Lata Mangeshkar Biography in Hindi | लता मंगेशकर का जीवन परिचय

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Lata Mangeshkar Biography in Hindi
लता मंगेशकर की जीवनी

“नाम गुम जाएगा,चेहरा ये बदल जायेगा।

मेरी आवाज ही पहचान है,गर याद रहे।।”

भारत की स्वर-कोकिला,सुर-सम्राज्ञी,एक ऐसी आवाज,जो किसी पहचान की मोहताज नही। भारत-रत्न लता मंगेश्कर जी, जिन्हें हम सभी लता दीदी के नाम से भी जानते है। पिछले 6 दशकों से जिनकी मधुर आवाज के हम सभी कायल है।सुख हो या दुःख, चिंता हो या मनन, ख़ुशी के पल हो या गमनीन माहौल। हर मौके पर,उनके गीत गुनगुनाने का मन हो उठे। ऐसी ही शख्शियत है- Lata Mangeshkar उर्फ ‘लता दीदी’।

Lata Mangeshkar Biography in Hindi

Lata Mangeshkar : An Introduction
लता मंगेशकर : एक परिचय

स्वरकोकिला-लता मंगेशकरएक नज़र 
नाम
(Name)
लता (हेमा) दीनानाथ मंगेशकर
जन्म
(Birth-Date)
28 सितम्बर 1929, इंदौर मध्य प्रदेश
अन्य नाम
(Other Name)
• भारत-कोकिला
• स्वर-सम्राज्ञ
• देश की आवाज
• देश की बेटी
• बॉलीवुड की नाइटेंगल
• दीदी आदि।
व्यवसाय
(Profession)
• पार्श्व गायिका
• निर्माता
• संगीत निदेशक
माता-पिता
(Parents)
स्व० पँ० दीनानाथ मंगेशकर (पिता)                                                
स्व० शेवन्ती मंगेशकर (माता)
भाई-बहन
(Siblings)
• मीना खडीकर (बहन)
• आशा भोंसले(बहन)
• उषा मंगेशकर(बहन)
• ह्र्दयनाथ मंगेशकर (भाई)
वैवाहिक स्थितिअविवाहित
सक्रिय कार्यवर्ष 1942 से 2022 तक ।
संगीत शिक्षक
(Guru)
• पँ० दीनानाथ मंगेशकर
• उस्ताद अमानत अली खान
• गुलाम हैदर                 
• प० तुलसीदास शर्मा
पुरस्कार
(Awards)
राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार
परिचय(1972), कोरा कागज(1974)
लेकिन(1990) सर्वश्रेष्ठ पार्श्वगायिका
फिल्म फेयर पुरस्कार
मधुमती(1959), बीस साल बाद(1963),
खानदान (1966), जीने की राह(1970),
हम आपके है कौन(1995) के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका
फिल्म फेयर लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड (1994)
फ़िल्म फेयर विशेष पुरस्कार– दीदी तेरा देवर दीवाना (1995)
सम्मान
(Honors)
• पदम् भूषण(1969)
• दादा साहेब फाल्के अवार्ड (1989)
• भारत रत्न (2001) 
• Legion of Honour (2007)
मृत्यु तिथि
(Death Date)
6 फरवरी 2022 (रविवार)
मृत्यु स्थान
(Death Place)
ब्रिज कैंडी अस्पताल, मुंबई
मृत्यु का कारण
(Reason for Death)
कई अंगों का कार्य न करना, कोविड के कारण
कुल संपत्ति
(Net Worth)
₹368 करोड़ (लगभग) 2023 के अनुसार

लता मंगेशकर का बचपन
Lata Mangeshkar Early Life

लता दीदी का जन्म 28 सितम्बर 1929 को,मध्यप्रदेश के इंदौर जिले में,एक मराठी ब्राह्मण परिवार में हुआ था।उनकी परवरिश महाराष्ट्र में हुई थी।लता जी,अपनी तीन बहनों(मीना,आशा,उषा) व एक भाई(ह्र्दयनाथ) में सबसे बड़ी है। उनके बचपन का नाम हेमा रखा गया,जिसे बाद में बदलकर लता किया गया।

