APJ Abdul Kalam | APJ Abdul Kalam biography in Hindi | Full Name-.डॉ अवुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम | अब्दुल कलाम का जीवन परिचय| अब्दुल कलाम की जीवनी| Missile Man of India | About APJ Abdul Kalam | Abdul Kalam History | Abdul Kalam Story | Abdul Kalam Books | Story of Abdul Kalam in Hindi | Abdul Kalam information in Hindi | Abdul Kalam Life history in Hindi | President of India Dr. Abdul Kalam
Dr. APJ Abdul Kalam Biography in Hindi
A Missile Man of India
सपने वह नहीं होते, जो आप सोने के बाद देखते हैं। सपने तो वह होते हैं, जो आपको सोने नहीं देते।
डॉ एपीजे अब्दुल कलाम
21वीं सदी में, आज भारत जहां पर भी है। वह बहुत संघर्ष के बाद पहुंचा है। पहला संघर्ष, देश की गुलामी थी। दूसरा संघर्ष, देश में अपनी कोई टेक्नोलॉजी नहीं थी। भारत किसी न किसी तरीके से आजाद तो हो गया। लेकिन आगे देश का क्या होगा। यह किसी को नहीं पता था। भारत के लिए आजादी मिलना ही बहुत बड़ी बात थी।
आजादी मिलने के बाद भारत को अमेरिका, फ्रांस, चाइना जैसे बड़े-बड़े देशों से हर रोज धमकियां मिला करती थी। इसी दौरान भारत में एक ऐसे इंसान का जन्म हुआ। जिसने भारत देश को, अपने कंधों पर उठाकर, आज एक ऐसे मुकाम पर खड़ा कर दिया। 21वीं सदी में भारत, जहां भी है। वह उनके बहुत बड़े, योगदान के कारण ही है। आप शायद समझ ही गए होंगे। यह है, भारत के Missile Man डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम।

Abdul Kalam
एक परिचय
अब्दुल कलाम – व्यक्तिगत परिचय | |
Full Name | डॉ अवुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम |
Nick Name | Missile Man, People’s Preside |
Father | जैनुलाब्दीन मरैकयार |
Mother | आशियम्मा |
Birth | 15 अक्टूबर, 1931 |
Birth Place | धनुषकोड़ी, रामेश्वरम, तमिलनाडु |
Brother | कासिम मोहम्मद, मुस्तफा कमाल, मोहम्मद मुथु मीरा लेबबै मरैकयार |
Sister | आसिम जोहरा |
Education | B.Sc (physics), Aerospace engineer from MIT |
अब्दुल कलाम – सामाजिक जीवन | |
Profession | एयरोस्पेस साइंटिस्ट, लेखक |
Notable Works | इंडिया 2020 (book) विंग्स ऑफ फायर(book), Ignited Minds (book), Turning Points (book) भारत का पहला SLV, बैलिस्टिक मिसाइल, पोखरण में न्यूक्लियर परीक्षण |
Hobbies | किताबें पढ़ना, लिखना, वीणा वादन, प्रेरक वक्ता, शास्त्रीय संगीत |
President | 2002-2007 |
Resting Place | पेई करूम्बु, रामेश्वरम, तमिलनाडु |
Death | 27 जुलाई, 2015 (सोमवार) |
Death Place | शिलांग, मेघालय |
अब्दुल कलाम की वजह से, आज भारत Russia, America, North Korea जैसे बड़े-बड़े देशों को टक्कर दे पाता है। क्योंकि पहले के समय में, भारत के पास कोई टेक्नोलॉजी ही नहीं थी। जिसके कारण भारत की कोई इज्जत नहीं होती थी। किसी भी देश की value उसकी technology के द्वारा ही देखी जाती है।
अब्दुल कलाम जी ने भारत को technology दी। Missile दी, Nuclear weapons दिया। इसके साथ ही भारत को न्यूक्लियर सम्पन्न देश बना दिया। यह सब हमारे लिए बड़े गर्व की बात हैं। डॉ कलाम को यह कामयाबी, इतनी आसानी से नहीं मिली थी। इसके पीछे एक बहुत बड़ा संघर्ष छुपा हुआ है।
Early Life and Primary Education of Abdul Kalam
अब्दुल कलाम का प्रारम्भिक जीवन व शिक्षा
अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को, तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था। इनके माता-पिता अधिक पढ़े-लिखे नहीं थे इनका जन्म एक मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके पिता जैनुल अब्दीन एक नाविक थे। जो रामेश्वरम में आए, हिंदू तीर्थ यात्रियों को, एक छोर से दूसरे छोर ले जाया करते थे। उनके परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत नहीं थी। ऐसे में सिर्फ दो वक्त का खाना ही बमुश्किल नसीब होता था। इन्हीं परिस्थितियों की वजह से अब्दुल कलाम को बचपन में ही काम करना पड़ा।इसलिए कलाम जी ने Newspaper और Magazine बेचने का काम किया। इन परिस्थितियों के बाद भी कलाम जी पढ़ाई से विचलित नहीं हुए। उनके अंदर हमेशा कुछ नया सीखने की हमेशा चाह रहती थी।
अब्दुल कलाम ने अपनी schooling पास के ही एक, छोटे से विद्यालय से की। जब उनकी उम्र 7 से 8 साल की थी। तभी रामेश्वरम में, एक भयंकर Cyclone आया। जिसके कारण, उनके पिता की नाव व व्यवसाय लगभग खत्म हो गया। इसी उम्र में घर चलाने के लिए, काम करना पड़ता था। लेकिन इसके बाद भी उन्होंने पढ़ाई नहीं छोड़ी। अब्दुल कलाम का मानना था कि वह बहुत गरीब परिवार में पैदा हुए थे। लेकिन वह एक नसीब वाले परिवार में पैदा हुए।
उनके माता-पिता अशिक्षित होने के बावजूद कलाम जी की बातों को समझते थे। इसके साथ ही उनका support भी करते थे। उनकी मां, उन्हें कुरान की बहुत सारी कहानियां सुनाया करती थी। उन्हें बचपन से ही सिखाया जाता था कि क्या सही है, और क्या गलत है। उनके पिता भी बहुत ही nobel person थे। किसी के साथ, उन्होंने अपना हाई स्कूल रामनाथपुरम स्वर्ण मैट्रिकुलेशन स्कूल से पूरा किया। इसके बाद त्रिचनापल्ली के सेंट जोसेफ कॉलेज में चार साल तक पढ़ाई की। यहां से उन्होंने 1954 में, भौतिक विज्ञान से graduation किया।
इसके बाद वह engineering करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने Madras institute of technology में admission लिया। उनका selection तो हो गया। लेकिन उनके पास admission के लिए, ₹1000 नहीं थे। उस समय एक हजार, एक बड़ी रकम होती थी। इसलिए उनकी बहन जोरा ने अपने कंगन बेचकर। अब्दुल कलाम जी का MIT में admission कराया। यहां तो उन्होंने एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की शिक्षा ली यह बात अब्दुल कलाम जी को बहुत शर्मिंदगी भरी लगी। उन्होंने निश्चय किया कि सबके इतने मेहनत और सपोर्ट के बाद। मुझे जीवन मे बहुत कुछ बड़ा करना है।
अब्दुल कलाम जी के Career की शुरुआत
1960 में कलाम ने मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। यहां से पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने Defence Research and Development Organisation (DRDO) में वैज्ञानिक के तौर पर काम किया। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत भारतीय सेना के लिए, छोटे हेलीकॉप्टर बनाकर की। DRDO में अब्दुल कलाम को अपने काम से संतुष्ट नहीं मिल रही थी। Dr. Kalam पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा गठित Indian Space Research Organisation (ISRO) के सदस्य भी थे।
इस दौरान उन्हें भारत के प्रसिद्ध अंतरिक्ष वैज्ञानिक, विक्रम साराभाई के साथ काम करने का मौका मिला। साल 1969 में उन्हें इसरो के परियोजना निदेशक के तौर पर नियुक्त किया गया। यहां पर उन्होंने भारत के सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल परियोजना के निदेशक के तौर पर काम किया। इसी परियोजना के सफलता के परिणामस्वरूप। भारत का पहला उपग्रह रोहिणी पृथ्वी की कक्षा में वर्ष 1980 में स्थापित किया गया। इसरो में शामिल होना कलाम के career का turning point था। जब उन्होंने सैटलाइट लॉन्च व्हीकल परियोजना पर काम किया। तब उन्हें लगा कि जैसे वह वही कार्य कर रहे हैं। जिसमें उनका मन लगता है।
Dr. Abdul Kalam's Success As a Scientist
