Sadhguru Jaggi Vasudev Biography in Hindi | सद्गुरु की विरासत कौन संभालेगा

Sadhguru – Jaggi Vasudev Biography in Hindi
सद्गुरु की जीवनी

  ज्यादातर लोग पंछी की तरह पिंजरे में रहते हैं। पिंजरे का दरवाजा तो खुला है। लेकिन वह पिंजरे में ही इतना व्यस्त हैं। की कोई और संभावना, उन्हें दिखाई ही नहीं देती।

     युगों पुरानी है। मनुष्य के यात्रा की कहानियां। यात्रा स्वयं के खोज की। यात्रा अस्तित्व के खोजने की। कई बार ऐसी यात्राएं कुछ सालों में पूरी हो जाती है। तो कई बार, एक यात्रा कई जन्मो तक चलती है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं। एक असाधारण मनुष्य की कहानी। जिसने कई जीवन लगा दिए। सत्य की खोज में। 300 साल के बाद बना। अध्यात्म की क्रांति से, विश्व को हिलाने वाला, वह इंसान। जिसे आज हम सद्गुरु के नाम से जानते हैं।

     एक आत्मज्ञानी, एक योगी, जीवन और मृत्यु के परे। यह एक ऐसे व्यक्ति विशेष हैं। जिन्होंने गुरु से सद्गुरु तक का सफर। बड़े ही अनूठे ढंग से तय किया है। उनके विचारों, सोच और व्यक्तित्व ने, लाखों लोगों के बिखरते जीवन को, एक नई दिशा दी। उनकी सहज वाणी, किसी भी निराशा को, आशा में बदलने की क्षमता रखती है।

     सद्गुरु एक आत्मज्ञानी योगी, दिव्यदर्शी, लेखक, कवि और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त speaker हैं। जो सभी की भौतिक, मानसिक और अध्यात्मिक खुशहाली के लिए। अथक रूप से काम कर रहे हैं। सतगुरु ने अपने  transform करने वाले कार्यक्रमों से दुनिया भर में। लाखों लोगों के जीवन को गहराई में छुआ है। सद्गुरु में प्राचीन योगिक विज्ञान को, आधुनिक समय के विचारों के लिए, Relevant बनाने का अनूठा गुण है।

      वह एक पुल की तरह है। जो हमें जीवन के deep dimensions तक ले जाते हैं। उनकी प्रक्रियाएं किसी खास विचारधारा या मान्यता से जुड़ी हुई नहीं। बल्कि इन प्रक्रियाओं के जरिए। Self transformation के शक्तिशाली और प्रमाणिक तरीके भेंट किए जाते हैं। उन्हें भारत के 50, सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों की सूची में शामिल किया जा चुका है। उनके बोध और तीक्ष्ण तर्क, जीवन के बारे में। हमारे विचारों और बोध का विस्तार करते हैं। उन्हें चुनौती देते हैं।

Biography of Sadhguru Jaggi Vasudev

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Sadhguru – An Introduction

जग्गी वासुदेव

सद्गुरु – एक नजर

पूरा नाम

जगदीश (जग्गी) वासुदेव

प्रसिद्ध नाम

सतगुरु, जग्गी वासुदेव

जन्म-तिथि

3 सितंबर 1957

जन्म-स्थान

मैसूर, कर्नाटका, भारत

पिता

डॉ वासुदेव (ओपथल्मोलॉजिस्ट)

माता

सुशीला देवी वासुदेव

स्कूल

डेमोंसट्रेशन स्कूल, मैसूर

कॉलेज

मैसूर विश्वविद्यालय

शैक्षिक योग्यता

अंग्रेजी साहित्य में स्नातक

पत्नी

विजया कुमारी – बैंकर (मृत्यु 23 जनवरी 1997)

विवाह तिथि

1984, महाशिवरात्रि के दिन

बच्चे

राधे जग्गी (बेटी) विवाहित

व्यवसाय

● संत

● लेखक

● कवि

● अंतर्राष्ट्रीय वक्ता

● भारतीय योगी और रहस्यवादी

आश्रम

ईशा फाउंडेशन

गुरु

राघवेंद्र राव जी महाराज

पुरस्कार

• पद्म विभूषण

• इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार

पता

ईशा फाउंडेशन, 15 गोविंदासामी नायडू लेआउट, सिगनल्लूर, कोयंबटूर- 641005

नेटवर्क

₹250 करोड़

सद्गुरु जग्गी वासुदेव का प्रारम्भिक जीवन
Early Life of Sadhguru Jaggi Vasudev

   सद्गुरु का जन्म 3 सितंबर 1957 को,   कर्नाटक के मैसूर में, एक तेलुगु परिवार में हुआ। जग्गी अपने चार भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। उनका पूरा नाम जगदीश ‘जग्गी’ वासुदेव है। इनके पिता पेशे से एक ophthalmologist doctor थे। जो इंडियन रेलवे के लिए, काम किया करते थे। जिसकी वजह से, वह अलग-अलग जगह पर shift हुआ करते थे। वह बचपन से ही बहुत अलग सोच रखते थे। वह किसी चीज़ को देखते थे। तो उसे देखते ही रह जाते थे।फिर उसी के बारे में सोचते रहते थे।