उनके पिता स्व० प० दीनानाथ मंगेशकर,रंगमंच के जानेमाने कलाकार व शास्त्रीय संगीत के प्रसिद्ध गायक थे।मात्र तरह वर्ष की आयु में ही,उनके पिताजी का देहांत(1942) में हो गया।इसके बाद,घर मे बड़ी होने के कारण,सारी जिम्मेदारी उन पर आ गईं।

लता मंगेशकर : बचपन की यादगार घटनाए
Lata Mangeshkar Life History in Hindi

 बचपन में लता मंगेशकर को संगीत नहीं सिखाया जा रहा था। उनके बाबा दीनानाथ मंगेशकर जी के बहुत सारे शिष्य थे। एक बार हुआ कुछ ऐसा। उनका एक शिष्य गलत गाना गा रहा था। अपने बाबा की गैर हाजरी में, नन्ही लता ने उस बच्चे को ठीक करना शुरू कर दिया।उसे बताया कि यह राग ऐसे नहीं, ऐसे गाया जाता है।

वह इस बात से बेखबर थी। उनके बाबा उनके पीछे खड़े थे। दीनानाथ मंगेशकर ने उनकी आइ से कहा। मैं तो बाहर के बच्चों को सिखा रहा हूं। जबकि घर में ही एक गवैया मौजूद है। बस उस दिन से लता जी की संगीत की शिक्षा घर मे शुरू हो गई।

बहुत छोटी उम्र में ही, लता अपने पिता दीनानाथ मंगेशकर के साथ स्टेज पर perform करती थी। एक बार कुछ ऐसा हुआ। एक नाटक चल रहा था। जिसमें नारद का किरदार निभाने वाला कलाकार नहीं आया। उनके पिता बहुत परेशान थे। नन्ही-सी लता ने अपने बाबा से कहा। कोई बात नहीं, अगर वह नहीं आया। अगर आप कहें। तो मैं उसका रोल निभा देती हूं।

उनके पिता को थोड़ा सा अजीब लगा। उन्होंने कहा कि तुम इतनी छोटी सी हो। मेरे साथ स्टेज पर गाना गाओगी,अजीब सा लगेगा। लता ने कहा बाबा देखना। मैं once more लेकर आऊंगी। एक अवसर तो दे। फिर कोई दूसरा रास्ता भी तो नहीं। इस तरह लता जी ने अपने बाबा के साथ stage पर perform किया।फिर निश्चित रूप से once more भी आया। इसी प्रकार जाने :  Tragedy King – Dilip Kumar Biography। यूसुफ खान से दिलीप कुमार तक का सफर।

दीनानाथ मंगेशकर की भविष्यवाणी

  

बचपन में ही दीनानाथ मंगेशकर, जो  ज्योतिष के एक बड़े ज्ञाता थे। उन्होंने लता जी से कहा। देख बेटी, तू आगे चलकर इतनी सफल होगी। जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। लेकिन उस सफलता को देखने के लिए, मैं नहीं रहूंगा। तेरी शादी भी नहीं होगी। परिवार की सारी जिम्मेदारी तुझ पर ही रहेगी। नन्ही सी लता, उस वक्त समझ नहीं पाई। कि उनके बाबा बहुत जल्द जाने वाले हैं। ठीक वैसा ही हुआ।

दीनानाथ मंगेशकर का स्वर्गवास हो गया। फिर सारी जिम्मेदारी लता जी के कंधों पर आ गई। उन्होंने stage के साथ-साथ, फिल्मों में भी छोटे-मोटे किरदार निभाने शुरू किये। लता जी ने संगीत का पहली शिक्षा, अपने पिताजी से ली थी।वे उनके साथ संगीत नाट्य प्रस्तुति में भाग लेती रहती थी।उनके पिता नही चाहते थे कि वो फिल्मों के लिये गाना गाए। उन्हें अभिनय पसन्द नही था,लेकिन पिता की मृत्यु के बाद,पैसो की दिक्कत की वजह से काफी संघर्ष करना पड़ा।

