Scientific Reasons Behind Indian Traditions – सनातन धर्म का विज्ञान

Scientific Reasons Behind Indian Traditions – सनातन परंपराओं के पीछे का वैज्ञानिक कारण, रीति-रिवाजों के पीछे का असल विज्ञान, सनातन धर्म का विज्ञान।

ऐसा माना जाता है कि हिंदू धर्म दुनिया का सबसे पुराना धर्म है। वेदों में कई, ऐसी चीजें लिखी हुई है। जिन्हें विज्ञान भी सच मानता है। हिंदू धर्म को मानने वाले लोग, कई ऐसी  चीजों का अनुसरण करते हैं। जिसके वैज्ञानिक कारणों से, वह अपरिचित हैं।

अक्सर ऐसा होता कि जब हम कभी अपने एक दोस्त से धोखा खाते हैं। तो हम बाकी दोस्तों पर भी विश्वास करना छोड़ देंते हैं। बस ऐसा ही कुछ हुआ है। हमारे रीति-रिवाजों और प्रथाओं के साथ। जिन्हें logical और scientific होते हुए भी, हमने Superstition यानी कि अंधविश्वास नाम देकर, अपनाना छोड़ दिया है।

हम सभी जानते हैं कि अंगूठी को हाथों की उंगलियों में पहना जाता है। लेकिन इन्हीं अंगूठियों को, आपने शादीशुदा महिलाओं के पैरों में जरूर देखा होगा। यूं तो आजकल के शहरों में, आपको ये सब देखने को नहीं मिलेगा। लेकिन भारत के अधिकतर गांवों और राज्यों में महिलाएं। ऐसे ही अपने पैरों में अंगूठियां पहने नजर आएंगी।

जैसा कि आपको पता ही होगा कि हमारी यह पुरानी परंपरा सदियों से चलती आ रही है। शायद आपको यह परंपरा, illogical लगती होगी। आखिरकार पैरों में अंगूठियां पहनने का क्या मतलब है। हम भारतीयों सदियों से, कई रीति-रिवाजों का पालन करते आ रहे हैं।

जैसे कि पीपल के पेड़ की पूजा करना। बड़ों के पैर छूना। मंदिरों में घंटी का बजाना। टीका लगाना इत्यादि। हम आंख बंद करके, इन रीति-रिवाजों का पालन करते आ रहे हैं। बिना यह जाने कि इनके पीछे की असली वजह क्या है। आपको यह सारी धारणाएं, महज औपचारिकता लग सकती है।

जो कि महज हमारे धर्म की पहचान करवाती है। लेकिन इन सारी धारणाओं को मानने के पीछे का, असल कारण जानकर। आपको हमारे पूर्वजों, धर्म और रीति-रिवाजों पर गर्व महसूस होगा। समझते हैं, इन धार्मिक मान्यताओं और रीति-रिवाजों के पीछे के विज्ञान के बारे में। इसी प्रकार जाने : सनातन धर्म का अर्थ व उत्पत्तिसनातन धर्म क्या है। Sanatan Dharm in Hindi।

Scientific Reasons Behind Indian Traditions

Scientific Reasons Behind Indian Traditions
महिलाएं सिंदूर क्यों लगाती हैं

हम सभी ने, अपने घर की महिलाओं को सिंदूर लगाते हुए देखा है। जब भी उनसे पूछा जाता है कि आप यह सिंदूर क्यों लगाते हो। तो बस हमेशा एक ही जवाब मिलता है। पति की लंबी उम्र के लिए। अब प्रश्न यह उठता है कि क्या सच में एक लाल रंग लगाने से, पति की उम्र लंबी हो जाएगी।

वास्तव में इस सिंदूर से, उनके पति की तो नहीं। बल्कि उनकी उम्र लंबी होने वाली है। दरअसल, इसके पीछे का कारण है। इसे बनाने में उपयोग किए जाने वाले पदार्थ। जो पदार्थ इसमें प्रयोग होता है। वह है – नींबू, हल्दी और मरकरी। जो अगर देखा जाए। तो हमारी शरीर के लिए, काफी ज्यादा beneficial है।

सिंदूर में जो मरकरी होता है। वह ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने में मदद करता है। इसके साथ ही यह Stress और Strain  को भी यह reduce करने में मदद करता है। मतलब सीधी सी बात यह है कि यह महिलाओं के लिए अच्छा है। लेकिन अब भी एक सवाल बाकी है। अगर सिंदूर की इतनी importance है। तो फिर विधवा सिंदूर क्यों नहीं लगाती।

