S. Jaishankar Biography in Hindi | एस. जयशंकर का जीवन परिचय

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2 S. Jaishankar – An Introduction

किसी भी देश की विदेश नीति यह निर्धारित करती है। कि उसके द्वारा, दूसरे देशों के साथ संबंध कैसे होंगे। जब ब्रिटिश सरकार ने 1947 में भारत छोड़ा। तब भारत बहुत ही ज्यादा गरीब और कम विकसित राष्ट्र था।

इसलिए भारत को अपना विकास करने के लिए, एक ऐसे शांतिपूर्ण विश्व की आवश्यकता थी। जो तनाव और युद्ध से परे हो। सुरक्षा की दृष्टि से यह आवश्यक भी था। हम सभी देशों से विशेषकर, पड़ोसी देशों से मैत्रीपूर्ण संबंध रखें।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सोवियत यूनियन और संयुक्त राज्य अमेरिका के नेतृत्व में। पूरा विश्व दो विरोधी गुटों में बंट गया। तब भारत ने किसी भी गुट में शामिल न होने का फैसला किया। भारत ने विश्व शांति और सहयोग के लिए, वातावरण बनाने में सक्रिय भूमिका अदा की। ‘एस. जयशंकर का जीवन परिचय’

 भारत द्वारा अपनाई गई। शांति और स्वतंत्रता की यह नीति ‘गुटनिरपेक्षता की नीति’ कहलाई। भारत की गुटनिरपेक्षता की नीति का, सीधा मतलब यह है। भारत अंतरराष्ट्रीय मामलों पर स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से विचार और काम करेगा। भारत के लिए सैन्य गुटों का तटस्थ रहना ही पर्याप्त नहीं था। इन गुटों के लिए, एक विकल्प खोजना भी आवश्यक था।

भारत-चीन समझौते के अंतर्गत, पांच सिद्धांत बनाए गए। इन 5 सिद्धांतों को ‘पंचशील‘ के नाम से जाना जाता है। हमारी विदेश नीति इन्हीं सिद्धांतों पर आधारित है। भारत दूसरे देशों की एकता, अखंडता और सार्वभौमिकता का सम्मान करता है। वही अपने देश की सुरक्षा और अखंडता को भी विशेष महत्व देता है। यह भारत की हमेशा कोशिश रही है।

वह अंतरराष्ट्रीय विवादों का समाधान, शांतिपूर्ण तरीकों और उपायों से करें। न कि शक्ति का प्रयोग करके। हमारा संविधान भी सरकार को शांति के लिए काम करने व अंतरराष्ट्रीय विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने पर बल देता है। भारत ने हमेशा उन राष्ट्रों का समर्थन किया है। जो विदेशी शासन का विरोध और अपनी स्वतंत्रता के लिए संघर्ष करते हैं।

भारत की विदेश नीति को और अधिक ऊंचाइयों पर ले जाने वाले, एक ऐसे व्यक्ति हैं। जिनकी नीतियों की चर्चा, पूरे विश्व में होती रहती है। पूरा विश्व आज भारत की विदेश नीति का लोहा मानने पर मजबूर है। भारत की विदेश नीति को, इन ऊंचाइयों पर ले जाने का श्रेय, जिस शख्श को है। उनका नाम एस. जयशंकर है। जो वर्तमान में, हमारे विदेश मंत्री हैं। इसी प्रकार जाने : Draupadi Murmu Biography in Hindi। राष्ट्रपति भवन तक का पूरा सफर।

