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Saikhom Mirabai Chanu Biography in Hindi
एक चैम्पियन की पूरी कहानी
तेरे माथे पे ये आंचल बहुत ही खूब है, लेकिन
तू इस आंचल से एक परचम बना लेती, तो अच्छा था
कैफ़ी आज़मी की इस बात को शायद मीराबाई चानू ने दिल से लगा लिया था। इसीलिए उसने इस आंचल को तिरंगा बना दिया। जिसे पूरी दुनिया के सामने लहरा दिया। पूरी दुनिया को बता दिया कि बेटियां कमजोर नहीं होती।
बेटियां सिर्फ घर के आंगन तक सीमित नहीं होती। उसे उड़ने का मौका तो दो। फिर देख लो। उसकी उड़ान और देख लो उसकी छलांग। अगर पूरी दुनिया मुट्ठी में न कर ले, तो कहना।
आज पूरा देश चानू चानू करता है। वह अपनी इस बेटी पर गर्व करता है। क्योंकि पूरी दुनिया के सामने, इस बेटी ने हिंदुस्तान का तिरंगा बुलंद कर दिया था। यह शोहरत, यह आसमान की बुलंदिया। यह सब कुछ इतनी आसानी से नहीं मिला था।
लेकिन वह बेटी मीराबाई चानू ही थी। जिसके सामने, हर मुश्किल आसान हो जाती है। क्योंकि यह बेटी जानती है कि कैसे पत्थर उछाल कर, आसमान में सुराख किया जाता है।
पूरा देश आज सिर्फ, मीराबाई चानू की इस चमकती दुनिया के बारे में जानता है। उसके मेडल की चमक देखकर, दीवाना हो जाता है। लेकिन क्या कभी सोचा है। इस सफलता के लिए, मीराबाई चानू ने कितने पसीने बहाए। कितनी कुर्बानियां दी। कितनी मेहनत की।
बचपन में ही जलाने वाली लकड़ी का गट्ठर उठाने से लेकर, अंतरराष्ट्रीय पोडियम तक पहुंचने का, सफर बेहद ही खास है। इनके बारे में कुछ जानने की कोशिश करते हैं।

Mirabai Chanu - An Introduction
वेटलिफ्टर मीराबाई चानू एक नजर | |
पूरा नाम | साइखोम मीराबाई चानू |
प्रसिद्ध नाम | मीराबाई चानू |
जन्म-तिथि | 8 अगस्त 1994 |
जन्म-स्थान | नोंगपोक काकचिंग, इंफाल पूर्व, मणिपुर, भारत |
पिता | साइखोम कृति मीतेई (लोक निर्माण विभाग में ऑफिसर) |
माता | सैकोहम ओंगबी तोम्बी लीमा (शॉपकीपर) |
भाई-बहन | ● साइखोम सनातोम्बा मेइती (भाई) ● सैकोहम रंगिता (बहन) ● सैकोहम शया (बहन) (दो का नाम ज्ञात नही) |
शैक्षिक योग्यता | स्नातक |
वैवाहिक स्थिति | अविवाहित |
व्यवसाय | भारतीय भारोत्तोलक |
कोच | ● विजय शर्मा ● आरोन होरसचिग ● कुंजरानी देवी |
प्रतिस्पर्धा | 48 किलोग्राम |
शारीरिक संरचना | लंबाई – 150 सेमी० 4′ 11″ वजन – 49 किलोग्राम आंखों का रंग – काला बालों का रंग – भूरा |
पदक | 2014 – ग्लासगो राष्ट्रमंडल खेल – सिल्वर 2018 – गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेल – गोल्ड 2017 – अनाहेम विश्व चैंपियनशिप 2020 – ताशकंद एशियाई चैंपियनशिप – कांस्य 2020 – टोक्यो ओलंपिक – सिल्वर |
पुरस्कार व सम्मान | 2017 – मणिपुर सरकार द्वारा ₹20 लाख का नगद पुरस्कार 2018 – पद्मश्री 2018 – राजीव गांधी खेल रत्न सम्मान |
इनकम | ₹4 लाख + प्रतिमाह ₹50 लाख+ प्रतिवर्ष |
नेट-वर्थ | ₹5.5 करोड़ (2022 के अनुसार) |
