हनुमान चालीसा, आरती, बजरंग बाण, मंत्र। [Hanuman Chalisa in Hindi, Aarti, Mantra, 108 Naam]
हनुमान चालीसा – बजरंग बाण – हनुमान जी की आरती
हनुमान चालीसा
।।दोहा।।
चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
।।चौपाई।।
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।।
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।।
।।दोहा।।
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
इसी प्रकार जाने : Shiv Chalisa। Shiv Aarti। Shiv Ji ke 108 Naam। शिव चालीसा। शिव आरती। शिव कथा।
Hanuman Chalisa in English
।।Doha।।
Shri Guru Charan Saroj raj Nija manu Mukura sudhari
Baranau Raghuvar Bimal Jasu Jo Dayaku Phala Chari
Budheeheen Tanu Jannike Sumiro Pavan Kumara
Bal Buddhi Vidya Dehoo Mohee Harahu Kalesh Vikaar
।।Chaupaii।।
Jai Hanuman gyan gun sagar
Jai Kapis tihun lok ujagar
Ram doot atulit bal dhama
Anjani putra Pavan sut nama
Mahabir vikram Bajrangi
Kumati nivar sumati Ke sangi
Kanchan varan viraj subesa
Kanan Kundal Kunchit Kesha
Hath Vajra Aur Dhwaja Viraje
Kaandhe moonj janeu saaje
Sankar suvan kesri Nandan
Tej prataap maha jag vandan
Vidyavaan guni ati chatur
Ram kaj karibe ko aatur
Prabhu charitra sunibe ko rasiya
Ram Lakhan Sita man Basiya
Sukshma roop dhari Siyahi dikhava
Vikat roop dhari lank jalava
Bhim roop dhari asur sanhare
Ramachandra ke kaj sanvare
Laye Sanjivan Lakhan Jiyaye
Shri Raghuvir Harashi ur laye
Raghupati Kinhi bahut badai
Tum mama priya Bharat-hi-sam bhai
Sahas badan tumharo yash gaave
As kahi Shripati kanth lagaave
Sankadhik Brahmaadi Muneesa
Narad Sarad sahit Aheesa
Yam Kuber Dikpaal Jahan te
Kavi kovid kahi sake kahan te
Tum upkar Sugreevahin keenha
Ram milaye rajpad deenha
Tumhro mantra Vibheeshan maana
Lankeshwar Bhaye Sab jag jana
Yug sahasra yojan par Bhanu
Leelyo tahi madhur phal janu
Prabhu mudrika meli mukh mahee
Jaladhi langhi gaye achraj nahee
Durgam kaj jagat ke jete
Sugam anugraha tumhre tete
Ram duwaare tum rakhvare
Hot na agya binu paisare
Sab sukh lahai tumhari sarna
Tum rakshak kahu ko darna
Aapan tej samharo aapai
Teenon lok hank te kanpai
Bhoot pisaach Nikat nahin aavai
Mahavir jab naam sunavai
Nase rog harae sab peera
Japat nirantar Hanumat beera
Sankat se Hanuman chhudavai
Man Kram Vachan dhyan jo lavai
Sab par Ram tapasvee raja
Tin ke kaj sakal Tum saja
Aur manorath jo koi lavai
Soi amit jeevan phal pavai
Charon jug partap tumhara
Hai parsiddh jagat ujiyara
Sadhu Sant ke tum Rakhware
Asur nikandan Ram dulare
Ashta siddhi nav nidhi ke data
As var deen Janki mata
Ram rasayan tumhare pasa
Sada raho Raghupati ke dasa
Tumhare bhajan Ram ko pavai
Janam janam ke dukh bisraavai
Antkaal Raghuvar pur jayee
Jahan janam Hari Bhakt Kahayee
Aur Devta Chitt na dharahin
Hanumat sei sarv sukh karahin
Sankat kate mite sab peera
Jo sumirai Hanumat Balbeera
Jai Jai Jai Hanuman Gosain
Kripa Karahun Gurudev ki nayin
Jo shat bar path kare koi
Chhutahin bandi maha sukh hoi
Jo yeh padhe Hanuman Chalisa
Hoye siddhi saakhi Gaureesa
Tulsidas sada hari chera
Keejai Nath Hriday mahn dera