ऐसा इसलिए क्योंकि सिंदूर के लगातार प्रयोग करने की वजह से, महिलाओं की sexual desire, enhanced होती है। इसी वजह से, यह सिर्फ शादीशुदा महिलाएं ही लगाती है। इसीलिए विधवाओं को सिंदूर लगाने से मना किया जाता है।

Scientific Reasons Behind Indian Traditions
महिलाएं चूड़ियां क्यों पहनती हैं

 हमारे भारत में महिलाएं हाथों में भर-भरकर कंगन व चूड़ियां पहनती हैं। यह केवल उनकी खूबसूरती को बढ़ाती हैं। या सिर्फ यूं ही culture के नाम पर चली आ रही, कुछ प्रथा में से एक है। क्या इसके पीछे भी कोई scientific reason है। लेकिन आप भी इसके पीछे का reason, जानकर अचंभित हो जाएंगे।

      दरअसल चूड़ियां तो मात्र एक जरिया है। महिलाओं को हष्ट-पुष्ट और डॉक्टर से दूर रखने का। दरअसल इसके पीछे को logic ये हैं कि चूड़ियों के movement की वजह से। एक महिला के हाथ में लगातार, pressure और motion के कारण, fraction पैदा होता रहता है। जिसकी वजह से, उनके शरीर में blood circulation अच्छे तरह से होता है।

 अगर blood supply, उनके शरीर को बराबर मिलता है। तो निश्चित तौर पर, बीमारियों के chances बहुत ही कम हो जाते है। इसके अलावा एक और reason और भी दिया जाता है। वह यह है कि महिलाओं के wrist bones, पुरुषों की तुलना में काफी कमजोर होते हैं। तो एक तरीके से ये चूड़ियां, उनकी कलाइयों को protect करने का भी काम करती है। इसी प्रकार जाने : स्वास्तिक चिन्ह स्वास्तिक का महत्वस्वस्ति का अर्थ स्वास्तिक चिन्ह कैसे बनाएं

Scientific Reasons Behind Indian Traditions
हाथ जोड़कर नमस्कार करना

दोनों हथेलियों को जोड़कर, दूसरों को नमस्ते करना। हम भारतीयों के greet करने का तरीका है। ऐसा करके हम सामने वाले को, आदर व सत्कार भी देते हैं। यह  practice शायद आपको हमारे culture का सामान्य-सा हिस्सा लगता होगा। वैसे असल में ऐसा ही है। ऐसा करना, Hello या Handshake करने से, कई गुना ज्यादा बेहतर क्यों है।

विज्ञान के अनुसार हाथ जोड़ते वक्त, हमारी उंगलियों के tips भी आपस में जुड़ जाते हैं। जो कि एक pressure create करते हैं। आप कह सकते हैं कि उंगलियों के यह tips, acupressure points की तरह होते हैं। जब इन्हें press किया जाता है। तब इन पर दवाब पड़ता है। इस दवाब का सीधा-सीधा असर, हमारे कान, आंख और दिमाग पर पड़ता है।

ऐसा करने से, हम जिस भी व्यक्ति को नमस्ते कर रहे होते हैं। उसे हम ज्यादा अच्छे तरीके से और लंबे समय तक याद रख पाते हैं। इसके अलावा ऐसा करने से, हम handshake करने से भी बच जाते हैं। जैसा कि आप सभी जानते ही हो। किसी भी इंसान से handshake करने से, हम उनके हाथों में उपस्थित बैक्टीरिया को एक exchange कर देते हैं।

जो संक्रामक बीमारियों को फैलाने का काम भी कर सकता है। यही कारण है कि नमस्ते करने का यह culture, भारत तक ही सीमित नहीं रहा। बल्कि पूरी दुनिया में प्रसिद्ध होता जा रहा है।

Scientific Reasons Behind Indian Traditions
माथे पर टीका लगाना

पूजा करने के बाद, पंडित जी हमारे माथे पर टीका तो लगाते ही हैं। अब हमारा common sense यही कहता है। कि यह हमारे religion का एक हिस्सा है। कुछ इसी तरीके से, हम भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं। हमें यह तो नहीं पता कि इसकी शुरुआत कब और कैसे हुई थी। कैसे सनातन धर्म में, ये सारी परंपराएं आई।

