Yogi Adityanath Biography in Hindi | योगी आदित्यनाथ का इतिहास

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Yogi Adityanath Biography in Hindi

शेर खुद अपनी ताकत से, जंगल का राजा बनता है। क्योंकि जंगल में चुनाव नहीं होते। आज उत्तर प्रदेश की राजनीति में, कोई सबसे अधिक चर्चित चेहरा है। तो वह है, भारतीय जनता पार्टी के गोरखपुर से सांसद और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ। एक ऐसा नेता, जिसने कई वर्षों से हिंदू और हिंदुत्व के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश ही नहीं। बल्कि पूरे देश में ललकार दिखाई है।

हिंदुत्व की शान और पूर्वांचल के शेर के नाम से मशहूर, योगी आदित्यनाथ अपने पहले चुनाव में ही, सभी को अपनी ताकत का एहसास करवा चुके हैं। गेरुआ लिबास, माथे पर लाल तिलक, चेहरे पर लालिमा के साथ ओज, भाषा शैली ऐसी की विरोधी भी पस्त हो जाये। प्रखर राष्ट्रवाद के नायक। कुछ ऐसी ही पहचान है। हिंदू हृदय सम्राट महंत योगी आदित्यनाथ की।

उन्होंने केवल 26 वर्ष की उम्र में, 1998 के लोकसभा चुनाव में गोरखपुर से सांसद का चुनाव जीता था। तब वे लोकसभा के सबसे कम उम्र के सांसद थे। योगी आदित्यनाथ, नाथ संप्रदाय से हैं। नाथ संप्रदाय का मानना है। एक सन्यासी को देशहित, धर्म, राजनीति और संकट में आगे बढ़कर जरूर हिस्सा लेना चाहिए। योगी आदित्यनाथ का कहना है। एक हाथ में माला और एक हाथ में भाला। इसी में मेरा विश्वास है। उनके इसी कथन से, उनके सशक्त चरित्र का आभास हो जाता है।

योगी आदित्यनाथ – एक परिचय

वास्तविक नामअजय सिंह बिष्ट
प्रचलित नामयोगी आदित्यनाथ
योगी हिंदू हृदय सम्राट
जन्मतिथि5 जून 1972
जन्म स्थानपंचूर पौड़ी गढ़वाल
पिताआनंद सिंह बिष्ट (Forest Ranger)
मातासावित्री देवी
भाईमहेंद्र सिंह बिष्ट (भारतीय सेना)
शैलेंद्र मोहन बिष्ट
मानवेंद्र मोहन बिष्ट
बहनशशि
धर्महिंदू नाथ संप्रदाय
शैक्षिक योग्यताबीएससी गणित में स्नातक
स्कूल विद्यालयप्राथमिक शिक्षा पौड़ी उत्तराखंड
महाविद्यालयहेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय श्रीनगर उत्तराखंड
अध्यात्मिक गुरुमहंत अवैध नाथ महाराज

Yogi Adityanath – Early Life

 योगी आदित्यनाथ का जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखंड के, पौड़ी जिले में एक गढ़वाल राजपूत परिवार में हुआ था। योगी आदित्यनाथ के बचपन का नाम अजय सिंह बिष्ट था। उनके पिता आनंद सिंह बिष्ट फॉरेस्ट रेंजर थे। उनकी माता सावित्री देवी एक कुशल ग्रहणी थी। इनके परिवार में तीन भाई और तीन बहनें हैं। जिनमें योगी आदित्यनाथ का पांचवा नंबर है।

इनकी प्रारंभिक शिक्षा प्राथमिक विद्यालय पौड़ी, उत्तराखंड में हुई। प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद इन्होंने हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। यहां से उन्होंने गणित और विज्ञान में स्नातक की डिग्री ली। इसके बाद गणित विषय में एमएससी करने के लिए उन्होंने एडमिशन तो ले लिया लेकिन राम मंदिर आंदोलन के प्रभाव से उनका ध्यान पढ़ाई से विचलित हो गया।