      उनकी concentration power इतनी ज्यादा थी। कि उनके पिता को चिंता होने लगी। उनका बेटा एक ही चीज को, इतनी देर तक घूरता ही रहता है। उन्होंने छोटी-सी उम्र से ही, खुद से सवाल करने शुरू कर दिए थे। जिनके जवाब किसी को नहीं पता थे। जैसे कि जब उनको कोई पानी देता। तो वह पानी को देखते रहते थे। ये सोचते हुए कि पानी आखिर है, क्या चीज़। उन्हें यह तो पता था। कि पानी का इस्तेमाल किसी लिए और कैसे होता है।

     लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि पानी है, क्या। उनके पिता को ये डर लगने लगा था। उन्हें अपने बेटे के लिए, किसी Psychiatrist से मिलना चाहिए। वह बहुत शांत रहते थे। उनके हिसाब से, अगर उन्हें कुछ पता ही नहीं है। तो उन्हें कुछ ज्यादा बोलना भी नहीं चाहिए। जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ने लगी। उनके अंदर के सवाल और ज्यादा बढ़ने लगे थे।

     इन सब के साथ ही, बचपन से ही जग्गी का कुदरत से अनोखा रिश्ता था। वह पेड़ों की छांव में बैठना, काफी पसंद करते थे। फिर अचानक ही ध्यान में मग्न हो जाते थे। इसके साथ ही, उन्हें सांप पकड़ने में महारत हासिल थी। वह जब घर लौटते, तो उनकी झोली सांपों से भरी होती थी।

इन सबमें सबसे खास बात यह थी। वह सांप इन्हें काटते भी नहीं थे। 11 वर्ष की उम्र में, उन्होंने योगाभ्यास करना शुरु कर दिया था। इनके योग गुरु का नाम, राजेंद्र राव जी महाराज था।

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सद्गुरु जग्गी वासुदेव जी की शिक्षा
Education of Sadhguru Jaggi Vasudev

   जग्गी वासुदेव की प्रारंभिक शिक्षा डेमोंसट्रेशन स्कूल, मैसूर से हुई। जब इन्होंने अपनी 12वीं कक्षा उत्तीर्ण की। तब इनके पिता चाहते थे कि वह डॉक्टर बने। लेकिन  जग्गी वासुदेव ने डॉक्टर बनने में कोई रुचि नही थी। उनके पिता ने कहा कि डॉक्टर नहीं, तो कम से कम एक इंजीनियर बन जाओ। हालांकि, इनके पिताजी डॉक्टर थे। उन्होंने आर्मी मेडिकल कॉलेज में, उनके लिए एक सीट भी reserve कर रखी थी।

     तब जग्गी वासुदेव ने कहा। कि उन्हें डॉक्टर या इंजीनियर नहीं बनना है। उन्हें सिर्फ़ लिटरेचर पढ़ना है। इसलिए उन्होंने अंग्रेजी साहित्य में, मैसूर विश्वविद्यालय से स्नातक किया। जब वह कॉलेज जाते, तो उनके प्रोफ़ेसर उन्हें notes लिखने को कहते। प्रोफ़ेसर साहब notes को dictate  करते थे। तब जग्गी वासुदेव ने उनसे कहा कि आप की नोट्स मुझे दीजिए। मै इसकी फोटो कापी करवाकर, वापस कर दूंगा।

     इसके बाद वह 9:00 बजे मैसूर लाइब्रेरी में पहुंच जाते। जहां पर रात में 8:00 बजे तक, वह किताबों की दुनिया में खो जाते। इन्होंने मैसूर लाइब्रेरी की हर पुस्तक पढ़ डाली। कोई भी विषय नहीं छोड़ा। इन्होंने लिटरेचर, इंजीनियरिंग, एनवायरनमेंट, साइंस किसी भी किताब को थोड़ा नहीं। बाकी समय, यह साइकिल लेकर घूमते। इन्होंने मैसूर का चप्पा-चप्पा छान मारा।

सद्गुरु जग्गी वासुदेव का कैरियर
Career of Sadhguru Jaggi Vasudev

   सद्गुरु को मोटरसाइकिल से घूमने का बहुत शौक था। उन्होंने अपनी युवावस्था में ही मोटरसाइकिल से संपूर्ण भारत की यात्रा की। उन्होंने यह यात्रा एक बार ही नहीं, बल्कि कई बार मोटरसाइकिल के द्वारा की। अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, सतगुरु ने कई तरह के business करना शुरू किए।

