Shrikant Jichkar – श्रीकांत जिचकर का जीवन परिचय – सबसे शिक्षित व्यक्ति

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“कोई भी कार्य हमें तब तक असंभव लगता है, जब तक वह पूर्ण न हो जाए।”

यदि आपकी सोच ही सामान्य है। तो आप कुछ अलग कैसे कर पाएंगे। छोटे से छोटे जीवन में, आप क्या-क्या कर सकते हैं। आप कितना सोचते हैं, और वास्तव में कितना कर पाते हैं। एक ऐसे ही व्यक्ति, जिन्होंने अपने कई जन्मों के काम, एक ही जन्म में कर लिए थे। एक ऐसा भारतीय, जिसका रिकॉर्ड बहुत से ज्ञानी व महाज्ञानी अब तक नहीं तो तोड़ पाए।

एक ऐसा व्यक्ति जो खुद में, एक इनसाइक्लोपीडिया था। वैसे तो दुनिया में एक से बढ़कर एक पढ़े लिखे लोग हैं।  जिनके पास बहुत सी डिग्रियां हैं। लेकिन आप शायद ही, इस बात को जानते हो। कि भारत का सबसे पढ़ा-लिखा और विद्वान व्यक्ति कौन था। हमें अक्सर देखने को मिलता है। कि कुछ लोग एक ही विषय या क्षेत्र में, अपनी लगन लगाते हैं। उसमें ही अपना सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर देते हैं।

 लेकिन यह व्यक्ति इन सबसे परे हैं। क्या आप सोच सकते हैं कि एक ही व्यक्ति डॉक्टर, आईपीएस, आईएएस, वकील, एमबीए, विधायक, पीएचडी, अभिनेता, पेंटर, फोटोग्राफर आदि हो सकता है। इसका उदाहरण है – श्रीकांत जिचकर। इनका नाम भारत के सबसे अधिक शिक्षित व्यक्ति यानी ‘The Most Qualified Person of India’ के रूप में, लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में शामिल है। इसी प्रकार जाने : वीर सावरकर की जीवनीवीर सावरकर की माफी का सच। Veer Savarkar Jayanti।

Shrikant Jichkar

Shrikant Jichkar – An Introduction

अद्भुत अविश्वसनीय अकल्पनीय  डॉ श्रीकांत जिचकर
पूरा नामडॉ श्रीकांत जिचकर
जन्मतिथि14 सितंबर 1954
जन्म स्थानकाटोल, नागपुर, महाराष्ट्र
माता-पिता• पिता -रामचंद्र जीतकर (किसान)
• माता – नाम ज्ञात नही
पत्नीराजश्री जिचकर
बच्चे• बेटा -याज्ञवल्क्य जिचकर (वकील) 
• बेटी – मैत्रीय जिचकर 
प्रसिद्ध• भारत के सबसे अधिक शिक्षित व्यक्ति
• सबसे कम उम्र में बनने वाले विधायक
विशेष• 45 विश्वविद्यालयों से 20 बड़ी डिग्री हासिल की
• 52 हजार से अधिक किताबों का निजी संग्रह
शैक्षिक योग्यता• एम.बी.बी.एस, एम.डी
• एल.एल.बी, एल.एल.एम
• एम.ए (लोक प्रशासन)
• एम.ए (मनोविज्ञान)
• एम.ए (संस्कृत)
• एम.ए (अर्थशास्त्र)
• एम.ए (इतिहास)
• एम.ए (दर्शनशास्त्र)
• एम.ए (अंग्रेजी साहित्य)
• एम.ए (राजनीति शास्त्र)
• एम.ए (प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व)
• एम.ए (नागरिक शास्त्र)
• एम. बी. ए
• बी. जर्नलिज्म
• डी. लिट (संस्कृत)
• इंडियन पुलिस सर्विस 
• इंडियन एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेज
व्यवसाय• चिकित्सक 
• आईएएस ऑफिसर 
• आईपीएस ऑफिसर
• राजनीतिज्ञ 
• वकील 
• पत्रकार 
• पेशेवर फोटोग्राफर 
• चित्रकार 
• अभिनेता 
• कुलपति
राजनीतिक दलभारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
किताबसमाजवाद में आर्थिक सिद्धांत की खोज
शौक• पढ़ना• लिखना • वक्ता
उपलब्धिभारत के सबसे शिक्षित व्यक्ति के रूप में ‘लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’
में दर्ज किया गया।
मृत्यु तिथि2 जून 2004
मृत्यु स्थानकोंडावली,नागपुर, महाराष्ट्र
मृत्यु का कारणउनकी कार का एक ट्रक द्वारा दुर्घटनाग्रस्त होना

