Sonam Wangchuk Biography in Hindi |  Real Phunsuk Wangdu Life Story

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आपको कभी भी इस बात पर शक नहीं करना चाहिए। कि विचारों का एक छोटा-सा  समूह या लोगों का एक छोटा-सा समूह। इस दुनिया को बदल सकता है या नहीं। क्योंकि यही एक चीज है। जिसकी बदौलत आसानी से, बदलाव को लाया जा सकता है। यह कथन अमेरिका की Cultural Anthropologist  (सांस्कृतिक मानवविज्ञानी) मार्गरेट मीड ने कहा था।

एक ऐसा व्यक्ति जिसने, सामाजिक बदलाव की दिशा में, सकारात्मक कदम उठाए। उनका कहना है कि ‘आपके जीवन में जो-जो दुविधाएं हैं। वह आपको उतना ही बनाती हैं। जितना कि आपकी सुविधाएं बनाती हैं। अगर आपको उनसे फायदा लेना आए तो’।

बदलाव के लिए एक छोटी-सी कोशिश ही काफी है। जो कामयाब होकर, एक मुहिम का रूप ले लेती है। बस शर्त इतनी है। कि बदलाव की वह कोशिश पूरी ईमानदारी से होनी चाहिए। यह व्यक्ति हमारे देश के उस हिस्से से आते हैं। जहां का तापमान -20℃ से -35℃ तक रहता है।

जी, यह लद्दाख ही है। जहां चारों तरफ प्राकृतिक सौंदर्यता की भरमार है। लेकिन यहां भी बहुत सारी मुश्किलें हैं। यहां भी परेशानियां हैं। पानी की कमी है। जिसके कारण हरियाली धीरे-धीरे कम होती जा रही है। वही भारी बर्फबारी के बीच, आम लोगों का जीवन थम-सा जाता है। लद्दाख का दर्द वही समझ सकता है। जो खुद उन हालातों से गुजर चुका हो।

इसका उपाय भी वही ढूंढ सकता है। जिसको वहां के भविष्य की चिंता हो। आज हम जिनके बारे में जानेंगे। वह लद्दाख के ऐसे व्यक्ति हैं। जिन्होंने लद्दाख के लोगों की समस्याओं का, न सिर्फ़ हल ढूंढने की कोशिश की। बल्कि कुछ ऐसे आविष्कार भी किये है। जो विश्व में पर्यावरण के क्षेत्र में, एक बहुत बड़ी क्रांति लाने की क्षमता रखते हैं।

आप सबने 3 idiots मूवी तो जरूर देखी होगी। यह मूवी देखते हुए। आप न सिर्फ हंसते और रोते हैं। बल्कि आपको ढेर सारी नॉलेज भी मिलती है। इस मूवी में आमिर खान ने, रणछोड़ दास श्यामल दास चंचड़ की भूमिका निभाई थी।

जिनका असली नाम फुनसुख वांगड़ू था। लेकिन असलियत में फुनसुख वांगडू का यह किरदार, एक व्यक्ति से प्रेरित है। यह व्यक्ति है, एक Engineer, Innovator, Teacher, A Man with Many Mission – सोनम वांगचुक। इसी प्रकार जाने : Physics Wallah or Alakh Pandey Biography in Hindi। कैसे कमाए 8000 करोड़, बने IIT-JEE व NEET के महागुरु।

Sonam Wangchuk Biography in Hindi

Sonam Wangchuk – An Introduction

A Man with Many Mission
Sonam Wangchuk
Ek Nazar
पूरा नामसोनम वांगचुक
उपनामस्नो वारियर्स
जन्म-तिथि1 सितंबर 1966
जन्म-स्थानउले टोकपो, लद्दाख, भारत
पितासोनम वांगयाल (पूर्व राजनीतिज्ञ)
मातात्सेरिंग वांग्मय
स्कूलविशेष केंद्रीय विद्यालय दिल्ली
कॉलेज• नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NIT) श्रीनगर 
• कार्टेर्रे स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर, ग्रेनोबल, फ्रांस
शैक्षिक योग्यता• बीटेक (मैकेनिकल इंजीनियरिंग)
• मास्टर इन एरथेंन आर्किटेक्चर
धर्मबौद्ध
व्यवसाय• इंजीनियर 
• इन्नोवेटर
• शिक्षक  
• अविष्कारक
• समाजसेवी

