Neem Karoli | नीम करोली बाबा की कहानी | नीम करोली बाबा के चमत्कार (पूर्ण जानकारी)

Neem Karoli – बाबा की कहानी, मंत्र, बाबा के चमत्कार, बाबा की मृत्यु कैसे हुई, बाबा के शिष्य, बाबा का स्थान कहां है [ Neem Karoli Baba – mandir, ashram kainchi dham, baba miracles ]

भारत ऋषि-मुनियों की धरती रही है। पुरातन काल से लेकर, अभी तक भारत ने बहुत से महात्मा को देखा है। महात्माओ ने ही अध्यात्म को, पुनः भारत में स्थापित किया है। संत और महात्मा हमारे जीवन को प्रकाशवान करते हैं। सकारात्मक सोच के साथ, एक नई दिशा प्रदान करते हैं। संत महात्मा लोग अपनी सुख-सुविधाओं को त्याग कर। देश का भी कल्याण करते हैं। एक ऐसे ही संत, जो हनुमान जी के परम भक्त थे। जिन्होंने लोगों की निराश जिंदगी को सुधारा। नई सकारात्मक ऊर्जा प्रदान की थी।

ऐसे ही महान संतों में गिनती होती है। नीम करोली बाबा की। जिनका पूरा जीवन चमत्कारों से भरा रहा। इनके जीवित रहते हुए  और  समाधि के बाद भी।  देश-विदेश के अनुयायियों का ताता लगा रहता है। बाबा किसी भी भक्तों में भेदभाव नहीं करते थे। चाहे वह बहुत धनवान हो या बहुत गरीब। यह वही बाबा है। जिन्होंने Facebook के संस्थापक Mark Zuckerberg और Apple के संस्थापक Steve Jobs को नई सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करके, नई राह दिखाई थी।

  गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरूर्देवो महेश्वर:।

गुरुः साक्षात परमं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवेनमः।।

नीम करोली बाबा एक ऐसे संत थे जिन्हें जब भी कोई भगवान का दर्जा देता। तो वह उसे रास्ता दिखाते और कहते हैं कि वह भगवान नहीं है। यह एक ऐसे संत थे। जिन्हें दुनिया के सबसे अमीर व ताकतवर लोग भी, अपना गुरु  मानते हैं।  इन्हें बहुत से नामो व रूपों में जाना गया। जैसे लक्ष्मण दास, तालैया बाबा, चमत्कारी बाबा, नीम करोली बाबा आदि। इसी प्रकार जाने : Khatu Shyam Ji की सम्पूर्ण कहानी क्यों है हारे का सहारा, खाटू वाले श्याम बाबा।

Neem Karoli Baba

Neem Karoli Baba – An Introduction

नीम करोली बाबा
एक नज़र 
नाम  लक्ष्मी नारायण शर्मा
पितादुर्गा प्रसाद शर्मा
उपनाम • महाराज जी
• नीब करोरी
• चमत्कारी बाबा
• तलैया बाबा
जन्मलगभग 1900 ई०
जन्मस्थानअकबरपुर,फिरोजाबाद,उ०प्र०
गुरुहनुमानजी
पत्नीराम बेटी
बच्चे• अनेग सिंह शर्मा (पुत्र)
• धर्म नारायण शर्मा(पुत्र)
• गिरजा देवी (पुत्री)
शिष्य• भगवान दास 
• कृष्णा दास
• रामदास
• राम रानी 
• सूर्य दास आदि।
प्रभावित व्यक्ति• स्टीव जॉब्स
• मार्क जुकरबर्ग
• लैरी पेज 
• जूलिया रॉबर्ट्स   
• डान कोटके  
• विराट कोहली
• अनुष्का शर्मा आदि।
समाधि समय 11 sept. 1973
समाधि स्थलवृंदावन, उ०प्र

Neem Karoli Baba – Early Life

बाबा नीम करौली का जन्म, 1900 के आसपास माना जाता है। उनका जन्म फिरोजाबाद जिले के निकट, अकबरपुर में हुआ था। इनके पिता पंडित दुर्गा प्रसाद शर्मा जी थे। जो एक बहुत बड़े जमींदार थे। इनका मूल नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था। छोटी उम्र में ही इन्हें अलौकिक ज्ञान की प्राप्ति हो गई थी। बाबा नीबकरोरी हनुमान जी के भक्त व अवतार माने जाते थे।