।।Doha।।
Pavan Tanay Sankat Harana Mangala Murati Roop
Ram Lakhan Sita Sahita Hriday Basahu Soor Bhoop
इसी प्रकार जाने : शनि चालीसा। दशरथ कृत शनि स्तोत्र। श्री शनि आरती। शनि देव की आरती। शनि मंत्र।
बजरंग बाण
।।दोहा।।
निश्चय प्रेम प्रतीत ते, विनय करें सनमान ॥
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान ॥
।।चौपाई।।
जय हनुमंत संत हितकारी ॥
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी ॥1॥
जन के काज विलम्ब न कीजै ॥
आतुर दौरि महा सुख दीजै ॥2॥
जैसे कूदि सुन्धु वहि पारा ॥
सुरसा बद पैठि विस्तारा ॥3॥
आगे जाई लंकिनी रोका ॥
मारेहु लात गई सुर लोका ॥4॥
जाय विभीषण को सुख दीन्हा ॥
सीता निरखि परम पद लीन्हा ॥5॥
बाग उजारी सिंधु महं बोरा ॥
अति आतुर जमकातर तोरा ॥6॥
अक्षय कुमार मारि संहारा ॥
लूम लपेट लंक को जारा ॥7॥
लाह समान लंक जरि गई ॥
जय जय धुनि सुरपुर में भई ॥8॥
अब विलम्ब केहि कारण स्वामी ॥
कृपा करहु उन अन्तर्यामी ॥9॥
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता ॥
आतुर होय दुख हरहु निपाता ॥10॥
जै गिरिधर जै जै सुखसागर ॥
सुर समूह समरथ भटनागर ॥11॥
जय हनु हनु हनुमंत हठीले ॥
बैरिहि मारु बज्र की कीले ॥12॥
गदा बज्र लै बैरिहिं मारो ॥
महाराज प्रभु दास उबारो ॥13॥
ॐ कार हुंकार महाप्रभु धावो ॥
बज्र गदा हनु विलम्ब न लावो ॥14॥
ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा ॥
ॐ हुं हुं हनु अरि उर शीशा ॥15॥
सत्य होहु हरि शपथ पाय के ॥
रामदूत धरु मारु जाय के ॥16॥
जय जय जय हनुमंत अगाधा ॥
दुःख पावत जन केहि अपराधा ॥17॥
पूजा जप तप नेम अचारा ॥
नहिं जानत हौं दास तुम्हारा ॥18॥
वन उपवन, मग गिरि गृह माहीं ॥
तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं ॥19॥
पांय परों कर जोरि मनावौं ॥
यहि अवसर अब केहि गोहरावौं ॥20॥
जय अंजनि कुमार बलवन्ता ॥
शंकर सुवन वीर हनुमंता ॥21॥
बदन कराल काल कुल घालक ॥
राम सहाय सदा प्रति पालक ॥22॥
भूत प्रेत पिशाच निशाचर ॥
अग्नि बेताल काल मारी मर ॥23॥
इन्हें मारु तोहिं शपथ राम की ॥
राखु नाथ मरजाद नाम की ॥24॥
जनकसुता हरि दास कहावौ ॥
ताकी शपथ विलम्ब न लावो ॥25॥
जय जय जय धुनि होत अकाशा ॥
सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा ॥26॥
चरण शरण कर जोरि मनावौ ॥
यहि अवसर अब केहि गौहरावौं ॥27॥
उठु उठु उठु चलु राम दुहाई ॥
पांय परों कर ज़ोरि मनाई ॥28॥
ॐ चं चं चं चं चपल चलंता ॥
ॐ हनु हनु हनु हनु हनुमंता ॥29॥
ॐ हं हं हांक देत कपि चंचल ॥
ॐ सं सं सहमि पराने खल दल ॥30॥
अपने जन को तुरत उबारो ॥
सुमिरत होय आनन्द हमारो ॥31॥
यह बजरंग बाण जेहि मारै ॥
ताहि कहो फिर कौन उबारै ॥32॥
पाठ करै बजरंग बाण की ॥
हनुमत रक्षा करैं प्राण की ॥33॥
यह बजरंग बाण जो जापै ॥
ताते भूत प्रेत सब कांपै ॥34॥
धूप देय अरु जपै हमेशा ॥
ताके तन नहिं रहै कलेशा ॥35॥
।।दोहा।।
प्रेम प्रतीतहि कपि भजै, सदा धरैं उर ध्यान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्घ करैं हनुमान ॥
इसी प्रकार जाने : Bhagwan Shiv Ke 12 Jyotirling Ki Katha। उत्पत्ति कब और कैसे हुई।
संकटमोचन हनुमानाष्टक
बाल समय रवि भक्षी लियो तब,
तीनहुं लोक भयो अंधियारों ।
ताहि सों त्रास भयो जग को,
यह संकट काहु सों जात न टारो ॥
देवन आनि करी बिनती तब,
छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो ॥
बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,
जात महाप्रभु पंथ निहारो ।
चौंकि महामुनि साप दियो तब,
चाहिए कौन बिचार बिचारो ॥