वैसे तो उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत, छात्र जीवन में ही हो गई थी। कॉलेज में उनकी गिनती अखिल भारती विद्यार्थी परिषद के उभरते हुए, नेताओं में होने लगी थी। इन्होंने छात्र संघ का चुनाव लड़ने का योजना बनाई। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इन्हें टिकट नहीं दिया। इन्होंने गुस्से में आकर, निर्दलीय सदस्य के रूप में नामांकन करवाया।

योगी आदित्यनाथ 1992 का छात्र संघ चुनाव हार गए। इस बात से, इनको बहुत ज्यादा धक्का लगा। कॉलेज से पास होकर निकलने के बाद, 22 वर्ष की उम्र में आदित्यनाथ ने सांसारिक जीवन त्याग कर सन्यास ग्रहण करने का निर्णय ले लिया। इसी प्रकार जाने : S. Jaishankar Biography in Hindiजिन्होने भारत की विदेश नीति ही बदल दी।

Yogi Adityanath – सन्यास जीवन की शुरुआत

गोरक्ष पीठ के महंत अवैद्यनाथ से एक मुलाकात ने, अजय सिंह बिष्ट को योगी आदित्यनाथ बना दिया। उन दोनों योगी गुरु गोरक्षनाथ पर research कर रहे थे। उसी दौरान उनकी मुलाकात गोरक्ष पीठ के, महंत अवैद्यनाथ से हुई। महंत अवैद्यनाथ से मुलाकात का उनके ऊपर इतना गहरा प्रभाव पड़ा। जब वह घर लौटे। तब वह अजय सिंह बिष्ट से योगी बनने की ठान चुके थे। वह घर त्यागने, परिवार त्यागने, और खुद को समाज सेवा व देश सेवा के लिए संकल्प ले चुके थे।

 उन्होंने अपने घर में, अपनी मंशा को जाहिर नहीं होने दिया। क्योंकि वह जानते थे कि कोई भी माता-पिता सन्यास जीवन जीने के लिए, आज्ञा नहीं देगा। उन्होंने घर पर सिर्फ, इतना बताया कि वह आगे की पढ़ाई के लिए गोरखपुर जा रहे है। उनके परिवार को लगा कि अजय आगे की और अच्छी पढ़ाई करके। अच्छी नौकरी पा लेंगे। इसलिए घर वालों ने उन्हें जाने की इजाजत दे दी। लेकिन वह नहीं जानते थे कि योगी घर छोड़कर नहीं, बल्कि घर त्याग कर जा रहे हैं।

15 फरवरी 1994 को महंत अवैद्यनाथ ने, अजय सिंह को नाथ संप्रदाय की गुरु दीक्षा दी। फिर उन्हें अपना शिष्य बना लिया। यहीं अजय सिंह बिष्ट को, नया नाम मिला- योगी आदित्यनाथ। इसके साथ ही उनके पिता का नाम भी बदल गया। योगी आदित्यनाथ के पिता का स्थान ले लिया। दीक्षा देने वाले, महंत अवैद्यनाथ ने। जो कहानी अजय सिंह के लिए लिखी गई थी।

वही कहानी कभी महंत अवैद्यनाथ के लिए भी लिखी गई थी। जैसे 22 साल में अजय सिंह बिष्ट से योगी आदित्यनाथ का जन्म हुआ था। ठीक वैसे ही 23 साल की उम्र में, कृपाल सिंह बिष्ट ने बन गए थे- महंत अवैद्यनाथ। जैसे महंत दिग्विजय नाथ ने, महंत अवैद्यनाथ को नई राह दिखाई थी। वैसे ही महंत अवैद्यनाथ ने योगी आदित्यनाथ को नई राह दिखाई। जिस प्रकार महंत दिग्विजय नाथ, महंत अवैद्यनाथ को अध्यात्म से राजनीति में लेकर आए। ठीक वैसे ही महंत अवैद्यनाथ ने, योगी आदित्यनाथ को राजनीति में प्रवेश दिलाया।

