प्रयोग किया।

URI Attack & Surgical Strike

2 जनवरी 2016 को कुछ आतंकवादियों ने पठानकोट के airways पर हमला कर दिया। पाकिस्तान को सारे सबूत देने के बाद भी, कुछ फायदा नहीं हुआ। भारत ने इस बार इससे एक बड़ा सबक लिया था। अब पाकिस्तान के खिलाफ, हमारी भी policy बदलने की जरूरत थी। 18 सितंबर 2016 में URI में Military Base पर फिर से हमला हुआ। काउंटर अटैक में सारे आतंकी मार दिए गए लेकिन हमारे 18 जवान भी शहीद हुए घायलों की संख्या भी काफी ज्यादा थी।

     Home Minister राजनाथ सिंह, Army Chief दलजीत सिंह, Defence Minister  मनोहर पारिकर और अजीत डोभाल के बीच एक high level meeting हुई। अजीत डोभाल के मन में, इस बार कुछ अलग ही चल रहा था। पूरा देश बदला मांग रहा था। प्रधानमंत्री मोदी ने भी साफ साफ कह दिया था। कि भारत इस हमले को नहीं भूलेगा। अब वक्त था। Defensive Offence का सही मायने में use करने का।

अजीत डोभाल ने इंटेलिजेंस ब्यूरो, मिलिट्री इंटेलिजेंस, DRDO और RAW मदद से हाईटेक टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया। ऐसा करके, उन्होंने आतंकियों की जानकारी हासिल की। उनके लॉन्च पैड ढूंढ निकाले। Surgical Strike का plan, उनके दिमाग में घूम रहा था। Surgical Strike का मतलब होता है। दुश्मन के घर में घुसकर, उनको भून डालना। इसके लिए Commandos को पूरी तरह से trained करके भेजा गया। POK में घुसकर हमारे Commando ने लांच पैड उड़ा दिये। Commando के हेलमेट में कैमरा लगा होने के कारण। यह सब अजीत डोभाल लाइव देख रहे थे। Surgical Strike पूरी तरह से सफल रही। Uri हमले में शहीद हुए जवानों को बदला लिया गया था। वह भी उनके घर में घुसकर।

मणिपुर में भी ऐसे ही, भारतीय सेना पर हमला हुआ था। उसका बदला लेने के लिए, भारतीय सेना ने म्यांमार में घुसकर। आतंकी मार दिए थे। जिसके कारण नॉर्थ ईस्ट इंडिया में आतंकवाद में काफी कमी आ गई थी। भारत की Strategies अब पूरी तरह से बदल गई थी।

Pulwama Attack and Balakot Airstrike

14 फरवरी 2019 में पुलवामा में CRPF के जवानों पर एक आतंकवादी हमला हुआ। इस बार भी देश बहुत गुस्से में था। CRPF के 40 जवान मारे गए थे। बदला लेने की पूरी जिम्मेदारी, फिर से एक बार फिर से Ajit Doval पर थी। सरकार की तरफ से पूरी छूट थी। किसी भी देश पर अटैक करना इतना आसान नहीं होता। इसके लिए, प्रधानमंत्री मोदी और अजीत डोभाल ने बाकी देशों से भी बात की। उन्हें अपने favour में ले लिया।

इस बार की जवाबी कार्रवाई आसान नही थी। जैशे मोहम्मद का base इंडियन बॉर्डर से 60 km अंदर था। भारतीय सेना को हमला करने में काफी परेशानी हो सकती थी। इसलिए Mirage 2000 की मदद से attack करने की योजना बनी। इंटेलिजेंस से मिली जानकारी के अनुसार, बालाकोट में 300 मोबाइल active थे। इसका मतलब वहाँ, काफी संख्या में आतंकी मौजूद थे।

26 फरवरी 2019 को, सुबह 3:00 बजे fighter plane ने उड़ान भरी। बालाकोट में करीब 1000kg के बम दाग कर,सारे आतंकी खत्म कर दिए। Pulwama का बदला पूरा हो गया। सारे के सारे fighter plane, अपने base पर सुरक्षित वापस आ गए। भारत और किस किस तरह से बदला ले सकता है। भारत किस-किस तरह से बदला ले सकता है। यह सारी दुनिया को पता चल गया था।

Abolition of Article 370 & 35A
अनुच्छेद 370 व 35 A का उन्मूलन

  पाकिस्तान की अच्छी तरीके से समझ गया था। भारत से आमने-सामने की लड़ाई में,वह कभी नहीं जीत सकता। इसलिए कश्मीरी बच्चों का ब्रेनवाश करके। उन्हें कट्टर आतंकवादी बनाने की साजिश, हमेशा से रची गई। आतंकवादी गतिविधियां कश्मीर से ही संचालित होती है। Article 370 की वजह से, भारत सरकार पर बहुत सारे restriction थे। कश्मीरी युवाओं का विकास नहीं हो पा रहा था। उन्हें mainstream में लाना, बहुत जरूरी था।

      2016 में कश्मीरी आतंकवादी बुरहान वानी को, भारतीय सेना ने मार गिराया। उसके बाद कश्मीर में काफी हिंसा हुई। Army पर पत्थर बरसाए जाने की घटनाएं और बढ़ती गई। कश्मीर मसले पर, अजीत डोभाल की काफी स्टडी थी। कश्मीर के development में article 370 व 35 A  बहुत बड़ी रुकावट हैं। ऐसा उनका मानना था। क्योंकि इस article के अनुसार, कश्मीर में खुद का एक अलग constitution था। कोई भी नियम  अगर लागू करना हो। तो पहले उस state की permission लेनी पड़ती थी।

       2019 के बाद, अजीत डोभाल 3 महीने तक कश्मीर की समस्या का अध्ययन कर रहे थे। Operation All Out में भारतीय सेना ने सैकड़ों आतंकी मार गिराए थे। लेकिन डोभाल की माने,तो वो आतंकवाद के खिलाफ कुछ बड़ा करना चाहते थे। वह था, article 370 और 35A संविधान से हमेशा-हमेशा के लिए हटाना। इनके साथ सरकार को भी अच्छी तरह से पता था। कश्मीर के नेता, इसे होने नहीं देंगे।

      लेकिन भारत सरकार ने, पूरी planning के साथ article 370 और 35A संविधान से पूरी तरह से हटा दिया। जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बन गया। कश्मीर की जनता को अपने साथ लेने के लिए। अजीत डोभाल ने बगैर अपनी जान की परवाह किए।  उनसे बात की और बिना किसी हिंसा के ही कश्मीर भारत में शामिल हो गया। इसका अधिकतर credit अजीत डोभाल को ही जाता है।

      इसके अलावा 1999 में कारगिल युद्ध, दाऊद इब्राहिम को पकड़ने का plan, इशरत जहां एनकाउंटर केस, डोकलाम issue। इन सभी cases में अजीत डोभाल involved रहे।

 

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