तब उन्होंने कुछ हिंदी व मराठी फिल्मों में अभिनय भी किया, जिनमे पाहिलीमंगलागोर (1942), माझेबाल (1943),गजभाऊ(1944),बड़ी माँ (1945), जीवन यात्रा (1946) व छत्रपति शिवाजी (1952) प्रमुख थी। लताजी ने 1948 में पार्श्वगायिकी में कदम रखा, उस समय नूरजहाँ, शमशाद बेगम व राजकुमारी जैसी गायिकाओं का दौर था।ऐसे में अपने कदम जमाना मुश्किल था।

Lata Mangeshkar – Identified as Playback Singer

मुंबई की फिल्म इंडस्ट्री में, इनकी आवाज को सुनकर कहा गया था। इनकी आवाज बहुत पतली है। यह पार्श्वगायिका के लिए नहीं है। इनके गुरु और God father गुलाम हैदर ने यह बात साबित करने का बीड़ा उठा लिया।  लता जैसी आवाज और किसी के पास नहीं है। मास्टर गुलाम हैदर जी ने, इनके जीवन मे एक बड़ी भूमिका निभाई। इनको न ही बड़े break दिलाए। बल्कि यह विश्वास भी रखा कि एक दिन सिर्फ इसकी ही आवाज ही गूंजेगी। बाकी सारी आवाजें, इसके सामने फीकी रहेगी। इसके बाद ठीक वैसा ही हुआ।

लता जी ने 1947 में वसंत जोगलेकर की फ़िल्म ” आपकी सेवा में” से अपनी अलग पहचान बनाई। उन्होंने अपनी गायिकी की एक अलग शैली विकसित की।उन्होंने तभी भिंड़ीबाजार घराने के उस्ताद अमानत अली खान से संगीत की शिक्षा लेनी शुरू की।बड़ी मां फ़िल्म में गाए, भजन से सभी का ध्यान उनकी ओर गया।उस्ताद गुलाम हैदर(संगीतकार) ने,उनकी बहुत से निर्माता-निर्देशकों से मुलाकात कराई।लेकिन काफी समय उन्हें उस सफलता से दूर रहना पड़ा,जिसकी वह हकदार थी।

फिर गुलाम हैदर साहब ने 1948 में फ़िल्म ‘मजबूर’ का गीत ‘दिल मेरा तोड़ा’  गवाया।जो उनके जीवन का पहला हिट गीत साबित हुआ। गुलाम हैदर को, लता जी का गॉडफादर माना जा सकता है।मधुबाला अभिनीत फिल्म ‘महल’ (1949) का गीत ‘आएगा आने वाला’ ने धूम मचा दी। फिर लता जी ने पीछे मुड़कर नही देखा। यह गीत लता दीदी के बेहतरीन गीतों में से एक है।जिसे आज भी लोगों की जुबान पर महसूस किया जा सकता है। इसी प्रकार जाने : Jubin Nautiyal Biography in Hindi Rejection से Success तक का सफर।

Lata Mangeshkar की अपनी शर्त

लता मंगेशकर पहली ऐसी गायिका थी। जिन्होंने producer से गाने की royalty की मांग की।उनका मानना था कि Recording के पेमेंट के बाद भी, जब तक वह record बिक रहा है। उसकी कमाई का छोटा-सा हिस्सा, गायक को भी आना चाहिए। फिर इन्हें royalty भी मिली। जबकि हर producer इसके खिलाफ थे।

राज कपूर साहब ने तो यहां तक कहा था। लता, मैं तुम्हें royalty नहीं दे सकता। मैं यहां पर business करने आया हूं। तब लता जी ने जवाब दिया था। राज साहब, अगर आप बिजनेस करने आए हैं। तो मैं भी film industry में रानी बाग घूमने नहीं आई। फिर लता जी ने अपनी बात मनवा ली।

Lata Ji को जान से मारने की कोशिश

साठ के दशक में, जब लता मंगेशकर अपना एक अलग मुकाम हासिल कर चुकी थी। तभी उनकी तबीयत अचानक बहुत खराब हो गई थी।उन्हें मौत के मुंह से बाहर निकाला गया था। तब डॉक्टर ने बोला था। आपको कोई धीमा जहर दे रहा था। वह डॉक्टर सही था। उनका रसोईया हर रोज, उन्हें जहर दिया करता था। जिसमें लता जी की जान भी जा सकती थी। लेकिन इनके बीमार पड़ते ही, रसोईया भाग गया। तब इस बात का खुलासा हुआ।

