Vedas In Hindi | 4 Vedas Name | चारों वेदों के रचयिता कौन है – महत्व

Vedas in Hindi – name, importance in our life, vedic history, importance in modern time, who wrote, types of vedas [ चारों वेदों के नाम, चारों वेदों के रचयिता कौन है, क्या लिखा है ]

आज भारतवर्ष के लोग, जहां सिर्फ एक पुस्तक के कट्टर समर्थक होते जा रहे हैं। वहीं भारत की मूल धरोहर, इसकी मूल  संस्कृति के वंशज। अपनी पूरी लाइब्रेरी को ही भूले बैठे हैं। हमारी इस लाइब्रेरी में वेद, उपनिषद, उपवेद, स्मृति, संहिताएं और अन्य अनेक ग्रंथ हैं।

जिनमें अध्यात्म, जीवन, विज्ञान, कला, अर्थशास्त्र, स्वास्थ्य और साइकोलॉजी जैसे गूढ़ विषयों का ज्ञान भरा पड़ा है। लेकिन कोई चाहे भी तो, इन्हें पढ़ नहीं पाता। इसके तीन मुख्य कारण है।

● संस्कृत और गुरुकुल का योजनाबद्ध तरीके से पतन।

● वाहय आक्रमण और ब्रिटिश के द्वारा रचे गए प्रक्षिप्त।

● इनसे भी बड़ा एक कारण है। अगर कोई युवा इन्हें पढ़ना भी चाहे। तो उसे पता ही नहीं। कि इन ग्रंथों में आखिर है, क्या। इतने नाम और संख्या सुनकर ही, वह भ्रमित हो जाता है।

हम सभी मनुष्य काफी जटिल हैं। यह बात हमारे पूर्वज बहुत अच्छे से समझते थे। इसी वजह से, उन्होंने दुनिया की अपनी समझ को कला, साहित्य, रसमों-रिवाज और कहानियों में डालना शुरू कर दिया। ताकि आगे आने वाली पीढ़ी को, हर सत्य को दोबारा खोजने की मेहनत न करनी पड़े। क्योंकि हमारा जीवन, यह पता लगाने के लिए बहुत छोटा है।

दुनिया कैसे काम करती है। लोग कैसे होते हैं। हमें कैसा इंसान बनना चाहिए। इसलिए हम हिंदुत्व के मूल ग्रंथ वेदों के बारे में जानेंगे। जोकि वास्तव में स्वयं ईश्वर के द्वारा, हम सारी मानव जाति के लिए, जीवन पुस्तिका की तरह है। यह हमें जीवन जीने का तरीका बतातें है।

वेद सनातन धर्म और विश्व का सबसे प्राचीन ग्रंथ हैं। वेद पूर्ण रूप से ऋषियों द्वारा सुने गए, ज्ञान पर आधारित है। इसीलिए इसे श्रुति भी कहा जाता है। वेद संस्कृत के अमृत शब्द से निर्मित है। जिसका अर्थ ज्ञान होता है। यह प्राचीनतम ज्ञान-विज्ञान का भंडार है। जिसमें मानव की हर समस्या का समाधान मिलता है। इसी प्रकार जाने : जन्म से मृत्यु तक के सोलह संस्कार

Vedas in Hindi

What are Vedas
वेद क्या होते है

वेद कोई सामान्य पुस्तक नहीं है। जिसे कोई भी लिखकर, प्रकाशित करवा सकें। बल्कि वेद तो ईश्वरी वाणी है। जो सृष्टि के निर्माण के समय ईश्वर के द्वारा, सृष्टि को संचालित करने के लिए, श्रुति रूप में दी गई थी। सत्यपथ ब्राह्मण के श्लोक के अनुसार, अग्नि, वायु और सूर्य ने तपस्या की। जिसके फलस्वरूप उन्होंने ऋग्वेद यजुर्वेद सामवेद और अथर्ववेद को प्राप्त किया।

प्रथम 3 वेदों को अग्नि, वायु और  सूर्य यानी आदित्य से जोड़ा जाता है। वही अथर्ववेद को अंगिरा से उत्पन्न माना जाता है क्या कह यह श्रुति चार ऋषियों अग्नि, वायु, आदित्य और समीरा को दी गई थी।

वेद संस्कृत भाषा के विद धातु से बना है। जिसका अर्थ विद्वान होता है। वेद का शाब्दिक अर्थ, ज्ञान के ग्रंथ होता है। जिसे हम पढ़ व समझ सकते हैं। वेद ज्ञान, विज्ञान का भंडार है। जिसमें मानव की हर समस्या का समाधान मिलता है।