Yogi Adityanath – हिन्दू कट्टरवादी नेता की छवि का आगाज

 अब से लगभग, दो दशक पहले गोरखपुर शहर के मुख्य बाजार गोलघर में। गोरखनाथ मंदिर द्वारा संचालित इंटर कॉलेज में पढ़ने वाले, कुछ छात्र एक दुकान पर कपड़े खरीदने गए। उनका दुकानदार से कुछ विवाद हो गया। दुकानदार से झड़प हुई। तो उसने रिवाल्वर निकाल ली। 2 दिन बाद दुकानदार के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर, एक युवा योगी की अगुवाई में। छात्रों ने उग्र प्रदर्शन किया। वह SSP आवास की दीवार पर भी चढ़ गए। यह योगी कोई और नहीं, बल्कि खुद आदित्यनाथ ही थे।

जिन्होंने कुछ समय पहले ही, 15 फरवरी 1994 को नाथ संप्रदाय के सबसे प्रमुख मठ गोरखनाथ मंदिर के उत्तराधिकारी के रूप में शपथ ली थी। गोरखपुर की राजनीति में angry young man की, यह धमाकेदार entry थी। यह वही दौर था। जब गोरखपुर की राजनीति में दो बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी और विरेंद्र प्रताप शाही की पकड़ कमजोर हो रही थी।

युवाओं, खासकर गोरखपुर विश्वविद्यालय के सवर्ण नेता, इस angry young man में। हिंदू महासभा के अध्यक्ष रहे, महंत दिग्विजय नाथ की छवि देख रहे थे। वह इसी उम्मीद को लेकर, योगी आदित्यनाथ के साथ जुड़ते गए। अभी योगी हिंदुत्व के सबसे बड़े brand नेता के रूप में स्थापित हो चुके हैं। इसी प्रकार जाने : Smriti Irani Inspiring Biographyसीरियल से सियासत तक की स्मृति।

योगी आदित्यनाथ का राजनीति मे प्रवेश

व्यवसायसंत और राजनीतिज्ञ
राजनीतिक दलभारतीय जनता पार्टी
पदमुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश
कार्य ग्रहण तारीख19 मार्च 2017
राजनीतिक उत्तराधिकारी महंत अवैद्यनाथ
संस्थापक संगठनहिंदू युवा वाहिनी
राजनीतिक जीवन की शुरुआत1998 (सांसद – गोरखपुर)
सांसद5 बार
वर्तमान मेंमुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश(2017 से अब तक)
छविकट्टर हिंदूवादी नेता
छात्र राजनीतिसदस्य अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद
लेखकहिंदू राष्ट्र नेपाल हठयोग यौगिक षट्कर्म आदि।
अभिरुचिपशुओं के साथ खेलना बैडमिंटन खेलना तैराकी
पसंदीदा राजनेतामाननीय नरेंद्र मोदी जी

दिल्ली के बाद, बिहार में अपनी करारी हार के चलते। उत्तर प्रदेश में अपने प्रदर्शन को लेकर भाजपा बहुत चिन्तित थीं। योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री के चेहरे के रूप में स्थापित करने की चर्चा हो रही थी। मार्च 2016 में गोरखनाथ मंदिर में भारतीय संत समाज की चिंतन बैठक हुई। जिसमें RSS के बड़े नेता मौजूद थे। इसमें योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाने का संकल्प लिया गया। तब संतो ने कहा था कि हम 1992 में एक हुए थे। तब ढांचा तोड़ दिया था। अब केंद्र में अपनी सरकार है।

 सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमारे पक्ष में आ जाए। तो भी प्रदेश में मुलायम या मायावती की सरकार रहते। राम जन्मभूमि मंदिर नहीं बन पाएगा। इसके लिए हमें योगी आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनाना होगा। गोरखनाथ मंदिर में, लोगों की बहुत आस्था है। मकर संक्रांति पर हर धर्म और वर्ग के लोग। बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने आते हैं। महंत दिग्विजय नाथ ने इस मंदिर को 52 एकड़ में फैलाया था। उन्हीं के समय से गोरखनाथ मंदिर, हिंदू राजनीति के महत्वपूर्ण केंद्र में बदला।