मीराबाई चानू का प्रारंभिक जीवन
Early Life of Mirabai Chanu
मीराबाई चानू का जन्म 8 अगस्त 1994 को हुआ था। इनका जन्म मणिपुर के इंफाल में एक छोटे से कस्बे नोंगपोक काकचिंग में हुआ था। उनका पूरा नाम साइखोम मीराबाई चानू है। यह एक मध्यम परिवार से संबंध रखती हैं। इनकी मां सैकोहम ओंगबी तोम्बी लीमा, ग्रहणी होने के साथ-साथ, एक शॉपकीपर भी हैं। उनके पिताजी साइखोम कृति मीतेई है। जो पीडब्ल्यूडी में कार्यरत हैं।
मीराबाई अपने 6 भाई-बहनों में सबसे छोटी है। इनका परिवार आर्थिक रूप से बहुत सक्षम नहीं था। इसीलिए उनके परिवार का मुख्य काम जंगल से लकड़ियां तोड़कर लाना। फिर उन्हें बाजार में बेचने का था। मीराबाई बचपन से ही जंगल से लकड़ियां लाने में, अपने परिवार की मदद किया करती थी।
बहुत आश्चर्य की बात थी। उनके भाई बड़े साइखोम सनातोम्बा मेइती, जितनी लकड़ियां नहीं उठा पाते थे। उसकी दोगुनी लकड़ियां मीराबाई बहुत आसानी से अकेले लेकर आती थी। जैसे कि कहा जाता है। एक हीरे की परख जोहरी ही कर सकता है। उसी तरह उनकी मां ने मीराबाई की strength को पहचान लिया था।
वह यह देखकर surprise होती थी। कि इतनी छोटी लड़की, इतना वजन कैसे उठा सकती है। इन सबकी वजह से, उनकी मां ने decide किया। उन्हें वेटलिफ्टिंग करनी चाहिए। लेकिन मीराबाई चानू को बचपन में, वेटलिफ्टिंग में कोई interest नहीं था। उन्हें archery (तीरंदाजी) बहुत अच्छी लगती थी।
वह archery में ही, अपना करियर बनाना चाहती है। जब वह आठवीं कक्षा में थी। तभी उन्होंने कुंजारानी देवी की बायोग्राफी पढ़ी। जो एक प्रसिद्ध Weightlifter खिलाड़ी थी। वह उनसे इतनी inspired हुई। उन्होंने भी decide किया। कि उन्हें भी weightlifting हीं करनी है। भारत को विश्व स्तर पर represent करना है।
मीराबाई चानू की शिक्षा
Education of Mirabai Chanu
मीराबाई चानू का मन बचपन से ही, बाकी सभी बच्चों की तरह खेलकूद में ज्यादा लगता था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही सरकारी स्कूल से हुई थी। बाद में इन्होंने कॉलेज की शिक्षा इंफाल से पूरी की। यह कला वर्ग में स्नातक हैं।
मीराबाई चानू का स्पोर्ट्स के लिए संघर्ष
Mirabai Chanu - Struggle for Sports
मीराबाई चानू जब जंगल से लकड़ियां ढोती थी। तभी लकड़ियों का भार उठाते उठाते, उन्होंने वेटलिफ्टिंग को ही अपना कैरियर बना लिया। सबसे बड़ी समस्या तब आई। जब उन्हें अपने घर से दूर, इंफाल में ट्रेनिंग के लिए जाना पड़ता था।
आर्थिक रुप से कमजोर परिवार के पास, इतने पैसे तक नहीं थे। उन्हें ट्रेनिंग में आने-जाने का किराया दे पाएं। ऐसे में मीराबाई चानू ने, अपने घर के पास से गुजरने वाले। बालू लदे ट्रक से, लिफ्ट लेनी शुरू की। फिर यह सिलसिला लगातार चलता ही गया।
एक ट्रक ड्राइवर से लिफ्ट लेने में, उन्हें थोड़ा डर व risk तो था। लेकिन उन्होंने इसकी परवाह न करते हुए। उनसे ही लिफ्ट लेना जारी रखा। ट्रक वाले भी मीराबाई चानू से किराया नहीं लेते थे। इसी तरह उनकी ट्रेनिंग का सिलसिला चलता रहा।