वेदों में ईश्वर, देवता, ब्रह्मांड, भाषा, गणित शास्त्र, रसायन शास्त्र, विज्ञान, औषधीय, प्रकृति, खगोल, भूगोल, धर्म, धर्मशास्त्र, अर्थ, अर्थशास्त्र, इतिहास आदि सभी विषयों से संबंधित ज्ञान हमें मिलता है।

वेदों की भाषा संस्कृत होती है। जिसे ईश्वर की भाषा भी कहा जाता है। वेदों में वर्णित सभी मंत्र, ईश्वर द्वारा ही दिए गए हैं। वेद सृष्टि दर सृष्टि इसी तरह, इसी रूप में रहते हैं। हमारी सृष्टि में चार वेद होते हैं। जो ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद हैं। इन चारों वेदों में, ईश्वर ने मनुष्य को अलग-अलग प्रकार के ज्ञान बांटे हैं।

वेद हमेशा ही बने रहते हैं। यह कभी भी नष्ट नहीं होते। चारों वेद प्रलय के समय, ईश्वर में ही व्याप्त हो जाते हैं। फिर सृष्टि निर्माण के समय, पुनः ईश्वर द्वारा प्रकट कर दिए जाते हैं। यही ईश्वर की न्याय की व्यवस्था मानी जाती है। इसी प्रकार जाने : सनातन धर्म का अर्थ व उत्पत्तिसनातन धर्म क्या है। Sanatan Dharm in Hindi।

Vedas in Hindi
वेदों और पुराणों मे क्या अंतर है

वास्तव में वेद और पुराण दोनों ही ग्रंथ है। लेकिन यह एक-दूसरे से बिल्कुल अलग है। पुराणों में कहानियां और कथाएं हैं। पुराणों में ऐसी जगह और ऐसी चीजों का जिक्र मिलता है। जिसे न किसी ने देखा है। न ही उनके होने का कोई पुख्ता प्रमाण मिलता है। जैसे कि गरुण पुराण में दिया गया, स्वर्ग  व नरक।

पुराणों में कुछ ऐसी बातें भी कहीं गई है। जिन पर विज्ञान को मानने वाले लोग यकीन नहीं करते। लेकिन वेद इससे बिल्कुल विपरीत है। वेदों में प्रायोगिक और वास्तविक बातें हैं। आम भाषा में कहा जाए। तो वेद सृष्टि का User Manual है। वेदों में कथाएं और कहानियां नहीं। बल्कि कोरा ज्ञान भरा हुआ है। जैसे यज्ञ में किन मंत्रों का प्रयोग किया जाए।

दुनिया में कितने प्रकार की जड़ी-बूटियां होती हैं। किस जड़ी बूटी को, किस रोग में इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह का ज्ञान वेदों में दिया गया है। वेद का शाब्दिक अर्थ ही ‘ज्ञान का ग्रंथ’ होता है। इसे दूसरे तरीके से समझा जाए। तो गीता, कुरान, पुराण यह ईश्वर वाणी है। तो वही वेद ईश्वरी ज्ञान है। वेद देवताओं के द्वारा दिया गया, ज्ञान ही है। वेद और देव इन दोनों शब्दों में भी समानता है।

Vedas in Hindi
वेदों की रचना कब हुई

 वेदों की रचना किसने की। सृष्टि में इतना महाज्ञानी कौन था। वेदों को किसने लिखा। दरअसल, वेदों का ज्ञान सबसे पहले महादेव ने ब्रह्मा को दिया। जिसके बाद ब्रह्मा ने चार  ऋषियों की उत्पत्ति की। यह चार ऋषि ब्रह्मा के ही अंशपुत्र थे। इनका नाम अग्नि, वायु, आदित्य और अंगिरा था। इन चारों ऋषियों ने अपने तपोबल से, वेदों को प्राप्त किया।

इस बात का उल्लेख शतपथ ब्राह्मण के श्लोक और मनुस्मृति में भी मिलता है। बताया गया है कि अग्नि, वायु और आदित्य  ऋषि ने ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद को व्यक्त किया। जबकि अथर्ववेद का संबंध मनुस्मृति के अनुसार, महर्षि अंगिरा से है। इस तरह इन चार ऋषियों ने, चार अलग-अलग वेदों को बनाया।

यह भी सच है कि मानव के सृष्टि में आने से पहले, वेदों की रचना हो चुकी थी। कुछ लोगों का मानना है कि ये चारों वेद पहले एक ही थे। बाद में महर्षि वेद व्यास ने, इन चारों वेदों की रचना। उसी एक वेद से की। लेकिन ऐसा सत्य नहीं है।