इनका विवाह 11 वर्ष की उम्र में ही हो गया था। गृहस्थ जीवन से विचलित होकर, इन्होंने शीघ्र ही घर त्याग दिया। फिर काफी समय तक इधर-उधर भटकते रहे। बाबा शुरुआती दौर में गुजरात के मोरबी से 35 किलोमीटर दूर, एक गांव में साधना की। यहां पर उन्होंने बहुत सारी सिद्धि हासिल की। यहां आश्रम के गुरु महाराज ने, उनका नाम लक्ष्मण दास रखा। बाद में महंत ने, उन्हें अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। अन्य शिष्यों के विवाद के कारण, उन्होंने वह स्थान शीघ्र ही छोड़ दिया।

इसके बाद वह राजकोट के पास बवानिया गांव में आते हैं। एक तालाब के किनारे, हनुमान जी का एक मंदिर स्थापित करते हैं। यही वह तालाब में खड़े होकर घंटों तपस्या करते हैं। जिसके कारण, वहां पर लोग तलैया बाबा के नाम से पुकारने लगे। 1917 में एक संत रमाबाई को आश्रम समर्पित कर। वहां से चल पड़ते हैं। यहां से वह, मां गंगा से मिलने निकल पड़ते हैं। इसी प्रकार जाने : Bageshwar Dham – महाराज धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जीवन परिचयजानिए – धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की शक्तियों का रहस्य।

Neem Karoli Dham

नीम करोली बाबा के चमत्कार
Neem Karoli Baba Miracles

बाबा मां गंगा मैया के दर्शन के लिए, टूंडला से फर्रुखाबाद जाने वाली ट्रेन के, प्रथम श्रेणी में यात्रा कर रहे थे। तभी टिकट निरीक्षक ने उन्हें बेइज्जत करके,रास्ते में ही ट्रेन से उतार दिया। बाबा भी बिना विरोध किए उतर गए। एक नीम के पेड़ के नीचे बैठ गए। उन्होंने अपना चिमटा, वही जमीन में गाड़ दिया। लेकिन उनके उतरते ही, ट्रेन वही की वही रुकी रही। लाख कोशिशों के बाद भी, ट्रेन को चलता ना देखकर। ट्रेन के गार्ड,ड्राइवर व टिकट निरीक्षक को आभास हुआ कि उन्होंने बहुत बड़ी गलती कर दी है।

 फिर उन्होंने बाबा से क्षमा याचना के विनती की। वह ट्रेन में पुनः आकर बैठे। ताकि ट्रेन चल सके। बाबा ने ट्रेन पर बैठने के लिए दो शर्तें रखी। पहली वह कभी भी, किसी साधु-संत को, ऐसे बेइज्जत नहीं करेंगे। इसके बाद, उन्होंने प्रथम श्रेणी का टिकट भी दिखाया। दूसरी इस स्थान पर एक रेलवे स्टेशन का निर्माण हो। यह वक्त ब्रिटिश शासन काल का था। बाबा की यह दोनों शर्ते मान ली गई। फिर जैसे ही बाबा ट्रेन पर बैठे। ट्रेन चल पड़ी।

उस स्थान का नाम नीबकरोरी स्टेशन पड़ा। जो आज भी स्थित है। उनके साथ, उस गांव के काफी लोग गंगा मैया का स्नान करने जा रहे थे। उन्होंने बाबा से आग्रह किया कि वह उनके गांव में आ कर रहे। फिर बाबा ने गांव वालों से कहकर गुफा बनवाई। बाबा ने अपने हाथों से हनुमान जी की मूर्ति की रचना की। जो आज नीम करोली धाम में मौजूद है। बाबा उस गुफा में अनेकों-अनेकों दिन तक घोर साधना किया करते थे। यहां उनका नाम बाबा नीमकरोरी पड़ा।