लेकिन एक बात जो हम पक्के तौर पर कह सकते हैं। वह यह कि हमारे धर्म में, कुछ न कुछ खास तो जरूर ही है। माथे पर दोनों eyebrows के बीच, जो point होता है। उसे एक major nerve point माना जाता है। जो लाल टीका होता है। उसे energy sever के रूप में देखा जाता है।

ऐसा माना जाता है कि इस point पर टीका लगाने से, हमारे शरीर में ऊर्जा बनी रहती है। ऐसा करना, हमारी एकाग्रता को भी बढ़ाता है। जब हम माथे के इस point  पर टीका लगा रहे होते हैं। तो हम स्वभाविक रूप से, अजना चक्र को press कर देते हैं।

ये अजना चक्र, हमारी पीनियल ग्रंथि के ही अनुरूप होता है। ऐसा करने से हमारे चेहरे की मांसपेशियों में हो रहे Blood Circulation की पूरी प्रक्रिया को ऊर्जा मिलती है। इसी प्रकार जाने : जन्म से मृत्यु तक के सोलह संस्कार

Scientific Reasons Behind Indian Traditions
मंदिर व पूजाघर में घण्टियों को बजाना

हम मंदिरों में या घरों में पूजा पाठ करें। और घंटी न बजाएं। ऐसा तो हो ही नहीं सकता। मंदिर में प्रवेश करते ही, हम घंटी बजाते है। आखिरकार घंटी बजाने के पीछे, क्या साइंस हो सकती है। वैसे बहुत से ऐसे लोग हैं। जिन्हें घंटियों की आवाज से दिक्कत होती है। उनके अनुसार, घंटियों को बजाने से ध्वनि प्रदूषण होता है। इस पर बैन लगा देना चाहिए।

देखा जाए तो ऐसा करना, एक सही निर्णय नहीं होगा। क्योंकि यह लोगों की आस्था से जुड़ा सवाल है। इससे लोगों के religious sentiments को चोट पहुंचेगी। खैर यह तो बात रही, religious sentiments की। लेकिन क्या इस religious sentiments के पीछे, कोई साइंस हो सकती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पूजा पाठ व प्रार्थना करने से पहले, मंदिरों का घंटा बजाया जाता है। माना जाता है कि ऐसा करने से, दैवीय शक्ति हमारे अंदर प्रवेश करती है। जितनी भी राक्षसी शक्तियां होती हैं। वह सभी हमारे शरीर का त्याग कर देती है।

ऐसा करने के बाद, हमारा शरीर व मन पूर्णतया स्वच्छ और शुद्ध हो जाता है। लेकिन यह तो बात रही, धार्मिक कारण की। लेकिन जानते हैं कि इसके पीछे के विज्ञान को। ऐसा करने के पीछे, एक नहीं बल्कि कई वैज्ञानिक कारण है। इन्हीं कारणों को समझते हैं।

1. मंदिर के घण्टे को, कुछ metals और alloy से मिलकर बनाया जाता है। घण्टे में इन metals और alloy की एक निश्चित quantity रहती है। ऐसे में, जब हम घण्टे को बजाते हैं। तो उससे निकली आवाज के कारण, हमारे दिमाग का left और right हिस्सा। एक balance और harmony में आ जाता है। जिससे हम बहुत शांत महसूस करते हैं।

2. घंटे को बताने के बाद, उसका Eco Sound 7 सेकंड तक रहता है। इन 7 सेकेंड्स में, यह Eco Sound हमारे शरीर के सात चक्रों को touch करता है। जिससे हमारा पूरा शरीर relax feel करता है। मंदिर में जो Eco Sound क्रिएट होता है। वह हमारे दिमाग की Concentration Power पर जोर डालता है।

जिससे हमारा दिमाग मजबूत होता है।  यह और बेहतर तरीके से काम करता है। घण्टे को बचाने के बाद, मंदिर में जो environment create होता है। वह हमें शांति प्रदान करता है। ऐसे environment में, हम भगवान की पूजा में लीन हो जाते है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसे environment में, हम और भी ज्यादा aware हो जाते हैं। कुछ पलों के लिए, मंत्रों के जाप में खो जाते हैं। जिससे spiritually, हम God से एक अलग ही level पर connect कर पाते हैं। यह तो एक धार्मिक मान्यता थी। लेकिन हम इस बात को झुठला नहीं सकते कि मंत्रों में एक अलग ही शांति का एहसास होता है अगर हम मेडिटेशन करना चाहे तो मंदिर एक सबसे अच्छी जगह है।