हालांकि यह बात मत्स्य पुराण और अग्नि पुराण में भी लिखी हुई है। लेकिन शुरुआत से ही, यह चारों वेद अलग-अलग है। इन चारों वेदों का नाम, शुरुआत से ही चार ऋषियों के साथ बताया जाता है। इसी प्रकार जाने : स्वस्तिक का सनातन धर्म मे क्या महत्व हैOrigin of the Swastika Sign।

Vedas in Hindi
चारों वेदों के रचयिता कौन है

ऋषि वेदव्यास का नाम कृष्ण द्वैपायन से वेदव्यास कैसे हुआ। दरअसल यह माना जाता है कि एक समय के लिए, 100 साल के आसपास का अकाल आ गया था। जिसके बाद तमाम ग्रंथ और पुराण असंगठित हो गए थे। वेदव्यास ने इन सभी वेदों और पुराणों को दोबारा संगठित किया था।

यानी कि वेदव्यास वेदों और पुराणों का संगठन करने वाले हैं। इन्हें organize  करने वाले हैं। न कि इनकी रचना करने वाले हैं। वेदव्यास जब इन चारों वेदों को संगठित कर रहे थे। तब उन्होंने इसे आसान बनाने के लिए, इसे भागों में बांट दिया। जैसे कि संविदा, मंडल, कविता। जब आप कही, किसी वेद के विषय मे पढ़ रहे होंगे। तो आपने अक्सर देख और पढ़ा होगा।

ऋग्वेद 4.1.1.3 जिसका मतलब होता है। ऋग्वेद के चौथे संविता के, पहले मंडल की, पहली कविता के, तीसरे छंद में। यही वेद व्यास ने किया था वेदव्यास ने वेदों को भागों में बांट कर उन्हें पढ़ना और समझना आसान कर दिया था। वेदव्यास ने अगर ऐसा न किया होता। तो मानव के लिए, वेदों को समझ पाना बहुत मुश्किल होता।

इस तरह वेदव्यास वेदों को संगठित करने वाले हैं। इसकी रचना करने वाले नहीं हैं। इनकी रचना ब्रह्मा द्वारा उत्पन्न किए गए, चार ब्राह्मणों ने की थी।

Vedas in Hindi – 4 Vedas Name
चारों वेदों के नाम

वेद के 4 विभाग ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद हैं। ऋग का मतलब स्थिति, यजु का अर्थ रूपांतरण, साम का अर्थ गतिशील और अथर्व का अर्थ जड़ है। ऋग को धर्म, यजुः को मोक्ष, साम को काम, अथर्व को अर्थ भी कहा जाता है। इन्हीं के आधार पर धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र, कामशास्त्र और मोक्ष शास्त्र की रचना हुई। इसी प्रकार जाने : भगवान श्रीकृष्ण के जीवित ह्रदय का रहस्य

4 Vedas Name – Importance of Vedas
ऋग्वेद का अर्थ व इसका महत्व

उपवेद – आयुर्वेद

आचार्य – पैल

देवता – अग्नि

ऋत्विक – होता

ऋक का अर्थ स्थिति और ज्ञान होता है। ऋग्वेद सबसे प्राचीन व पहला वेद है। जो पूर्णतया पाध्यत्मक  है। इसमें सब कुछ है। यह अपने आप में ही एक संपूर्ण वेद है। ऋग्वेद अर्थात ऐसा ज्ञान जो ऋचाओं से बद्ध हो। यह सबसे प्राचीनतम वैदिक ग्रंथ है। जिसकी रचना सप्त सैंधव क्षेत्र में हुई थी।

ऋग्वेद मैं कुल 10 मंडल अर्थात अध्याय हैं। इसमें 1028 सूक्त (1017सूक्त व 11 बालखिल्य) हैं। इसमें 10,600 मंत्रों का समावेश हैं।0 इस वेद की 5 शाखाएं हैं –  शाकल्प, वास्कल, अश्वलायन, शांखायन, मंडूकायन।

ऋग्वेद में अग्नि, सूर्य, इंद्र, वरुण देवताओं की स्मृति में रची गई, प्रार्थनाओं का संकलन है। दूसरे से सातवे मंडल तक का अंश ऋग्वेद का श्रेष्ठ भाग है। आठवें और प्रथम मंडल के प्रारंभिक 50 सूक्तो में समानता है।

ऋग्वेद के दसवें मंडल में पुरुषसूक्त का उल्लेख मिलता है। जिसमें चार वर्णो क्रमशः ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्र का उल्लेख किया गया है। गायत्री मंत्र का उल्लेख भी ऋग्वेद में है। यह मंत्र सूर्य की स्तुति के लिए है।

ऋग्वेद में जल चिकित्सा, वायु चिकित्सा, मानस चिकित्सा, सौर चिकित्सा और हवन द्वारा चिकित्सा आदि की भी जानकारी मिलती है। इसके दसवें मंडल में औषधि सूक्त यानी दवाओं का जिक्र मिलता है। इसमें औषधियों की कुल संख्या 125 के आसपास बताई गई है।