ट्रेन रोके जाने की घटना, विश्व प्रसिद्ध हुई। जिसके कारण नीब करोरी बाबा की चर्चा, उनके गांव में भी होने लगी। तब उनके पिता ने कहा- चलो, बाबा नीमकरोरी से पूछते हैं।  हमारा बेटा कहां है। वह कब तक आएगा। इसी अपेक्षा में, वह नीबकरोरी धाम पहुंचते हैं। जहां अपने बेटे को नीम करोरी बाबा के रूप में पाकर खुश हो जाते हैं। उन्हें आदेश देते हैं कि वह घर चलकर, गृहस्थ जीवन व्यतीत करें। यूं तो नीमकरोरी से जुड़ी। बहुत सारी कथाएं, चमत्कार, वह रहस्यमयी घटनाए।जिन्हें जानकर आप आनन्दित व विस्मित हुए बगैर नही रहे सकते।

Neem Karoli Baba
नीम करौली वाले बाबा – गृहस्थ जीवन

बाबा नीबकरोरी पिता के आदेश पर, 10 वर्षों बाद, अपने गांव अकबरपुर वापस आते हैं। उनके पिता कहते हैं कि बेटा अब तुम गृहस्थ जीवन व्यतीत करो। इस पर बाबा पिता जी का आशीर्वाद लेते हुए कहते हैं। मैं अपने गृहस्थ जीवन का पूर्णतया उत्तरदायित्व निभाऊंगा। लेकिन साथ ही मैंने, जो समाज सेवा का कार्य शुरू किया है। उसे भी जारी रखूंगा। इस पर उनके पिता कहते हैं।

बेटा, मुझे जनकल्याण के कार्यों से कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन बस घर आते-जाते रहो। बाबा उनके दिल की बात को समझते हुए। उन्हें वचन देते हैं कि वह ऐसा ही करेंगे। फिर 1925 में बाबा को सुपुत्र की प्राप्ति होती है। जिसका नाम अनेग सिंह शर्मा रखा जाता है। इस बीच बाबा का नीबकरोरी में आना-जाना बना रहता है। 1917 से 1935 तक बाबा, नीमकरोरी में तपस्यारत रहे।

फिर 1935 में एक भव्य यज्ञ का आयोजन होता है। जिसमें बाबा, अपनी जटाये त्याग देते हैं। उनके धर्म कार्य और ग्रस्त कार्य दोनों साथ-साथ चलते हैं। 1937 में उन्हें, दूसरे पुत्र की प्राप्ति होती है। जिसका नाम धर्म नारायण शर्मा रखा जाता है। वो आजकल वृंदावन आश्रम की देखरेख करते हैं। फिर 1945 में कन्या रत्न की प्राप्ति होती है। जिनका नाम गिरजा देवी रखा जाता है। इसी प्रकार जाने : कबीर दास का जीवन परिचयचलिए खुद में कबीर को और कबीर में खुद को ढूंढते हैं।

Neem Karoli Baba Ashram – Kainchi Dham
कैंची धाम – स्थापना

1942 में नीम करोली बाबा उत्तराखंड में, भवाली से कुछ दूर एक छोटी सी घाटी के पास बैठे होते हैं। तभी उन्हें पहाड़ी पर एक व्यक्ति दिखाई पड़ता है। बाबा उसका नाम लेकर बुलाते हैं। जब वह व्यक्ति जिसका नाम पूरन था। उनके पास आता है। तो बाबा कहते हैं कि मुझे भूख लगी है। घर से कुछ खाना ला कर दो। वह व्यक्ति अचंभित होता है। मैं इन बाबा से पहली बार मिला। यह मुझे नाम से कैसे जानते हैं।

इस पर, वह अपनी जिज्ञासा बाबा के सामने रखता है। बाबा कहते हैं। मैं तुम्हें कई जन्मों से जानता हूं। वह व्यक्ति घर में सभी को बाबा के बारे में बताता है। फिर घर मे, मौजूद दाल और रोटी लेकर बाबा के आता है। बाबा भोजन ग्रहण करते हैं। फिर पूरन से कहते हैं। जाओ और, कुछ गांव वालों को बुला कर ले आओ। बाबा कुछ गांव वालों के साथ, नदी पार कर दूसरी ओर जंगल में जाते हैं। फिर एक स्थान पर रुककर कहते हैं।

यह जो पत्थर है, इसे खोदकर हटाओ इसके पीछे गुफा है। पूरन और गांव वाले सोचते हैं। मैंने तो पूरा जीवन यहां बिताया। लेकिन कभी गुफा का आभास नहीं हुआ। ये बाहर से आए, बाबा को इस जगह के बारे में कैसे पता। बाबा के कहने पर, खोदाई कर पत्थर हटाया जाता है। वहां एक गुफा मिलती है। बाबा बताते हैं कि गुफा में एक हवन कुंड है। सभी अंदर जाते हैं और बाबा के बताए अनुसार। सभी कुछ जस का तस मिलता है।