3. एक स्पेशल प्रकार के घण्टे का भी निर्माण किया जाता है। जिसे बजाने पर ॐ की ध्वनि निकलती है। ऐसा माना जाता है कि ॐ की ध्वनि की, जो frequency होती है। वह धरती के rotation की frequency से मेल खाती है। यह अपने आप में ही, एक बहुत बड़ी बात है।

Scientific Reasons Behind Indian Traditions
उत्तर दिशा में सर रखकर न सोना

आपने अपने बुजुर्गों से कहते हुए सुना होगा कि उत्तर दिशा की तरफ सिर करके नहीं सोना चाहिए। लेकिन उन्होंने यह कभी नहीं बताया होगा कि आखिर क्यों। इसका मतलब यह नहीं कि इस position में सोना, एक प्रकार का अंधविश्वास होता है। दरअसल, हमारे शरीर का एक magnetic field होता है।

वही हमारी धरती का भी, एक मजबूत magnetic field होता है। जब हम उत्तर दिशा की तरफ, सिर करके सोते हैं। तब हमारे शरीर और धरती का magnetic field, allied हो जाता है। तब हमारे शरीर का magnetic field, irregular हो जाता है। ऐसी स्थिति में, हमें ब्लड प्रेशर से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

हमारे हृदय को, इस magnetic field की irregularities को beat करने के लिए, ज्यादा काम करना पड़ता है। जिससे हृदय पर गहरा असर होता है। इसके अलावा हमारे खून में आयरन की मौजूदगी होती है। जब हम उत्तर दिशा की तरफ रख कर सोते हैं। तब खून का सारा आयरन, दिमाग की तरफ ज्यादा जमा होने लगता है।

इससे सिर दर्द हो सकता है। Alzheimer, Cognitive Decline, Parkinson व Brain Degeneration  जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। इसी प्रकार जाने : जानिए चारों वेदों मे क्या हैचारों वेदों का रहस्य।

Scientific Reasons Behind Indian Traditions
उपवास करना

 सनातन धर्म में उपवास करने की प्रक्रिया सदियों से चली आ रही है। इसमें हम हफ्ते में, एक दिन उपवास रखते हैं। वहीं बहुत से लोग, पर्वों के दौरान भी उपवास रखते हैं। हमारे कल्चर में उपवास रखने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इसके पीछे भी Scientific reason है।

आयुर्वेद के अनुसार, बीमारी का मुख्य कारण पेट में गंदगी का जमना और उससे पाचन क्रिया का खराब होना होता है। उपवास के दौरान हम खाना नहीं खाते। जिससे हमारे digestive system को rest मिलता है। इससे पेट में जमी सारी गंदगी भी साफ हो जाती है।

पेट के सही रहने से, हमारा पूरा शरीर सही रहता है। तो पूरे दिन भर उपवास का रखना। हमारी सेहत के लिए, फायदेमंद होता है। हालांकि उपवास के दौरान पानी  या नींबू का रस लेते रहना चाहिए। ताकि हमारे शरीर का एनर्जी लेवल को maintain रह सके।

Scientific Reasons Behind Indian Traditions
पीपल के पेड़ की पूजा करना

हमारे सनातन धर्म में पीपल के पेड़ को एक अहम पेड़ माना जाता है। समय-समय पर, इसकी पूजा भी की जाती है। लेकिन आखिरकार कुछ ही पेडों की पूजा का विधान क्यों है। हमारी धरती पर, तो इतने सारे पेड़-पौधे हैं। उनकी पूजा क्यों नहीं होती।

सामान्यतया ज्यादातर पेड़, दिन के समय ऑक्सीजन produce करते हैं। वहीं रात के समय, कार्बन डाइऑक्साइड release करते हैं। लेकिन पीपल और तुलसी इकलौते ऐसे पेड़ हैं। जो दिन और रात, पूरे 24 घंटे तक ऑक्सीजन release करते हैं।