जिसे बाद में, महंत अवैद्यनाथ ने आगे बढ़ाया। गोरखनाथ मंदिर के महंत के उत्तराधिकारी का बनने के 4 साल बाद ही। महंत अवैद्यनाथ ने योगी आदित्यनाथ को, अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी बनाया। जिस गोरखपुर से महंत अवैद्यनाथ चार बार सांसद रहे। महंत अवैद्यनाथ ने 1988 में, राजनीति से संन्यास ले लिया। अपने उत्तराधिकारी के रूप में योगी आदित्यनाथ को नियुक्त किया। उसी सीट से योगी आदित्यनाथ 1998 में 26 साल की उम्र में लोकसभा पहुंचे। वे अपने पहले चुनाव में 26000 के अंतर से जीते। लेकिन 1999 के चुनाव में हार-जीत का अंतर सिर्फ 7322 वोट तक ही सीमित रहा। इसी प्रकार जानेLal Bahadur Shastri Biography in Hindiशास्त्री जी के जीवन के अंतिम पल का सच।

हिन्दू युवा वाहिनी का गठन

  इसके बाद, उन्होंने निजी सेना के रूप में हिंदू युवा वाहिनी का गठन किया। जिसे वह संस्कृति संगठन कहते हैं। जो ग्राम रक्षा दल के रूप में हिंदू विरोधी, राष्ट्रवादी और माओवादी विरोधी गतिविधियों को नियंत्रित करता है। हिंदू युवा वाहिनी के खाते में गोरखपुर, देवरिया, महाराजगंज, सिद्धार्थ नगर से लेकर मऊ, आजमगढ़ तक। मुसलमानों पर हमले व सांप्रदायिक हिंसा को भड़काने के दर्जनों मामले दर्ज हैं। खुद योगी आदित्यनाथ पर भी हत्या के प्रयास, दंगे करने, सामाजिक सद्भाव को नुकसान पहुंचाने, दो समुदायों के बीच नफरत फैलाने, धर्मस्थल को क्षति पहुंचाने जैसे आरोपों में 3 केस दर्ज हैं। 

    योगी आदित्यनाथ का नाम, कुछ घटनाओं में भी शामिल है। इन घटनाओं की शुरुआत महाराजगंज जिले में पचरुखिया कांड से होती है। जिसमें योगी आदित्यनाथ के काफिले से चली गोली में। समाजवादी पार्टी के एक नेता के सरकारी गनर की मौत हो गई। CBCID ने योगी आदित्यनाथ को क्लीन चिट दे दी। रिपोर्ट की माने, तो ऐसी घटनाओं की एक लंबी list है। लेकिन किसी में भी, योगी आदित्यनाथ के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला। हालांकि वे आज भी अपने प्रिय विषय, लव जिहाद, घर वापसी, इस्लामिक आतंकवाद, माओवाद पर हिंदू सम्मेलन का आयोजन कर गरजते रहते हैं।

दूसरी तरफ हिंदू युवा वाहिनी के इन्हीं कामों से, गोरखपुर में शांति बढ़ने लगी। वही दंगों की संख्या भी कम होने लगी। यही कारण है कि वहां की ज्यादातर आबादी का, योगी आदित्यनाथ पर विश्वास बढ़ने लगा। इसी का परिणाम यह हुआ कि votes में, उनकी जीत का अंतर बढ़ने लगा। साल 2014 का चुनाव, वह तीन लाख से अधिक वोटों से जीते। वहां की जनता योगी आदित्यनाथ की सरकार से बहुत खुश है। इसी प्रकार जाने : Arvind Kejriwal Biography in Hindiसंघर्ष से लेकर सत्ता तक…. ।