बाबा बताते हैं कि यह कोई चमत्कार नहीं है। बल्कि यह स्थान हनुमान जी का है। इस स्थान को नदी के जल से, शुद्धिकरण करते हैं। फिर वहां पर हनुमान जी को स्थापित किया गया। तब बाबा बताते हैं कि यह स्थान सोमवारी बाबा की तपोस्थली है। फिर वहां हनुमान जी की स्थापना के साथ ही, बाबा का आना-जाना लगा रहता हैं।

1962 में कैंची धाम की स्थापना की जाती है। उस वक्त चौधरी चरण सिंह वन मंत्री थे। वह बाबा को कैंचीधाम के निर्माण के लिए जगह मुहैया करवाते हैं। जिस पर बाबा खुश होकर आशीर्वाद देते हैं। वह एक दिन भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे। जबकि चौधरी चरण सिंह की दूर-दूर तक प्रधानमंत्री बनने की कोई संभावना नहीं होती है।

यह स्थान देश ही नहीं, वरन विदेशों तक ख्याति प्राप्त है। यह वही स्थान है। जिसे आज हम कैंची धाम के नाम से जानते हैं। आज यहां देशभर के और विदेशी श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। इसी प्रकार जाने : Alfred Ford Biography in Hindiफोर्ड कंपनी के मालिक ने क्यों अपनाया हिन्दू धर्म, बने कृष्ण भक्त।

Neem Karoli Baba – Body Renunciation
नीम करोली बाबा की मृत्यु कैसे हुई

बाबा का संपूर्ण जीवन, गृहस्थ और अध्यात्म में बराबर से बटा रहा। उन्होंने पूर्ण उत्तरदायित्व के साथ, इन दोनों धर्मों का बहुत निष्ठा के साथ पालन किया। बाबा ने 1935 में नीमकरोरी धाम को अलविदा किया। फिर अपनी अध्यात्म व संत जीवन का सफर कैंची धाम में गुजारा। वहां उनके शिष्य पूर्णानंद तिवारी थे। जो हमेशा बाबा के इर्द-गिर्द ही रहते थे। यह वही पूर्णानंद तिवारी हैं। जिन्हें पहली बार 1942 में बाबा ने कैची धाम में दर्शन दिए थे।

9 सितंबर 1973 को, बाबा नीम करौली ने अपना सबसे प्रिय, कैंची धाम त्याग दिया। बाबा ने दो महीने पहले से ही, अपने अनन्य भक्त पूर्णानंद जी को, अपने से दूर करना शुरू कर दिया। जिस पर पूर्णानंद कुछ दुखी भी हुए। लेकिन उन्हें इसके पीछे की मंशा नहीं पता थी। 9 सितंबर को बाबा ने पूर्णानंद से कहा कि वह वृंदावन जा रहे हैं। उनका बहुत लंबा ट्रांसफर हो गया है। लेकिन वह साथ नहीं चलेंगे।  बल्कि रवि खन्ना, जो एक एंग्लो इंडियन थे। उनके साथ जाने का निश्चय किया।

बाबा ने काठगोदाम से ट्रेन के द्वारा आगरा के लिए प्रस्थान किया। आगरा पहुंचने से पहले ही वह ट्रेन से उतरे। रवि खन्ना जो उनके साथ थे। उनसे कहा कि मैं अपना देह त्याग रहा हूं। लोग मेरे अंतिम संस्कार के लिए, असमंजस में पड़ जाएंगे। उन सबको बता देना। मेरा अंतिम संस्कार कैंची में न करके, वृंदावन में किया जाए। मेरी अर्थी को सबसे पहले, कंधा पूर्णानंद ही लगाएगा। जब तक वो नहीं आ जाता। तब तक मेरा अंतिम संस्कार ना किया जाए।

इस तरह बाबा ने अपना देह त्याग दिया और उनके समाधि वृंदावन के आश्रम में बनाई गई। इसके बाद उनकी अस्थियां भी कैंची धाम लाई गई। जहां पर उनके दर्शन किए जा सकते हैं। इसी प्रकार जाने : Biography of Steve Jobsएक आदमी जिसने पूरी दुनियाँ बदल दी।