लता मंगेशकर के गाने

यूँ तो लता दीदी,आवाज की दुनिया की एक ऐसी शख्शियत है। जिनका कोई युग हो ही नही सकता।वह सदाबहार थी और हमेशा रहेगी। उन्होंने सदाबहार गीत हम सभी को दिये।उनका सम्पूर्ण जीवन गीत-संगीत को समर्पित है।उन्होंने 20 अलग-अलग भाषाओं में, 30,000 से भी अधिक गीतों को, अपनी आवाज़ से  नवाजा।

उनकी आवाज़ में वो खलिश है कि कभी बचपन की यादें, तो कभी आँखों मे आँसू, तो कहीं सीमा पर खड़े जवानों में नया जोश भरने के लिए काफी है। लता जी का फिल्मों में पार्श्व गायिका के रूप में कभी न भुलाया जाने वाला योगदान है।

पचास का दशक- लता जी ने इस दशक के महान संगीतकारों के साथ बहुत से सुपरहिट गाने गाए।जिनमें अनिल विश्वास, एस डी बर्मन,शंकर जय किशन, मदन मोहन, नौशाद अली प्रमुख थे।

लता जी ने नौशाद साहब के लिए फ़िल्म बैजू बावरा(1952), कोहिनूर औऱ मुगल-ए-आजम(1960) में बेहतरीन गाने गाए। दादा एस डी बर्मन के लिए फ़िल्म साजा(1951), देवदास औऱ हाउस न० ४२०(1955) के लिये गाया, लता जी दादा की सबसे पसंदीदा गायिका थी।शंकर जयकिशन के लिए फ़िल्म आह(1953), श्री 420(1955) और चोरी-चोरी(1956) के लिए बेहतरीन नग़मे दिए।

साठ का दशक-  साठ के दशक में भी लता जी छाई रही, इस दशक के कुछ बेहतरीन सदाबहार गीत यूँ थे। न जाने तुम कहाँ थे(1961),क्या हुआ मैने अगर इश्क का इज़हार किया(1963), सुनो सजना पपीहे ने, रहा गर्दिशों में हरदम, कभी तेरा दामन न छोड़ेंगे हम(1966), महबूब मेरे महबूब मेरे(1967),फलसफा प्यार का तुम क्या जानो(1968), हमने देखी है इन आँखों की, वो शाम कुछ अजीब थी, आया सावन झुमके(1969) ।

1961 के दौर में उन्होंने अल्लाह तेरो नाम,ईश्वर तेरो नाम और प्रभु तेरा नाम जैसे गीत दिए।किशोर दा के साथ- होठों पे ऐसी बात,गाता रहे मेरा दिल,आज फिर जीने की तम्मना है, जैसे गीत गाये।

सत्तर व अस्सी के दशक- इस दशक में लता जी के  कुछ चुनिंदा गीतों की एक झलक- सारे रिश्ते नाते तोड़ के आ गई(जानी दुश्मन), गुम है किसी के प्यार में(रामपुर का लक्ष्मण), वादा करो नही छोड़ोगे तुम(आ गले लग जा), वादा करले साजना( हाथ की सफाई), नही नही अभी नही(जवानी दीवानी), तेरे बिना जिंदगी से कोई शिकवा(आँधी), मै झट यमला पगला दीवाना(प्रतिज्ञा),चला भी आ आजा रसिया(मन की आंखे),जाते हो जाने जाना(परवरिश),किसी पे दिल अगर आ जाये तो क्या होता है(रफूचक्कर),सुनो कहो कहा न (आपकी कसम)।

आज फिर तुमपे प्यार आया है(दयावान),तुमसे मिलकर न जाने क्यों(प्यार झुकता नही),मेरे प्यार की उमर हो इतनी सनम(वारिश),प्यार करने वाले(हीरो),जब हम जवां होंगे(बेताब),प्यार किया नही जाता(वो सात दिन) । लता जी ने 70’s व 80’s में बहुत से संगीतकारों के साथ काम किया जिनमें लक्ष्मीकांत प्यारेलाल,मदन मोहन,सलिल चौधरी व हेमन्त कुमार मुख्य थे।