अब्दुल कलाम की वैज्ञानिक के रूप मे सफलतायें
अमेरिका के अंतरिक्ष संगठन NASA से डॉ कलाम को बुलावा आया। वे 1963 में नासा गए। भारत के प्रसिद्ध परमाणु वैज्ञानिक राजा रामन्ना की देखरेख में पहला परमाणु परीक्षण किया गया।डॉ कलाम को पोखरण में 1978 में परमाणु परीक्षण देखने के लिए बुलाया गया। डॉ कलाम अपने कार्य की सफलताओं से, 70 व 80 के दशक में बहुत प्रसिद्ध हुए। उनका नाम भारत के बड़े वैज्ञानिकों में शामिल होने लगा। उनकी कद इतना बड़ा हुआ कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने बगैर अपने कैबिनेट की सहमति के। डॉ कलाम को कुछ secret project पर कार्य करने की अनुमति दे दी।
भारत सरकार ने महत्वाकांक्षी इंटीग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम का प्रारंभ डॉक्टर कलाम की देखरेख में किया। वह इस परियोजना के मुख्य अधिकारी थे। इन्होंने ही भारत को अग्नि और पृथ्वी जैसी मिसाइलें दी। डॉ कलाम प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार के रूप में 1992 से 1999 तक रहे। इसी दौरान, वह Defence Research and Development Organisation (DRDO) के सचिव रहे।
भारत के दूसरे परमाणु परीक्षण में, डॉ कलाम इस project के coordinator थे। इसमें उन्होंने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस दौरान उन्हें देश की मीडिया कवरेज ने, सबसे बड़ा परमाणु वैज्ञानिक बना दिया। डॉ कलाम ने हृदय चिकित्सक, सोमा राजू के साथ मिलकर। 1998 में एक कम कीमत का कोरोनरी स्टेंट का विकास किया। इसे कलाम-राजू स्टंट के नाम से जाना जाता है।
Dr. Abdul Kalam As a President of India
एक रक्षा वैज्ञानिक के तौर पर, उनकी उपलब्धियां और प्रसिद्धि के मद्देनजर। NDA की गठबंधन सरकार ने, उन्हें साल 2002 में राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया। उन्होंने अपनी प्रतिद्वंद्वी लक्ष्मी सहगल को भारी मतों से हराकर,जीत दर्ज की। भारत के 11वें राष्ट्रपति के रूप में 25 जुलाई 2002 को शपथ ली। डॉ कलाम राष्ट्रपति बनने से पहले, भारत-रत्न प्राप्त करने वाले तीसरे राष्ट्रपति है। इससे पहले डॉ राधाकृष्णन, डॉ जाकिर हुसैन को राष्ट्रपति बनने से पहले भारत-रत्न मिला था।
उनके कार्यकाल के दौरान, उन्हें जनता का राष्ट्रपति कहा गया। अपने कार्यकाल की समाप्ति पर। उन्होंने दूसरे कार्यकाल की भी इच्छा जताई। लेकिन राजनीतिक पार्टियों में आम सहमति, होने की कमी से उन्होंने विचार त्याग दिया। 12वीं राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के कार्यकाल की समाप्ति के समय। एक बार फिर उनका नाम संभावित राष्ट्रपति के रूप में लाया गया। आम सहमति नहीं मिलने के कारण। उन्होंने अपनी उम्मीदवारी का विचार छोड़ दिया।
Journey After The Presidency
राष्ट्रपति पद के बाद का सफर
Dr. Kalam ने राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के बाद, विभिन्न क्षेत्रों में काम किया। वे शिक्षण, लेखन, मार्गदर्शन तथा शोध जैसे कार्यों में व्यस्त रहे। डॉ कलाम ने विभिन्न संस्थानों में visiting professor के रूप में काम किया। उनमें प्रमुख रूप से IIM Shillong, IIM Ahemdabad, IIM Indore संस्थानों शामिल है। इसी के साथ Indian Institute of Space Science and Technology, Indian science institute, Bangalore तथा Anna University Chennai में भी एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर के रूप में जुड़े रहे।