S. Jaishankar Biography in Hindi

S. Jaishankar – An Introduction

भारतीय विदेश मंत्री – एस जयशंकर
एक नजर
वास्तविक नामडॉ० सुब्रमण्यम जयशंकर
प्रचलित नामएस० जयशंकर, शंकर
जन्म-तिथि9 जनवरी 1955
जन्म-स्थाननई दिल्ली भारत
पिताके. सुब्रमण्यम जयशंकर
(सिविल सर्वेंट व पत्रकार)
मातासुलोचना जयशंकर
(संगीत में पीएचडी)
स्कूलएयर फोर्स सेंट्रल स्कूल, नई दिल्ली
कॉलेज• सेंट स्टीफन कॉलेज, नई दिल्ली 
• जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU), नई दिल्ली
शैक्षिक योग्यता• परास्नातक (राजनीति विज्ञान व अंतरराष्ट्रीय संबंधों में) 
• एमफिल (1977) • पीएचडी (1981)
व्यवसाय• भारतीय प्रशासनिक अधिकारी (IFS) 1977 बैच
• राजनेता ( वर्तमान विदेश मंत्री)
राजनीतिक दलभारतीय नता पार्टी (भाजपा)
विवाह• शोभा जयशंकर – पहली पत्नी (दिवंगत) 
• क्योको जयशंकर (जापान मूल की)
बच्चे• ध्रुव जयशंकर (बेटा) 
• अर्जुन जयशंकर (बेटा) 
• मेघा जयशंकर (बेटी)
भाई-बहन• संजय सुब्रमण्यन (भाई) इतिहासकार  
• एस. विजय कुमार (पूर्व ग्रामीण विकास सचिव)
राजनीतिक यात्रा• मोदी मंत्रिमंडल में विदेश मंत्री के रूप में (मई 2019)
• राज सभा सदस्य के रूप में (8 जुलाई 2019)
पुरस्कार व सम्मानपद्मश्री (2019)
इनकम/ सैलरी₹ 1 लाख + अतिरिक्त भत्ते (कैबिनेट मंत्री के रूप में)

S. Jaishankar Early Life
एस. जयशंकर का प्रारम्भिक जीवन

जयशंकर का पूरा नाम सुब्रह्मण्यम जयशंकर है। इनका उपनाम एस. जयशंकर है। इनका जन्म 9 जनवरी 1955 को नई दिल्ली में हुआ था। यह मूल रूप से तमिल परिवार से संबंधित हैं। इनके पिता स्व० के. सुब्रमण्यम, एक आईएएस ऑफिसर थे। इनके पिता जी एक सिविल सर्वेंट थे। इसी कारण, इनका जन्म नई दिल्ली में हुआ।

 के. सुब्रमण्यम जी को Father of Indian Strategic Thoughts भी माना जाता था। इनकी माता सुलोचना जयशंकर संगीत में PhD थी। एस. जयशंकर के भाई संजय सुब्रमण्यम, एक प्रसिद्ध इतिहासकार थे। जबकि उनके दूसरे भाई एस. विजय कुमार भारत के ग्रामीण विकास सचिव रहे हैं। इसी प्रकार जाने : विशाल हिन्दू ह्रदय सम्राट  Yogi Adityanath की सम्पूर्ण जीवन गाथा

S. Jaishankar Education
एस. जयशंकर की शिक्षा

एस. जयशंकर की शुरुआती शिक्षा (Education of S. Jaishankar) दिल्ली के एयर फोर्स सेंट्रल स्कूल से हुई थी। इसके बाद, इन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफन कॉलेज से बी०ए की डिग्री हासिल की। बी०ए की डिग्री लेने के बाद, एस. जयशंकर ने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी यानी जेएनयू से पॉलिटिक्स में एम०ए की डिग्री हासिल की।

इन्होंने अपना परास्नातक राजनीतिक विज्ञान व अंतरराष्ट्रीय सम्बन्धों में पूरा किया। जेएनयू से ही जयशंकर जी ने International Relation में एमफिल और पीएचडी भी किया। कहा जाता है कि बी०ए की शिक्षा के बाद, एस. जयशंकर आईआईटी में एडमिशन लेने गए थे।

लेकिन जब उन्होंने जेएनयू में भीड़ देखी। तो वहां पहुंच गए। फिर जेएनयू में एडमिशन ले लिया। एस. जयशंकर को हिंदी के अलावा तमिल, इंग्लिश, रशियन, मेड्रिड व जैपनीज समेत कई भाषाओं का अच्छा ज्ञान है।

S. Jaishankar – Age, Marriage, Wife and Family
एस. जयशंकर का विवाह व परिवार

 एस. जयशंकर की पढ़ाई जेएनयू से शुरू हुई थी। यहीं से उनकी प्रेम-कहानी की भी शुरुआत हुई। जहां वह शोभा (S. Jaishankar’s First Wife) जी से मिले थे। जो उनकी पहली पत्नी थी। लेकिन शादी के कुछ समय बाद, शोभा की कैंसर से मृत्यु हो गई। शोभा की मृत्यु के बाद, एस. जयशंकर ने जापानी मूल की महिला से शादी की। उनकी दूसरी पत्नी का नाम क्योको जयशंकर (S. Jaishankar’s Second Wife) है।