जोकि  107 स्थानों पर पाई जाती है। औषधि में सोम का विशेष वर्णन है। ऋग्वेद में च्यवनऋषि को पुनः युवा करने की कथा भी मिलती है। इसी प्रकार जाने : Sanatan Dharm me Vivah Ke Prakarहिंदू विवाह के 8 प्रकार व उद्देश्य।

4 Vedas Name – Importance of Vedas
यजुर्वेद का अर्थ व इसका महत्व

उपवेद – धनुर्वेद

आचार्य – वैशंपायन

देवता – वायु

ऋत्विक – अध्वर्यु

यजु का अर्थ यज्ञ होता है। इसमें यज्ञों के नियम व विधियों की चर्चा की गई है। अतः यजुर्वेद एक कर्मकांड प्रधान ग्रंथ है। इसका पाठ करने वाले ब्राह्मणों को अध्वर्यु कहा जाता है। यजुर्वेद को दो भागों में बांटा गया है।

जिसका पहला भाग कृष्ण यजुर्वेद कहलाता है जोकि गद्यात्मक है। वैशंपायन ऋषि का संबंध कृष्ण से है। कृष्ण की 4 शाखाएं हैं। इसका दूसरा भाग शुक्ल यजुर्वेद है। जो कि पद्यात्मक है। याज्ञवल्क्य ऋषि का संबंध शुक्ल से है। शुक्ल की दो शाखाएं हैं। इसमें 40 अध्याय हैं।

यजुर्वेद एकमात्र ऐसा वेद है। जो गद्य और पद्य दोनों में रचा गया है। यजुर्वेद के पद्यात्मक मंत्र ऋग्वेद व अथर्ववेद से लिए गए हैं। इसमें स्वतंत्र पद्यात्मक मंत्र बहुत कम मिलते है। इसी प्रकार जाने : सनातन परंपराओं के पीछे का वैज्ञानिक कारणScience Behind Sanatan Rituals,Tradition and Culture।

4 Vedas Name – Importance of Vedas
सामवेद का अर्थ व इसका महत्व

उपवेद – गंधर्ववेद

आचार्य – जैमिनी

देवता – सूर्य

ऋत्विक – उगगाता

साम शब्द का अर्थ गीति होता है। जिन ऋचाओं के ऊपर साम गाए जाते हैं। उनको सामयोति कहते हैं। इसे ही भारतीय संगीत का स्रोत माना जाता है। सामवेद के पुरोहित को उगदाता कहते हैं।

सामवेद में 1824 मंत्रों का समावेश है। जिसमें 75 मंत्रो को छोड़कर, शेष सभी मंत्र ऋग्वेद से ही लिए गए है। इसमें सविता, अग्नि और इंद्र देवताओं के बारे में जिक्र मिलता है। इसकी मुख्य रूप से 3 शाखाएं व 75 ऋचाए हैं।

4 Vedas Name – Importance of Vedas
अथर्ववेद का अर्थ व इसका महत्व

उपवेद – सर्पवेद

आचार्य – सुमन्तु

देवता – सोम

ऋत्विक – ब्रह्मा

अथर्व शब्द का तात्पर्य पवित्र व जादू है। अथर्ववेद में रोग-निवारण, राजभक्ति, विवाह, प्रणय गीत, अंधविश्वासों का वर्णन मिलता है। इसमें राजा परीक्षित को कुरुओं का राजा कहा गया है।

अथर्ववेद में 20 अध्याय हैं जिनमें 5687 मंत्र हैं। इसके 8 खंड हैं। जिनमें भेषज वेद और धातु वेद मिलते हैं।

हमारे वेदों में इतना ज्ञान भरा हुआ है। कि जो रचनाएं हजारों सालों के बाद हुए। उसका जिक्र, हमारे सनातन धर्म के वेदों में शुरुआत से ही था। वेदों में विज्ञान और कई महत्वपूर्ण अविष्कारों से जुड़ी बातें भी लिखी गई है। इसे एक आसान उदाहरण से समझा जा सकता है।

रावण एक महाज्ञानी, महाविद्वान व महापंडित था। रावण से शास्त्रार्थ करने में, बड़े-बड़े पंडित भी डरा करते थे। रावण की वैज्ञानिक शक्ति भी, इतनी ज्यादा थी। कि वह नए-नए अविष्कार करता था। रावण तकनीकी पहलू में, उस वक्त के सभी राजाओं से ताकतवर था। रावण को यह ज्ञान वेदों से ही मिला था। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं। कि सनातन धर्म का मूल आधार वेद, ज्ञान का खजाना है।

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