जिनमें Poultry farm, Brickworks और Construction business शामिल थे। यह सब करके, सद्गुरु अपने mid-twenties में पहुंचते-पहुंचते, एक सफल बिजनेसमैन बन चुके थे।

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सद्गुरु जग्गी वासुदेव का विवाह
Marriage of Sadhguru Jaggi Vasudev

सद्गुरु और विजया कुमारी की मुलाकात,  1984 में मैसूर के एक योगा कार्यक्रम के दौरान हुई। विजया कुमारी को विज्जी के नाम से भी जाना जाता था। विज्जी ने हाल ही में, अपनी पहले विवाह से तलाक लिया था। तलाक के बाद वह एक स्वतंत्र महिला बनकर बैंक में काम कर रही थी इसके बाद सदगुरु और उनकी मुलाकात योगा कार्यक्रमों के दौरान होती रही थी।

    सद्गुरु और बिजी ने विवाह करने का निर्णय लिया। इसके लिए वह मैसूर में Iruppu Falls के पास, एक स्थानीय रामेश्वर मंदिर का गए। यह महाशिवरात्रि का दिन था। ऐसा कहा जाता है कि उसी समय शिव और पार्वती का विवाह हुआ था। सतगुरु ने निश्चय किया कि उसी मुहूर्त में, उनका विवाह होगा। जब सतगुरु ने विवाह की बात, दोनों परिवारों को बताई। तब इस विवाह को लेकर, दोनों परिवारों में विरोध हुआ। लेकिन सतगुरु ने किसी की भी परवाह नहीं की।

सद्गुरु नहीं चाहते थे कि उनकी कोई संतान हो। लेकिन विज्जी ने उन पर, एक संतान के लिए जोर डाला। फिर उनके विवाह के 6 साल बाद 1990 में, उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया। जिसका नाम उन्होंने राधे जग्गी रखा। विज्जी स्वामी निर्मलानंद के महासमाधि से बहुत प्रेरित थी। उन्होंने सतगुरु से ऐसी ही महासमाधि लेने की बात कही थी।

      23 जनवरी 1997 को विजया कुमारी ने महासमाधि ले ली। फिर इस दुनिया को अलविदा कह दिया। इसको लेकर विजया कुमारी के पिता ने, सद्गुरु के ऊपर मर्डर का आरोप लगाया। बाद में, जब सद्गुरु ने इस महासमाधि के बारे में, सबको बताया। तब Police Investigation को बंद कर दिया गया।

सद्गुरु को ज्ञान की प्राप्ति
Sadhguru – Attainment of Knowledge

 सद्गुरु जब 25 वर्ष के थे। तब वह एक दिन चामुंडी हिल पर गए। जो कि मैसूर में ही है। जब वह वहां पर बैठे हुए थे। तब वह धीरे-धीरे ध्यान में चले गए। उन्हें ऐसा प्रतीत हुआ। जैसे वह प्रकृति के साथ मिल चुके हैं। यह अनुभव उनकी जिंदगी का, एक ऐसा अनुभव था। जिसने उनकी पूरी जिंदगी को बदल दिया। दरअसल, वह समाधि की अवस्था में चले गए थे।

      समाधि की अवस्था, वह अवस्था होती है। जहां पर आपको होश, तो होता है। लेकिन आपके दिमाग में, आपके मन में कोई विचार नहीं होता। आपको समय का कोई ज्ञान नहीं होता। कहा जाता है कि अगर इंसान अपने पूरे जीवन में, एक बार भी समाधि की अवस्था में चला जाए। तो उसका पूरा जीवन बदल जाता है। जब सद्गुरु समाधि की अवस्था से बाहर आए। तो उन्हें लगा कि 10 मिनट बीत चुके हैं।

      लेकिन जब उन्होंने समय देखा। तो उन्हें, उस अवस्था में 4 घंटे बीत चुके थे। इसके बाद सद्गुरु एक बार और समाधि की अवस्था में गए। जब वह समाधि की अवस्था से बाहर आए। तब उनके चारों ओर बहुत सारे लोग बैठे हुए थे। उनके गले में फूलों की मालाएं थी। सद्गुरु के मुताबिक उन्हें समाधि में गए हुए, 25 मिनट हुए थे। लेकिन उन्हें बाद में पता चला। कि उन्हें समाधि की अवस्था में, 13 दिन हो चुके हैं।