 जयशंकर के तीन बच्चे हैं। इनकी बेटी मेघा जयशंकर, लॉस एंजिलिस में फिल्म इंडस्ट्री में है। इनके बड़े बेटे ध्रुव जयशंकर हैं। जो अमेरिका में, एक थिंक टैंक के साथ काम करते हैं। ध्रुव की पत्नी Cassandra Berman हैं। जो कि एक अमेरिकन है। उनका छोटा बेटा अर्जुन जयशंकर है। जो अभी पढ़ाई कर रहे हैं।

भारत के यह हाजिर जवाब विदेश मंत्री एस जयशंकर, देश के विदेश मंत्री तो है ही। उनके परिवार में भी, इसकी झलक देखने को मिलती है। इन्होंने वसुधैव कुटुंबकम को भी चरितार्थ करके दिखाया है। इसी प्रकार जाने : Indian James Bond NSA Ajit Doval Biography जिससे पूरे विश्व की Army भी काँपती है।

Career of S. Jaishankar
एस. जयशंकर का कैरियर

साल 1977 में एस. जयशंकर, अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, Indian Foreign Service (IFS) में शामिल हुए। सोवियत यूनियन के fall व मास्को और श्रीलंका में भारतीय सेनाओं के शांति मिशन के दौरान। एस. जयशंकर ने अपनी सेवाएं दी। इसके अलावा एस. जयशंकर ने कई देशों में India के Ambassador के रूप में भी अपनी सेवाएं दी।

एस. जयशंकर ने United States of America, China और Czech Republic में Ambassador के रूप में काम किया। इसके अलावा उन्होंने सिंगापुर के हाई कमिश्नर के रूप में भी काम किया। भारत और अमेरिका के रिश्तों में positive बदलाव का credit भी, एस. जयशंकर को ही दिया जाता है।

भारत और सोवियत यूनियन के बीच संबंधों को और मजबूत करने के लिए, जयशंकर ने विशेष रुप से रशियन भाषा सीखी। एस. जयशंकर रसिया में 2 साल रहे। वे यहां 1979 से लेकर 1981 तक रहे।

इसके बाद उनकी posting वाशिंगटन डीसी, यूएसए में हुई। जहां पर उन्होंने Indian Embassy में first secretary के रूप में काम किया। USA में उनकी posting, 3 साल तक रही। वे यहां पर 1985 से लेकर 1988 तक रहे। इसी posting के दौरान, एस. जयशंकर limelight में आये।

एस. जयशंकर का लंबे समय तक चीन मे,
भारत के राजदूत रहने का रिकॉर्ड

इसके बाद उनकी posting, एक  high commissioner के रूप में, सिंगापुर में हुई। लेकिन उनके career changing का tenure, Ambassador to China का था। चाइना में एस. जयशंकर 4.5 साल तक रहे। जो कि खुद एक रिकॉर्ड है। चाइना में लंबे समय तक Ambassador के रूप में काम करने का।

एस. जयशंकर को चीन और अमेरिका के मामलों का विशेषज्ञ भी माना जाता है। चीन और अमेरिका की बातचीत में, वह भारत के प्रतिनिधि भी रह चुके हैं। उनकी Diplomacy का अंदाजा, इससे भी लगाया जा सकता है। उनको 7 भाषाये  आती है। जिनमें हिंदी, तमिल, इंग्लिश, रशियन, जैपनीज, चाइनीस और हंगेरियन है। यह सारी languages उन्होंने उस देश के Ambassador रहते हुए सीखी। इसी प्रकार जाने : Smriti Irani Inspiring Biography सीरियल से सियासत तक की स्मृति।

S. Jaishankar – First meet to Narendra Modi
एस. जयशंकर की नरेंद्र मोदी से मुलाकात

 एस. जयशंकर और प्राइम मिनिस्टर मोदी की पुरानी जान-पहचान बताई जाती है। तब नरेंद्र मोदी जी प्रधानमंत्री नहीं, बल्कि गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। जब साल 2012 में, नरेंद्र मोदी जी चीन गए थे।