श्रीकांत जिचकर का प्रारंभिक जीवन

श्रीकांत जिचकर का जन्म 14 सितंबर 1954 को महाराष्ट्र के नागपुर जिले के काटोल के पास, आजन गांव में एक समृद्ध मराठा परिवार में हुआ था। इनके पिताजी खेती-बाड़ी किया करते थे। इनकी माता एक ग्रहणी थी। श्रीकांत की पत्नी का नाम राजश्री जिचकर है। इन दोनों के दो बच्चे हुए।

जिनमें बड़े बेटे का नाम याज्ञवल्क्य जिचकर है। जो आज पेशे से एक अधिवक्ता हैं। जबकि इनकी बेटी का नाम मैत्रीय जिचकर है। इसी प्रकार जाने : बिरसा मुंडा इतिहासबिरसा मुंडा जयंती। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के जननायक।

Shrikant Jichkar Education
श्रीकांत जिचकर की शैक्षिक योग्यता

 श्रीकांत जिचकर ने अपने जीवन मे 20 से भी अधिक डिग्रियां हासिल की। यह डिग्रियां 1972 से 1990 के बीच 42 से अधिक विश्वविद्यालय परीक्षा देकर हासिल की। जिनमें कुछ संस्थागत, तो वही कुछ पत्राचार के माध्यम से प्राप्त की। इन्होंने लगभग सभी डिग्रियां प्रथम श्रेणी के साथ ही प्राप्त की। जबकि कुछ डिग्रियों के लिए, इन्हें गोल्ड मेडल भी मिला था।

उच्च शिक्षा में उस समय, नियम न होने के कारण, इन्हें कुछ डिग्रियां आधिकारिक रूप से नहीं मिल पाई। सबसे पहले उन्होंने एमबीबीएस की डिग्री हासिल की। फिर डॉक्टर ऑफ़ मेडिसिन (M.D) पूरा किया। उन्हें डॉक्टरी पसंद नहीं आई। तो एलएलबी करके, कानून की डिग्री भी ले ली। उन्हें अंतरराष्ट्रीय वकालत करनी थी। इसलिए एलएलएम कर लिया।

कुछ समय बाद, उन्हें एहसास हुआ कि बिजनेस एडमिन पर काम करना चाहिए। इसलिए उन्होंने एमबीए किया। इसके बाद वह आईपीएस बनकर, पुलिस सेवा में आ गए। जब यह भी उन्हें नहीं पसंद आया। तो आईएएस बन गए। एक बार उन्हें लगा कि सच उजागर कर, देश की सेवा करनी चाहिए। इसके लिए उन्होंने पत्रकारिता की डिग्री ले ली।

 गणित से लेकर विज्ञान, इतिहास से लेकर अंग्रेजी, राजनीति विज्ञान से समाजशास्त्र, भाषा साहित्य, अर्थशास्त्र अनेक विषयों में, उन्होंने मास्टर की डिग्री हासिल की। शिक्षा से लेकर प्रशासन, खेल से लेकर राजनीति, पत्रकारिता से लेकर फोटोग्राफी तक सभी काम उन्होंने किए। पढ़ाई में जुनून रखने वाले, श्रीकांत जिचकर ने 10 विषयों में मास्टर्स की डिग्री भी हासिल की। इसी प्रकार जाने :  A Human Computer- Shakuntala Devi Biographyजिनका दिमाग computer से भी तेज था।