     इसके बाद सतगुरु ने अपना अच्छा खासा चलता हुआ बिजनेस छोड़ दिया। उन्होंने ये तय किया कि जो अनुभव उन्होंने खुद किया है। उस अनुभव को लोगों के साथ बाटेंगे। उन्हें aware करेंगे। इसके बाद सन 1983 में, पहली बार सतगुरु ने योग की classes शुरू की। इसके बाद, सन 1984 में, उनकी शादी भी हो गई। शादी के बाद भी, सतगुरु योग के जरिए। लोगों को aware करते रहे।

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ईशा फ़ाउंडेशन की स्थापना
Sadhguru – Establishment of Isha Foundation

सतगुरु ने सन 1993 में, ईशा फाउंडेशन की नींव रखी। ईशा फाउंडेशन आज न सिर्फ भारत में, बल्कि कई देशों में active है। ईशा फाउंडेशन एक Non-Profitable Organization है। जहां पर योग के जरिए। ज्ञान, कर्म, योग, भक्ति और क्रिया सिखाई जाती है। यह कोयंबटूर, तमिलनाडु में स्थित है। इसी सेंटर के बीचो-बीच एक बहुत बड़ा शिवलिंग भी है। जिसकी स्थापना सन 1999 में की गई थी।

      इस शिवलिंग की ऊंचाई 13 फीट 9 इंच है। इसी बीच सन 1996 में, सद्गुरु की धर्मपत्नी विजया कुमारी ने, अपने शरीर को त्याग दिया। इसके बाद, उन्हें अकेले ही इस सफर को तय करना पड़ा। वह धीरे-धीरे आगे बढ़ते ही चले गए। वह लोगों को अध्यात्म की बातें, आज के युग की बातों से जोड़कर समझाते हैं। जो लोगों को आसानी से समझ में आ जाती है। सन 2017 में, उन्होंने 112 फुट का आदियोगी का statue  बनवाया। जो कि एक बहुत बड़ा statue है।

     सतगुरु ने आज तक के, अपने जीवन काल में, बहुत से लोगों का मार्गदर्शन किया। उन्हें सही रास्ता दिखाया। वह अपने इस सफ़र में बहुत कामयाब भी रहे। 2018 तक के आंकड़े बताते हैं। कि ईशा फाउंडेशन के कार्यक्रम को, 60 करोड़ लोग attend कर चुके हैं।

सद्गुरु टीवी और सोशल मीडिया पर, बहुत active रहते हैं। क्योंकि वह जानते हैं कि यह एक ऐसा प्लेटफार्म है। जहां से एक ही बार में, करोड़ों लोगों का मार्गदर्शन किया जा सकता है। सद्गुरु आज के youth के लिए एक आदर्श है।

ईशा फ़ाउंडेशन के सामाजिक कार्य
Sadhguru – Social Work of Isha Foundation

ईशा फाउंडेशन न सिर्फ भारत में, बल्कि संयुक्त राज्य अमेरिका, इंग्लैंड, लेबनान, सिंगापुर, कनाडा, मलेशिया, युगांडा, नेपाल, चीन,ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी योग के कार्यक्रम आयोजित करता है। ईशा फाउंडेशन विभिन्न सामाजिक व सामुदायिक विकास गतिविधियों में भी शामिल है।

ईशा फाउंडेशन ने 2004 में, तमिलनाडु में एक  पारिस्थितिकी पहल Project Green Hand (PGH) की स्थापना की। इस परियोजना का उद्देश्य जल्द से जल्द पूरे तमिलनाडु में 114 मिलियन पेड़ लगाना और राज्य में वन क्षेत्र को बढ़ाना था।

सद्गुरु को पुरस्कार व सम्मान
Sadhguru – Awards and Honour

  सद्गुरु को पर्यावरण में सुधार के लिए किए गए, कार्यो के लिए 2008 में इंदिरा गांधी पर्यावरण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद वर्ष 2017 में, उन्हें अध्यात्म के लिए पद्म विभूषण से भी नवाजा गया।

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सद्गुरु द्वारा लिखी गई प्रमुख किताबें
Famous Books Written by Sadhguru

 सतगुरु ने बहुत सारी किताबें लिखी हैं। जिनमें उनके अनुभव और ज्ञान का भंडार है। सतगुरु ने आठ अलग-अलग भाषाओं में, 100 से ज्यादा किताबों को लिखा है। आप उनकी Books को पढ़कर, अपने जीवन में अपार ऊर्जा का संचार व जीवन में अमूल बदलाव ला सकते हैं। इनकी कुछ प्रमुख किताबें, इस प्रकार हैं –

  • Pebbles of Wisdom

  • Relationships

  • Emotion

  • Himalayan Lust

  • Of Mystics & Mistakes

  • Don’t Polish Your Ignorance

  • Mind is your Business and Body the Greatest Gadget

  • Inner Engineering

  • Adiyogi: The Source of Yoga

  • Death ; An Inside Story

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