चाइना में ही एस. जयशंकर ने नरेंद्र मोदी का ध्यान अपनी ओर खींचा। क्योंकि जब नरेंद्र मोदी जी चाइना के दौरे पर थे। तब एस. जयशंकर ने नरेंद्र मोदी की China के बड़े-बड़े Philanthropist व Politician से उनकी meeting fix करवाई। इसकी वजह से नरेंद्र मोदी, उनसे काफी प्रभावित हुए।

S. Jaishankar – Main Role in Important Issues
एस. जयशंकर की अहम मुद्दों मे मुख्य भूमिका

यही कारण है कि चाइना से जुड़ी सारी रणनीति बनाने में, एस. जयशंकर की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। साल 2007 में इंडिया-अमेरिका सिविल न्यूक्लियर डील में एस. जयशंकर का मुख्य भूमिका थी। साथ ही भारत और अमेरिका के बीच देवयानी खोबरागड़े विवाद को सुलझाने में भी, एस. जयशंकर ने बड़ा योगदान दिया था।

एस. जयशंकर ने अमेरिका के साथ चाहे परमाणु समझौता हो। या फिर चीन के साथ डोकलाम विवाद रहा हो। इन दोनों ही बड़े मामलों को, एस. जयशंकर ने बहुत ही समझदारी व बेहतर तरीके से सुलझाया था। अमेरिका और चीन के बीच जारी trade war के बीच, दोनों देशों में भारत के राजदूत रहे। एस. जयशंकर ने बड़े ही रणनीतिक तरीके से हल किया। इसी प्रकार जाने :  A motivational Biography of Lal Krishna Advani। एक विराट व्यक्तित्व लाल कृष्ण आडवाणी।

S. Jaishankar – Appointed as the Foreign Secretary
एस. जयशंकर की विदेश सचिव के तौर पर नियुक्ति

2013 में केंद्र में यूपीए- 2 की सरकार थी। तब नये विदेश सचिव को चुना जाना था। तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह IFS अधिकारी एस. जयशंकर को विदेश सचिव बनाना चाहते थे। लेकिन वरिष्ठता क्रम में, सुजाता सिंह का नाम ऊपर था। जिसकी वजह से, उनकी मंशा अधूरी रह गई थी।

हालांकि उस समय ऐसी खबरें भी आई थी। कि तत्कालीन यूपीए अध्यक्ष के दखल से भी जयशंकर को नजरअंदाज किया गया। तब मनमोहन सिंह ने एस. जयशंकर को अमेरिका का राजदूत बनाकर भेजा। यह दायित्व संभालने के बाद, एस. जयशंकर वापस देश लौटे।

फिर नरेंद्र मोदी की गवर्नमेंट आने के बाद, साल 2015 में Central Cabinet ने, 29 जनवरी 2015 को एस. जयशंकर को विदेश सचिव बनाया। खास बात यह रही कि यह फैसला। एस. जयशंकर के रिटायरमेंट से सिर्फ 72 घंटे पहले किया गया था। इन्होंने करीब 4 साल तक विदेश सचिव के रूप में काम किया।

S. Jaishankar – Appointed as the Foreign Minister
एस. जयशंकर बने विदेश मंत्री

2019 में जब नरेंद्र मोदी दोबारा प्रधानमंत्री पद के लिए चुने गए। तब मोदी जी ने अपने रणनीतिक सलाहकार अमित शाह के साथ मिलकर, कई दिनों तक चर्चा की। फिर काफी उठापटक के बाद, अपनी कैबिनेट का विस्तार किया। जिसमें कई नाम चौकाने वाले आए। इन्हीं नामों में से एक नाम एस. जयशंकर का था।

इस बार सुषमा स्वराज सरकार में शामिल नहीं हुई। एस. जयशंकर को देश का, नया विदेश मंत्री बना दिया गया। जब 3 मई 2019 को एस. जयशंकर कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ले रहे थे। तब मंच के सामने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी मौजूद थे। आज वही एस. जयशंकर, मोदी सरकार में विदेश मंत्री है।

एस. जयशंकर एक Politician न होने के बावजूद, 2019 में भारत के 30वें Foreign Minister बने। यह उन पर प्रधानमंत्री के भरोसे को भी जाहिर करता है। ये भारत के इतिहास में, अब तक के सबसे Educated Foreign Minister हैं।

इतने Educated Foreign Minister होने का फायदा यह है। कि इतने Crisis के time पर भी, India की foreign policy अपने Golden Period से गुजर रही है। इसी प्रकार जाने : The Missile Man of India – President Dr. APJ Abdul Kalam Biography