भारोत्तोलन खेल क्या है
What is Weightlifting Sport
Weightlifting का game सुनने में काफी simple सा लगता है। एक स्टील का barbell होता है। जिसके दोनों sides में rubber के weights लगे होते हैं। जो इंसान जितना ज्यादा weight उठा सकता है। वह इस गेम को जीत जाएगा।
लेकिन weight उठाने के दो तरीके हो सकते हैं। यही दो तरीके, गेम के दो segments होते हैं। जिनमें पहला segment होता है – The Snatch। जिसमें इन weights को जमीन से लेकर, एक single motion में अपने सिर के ऊपर उठाना होता है।
जब सभी एथलीट का Snatch segment पूरा हो जाता है। तो एक छोटा सा break दिया जाता है। फिर दूसरा segment शुरू होता है। जिसे Clean and Jerk segment कहा जाता है। इसमें एथलीट को एक single motion में weight को ऊपर नही उठना होता है।
बल्कि इसमें आप पहले weight को उठाकर, चेस्ट लेवल तक लाते है। फिर दूसरे motion में, weight को चेस्ट से लेकर सर के ऊपर तक लाया जाता हैं। क्योंकि इसमें दो motion में breakdown किया जा रहा है। इसलिए इसमें ज्यादा weight उठाना संभव है।
दोनों ही segment में, weight के साथ सीधे खड़े होना होता है। नहीं तो आपका attempt चला गया। दोनों ही segment में 3 attempt मिलते हैं। इन तीनों में जो best attempt होता है। उसी के score को count किया जाता है। हर attempt में केवल 1 मिनट का ही समय मिलता है।
मीराबाई चानू को ग्लास्स्गो कॉमनवेल्थ गेम मे मौका
Mirabai Chanu - Chance in Glasgow Commonwealth Games
साल 2014 में, मीराबाई चानू को 48 किलोग्राम भार वर्ग में, हिस्सा लेने के लिए। ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम में जाने का मौका मिला। यही वह जगह थी। जहां भारत के साथ ही, पूरी दुनिया ने उनका दम देखा। वह ग्लास्गो से सिल्वर मेडल लेकर ही लौटी।
इन्होंने कुल 170 किलो का वजन उठाया था। जिसमें 75 किलो Snatch में व 95 किलो Clean and Jerk में उठाया था। 31 अगस्त 2015 को उन्हें भारतीय रेलवे विभाग में, एक वरिष्ठ टिकट कलेक्टर के तौर पर नियुक्त किया गया।
इसके 2 साल बाद, यानी साल 2016 में, रियो ओलंपिक होने वाला था। जहां पर बेहतरीन प्रदर्शन करना। हर एथलीट का सपना होता है। अपने लगातार बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर। मीराबाई चानू ने रियो ओलंपिक के लिए, qualify तो कर लिया। लेकिन इसे किस्मत कहा जाए या कुछ और ही।
जिन वेटलिफ्टर कुंजरानी देवी से motivate होकर, मीराबाई चानू ने वेटलिफ्टिंग में कैरियर बनाया। उन्हीं कुंजरानी को ओलंपिक के qualifying match में मैच में हरा दिया। चानू ने इस तरह, रियो ओलंपिक का टिकट कटवाया। हालांकि वह इस ओलंपिक में कुछ खास नहीं कर सकी।