श्रीकांत जिचकर का कैरियर

श्रीकांत जिचकर ने अपने करियर की शुरुआत एक डॉक्टर के रूप में की। जिसके लिए, उन्होंने एमबीबीएस व एमडी की डिग्री हासिल की थी। इसके अतिरिक्त उन्होंने कई वैज्ञानिक शोध भी किए। इन सबके अतिरिक्त श्रीकांत जिचकर 1978 बैच के आईपीएस अधिकारी बने। जिसके बाद 1980 बैच आईएएस अधिकारी बने।

यह मजेदार बात है कि उन्होंने आईपीएस अधिकारी बनने के बाद भी, बहुत कम समय तक इस पद पर योगदान दिया। इसके बाद, उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद, उन्होंने आईएएस की तैयारी की। फिर आईएएस बनकर पद ग्रहण किया। उन्हें यह सेवा भी पसंद नहीं आई। जिसके बाद 1981 में, उन्होंने चुनाव लड़ा। फिर वह महाराष्ट्र से विधायक चुने गए।

लेकिन उनकी इच्छा यहां पर भी समाप्त नहीं हुई। 1992 से लेकर 1998 तक, वे राज्यसभा के सांसद रहे। वैसे तो उनका जीवनकाल बहुत ही अल्पायु का रहा। लेकिन उन्होंने अपना अधिकतर जीवन पढ़ाई-लिखाई में ही बिता दिया। महज 25 वर्ष की उम्र में, वह सबसे कम उम्र के विधायक बने। इतना ही नहीं वे महाराष्ट्र सरकार में, मंत्री भी बने। इस तरह उन्होंने, जिस प्रकार ख्याति अर्जित की थी। अलग-अलग योगदान दिया था।

उसी प्रकार से महाराष्ट्र सरकार ने भी, उनके पोर्टफोलियो को भी मजबूत किया। उन्हें 14 अलग-अलग मंत्रालयों का भी कार्यभार सौंपा गया। इसके बाद वह राज्यसभा में भी गए। जिस समय उन्होंने आईपीएस बनाकर, महाराष्ट्र सरकार में योगदान दिया था। उसी दौरान उन्होंने महाराष्ट्र पुलिस में, बहुत सारे सुधार भी किए। वे एक अच्छे चित्रकार और कार्टूनिस्ट भी थे। इसी प्रकार जाने : महान गणितज्ञ और खगोल शास्त्री आर्यभट्ट का जीवन परिचय, जानकार आपको गर्व होगा।

श्रीकांत जिचकर को कैंसर की बीमारी

राजनीति से उबने के बाद, उन्होंने स्पष्ट किया कि वे मेधा आधारित व्यवस्था नहीं होने के कारण। देश इसी तरह घिसी-पिटी लकीर पर चलता रहेगा। यह बहुत अधिक विकसित नहीं बन सकता है। मुद्दे भी विकास के नहीं, बल्कि बहुत हल्के होंगे। छोटी, ओछी व  संकीर्ण बातों के, समीकरण के आधार पर तय होकर, बड़े फैसले बनेंगे।

वर्ष 1999 में इस महान शख्स को फेफड़े का कैंसर हो गया। अस्पताल में वह अंतिम दिन गिन रहे थे। डॉक्टरों ने बताया कि अब उनकी आयु एक माह की भी नहीं है। उसी समय एक अनजान व्यक्ति, जिचकर के बेड के पास पहुंचा। उसने कहा कि तुम्हे कुछ नहीं होगा। तुम्हे अभी आगे बहुत कुछ करना है। तुम्हें अपने धर्म के क्षेत्र में भी कुछ करना है। इस देश के लिए वास्तव में कुछ करना है।

उन्होंने संस्कृत भाषा एवं शास्त्रों का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने जाते-जाते संस्कृत की कुछ किताबें दी। बस यहां से श्रीकांत जिचकर की जिंदगी ने, एक नया मोड़ ले लिया। यहां से उनके अंदर एक ऐसी प्रेरणा जागी। वे कैंसर की लास्ट स्टेज को पछाड़कर, पूर्णतया स्वस्थ हो गए। स्वस्थ होते ही, उन्होंने राजनीति को छोड़ दिया। वे संस्कृत भाषा के अध्ययन में जुट गए। इसी प्रकार जाने : Mahatma Gandhi ka Jivan ParichayMahatma Gandhi Biography in Hindi।