शायद इन्हीं कारणों से, हमारे पूर्वजों ने पीपल की पूजा करने का विधान बनाया। जो अभी तक हम, इसकी पूजा करते आ रहे हैं। घर के आंगन में तुलसी का पेड़ लगाया जाता है। जिसकी भी हर रोज पूजा की जाती है। इसी प्रकार जाने : Importance and Benefits of Havan Rituals in Sanatanहवन का महत्व व फायदे।

Scientific Reasons Behind Indian Traditions
पैरों की उंगली में रिंग पहनना

आप सभी ने देखा होगा कि शादीशुदा महिलाएं, अपने पैरों की दूसरी उंगली में रिंग पहनती है। जिसे बिछिया भी कहा जाता है। लेकिन क्या आप इसके पीछे का कारण जानते हैं। दरअसल पैर की दूसरी उंगली से, एक nerve जुड़ी होती है। जो uterus से connected होती है। जब महिलाएं इस उंगली में रिंग पहनती है।

तो वह एक acupressure point की तरह काम करता है। ऐसा करने से uterus और भी ज्यादा मजबूत होता है। इसके साथ ही महिलाओं की healthy pregnancy होती है। इसके अलावा silver एक अच्छा conductor होता है। जो हमारी धरती की polar energy को observed करके शरीर में pass on कर देता है।

Scientific Reasons Behind Indian Traditions
हम मूर्तियों की पूजा क्यों करते हैं

ऐसा माना जाता है कि भगवान हर जगह होते हैं। तो फिर हम सिर्फ उनकी मूर्तियों की ही पूजा क्यों करते हैं। विज्ञान के अनुसार देखा जाए। तो पूजा करना या pray करना। एक form of meditation  है। यानी कि हमें एक जगह पर बैठकर, एक आइडिया में यानी भगवान पर फोकस करते हैं।

जब तुम्हारे दिमाग का concentration power बहुत ज्यादा बढ़ जाता है। और क्योंकि हम किसी और चीज के बारे में नहीं सोच रहे। सिर्फ भगवान को नमन कर रहे हैं। हमारा दिमाग भी काफी हद तक, शांत हो जाता है। लेकिन अब problem यह है कि कुछ लोगों को भगवान के एक idea पर, एक विचार पर, नमन करने में मुश्किल होती है।

अक्सर उनका ध्यान भटक जाता है। इसलिए फिर लोगों ने, मूर्तियों का सहारा दिया लेना शुरू कर दिया। एक मूर्ति अगर उनके सामने रहे। तो उनको focus करने में आसानी होती है। फिर वो लोग आगे चलकर, एक मूर्ति के सहारे के बिना भी। भगवान का चिंतन या मेडिटेशन कर पाते हैं। इसी प्रकार जाने : Sanatan Dharm me Vivah Ke Prakarहिंदू विवाह के 8 प्रकार व उद्देश्य।

Scientific Reasons Behind Indian Traditions
जमीन में बैठकर भोजन करना

भारतीय समाज में अधिकतर लोग जमीन पर बैठकर ही भोजन करते हैं। लेकिन इसका एक वैज्ञानिक महत्व भी है। दोनों घुटनों को मोड़कर, पालथी मारकर बैठना। एक प्रकार का योगासन होता है। जिससे मस्तिष्क शांत होता है। इससे भोजन करते समय मन शांत रहता है। हमारी पाचन शक्ति भी बढ़ जाती है।

हम सभी जानते हैं कि खाने से पहले हाथ जोड़कर प्रार्थना करनी चाहिए। जब हम खाना खाने बैठते हैं। तो यह बाकी की चीजों से, ध्यान हटाने का काम करती है। जिसकी वजह से, हमारा mind सिर्फ खाने पर ही, फोकस करता है। इसके साथ ही, जब हम fully Conscious होकर  खाना खाएं।

तो हम उतना ही खाना खाते हैं। जितनी हमारी भूख होती है। न उससे कम न उससे ज्यादा। वही हमें नीचे बैठकर खाना खाने से, जब हम खाने के निवाले को प्लेट से उठाने के लिए नीचे झुकते हैं। फिर वापस अपनी body को सीधा करते हैं।

इस दौरान हमारे पेट में digestive juice उत्सर्जित होते हैं। जिससे हमारा फूड अच्छे से digest हो जाता है। इसके साथ ही, हमारे नीचे बैठने और उठने के वक्त, हमारे joints की भी exercise हो जाती है।

आपको इसे भी जानना चाहिए :

Leave a Comment