Neem Karoli Baba
Steve Jobs, Virat Kohli, Mark Zuckerberg

 Apple के founder Steve Jobs, बाबा नीम करौली से आशीर्वाद लेने। उनके आश्रम कैंची धाम आए थे। स्टीव जॉब की सलाह पर ही, Facebook के founder Mark Zuckerberg ने भी कैंची धाम में माथा टेका था। उस वक्त Zuckerberg संघर्ष के दौर से गुजर रहे थे। उनकी कंपनी फेसबुक लगभग बिकने के कगार पर थी। तब स्टीव जॉब की सलाह पर, वह कैंची धाम आये।

यह बात प्रधानमंत्री मोदी के फेसबुक के ऑफिस में दौरे के दौरान Zuckerberg ने स्वयं बताई।  Steve Job 1974 में कैंची धाम आए। लेकिन उनकी मुलाकात बाबा से नहीं हुई। क्योंकि बाबा कुछ ही दिनों पहले समाधि ले चुके थे। लेकिन बाबा के आशीर्वाद से स्टीव जॉब और मार्क ज़ुकेरबर्ग की पूरी जिंदगी ही बदल गई।

नीम करोली बाबा को मानने वालों में Hollywood अभिनेत्री Julia Roberts का भी नाम आता है। जूलिया न तो आज तक बाबा के धाम आई और न ही बाबा से मिली। बस उनकी फोटो देखकर, उनकी भक्त हो गई। इसी श्रंखला में अमेरिका में हावर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर Richard Edward भी है। जो psychedelic drugs के ऊपर research कर रहे थे। इनके drugs के आदि हो जाने के कारण, यूनिवर्सिटी से निष्कासित कर दिया गया।

धीरे-धीरे ज्यादा ड्रग्स लेने के कारण, Richard डिप्रेशन में चले गए। 1967 में Richard इंडिया घूमने आए। यहां उनकी मुलाकात, नीम करोली बाबा से हुई। एक दिन उन्होंने बाबा जी को ड्रग्स दी। बाबा ने एक साथ बहुत सारी गोलियां खा ली। लेकिन उन पर इसका कोई असर नहीं हुआ। यह देखकर Richard की सोच drugs के प्रति बदल गई। वह बाबा के अनन्य भक्त हो गए। फिर उन्होंने अमेरिका वापस जाकर, अपना नाम रामदास रख लिया। वह हिंदू धर्म के प्रचार-प्रसार में लग गए।

Neem Karoli Baba – Mysterious Stories

बाबा नीमकरोरी की ट्रेन रोकने वाली घटना, विश्व प्रसिद्ध हुई। जिसके बाद वह चर्चा में आना शुरू हो गए। उनके जीवन की ऐसी बहुत सारी घटनाएं हैं। जो उन्हें एक दिव्य पुरुष या ईश्वर का अवतार मानने पर विवश करती हैं। उनकी ऐसी चमत्कारी घटनाओं में, 1966 के प्रयाग में कुंभ मेले की है। बाबाजी के कैंप में रात के समय, ब्रह्मचारी बाबा ने किसी दूसरे के भक्तों के कान में कहा।

अगर इस समय गरमा-गरम चाय मिल जाती। तो बहुत अच्छा होता है। लेकिन कैंप में दूध खत्म हो चुका था। जब बाबा जी को पता लगा। तो उन्होंने कहा क्या चाय पिएगा। फिर एक भक्तों से कहा कि बाल्टी लेकर जाओ और गंगा मैया से एक बाल्टी दूध ले आओ। गंगा मैया से कहना कि हम दूध उधार लिए जा रहे हैं। सुबह लौटा देंगे।

भक्त ने भी ऐसा ही किया। वह एक बाल्टी में गंगाजल भरकर ले लाया। उसे ढक कर रख दिया। अब बाबा जी के आदेश पर चाय का पानी चढ़ाया गया। लेकिन दूध न होने के कारण सभी विचलित थे। लेकिन जब बाल्टी को खोला गया। तो वह पूरी दूध से भरी हुई थी। जिसकी चाय बनी। सुबह दूध आने पर, बाबा जी ने एक बाल्टी दूध गंगा जी में वापस डलवा दिया।