प्रथम बार सांसद के रूप मे

योगी आदित्यनाथ का वर्चस्व इतना बढ़ गया। कि उनके समर्थक योगी की बताई हुई तारीख पर ही हर त्यौहार मनाते हैं। योगी आदित्यनाथ और बीजेपी का रिश्ता दो दशक पुराना है। योगी आदित्यनाथ पूर्वी उत्तर प्रदेश में अच्छा खासा रुतबा रखते हैं। संसद में सक्रिय उपस्थिति और संसदीय कार्य में उनकी रूचि को देखते हुए। योगी आदित्यनाथ को केंद्र सरकार ने खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग वितरण मंत्रालय, चीनी और खाद्य वितरण मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय का कार्यभार सौंपा गया।

इसके साथ ही काशी हिंदू विश्वविद्यालय और अलीगढ़ विश्वविद्यालय की समितियों में सदस्य के रूप में समय-समय पर नामित किया है। राजनीति के अखाड़े में कुछ एक नेताओं को छोड़ दें। तो शायद ही कोई ऐसा नेता हो। जिसका जीवन विवादों के न भरा हो। योगी आदित्यनाथ के जीवन में विवादों का चोली-दामन का साथ रहा है।

योगी आदित्यनाथ संसद मे क्यो रोये

  12 मार्च 2007 को योगी आदित्यनाथ, संसद के भरे सदन में फूट-फूटकर रो पड़े। ऐसे कौन से हालात थे। जिसकी वजह से योगी आदित्यनाथ फूट-फूटकर रोए। आप भी सोच रहे होंगे। योगी आदित्यनाथ और आँसू। क्योंकि योगी आदित्यनाथ की छवि, एक कट्टर हिंदूवादी  नेता की रही है। इसका कारण था कि जनवरी 2007 में गोरखपुर में एक दंगा हुआ था। इस दंगे के विरोध में, योगी आदित्यनाथ ने धरने पर बैठने का ऐलान किया था। लेकिन जब वह धरने के लिए जा रहे थे। 

तभी उन्हें पुलिस ने शांति भंग करने की धाराओं के तहत, गिरफ्तार कर लिया। लेकिन ऐसी मामूली धाराओं में, गिरफ्तारी के बावजूद। उन्हें 11 दिनों तक गोरखपुर की जेल में बंद रखा गया। इसी वजह से, योगी आदित्यनाथ लोकसभा में अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाए। वह रोने लगे। उस समय उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार थी। जिसके मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव थे। उनके आंसुओं में भावनाएं हैं थी साथी हमारे देश की दूषित राजनीति के प्रति आक्रोश भी है

योगी आदित्यनाथ की दिनचर्या व शौक

योगी आदित्यनाथ जानवरों से, बेहद प्यार करते हैं। वह केवल गाय ही नहीं बल्कि कुत्ते, बिल्ली, बंदर, मगरमच्छ और अजगर से भी प्यार करते हैं। योगी आदित्यनाथ सुबह 4:00 बजे उठ जाते हैं। 2 घंटे तक हठयोग करते हैं। योगी आदित्यनाथ गाय से इतना प्यार करते हैं। कि वह नाश्ता करने से पहले, गायों को चारा खिलाते हैं। वह योगा और अपनी प्रार्थना करने के बाद, सीधे गौशाला पहुंच कर उनकी सेवा करते है।

योगी आदित्यनाथ की संस्था सड़क पर पाए जाने वाले। सभी घायल और बीमार जानवरों की मदद करती हैं। वह उन्हें अपनी संस्था में लेकर आते हैं। जहाँ पर उनकी सेवा की जाती है। गोरखनाथ मंदिर के पास, जब भी योगी आदित्यनाथ जाते हैं। तो वहां मौजूद जानवर दौड़-दौड़कर इनके साथ चलने लगते हैं। इसी प्रकार जाने : Indian James Bond NSA Ajit Doval Biography जिससे पूरे विश्व की Army भी काँपती है।

योगी आदित्यनाथ की मुख्यमंत्री के रूप मे उपलब्धियां

उत्तर प्रदेश में विकास के आंकड़े, जो बताते हैं। वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की इमानदारी, कर्मठता, सजगता, सतर्कता का ही परिणाम है। पिछले 4 सालों के दौरान, उत्तर प्रदेश में तीन लाख करोड़ से अधिक के निवेश हुए। उससे 35 लाख युवाओं को नौकरी मिलने की बात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक प्रेस वार्ता में कही।