साल 2016 के रियो ओलंपिक में मीराबाई चानू, अपना खेल तक पूरा नहीं कर पाई थी। जिस भार को चानू, रोजाना की practice के दौरान, आसानी से उठा लिया करती थी। वही रियो ओलंपिक में, जैसे उनके हाथ बर्फ की तरह जम गए थे। वह अपना खेल तक finish नहीं कर पाई। जब भारतीय खेल प्रमियों ने, इस खबर को पढ़ा। तो चानू उन सभी के लिए, एक विलेन बन गई थी। जिसके कारण वह depression तक में चली गई थी।
रियो ओलंपिक से उन्हें खाली हाथ ही लौटना पड़ा। लेकिन कहा जाता है कि हर असफलता कुछ न कुछ सिखा कर जरूर जाती है। मीराबाई चानू भी रियो ओलंपिक की हार को भुलाकर, आगे बढ़ गई। फिर उन्होंने टोक्यो ओलंपिक की तैयारी शुरू कर दी।
मीराबाई चानू को टोक्यो ओलंपिक मे सफलता
Mirabai Chanu - Success in Tokyo Olympics
साल 2017 में, मीराबाई चानू विश्व भारोत्तोलन चैंपियनशिप में हिस्सा लेने के लिए। अमेरिका के अनाहेम रवाना हुई। यहां उन्होंने Snatch में 85 किलो और Clean and Jerk में 107 किलो का भार उठाया। कुल मिलाकर 194 किलो का भार उठाकर, इस competition का record बना दिया।
इसके बाद 2018 में, ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में कॉमनवेल्थ गेम्स हुए। यहां भी उनका जलवा देखने को मिला। इस बार चानू वेटलिफ्टिंग का गोल्ड मेडल जीतने में सफल हुई। अब उनका अगला target टोक्यो ओलंपिक था। जिसके लिए उन्होंने तैयारी भी शुरू कर दी।
मीराबाई चानू के कोच विजय शर्मा ने बताया। चानू का अमेरिका में training लेना। उनके लिए turning point रहा। इसने उन्हें टोक्यो ओलंपिक का मेडल दिलाने में, काफी मदद की। ओलंपिक की तैयारी के लिए, मीराबाई चानू को अपने परिवार से करीब 2 साल तक दूर रहना पड़ा।
लेकिन फिर भी, वह अपने लक्ष्य से जरा भी नहीं डिगी। उनका टारगेट एक ही था। टोक्यो ओलंपिक में मेडल जीतना। उसके लिए चाहे, जितनी भी मेहनत करनी पड़े। वह हार नहीं मानी। उनकी इस मेहनत का फल, टोक्यो ओलंपिक में देखने को मिला। जब पूरे भारत की नजर, मणिपुर की बेटी पर थी।
चानू ने भी निराश नही किया। टोक्यो ओलंपिक में शामिल हुई। भारत की इकलौती वेटलिफ्टर, मीराबाई चानू ने 49 किलो वर्ग में हिस्सा लिया। उन्होंने Snatch में 86 किलो, जबकि clean and jerk में विश्व रिकॉर्ड कायम करते हुए। 119 किलोग्राम का भार उठाया। इसी के साथ, मीराबाई चानू ने ओलंपिक का सिल्वर मेडल चूम लिया। भारत के लिए, यह टोक्यो ओलंपिक का यह पहला मेडल था। जिसे भारत की इस बेटी ने, सवा अरब हिंदुस्तानियों की उम्मीदों का भार उठाकर, देश के नाम किया। जब चानू मेडल जीतकर, वापस भारत आई। तो उनका गाजे-बाजे के साथ, एयरपोर्ट पर जबरदस्त स्वागत हुआ।
मीराबाई चानू को पुरस्कार व सम्मान
Mirabai Chanu - Awards and Honors
मीराबाई चानू को उनके weightlifting में शानदार प्रदर्शन के लिए। अब तक ‘पद्मश्री’ और ‘राजीव गांधी खेल रत्न’ जैसे बड़े पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। मीराबाई चानू जब से टोक्यो ओलंपिक से लौटी हैं। उनके ऊपर इनामों की बारिश हो रही है।