एस. जयशंकर का दीवाना हुआ चीन

एस. जयशंकर अपने बयानों के कारण छाए हुए हैं। उनके बयानों से जाहिर होता है। सीधी बात, नो बकवास। चारों तरफ अमेरिका में दिए गए, बयानों की चर्चा हो रही है। चाहे वह मानवाधिकार हनन के आरोप हो। या फिर रूस से तेल और गैस की खरीद।

एस. जयशंकर के जवाब शानदार थे। जिससे चीन भी एस. जयशंकर का दीवाना हो गया है। चीन का सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ रूस और यूक्रेन के युद्ध में, भारत की भूमिका की तारीफ कर रहा है। वह लगातार भारत का पक्ष ले रहा है।

एस. जयशंकर ने अमेरिका को मानवाधिकार के मामले में, दो टूक जवाब दिया था। उनके सख़्त जवाब को लेकर, ग्लोबल टाइम्स ने ट्वीट किया। उसने लिखा कि ‘आजाद भारत को मानवाधिकारों पर भाषण देने का, अमेरिका को कोई अधिकार नहीं है।

अमेरिका भारत को अपना ग्राहक देश समझने का, सपना देखना बंद कर दे।  अमेरिका अपनी महान नैतिकता को, अपने पास ही रखें। उभरती हुई शक्तियों से ढंग से  पेश आना सीखें।’

S. Jaishankar – Achievements
एस. जयशंकर की उपलब्धियों पर एक नजर

एस. जयशंकर ने अपने कार्यकाल के दौरान, बहुत सारी उपलब्धियां हासिल की। जानते हैं, इनकी प्रमुख उपलब्धियों के बारे में।

1. साल 1979 में, मास्को में भारतीय मिशन का first secretary चुना गया।

2. 1985 में एस. जयशंकर, वाशिंगटन डीसी में Indian Embassy में first secretary बने।

3. 1988 में, वह Indian Peace Force के political advisor और श्रीलंका में भारतीय मिशन के first secretary बने।

4. इसके बाद साल 1996 में, वह टोक्यो में Indian Embassy के Chief बने।

5. साल 2000 में, वह चेक रिपब्लिक में भारत के Ambassador बने।

6. साल 2004 में, उन्हें दिल्ली के foreign ministry में central secretary के रूप में चुना गया।

7. साल 2007 में, एस. जयशंकर को सिंगापुर में, भारत के high commission का काम सौंपा गया।

8. साल 2009 में, उन्हें 4.5 साल के लिए, चाइना में भारत के Ambassador बने। उन्हें सबसे लंबे समय तक, सेवा देने वाले  Ambassador के रूप में जाना जाता है।

9. साल 2013 में, उन्होंने USA में भारत के Ambassador के रूप में काम किया।

10. 29 जनवरी 2015 को, डॉ एस. जयशंकर को, भारत के विदेश सचिव के रूप में चुना गया।

11. 3 मई 2019 मोदी सरकार की कैबिनेट में, उन्हें Foreign Minister के रूप में चुना गया।

S. Jaishankar – Awards and Honors
एस. जयशंकर को पुरस्कार व सम्मान

साल 2019 में, एस. जयशंकर को भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा ‘पदम श्री’ से सम्मानित किया गया।

FAQ:

प्र०  एस. जयशंकर का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

उ०   एस. जयशंकर का जन्म 9 जनवरी 1955 को नई दिल्ली में हुआ था।

प्र०  एस. जयशंकर कौन हैं?

उ०  एस. जयशंकर भारत के वर्तमान विदेश मंत्री हैं।

प्र०  विदेश मंत्री बनने से पहले किस पोस्ट पर नियुक्त थे, एस जयशंकर ?

उ० विदेश मंत्री बनने से पहले, एस. जयशंकर विदेश सचिव के पद पर नियुक्त थे?

प्र०   भारत के विदेश मंत्री कौन हैं ?

उ० एस. जयशंकर भारत के वर्तमान विदेश मंत्री हैं।

प्र०  एस. जयशंकर की पहली पत्नी कौन थी ?

उ०  एस. जयशंकर की पहली पत्नी शोभा  जयशंकर थी। जिनकी कैंसर की वजह से मृत्यु हो गई।

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