बहुभाषी व्यक्तित्व
• लद्दाखी
• हिंदी
• उर्दू
• इंग्लिश 
• तिब्बती
• स्वीडिश
• फ्रेंच
• जर्मन
• संस्कृत
• पाली
उपलब्धियां• शिक्षा में सुधार
• SECMOL स्कूल की स्थापना
• आइस स्तूप (कृत्रिम)
• सोलर टेंट (भारतीय सेना के लिए)
पुरस्कार 
व 
सम्मान
2002– अशोका फैलोशिप फॉर सोशल एंटरप्रेन्योरशिप
2005– ग्रीन टीचर अवार्ड
2008– रियल हीरोज अवार्ड 
2014– यूनेस्को चेयर फॉर अर्थ आर्किटेक्चर
2016– रोलेक्स अवॉर्ड फॉर एंटरप्राइजेज 
2017– ग्लोबल अवॉर्ड फॉर सस्टेनेबल आर्किटेक्चर
2018– रमन मैग्सेसे अवार्ड
टोटल पेटेंट्स400 से अधिक पेटेंट सोनम वांगचुक के नाम
इनकम1-5 मिलियन
नेट-वर्थ$15 मिलियन

Sonam Wangchuk Early Life
सोनम वांगचुक का प्रारम्भिक जीवन

 सोनम वांगचुक का जन्म 1 सितंबर 1966 को, लद्दाख के छोटे से गांव उले टोकपो में हुआ था। उस समय उनके गांव में सिर्फ तीन परिवार रहा करते थे। इनके पिता सोनम वांगयाल कांग्रेस के एक राजनेता थे। जो आगे चलकर, राज्य सरकार में मंत्री के पद पर रहे थे।

इनके गांव में कोई विद्यालय नहीं था। जिसके अभाव के कारण, सोनम लगभग 8 सालों तक विद्यालय नहीं गए। लेकिन इनकी मां त्सेरिंग वांग्मय ने, इनकी प्रारंभिक शिक्षा घर पर ही करवानी शुरू कर दी। वांगचुक का मानना है कि विद्यालय का न होना। उनके लिए सौभाग्य था।

क्योंकि जिस समय बच्चे के मस्तिष्क की संरचना होती है। उस समय अगर उसके दिमाग को डर से भर दें। तो यह उसके मानसिक विकास में बाधा साबित होगी। लेकिन यह उनका सौभाग्य था कि उन्हें 8 वर्ष की उम्र तक प्रकृति से जुड़ाव मिला।

वही उनकी मां लद्दाखी भाषा में ही उनको स्कूली शिक्षा देती रही। वांगचुक के एक मुस्लिम चाचा थे। जो उन्हें अपने साथ ले गए। उन्होंने वांगचुक को व्यवहारिक रूप से शिक्षा दी। साथ ही उन्हें बौद्ध धर्म की शिक्षा भी दी। इसी प्रकार जाने : Khan Sir Full Biography in Hindi।  पटना वाले खान सर का असली नाम और धर्म क्या है।

Sonam Wangchuk Education
सोनम वांगचुक की शिक्षा

सोनम वांगचुक के चाचा फकीर किस्म के थे। जो एक जगह से, दूसरी जगह घूमा करते थे। उन्होंने सोनम को अलग-अलग गांव के स्कूलों में, 3-3 महीने के लिए भेजा। सोनम के मस्तिष्क का विकास अच्छे होने के कारण। 6 महीने में ही उन्होंने तीसरी कक्षा पास कर ली।

इस तरह उनकी प्रारंभिक शिक्षा पूरी होती गई। इसके बाद, उन्होंने दिल्ली के विशेष केंद्रीय विद्यालय से इंटरमीडिएट पूरा किया। तभी से उनकी रूचि Physics में बढ़ गई। सोनम वांगचुक ने इंजीनियरिंग करने का मन बना लिया। उन्होंने श्रीनगर के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (NIT) में प्रवेश ले लिया।

यहां पर भी उनके साथ एक रोचक घटना घटी। सोनम वांगचुक के पिता जी उन्हें सिविल इंजीनियर बनाना चाहते थे। जबकि सोनम की पहले से ही रूचि मैकेनिकल इंजीनियरिंग में थी। पिता और पुत्र में, इस बात को लेकर इतने मतभेद हो गए। कि उनके पिता ने आगे पढ़ाई का खर्चा देने से इनकार कर दिया।

सोनम वांगचुक घर छोड़कर चले गए। आगे की शिक्षा जारी रखने के लिए, उन्होंने लद्दाख में एक कोचिंग सेंटर की शुरुआत की। जिसके पीछे कारण था। कि लद्दाख में स्कूल के शिक्षकों द्वारा, बच्चों का शोषण किया जाता था। जिसने उन्हें कोचिंग सेंटर शुरू करने की प्रेरणा दी।