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,
सो तुम दास के सोक निवारो ।
अंगद के संग लेन गए सिय,
खोज कपीस यह बैन उचारो ॥
जीवत ना बचिहौ हम सो जु,
बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो ।
हेरी थके तट सिन्धु सबे तब,
लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ॥
रावण त्रास दई सिय को सब,
राक्षसी सों कही सोक निवारो ।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु,
जाए महा रजनीचर मरो ॥
चाहत सीय असोक सों आगि सु,
दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ।
बान लाग्यो उर लछिमन के तब,
प्राण तजे सूत रावन मारो ॥
लै गृह बैद्य सुषेन समेत,
तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ।
आनि सजीवन हाथ दिए तब,
लछिमन के तुम प्रान उबारो ॥
रावन जुध अजान कियो तब,
नाग कि फाँस सबै सिर डारो ।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल,
मोह भयो यह संकट भारो ॥
आनि खगेस तबै हनुमान जु,
बंधन काटि सुत्रास निवारो ।
बंधू समेत जबै अहिरावन,
लै रघुनाथ पताल सिधारो ॥
देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि,
देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो ।
जाये सहाए भयो तब ही,
अहिरावन सैन्य समेत संहारो ॥
काज किये बड़ देवन के तुम,
बीर महाप्रभु देखि बिचारो ।
कौन सो संकट मोर गरीब को,
जो तुमसे नहिं जात है टारो ॥
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,
जो कछु संकट होए हमारो ॥
।।दोहा।।
लाल देह लाली लसे,
अरु धरि लाल लंगूर ।
वज्र देह दानव दलन,
जय जय जय कपि सूर ॥
इसी प्रकार जाने : भगवान विष्णु के दशावतार की कथा। Bhagwan Vishnu Ke 10 avatar in Hindi।
हनुमान जी की आरती
आरती कीजै हनुमान लला की।
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की॥
जाके बल से गिरिवर कांपे।
रोग दोष जाके निकट न झांके॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई।
सन्तन के प्रभु सदा सहाई॥
दे बीरा रघुनाथ पठाए।
लंका जारि सिया सुधि लाए॥
लंका सो कोट समुद्र-सी खाई।
जात पवनसुत बार न लाई॥
लंका जारि असुर संहारे।
सियारामजी के काज सवारे॥
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारे।
आनि संजीवन प्राण उबारे॥
पैठि पाताल तोरि जम-कारे।
अहिरावण की भुजा उखारे॥
बाएं भुजा असुरदल मारे।
दाहिने भुजा संतजन तारे॥
सुर नर मुनि आरती उतारें।
जय जय जय हनुमान उचारें॥
कंचन थार कपूर लौ छाई।
आरती करत अंजना माई॥
जो हनुमानजी की आरती गावे।
बसि बैकुण्ठ परम पद पावे॥
इसी प्रकार जाने : भगवान श्रीकृष्ण के जीवित ह्रदय का रहस्य।
Shri Hanuman Ji ki Aarti
Aarti Kije Hanuman Lala Ki।
Dusht Dalan Ragunath Kala Ki॥
Jake Bal Se Girivar Kaanpe।
Rog Dosh Ja Ke Nikat Na Jhaanke॥
Anjani Putra Maha Baldaaee।
Santan Ke Prabhu Sada Sahai॥
De Beera Raghunath Pathaaye।
Lanka Jaari Siya Sudhi Laaye॥
Lanka So Kot Samundra-Si Khai।
Jaat Pavan Sut Baar Na Lai॥
Lanka Jaari Asur Sanhare।
Siyaramji Ke Kaaj Sanvare॥
Lakshman Moorchhit Pade Sakaare।
Aani Sajeevan Pran Ubaare॥
Paithi Pataal Tori Jam-kaare।
Ahiravan Ke Bhuja Ukhaare॥
Baayen Bhuja Asur Dal Mare।
Daahine Bhuja Santjan Tare॥
Sur Nar Muni Aarti Utare।
Jai Jai Jai Hanuman Uchaare॥
Kanchan Thaar Kapoor Lau Chhaai।
Aarti Karat Anjana Maai॥
Jo Hanumanji Ki Aarti Gaave।
Basi Baikunth Param Pad Pave॥