Dr. Kalam ने Indian Institute of Technology Hyderabad, Banaras Hindu University, व Anna University में सूचना प्रौद्योगिकी की भी शिक्षा दी। डॉ कलाम ने देश के युवाओं के भविष्य को और बेहतर बनाने के लिए ‘What Can I Give’ की भी शुरुआत की। जिसका उद्देश्य देश से भ्रष्टाचार का सफाया करना है। देश के युवाओं मैं उनकी लोकप्रियता को देखते हुए दो बार ‘MTV youth icon of the Year’ अवार्ड के लिए भी मनोनीत किया गया। उनके जीवन पर आधारित फिल्म(2011) ‘I Am Kalam’ प्रदर्शित हुई।
Top Most Books by Dr. Abdul Kalam
डॉक्टर अब्दुल कलाम की प्रमुख किताबें
विभिन्न व्यक्तित्व के धनी डॉ कलाम ने बहुत से सराहनीय कार्य किये। इसी के चलते, उन्होंने बहुत-सी Books भी लिखी।
- India 2020: A Vision for the New Millennium
Wings of Fire: An Autobiography
Turning Points
Ignited Minds
Forge Your Future
Indomitable Spirit
- Target 3 Billion
- A Manifesto For Change
- Governance For Growth
- You are Unique
- Thoughts For Change
- You Are Born To Blossom
- Tejaswi Man
- Hum Honge Kamyab
- Beyond 2020: A Vision for Tomorrow’s India
Dr. Abdul Kalam - Award and Honor
अवॉर्ड दिए जाने का वर्ष | अवॉर्ड का नाम |
1981 | पद्म भूषण |
1990 | पद्म विभूषण |
1994 | विशिष्ट शोधार्थी |
1997 | 1.भारत रत्न, 2.इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार |
1998 | वीर सावरकर पुरस्कार |
2000 | रामानुजन पुरस्कार |
2007 | 1.डॉक्टर ऑफ़ साइंस की मानद उपाधि 2.किंग चार्ल्स।। मेडल 3. डॉक्टर ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की मानद उपाधि |
2008 | 1.डॉक्टर ऑफ़ साइंस (मानद उपाधि) 2.डॉक्टर ऑफ़ इंजीनियरिंग (मानद उपाधि) |
2009 | 1. वाँन कारमन विंग्स अंतरराष्ट्रीय अवार्ड 2. हूवर मेडल 3. मानद डॉक्टरेट |
2010 | डॉक्टर ऑफ़ इंजीनियरिंग |
2011 | आइ०ई०ई०ई० मानद सदस्यता |
2012 | डॉक्टर ऑफ़ लॉज़ (मानद उपाधि) |
2014 | डॉक्टर ऑफ़ साइंस |
डॉ अब्दुल कलाम के आखिरी पल
कलाम तुम्हें सलाम
27 जुलाई 2015 दिन सोमवार को, डॉ कलाम अपने काफिले के साथ IIM शिलांग जा रहे थे। उनकी कार के आगे, एक खुली जिप्सी में कुछ सुरक्षाकर्मी थे। उनमें से एक सुरक्षाकर्मी जिप्सी में बंदूक लिए खड़ा था। सफर की करीब 1 घंटे बाद। डॉ कलाम ने पूछा, वह खड़ा क्यों है? वह थक जाएगा। यह सजा जैसा है। डॉ कलाम चाहते थे, कि वह बैठ जाए। यह बात सुरक्षाकर्मी तक पहुंचाई गई। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया।
इसके बाद उन्होंने, उस जवान से मिलने की इच्छा जाहिर की। जब वह IIM शिलांग पहुंचे। तो उस जवान को, डॉ कलाम से मिलने के लिए लाया गया। डॉ कलाम ने उसका अभिवादन किया। जवान से हाथ मिलाया। कहा- शुक्रिया, दोस्त। उन्होंने उससे पूछा- क्या तुम थके हुए हो? कुछ खाना चाहोगे। माफ करना, तुम्हें मेरी वजह से इतनी देर खड़े रहना पड़ा।
डॉ कलाम कभी लेक्चर के लिए late नहीं होना चाहते थे। वह कहते थे, कि छात्रों को इंतजार नहीं कराना चाहिए। उन्होंने अपना lecture शुरू किया। उनका एक वाक्य ही पूरा हो पाया था। तभी वह लेक्चर हॉल में ही गिर पड़े। डॉ कलाम को अस्पताल पहुंचाया गया। जहां पर डॉक्टरों ने पूरी कोशिश की। लेकिन वह उन्हें, बचा नहीं पाए। उनकी मृत्यु का कारण, दिल का दौरा बताया गया।
कलाम तुम्हें सलाम
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Dr. A. P. J. Abdul Kalam ji ke bare mai bahut achhi jankari di hai. Aapke Blogs padhke mujhe bahut motivation milta hai.
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APJ Abdul Kalam ka Jeevan yuvaon Ke Liye Ek Prerna hai
ish post se Kafi Kuchh Jaane Ko Mila
Unki book Wings of Fire maine padhi hai
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