उन्होंने अपने कोचिंग सेंटर में 1/5th फीस लेनी शुरू की। साथ ही उन्होंने स्थानीय भाषा व विशेष तरीके से पढ़ाना शुरू किया। देखते ही देखते उनके कोचिंग सेंटर पर बच्चों की संख्या इतनी हो गई। कि उन्होंने एनआईटी के 4 साल का खर्चा, मात्र 6 महीने में ही निकाल लिया।

Sonam Wangchuk – Reforms in Education
सोनम वांगचुक का शिक्षा मे सुधार

सोनम ने शिक्षा प्रणाली में मौजूद कमियों को महसूस किया। जिसमें सुधार के लिए, उन्होंने अपने जीवन को समर्पित कर दिया।  उन्होंने शिक्षा में स्थानीय भाषा के महत्त्व को बल दिया। उनके अनुसार, किसी को उस भाषा में समझाना ज्यादा आसान है। जिस भाषा में वह खुद बातचीत करता हो।

1996 में सरकारी स्कूलों में सुधार लाने के लिए, सोनम वांगचुक के ऑपरेशन ‘New Hope’ परियोजना को सरकार ने officially स्वीकार किया। इसी प्रकार जाने :  श्रीकांत जिचकर का जीवन परिचय। भारत के सबसे शिक्षित व्यक्ति।

SECMOL Was Founded by Sonam Wangchuk
सोनम वांगचुक के द्वारा SECMOL की स्थापना

एक समय था। जब लद्दाख में 95% बच्चे Board के exam में फेल हो जाते थे। तब सोनम वांगचुक ने अपने भाई व अन्य लोगों के साथ मिलकर। सन 1988 में Students’ Educational and Cultural Movement of Ladakh (SECMOL)  नाम का एक NGO शुरू किया। जिसका लक्ष्य था, Education System को बदलना।

Board की मदद से, इस NGO ने स्कूल की text-book में कई सारे बदलाव किए। 700 से ज्यादा टीचर्स को ट्रेनिंग भी दी। पाठ्यक्रम में भाषा के बदलाव के कारण, जहां छात्रों को पढ़ने में सुविधा मिली। वहीं दूसरी तरफ 10वीं में पास होने वाले छात्रों की संख्या में वृद्धि हुई। जहां 1996 तक बोर्ड के एग्जाम में सिर्फ 5% बच्चे पास होते थे। वहीं 2000 में 23% बच्चे पास हुए।

फिर 2015 तक बोर्ड एग्जाम पास करने वाले बच्चों का Percentage बढ़कर 75% तक पहुंच गया।जो यह दर्शाता है कि छात्रों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं थी। कमी थी, तो हमारे Schooling system में।

Sonam Wangchuk – Operation ‘New Hope’ Begins
सोनम वांगचुक के ऑपरेशन ‘New Hope’ की शुरुआत

सोनम वांगचुक ने 1994 में Operation New Hope की शुरुआत की। जिसके तहत, इन्होंने लद्दाख में एक स्कूल खोला। जहां पर बच्चों की किताबी शिक्षा से ज्यादा Practical पर ध्यान दिया जाता है। उन्हें कई तरह के नए प्रोजेक्ट में काम करना सिखाया जाता है। ताकि असल जिंदगी की परेशानियों को दूर किया जा सके।

वहां पर बच्चे खुद ही स्कूल का मैनेजमेंट संभालते हैं। जिससे उनमें मैनेजमेंट करने की क्षमता विकसित हो सकें। वहां बच्चे campus का न्यूज़पेपर और रेडियो भी चलाते हैं। अपने खुद के स्कूल को डिजाइन करने का काम भी बच्चे खुद ही करते हैं। इस स्कूल की बिल्डिंग सूरज की रोशनी से गर्म होने वाली दीवारों से बनी है।

जिनका अंदर का तापमान 15℃ रहता है। भले ही बाहर का तापमान -15℃ हो जाए। इस स्कूल में admission पाने के लिए, कोई exam नहीं होता। बल्कि उनका admission होता है। जो आम स्कूलों में अच्छे से पढ़ाई नहीं कर पाते। इस स्कूल में नामांकन उन्हीं छात्रों का होता है। जो दसवीं की परीक्षाओं में फेल होते आए हैं।

यह स्कूल अपने अनोखे निर्माण के लिए, काफी ख्याति प्राप्त कर चुका है। इस स्कूल का डिजाइन, कुछ इस तरह किया गया है। कि यहां की ऊर्जा की जरूरतों का लगभग 100% ऊर्जा, सौर ऊर्जा से प्राप्त होती है। इस स्कूल के डिजाइन को जुलाई 2016 में फ्रांस में इंटरनेशनल TERRA Award for the best building से नवाजा गया है। इसी प्रकार जाने : Vikas Divyakirti Biography in Hindi। दृष्टि आईएएस – IAS बनाने की मशीन।