श्रीकांत जिचकर द्वारा संदीपनी संस्कृत विश्वविद्यालय की स्थापन

कैंसर जैसे रोग पर विजय हासिल करने के बाद, उन्होंने संस्कृत का अध्ययन किया। तत्पश्चात उन्होंने संस्कृत में डॉक्टर आफ लिटरेचर (D. Litt.) की उपाधि प्राप्त की। इसके बाद उनके विचार थे कि संस्कृत भाषा के अध्ययन के बाद, मेरा जीवन परिवर्तित  हो गया। जीवन-भर की ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा पूर्ण हो गई। इसके बाद, उन्होंने समाज सेवा में कदम रखा। फिर उन्होंने पुणे में संदीपनी स्कूल की स्थापना की।

इसके बाद संस्कृत भाषा को बढ़ावा देने के लिए नागपुर में, ‘कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय‘ की भी स्थापना की। श्रीकांत जिचकर इस विश्वविद्यालय के कुलपति भी नियुक्त किये गए। श्रीकांत जिचकर का पुस्तकालय, किसी व्यक्ति का सबसे बड़ा निजी पुस्तकालय था। जिसमें 52000 के लगभग पुस्तकें थी।

उनका एक स्वप्न था कि भारत के प्रत्येक परिवार में कम से कम एक सदस्य संस्कृत का विद्वान हो। कोई भी परिवार जीवनशैली से जुड़ी डायबिटीज जैसी बीमारी का शिकार ना हो।

श्रीकांत जिचकर की सड़क हादसे में मृत्यु

श्रीकांत जिचकर की कार का 2 जून 2004 को, नागपुर से 60 किलोमीटर दूर कोंडावली में एक सड़क हादसा हो गया। जिसमें इस महान विभूति की, जीवन लीला समाप्त हो गई। उस वक्त उनकी उम्र मात्र 49 वर्ष की थी। जब भारत ने एक चमकता हुआ हीरा खो दिया। इतने काबिल व्यक्ति दुनिया के इतिहास में, अब तक नहीं हुए। वास्तव में ऐसे प्रतिभाशाली व्यक्ति अल्पायु ही होते हैं जैसे शंकराचार्य, महर्षि दयानंद, स्वामी विवेकानंद सहित ऐसी तमाम विभूतियां, कम उम्र में ही हमें अलविदा कह गई।

ऐसे महान प्रतिभाशाली लोगों को दुनिया नमन करती है। लेकिन वही उनसे ईर्ष्या भी करती है। क्योंकि यह खुद में एक इनसाइक्लोपीडिया हैं। यह हमारा दुर्भाग्य है कि हम ऐसे लोग व्यक्तियों को भुला देते हैं। उन्हें कभी याद भी नहीं करते। वे एक शिक्षक थे। एक चिकित्सक थे। राजनेता थे, प्रशासक थे। वे हम सबके लिए, एक बड़े प्रेरणा स्रोत थे। वे सिर्फ गुमनामी में, चुपचाप अपनी उपलब्धियां अर्जित करते रहे। ऐसे व्यक्ति प्रत्येक वर्ग के लिए एक प्रेरणा है। इसी प्रकार जाने : दुनियाँ के सबसे कम उम्र के प्रोफेसर Prof. Soborno Isaac Bari Biography

श्रीकांत जिचकर की उपलब्धि

डॉ श्रीकांत जिचकर भारत के सबसे अधिक शिक्षित व विद्वान व्यक्ति थे। जिन्होंने 20 से अधिक डिग्री अपने जीवन काल में हासिल की थी। जिसके लिए इनका नाम ‘गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड’ व ‘लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड’ में दर्ज है। भारत में सबसे कम उम्र का विधायक बनने का खिताब अभी तक उनके नाम ही है।

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