उल्लेखनीय है कि मार्च 2012 में अखिलेश यादव ने, जब सत्ता संभाली।तब उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था 151 बिलियन डॉलर थी। 5 वर्षों में, अखिलेश सरकार ने इसमें 35.35 बिलियन डॉलर की वृद्धि की। मार्च 2017 में अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की सत्ता, योगी आदित्यनाथ को सौपी। तब उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था का आकार 186.5 billion-dollar था।

आज 4 साल के बाद, इसमें 81.4 बिलियन डॉलर की वृद्धि हो चुकी है। यह बढ़कर 268 बिलियन डॉलर हो गई है।

योगी सरकार द्वारा लिए गए, कुछ महत्वपूर्ण फैसले

  • सबसे पहला कदम अवैध स्लॉटर हाउस को बंद करवाया।
  • Anti Romeo अभियान चलाया। जिसकी वजह से महिलाओ में सुरक्षा की भावना पनपी है।
  • छोटे किसानों के कर्जो को माफ किया।
  • उत्तर प्रदेश में गुंडाराज का लगभग सफाया माफिया माफियाओं के महलों पर बुलडोजर चलवा कर उन्हें नेस्तनाबूद कर दिया अपराधियों की संपत्ति भी चीज कर दी।
  • राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण में अहम भूमिका। करीब 500 सालों बाद देश दुनिया में हिंदुओं के आराध्य पुरुषोत्तम श्री राम के मंदिर का शिलान्यास प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के हाथों करवाया।
  • लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाया पहचान छुपाकर महिलाओं के साथ हल करके शादी करने वालों के खिलाफ योगी सरकार ने कड़ा कानून बनाया
  • दंगाइयों से सरकारी संपत्ति की भरपाई इसी के कारण उत्तर प्रदेश में दंगों की संख्या में काफी नियंत्रण आया है
  • कोरोना जैसी महामारी से लड़ने के लिए, एक नया मॉडल प्रस्तुत किया।
  • उत्तर प्रदेश के नोएडा में दुनिया की, सबसे बड़ी फिल्म सिटी बनाने का निर्णय लिया।

    उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेते ही, पहले ही दिन से सम्पूर्ण यूपी में फैले भ्रष्टाचार, अराजकता, जिहाद, धर्मांतरण, नक्सली और माओवादी हिंसा  पर नकेल कसनी शुरू कर दी। इसी प्रकार जाने : विवेक रामास्वामी जीवन परिचय। एक भारतवंशी जो होगा, अमेरिका का नया राष्ट्रपति।

योगी आदित्यनाथ ने रचा इतिहास

 उत्तर प्रदेश में 37 साल बाद, ऐसे मुख्यमंत्री की सरकार बनने जा रही है। जो पिछले 5 सालों से सरकार चलाकर, आ रही हैं। 2022 के चुनाव में, यह जुमला काफी लोकप्रिय हो रहा है। UP के लिए, योगी ही उपयोगी है। योगी सरकार ने 2022 के चुनाव में, उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों में से, 273 सीटों पर काबिज़ होकर इतिहास रख दिया। भारतीय राजनीति का यह चुनाव कुछ ऐसा रहा। जिसने राज्य से परिवारवाद, माफियावाद व जातिवाद को सिरे से नकार दिया। 

 इस जीत ने यह सिद्ध कर दिया कि यूपी में योगी का कोई विकल्प नहीं है। उत्तर प्रदेश में 35 साल बाद, ऐसा पहली बार हुआ है। जब किसी एक पार्टी की लगातार, दूसरी बार सरकार बनने जा रही है। इस जीत के बाद, योगी का कद भी भारतीय जनता पार्टी में काफी बढ़ गया है। उत्तर प्रदेश के साथ ही, भारतीय जनता पार्टी ने 2022 के चुनाव में। तीन राज्यों में भी पूर्ण बहुमत प्राप्त किया। जिनमें गोवा, मणिपुर और उत्तराखंड शामिल हैं।

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