रेल मंत्री अश्वनी वैष्णव ने, उन्हें ₹2 करोड़ का इनाम देने का एलान किया। इसके अलावा मणिपुर सरकार ने भी, मीराबाई चानू को ₹1 करोड़ की ईनाम राशि दी। वही डोमिनोज पिज़्ज़ा ने उन्हें जिंदगी भर फ्री पिज्जा खिलाने का वादा किया।
मीराबाई चानू अवार्ड व सम्मान | ||
वर्ष | अवॉर्ड्स | मेडल |
2014 | ग्लास्गो कॉमनवेल्थ गेम्स | सिल्वर |
2013 | कॉमन वेल्थ चैंपियनशिप, पेनांग | गोल्ड |
2015 | कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप, पुणे | सिल्वर |
2017 | वर्ल्ड वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप अनाहेम | गोल्ड |
2018 | गोल्ड कास्ट कॉमनवेल्थ गेम्स | गोल्ड |
2019 | कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप, एपिया | गोल्ड |
2020 | एशियन चैंपियनशिप ताशकंद | ब्रॉन्ज |
2021 | टोक्यो ओलंपिक | सिल्वर |
2018 | राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड | – |
2018 | पद्मश्री अवार्ड | – |
मीराबाई चानू बनी एडीशनल सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस
Mirabai Chanu - Appointed as Additional Superintendent of Police
मीराबाई चानू अब मणिपुर राज्य में Additional Superintendent of Police (ASP) के पद पर नियुक्त की गई है। ये पद उन्हें टोक्यो ओलंपिक में रजत पदक जीतने पर प्राप्त हुआ।
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने उनकी नियुक्ति एएसपी (स्पोर्ट्स) के रूप में की है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने, उन्हें ₹2 करोड़ की धनराशि भी प्रदान की थी। मीराबाई ने आधिकारिक रूप से, एएसपी का कार्यभार संभाल लिया है।
मीराबाई चानू की इनकम, नेट-वर्थ व लाइफ़स्टाइल
Mirabai Chanu - Income, Net-worth and Lifestyle
मीराबाई चानू की प्रतिमाह सैलरी ₹50000 है। इसके अलावा इनके रहने, घूमने-फिरने और अन्य खर्चे सरकार द्वारा किया जाता है। 2022 के अनुसार इनकी नेटवर्क ₹26 करोड़ है।
इनका एक आलीशान घर इंफाल में है। इनको बहुत ज्यादा कार रखने का शौक नहीं है। इनके पास सिर्फ एक ही कार है। जो Toyota Fortune है। जिसकी कीमत ₹40 लाख है।
FAQ :
प्र० मीराबाई चानू का पूरा नाम क्या है?
उ० इनका पूरा नाम साइखोम मीराबाई चानू है।
प्र० मीराबाई चानू का संबंध कौन से राज्य से है?
उ० मीराबाई चानू का जन्म मणिपुर के इंफाल में एक छोटे से कस्बे नोंगपोक काकचिंग में हुआ था।
प्र० मीराबाई चानू का संबंध किस खेल से है?
उ० मीराबाई चानू एक भारतीय भारोत्तोलन खिलाड़ी हैं।
प्र० मीराबाई चानू ने टोक्यो ओलंपिक में कितना वजन उठाया?
उ० मीराबाई चानू ने 49 किलो वर्ग में हिस्सा लिया। उन्होंने Snatch में 86 किलो, जबकि clean and jerk में विश्व रिकॉर्ड कायम करते हुए, 119 किलोग्राम का भार उठाया।
प्र० मीराबाई चानू की हाइट कितनी है?
उ० मीराबाई चानू की हाइट 1.5 मीटर है।
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