इसी प्रकार जाने : सनातन परंपराओं के पीछे का वैज्ञानिक कारण। Science Behind Sanatan Rituals,Tradition and Culture।
Hanuman Ji ke Mantra
नजर उतारने का हनुमान मंत्र
ओम ऐं ह्रीं श्रीं ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रैं ह्रौं ह्रीं ओम नमो
पंचमुखी हनुमान मंत्र
ऊं नमो हनुमते रुद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा।
गुप्त हनुमान मंत्र
‘ॐ हं हनुमते नम:
भूत प्रेत भगाने का हनुमान मंत्र
ॐ दक्षिणमुखाय पच्चमुख हनुमते करालबदनाय।
नारसिंहाय ॐ हां हीं हूं हौं हः सकलभीतप्रेतदमनाय स्वाहाः
कष्टभंजन हनुमान मंत्र
।।ॐ नमो हनुमते भय भंजनाय सुखं कुरु फट स्वाहा।।
इसी प्रकार जाने : Importance and Benefits of Havan Rituals in Sanatan। हवन का महत्व व फायदे।
Hanuman Ji ke 108 Naam
हनुमान जी के 108 नाम
कपीश्वराय | कपिसेनानायक | महाबलपराक्रमी |
वानराय | शोक निवारणाय | विभीषणप्रियाय |
रामभक्ताय | सुग्रीव सचिवाय | हरिमर्कटमर्कटाय |
सीतान्वेणकर्त्ता | भीमसेन सहायकृते | महाकायाय |
कुमार ब्रह्मचारिणे | रामदूताय | केसरी सुताय |
अंजनागर्भसंभूताय | वज्रकायाय | लंकापुरीविदाहक |
पिंगलाक्षाय | रामकथालोलाय | वज्रनखाय |
रुद्रवीर्य | ब्रह्मचारी | रामभक्त |
वायु पुत्र | वानरेश्वर | आंजनेय |
महावीर | हनुमत | मारुतात्मज |
तत्वज्ञान प्रदाता | सर्वबन्धविमोत्र | सर्वविद्यासम्पत |
रत्नकुण्डल पाहक | सर्वबंधमोचकाय | चंचलद्वाल |
गंधर्व विद्यात्त्वज्ञ | सीता मुद्राप्रदाता | सर्वदु:खहराय |
कारागृह विमोक्त्री | प्रभवे | भविष्य चतुरानन |
सर्वरोगहराय | अशोकवह्रिकक्षेत्रे | सर्वमूत्ररूपवते |
सर्वयंत्रात्मकाय | सर्वमायाविभंजन | पारिजातमूलस्थाय |
सर्वतंत्र रूपिणे | रक्षाविध्वंसकारी | सर्वग्रह निवासिने |
सर्वलोकचारिणे | परविद्यापरिहारी | परमंत्र निराकर्त्रे |
मनोजवय | परमशौर्यविनाशय | परयंत्र प्रभेदकाय |
लक्ष्मण प्राणदाता | सागरोत्तारकाय | महाद्युतये |
प्रज्ञाय | बालार्कसदृशनाय | चिरंजीवने |
प्रतापवते | दशग्रीवकुलान्तक | दैत्यविघातक |
अक्षहन्त्रे | कांचनाभाय | कालनाभाय |
पंचवक्त्राय | महातपसी | लंकिनीभंजन |
श्रीमते | सिंहिकाप्राणहर्ता | लोकपूज्याय |
धीराय | दैत्यकुलान्तक | शूराय |
सुरारर्चित | महातेजस | कामरूपिणे |
मैनाकपूजिताय | रामचूड़ामणिप्रदाय | मार्तण्डमण्डलाय |
विनितेन्द्रिय | रामसुग्रीव सन्धात्रे | महारावण मर्दनाय |
स्फटिकाभाय | वागधीक्षाय | चतुर्बाहवे |
महात्मने | नवव्याकृतपंडित | दीनबन्धवे |
भक्तवत्सलाय | शुचये | अपराजित |
वाग्मिने | कालनेमि प्रमथनाय | दृढ़व्रताय |
दान्ताय | शतकण्ठमदापहते | प्रसनात्मने |
शान्ताय | योगिने | अनघ |
अकाय | तत्त्वगम्य | लंकारि |
लक्ष्मण प्राणदाता | सागरोत्तारकाय | महाद्युतये |
प्रज्ञाय | बालार्कसदृशनाय | चिरंजीवने |
प्रतापवते | दशग्रीवकुलान्तक | दैत्यविघातक |
अक्षहन्त्रे | कांचनाभाय | कालनाभाय |
पंचवक्त्राय | महातपसी | लंकिनीभंजन |
श्रीमते | सिंहिकाप्राणहर्ता | लोकपूज्याय |
धीराय | दैत्यकुलान्तक | शूराय |
सुरारर्चित | महातेजस | कामरूपिणे |
मैनाकपूजिताय | रामचूड़ामणिप्रदाय | मार्तण्डमण्डलाय |
विनितेन्द्रिय | रामसुग्रीव सन्धात्रे | महारावण मर्दनाय |
स्फटिकाभाय | वागधीक्षाय | चतुर्बाहवे |
महात्मने | नवव्याकृतपंडित | दीनबन्धवे |
भक्तवत्सलाय | शुचये | अपराजित |
वाग्मिने | कालनेमि प्रमथनाय | दृढ़व्रताय |
दान्ताय | शतकण्ठमदापहते | प्रसनात्मने |
शान्ताय | योगिने | अनघ |
अकाय | तत्त्वगम्य | लंकारि |
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