जुगल किशोर बिरला और बाबा की कहानी

बाबा अल्प प्रवास के लिए, बिरला जी के यहां पहुंचते हैं। बिरला जी बाबा को अपने यहाँ नियुक्त नारायण दास पुजारी से मिलवाते हैं। जिसे राम कथा पूरी तरह कंठस्थ थी। बाबा उस पुजारी को देखते ही कहते हैं कि तेरे पिता ने हनुमान जी से बहुत बड़ा धोखा किया है। इस पर पुजारी थोड़ा विचलित होता है। बाबा के इस तरह कहने पर,वह अपने पिताजी से इस संदर्भ में जानकारी करता है।

नारायण दास के पिता, पन्नालाल स्वामी यह सुनकर अचंभित होते हैं। वह उनसे पूछते हैं। यह बात तुम्हें किसने बताई। तब वह बाबा के बारे में बताते हैं। तो पन्नालाल जी कहते हैं कि वह अवश्य ही हनुमान जी हैं। क्योंकि यह बात तो मेरे और सिर्फ हनुमान जी के बीच ही थी। यहां तक की तुम्हारी मां को भी इस विषय में कुछ नहीं पता था।

दरअसल हुआ कुछ यूं था। पन्नालाल जी को कोई संतान नहीं थी। उन्होंने मेहंदीपुर बालाजी के मंदिर में यह प्रण किया था। यदि उन्हें संतान की प्राप्त होती है। तो वह उनकी सेवा में समर्पित कर देंगे। लेकिन पुत्र मोह वश, वह अपनी बात से मुकर गए। जिसकी जानकारी सिर्फ उन्हें या बालाजी हनुमान जी को ही थी। जब नारायण दास के सामने, यह बात आती है।

तो वह बिरला जी की नौकरी छोड़कर, दिल्ली के महरौली में स्थित गुप्त हनुमान जी के मंदिर में। निस्वार्थ भाव से अपने को समर्पित कर देते हैं। वह आज भी उस मंदिर में पुजारी की भूमिका में हैं। इसी प्रकार जाने : Sadhguru Jaggi Vasudev Biography in Hindi सद्गुरु की विरासत कौन संभालेगा।

Neem Karoli Baba Quotes

• हनुमान चालीसा की प्रत्येक पंक्ति एक महामंत्र है।”

• भगवान को अपने हृदय में वैसे ही रखें जैसे आप बैंक में पैसा रखते हैं।

• सबसे प्यार करो, सबकी सेवा करो, भगवान को याद करो और सच बोलो।

• सभी महिलाओं को माता के रूप में देखें, उनकी सेवा अपनी माँ के रूप में करें। जब आप पूरी दुनिया को मां के रूप में देखते हैं, तो अहंकार गिर जाता है।

• संपूर्ण ब्रह्मांड हमारा घर है और इसमें रहने वाले सभी हमारे परिवार के हैं। भगवान को एक विशेष रूप में देखने की कोशिश करने के बजाय, उन्हें हर चीज में देखना बेहतर है।

• जब आप दुखी होते हैं या दर्द में होते हैं या बीमार होते हैं या आप किसी दाह संस्कार को देखते हैं तो आप वास्तव में जीवन के कई सत्य सीखते हैं।

• काम, लोभ, क्रोध, मोह – ये सब नरक के मार्ग हैं।

• सभी सांसारिक चीजों से मन को साफ करें। यदि आप अपने मन को नियंत्रित नहीं कर सकते हैं, तो आप भगवान को कैसे महसूस करेंगे।

• भगवान पर आस्था आपको हर मुश्किल से लड़ने की ताकत देगी।

• ईश्वर को ध्यान में रखना ही असली भक्ति है, हर समय आपके मस्तिष्क में भगवान का स्मरण होना चाहिए।

नीम करोली बाबा मंत्र

मैं हूँ बुद्धि मलीन अति, श्रद्धा भक्ति विहीन ।

करू विनय कछु आपकी, होउ सब ही विधि दीन।।

श्रद्धा के यह पुष्प कछु। चरणन धरि सम्हार।।

कृपासिंधु गुरुदेव प्रभु। करि लीजे स्वीकार।।

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6 thoughts on “Neem Karoli | नीम करोली बाबा की कहानी | नीम करोली बाबा के चमत्कार (पूर्ण जानकारी)”

  1. Hello Vikasji,
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    Thanks.
    Kishor Deo.

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