Sonam Wangchuk – Ice Stupa
सोनम वांगचुक का आईस स्तूप

हिमालय की गोद में बसा लद्दाख, एक बर्फीला रेगिस्तान है। यहां पानी की कमी नहीं है। लेकिन खेती करने के मौसम में, सिंचाई के लिए पानी की कमी हो जाती है। जनवरी 2014 में सोनम ने Dr. Chewing Norphel के कृत्रिम ग्लेशियर से प्रेरणा लेकर। Ice Stupa नामक एक प्रोजेक्ट की शुरुआत की।

इस प्रोजेक्ट का मुख्य उद्देश अप्रैल और मई में सिंचाई के लिए पर्याप्त जल संचय करना था। फरवरी 2014 तक Ice Stupa की मदद से, लगभग 150000 लीटर पानी को संचय किया गया। इस Ice Stupa की कामयाबी ने, वहां के स्थानीय लोगों में, एक नई उम्मीद को जगाया। इस Ice Stupa में, जाड़े के मौसम में एक cone के आकार में पानी एकत्रित किया जाता है।

फिर अप्रैल-मई के महीने में जब गर्मी पड़ती है। तब इस पानी का इस्तेमाल किया जाता है। इनका खास आकार, पानी को बर्फ के रूप में बनाए रखने के लिए जरूरी है। वरना महीनों तक पानी जमा रखने वाले यह Ice Stupa, 10 दिन में ही पिघल जाते। यह लद्दाख में खेती के लिए, पानी की कमी को दूर करने में मदद करते हैं।

इस Ice Stupa में लगभग 200000 लीटर पानी इक्कठा हो जाता है। सोनम वांगचुक का सपना है कि यह Ice Stupa पूरे हिमालय क्षेत्र में लगाया जा सके। ताकि पानी की कमी को दूर किया जा सके। इस बीच सोनम वांगचुक ने इस Ice Stupa को और भी बेहतर बनाने पर जोर दिया है। साथ ही स्थानीय निवासियों ने अच्छा सहयोग दिया है।

Sonam Wangchuk – Solar Mud House for Army
सेना के लिए सोलर मड हाउस

 भारतीय सेना पहाड़ों की हड्डी गला देने वाली ठंड में भी तैनात रहती है। लद्दाख में बनी हर पोस्ट का temperature लगभग  -20℃ तक रहता है। जहां पर लगभग 20000 जवान हमेशा तैनात रहते हैं। यहां पर इस ठंड से बचने के लिए, जवान इलेक्ट्रिक हीटर, लकड़ी और केरोसीन का प्रयोग करते हैं।

इन परेशानियों को देखते हुए। सोनम वांगचुक ने सेना की मदद के लिए, ठंड को मात देने वाला invention किया। उन्होंने जवानों की सुरक्षा के लिए, Solar Mud House का invention किया। उनके इस Mud House में अंदर का temp. बाहर से 40 डिग्री अधिक रहता है।

इसके लिए उन्होंने south Facing दीवारों को heat collector के रूप में विकसित किया। जो heat absorbing material से बनी हैं। जो सुबह से heat को absorb करती है। इनका यह process सिर्फ सर्दियों में होता है। गर्मियों में नहीं।

बाकी के तीन तरफ की दीवारें straw और clay से मिलकर बनी है। जो गर्मी को बाहर जाने से रोकती है। इस तरह बने Mud House सैनिकों के लिए, किसी वरदान से कम नहीं है। इसी प्रकार जाने : कबीर दास का जीवन परिचय चलिए खुद में कबीर को और कबीर में खुद को ढूंढते हैं।

Sonam Wangchuk Awards
सोनम वांगचुक को सम्मान व पुरस्कार

दूसरों के जीवन को सरल बनाने हेतु, सोनम वांगचुक के प्रयोगों को सम्मान स्वरूप कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं।

Sonam Wangchuk
Honors & Awards
2018Ramon Magsaysay Award
2018Honorary D.Litt. by Symbiosis International
2017ICA Honor Award
2017Global Award for Sustainable Architecture
2017 State Award for Outstanding Environment
2016Rolex Award for Enterprise
2016International Terra Award for Best Earth Building
2014UNESCO Chair Earthen Architecture
2008Real Heroes Award by CNN-IBN TV
2004The Green Teacher Award
2002Ashoka Fellowship for Social Entrepreneurship
2001Man of the Year by The Week
1996Governor’s Medal for Educational Reform

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