नब्बे से अबतक का सफर- नब्बे के दशक से अब तक, लता जी ने उस दौर के बहुत से संगीतकारों के साथ काम किया,जिनमे जतिन ललित,नदीम श्रवण, आनन्द मिलन्द,अनु मलिक,आदेश श्रीवास्तव, ए आर रहमान प्रमुख थे।इसके साथ ही उन्होंने बहुत से सह गायकों के साथ भी अपनी आवाज का जादू बिखेरा। उनमे से जगजीत सिंह, एस पी सुब्रमण्यम, उदित नारायण ,कुमार सानू, अभिजीत भट्टाचार्य,गुरुदास मान, सोनू निगम आदि प्रमुख है। इसी प्रकार जाने : South Super Star Mahesh Babu Biography in Hindiरील से रियल तक का सफर।

किस गीत पर रो पड़े प० जवाहर लाल नेहरू

 यह बात उस समय की है,जब 1962 के युद्ध मे चीन ने भारत को बुरी तरह पराजित कर दिया था। देश का मनोबल नीचा था, ऐसे में दरकार थी, एक ऐसे जज्बे की,जो कश्मीर से कन्याकुमारी तक,कच्छ के रण से अरुणाचल प्रदेश तक,देश को एक कर सके। आसमान में तिरंगे को लहराते देखकर,गर्व महसूस करा जा सके। ऐसे में ही राष्ट्र कवि प्रदीप ये शब्द-ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा याद आँख में भर लो पानी।जो शहीद हुए है ,उनकी जरा याद करो कुर्बानी। इन शब्दों को आवाज दी थी,लता जी ने। जो सदा सदा के लिए अमर हो गए।

इस गाने को पहली बार दिल्ली के लाल किले से हजारों लोगों के साथ,जब प्रधानमंत्री प० नेहरू ने सुना तो उनकी आँखें बरबस छलक उठी। तत्कालीन प्रधानमंत्री के साथ रो पड़ा पूरा वतन।लता जी की ज़ुबान से निकला ये देशभक्ति का गाना ही नही, बल्कि हिंदुस्तान का दर्द था।

यह बात भी मशहूर रही है। लता मंगेशकर इकलौती ऐसी गायिका है। जो गाने के लब्ज़ को सुनकर ही, गाने को record करती हैं। यदि कोई भी आपत्तिजनक शब्द हुआ। तो लता दी उस गाने को रिकॉर्ड करने से मना कर देती हैं। गजलें रही हो या रोमांटिक गाने। दर्द भरा गीत रहा हो या फिर सपनो भरा। हर जज़्बात को लता जी की आवाज मिली है। ऐसी आवाज सदियों में एक बार ही जन्म लेती है।हम सभी को उन पर गर्व के साथ, अभिमान है।

Lata Mangeshkar Awards
लता मंगेशकर पुरस्कार

लता मंगेशकर पुरस्कार सम्मान
पुरस्कारराष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार परिचय(1972),कोरा कागज(1974) लेकिन(1990)सर्वश्रेष्ठ    पार्श्वगायिका
फिल्म फेयर पुरस्कारमधुमती(1959),बीस सालबाद(1963)खानदान (1966),
जीने की राह(1970)हम आपके है कौन(1995) के  लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका
फिल्म फेयर लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड (1994)
फ़िल्म फेयर विशेष पुरस्कार– दीदी तेरा देवर दीवाना (1995)
सम्मानपदम् भूषण(1969)
दादा साहेब फाल्के अवार्ड (1989)
भारत रत्न (2001) 
Legion of Honour (2007)

लता मंगेशकर का निधन कब हुआ
Lata Mangeshkar Death

लता मंगेशकर जी को, उनकी तबीयत खराब होने के कारण 5 फरवरी बसंत पंचमी को मुंबई के ‘ब्रीच कैंडी अस्पताल’ में भर्ती किया गया। जहां उनकी हालत काफी नाजुक बनी हुई थी। वह काफी लंबे समय से करोना संक्रमित थी। इसके पहले भी 8 जनवरी को उन्हें भर्ती कराया गया था।

आज 6 फरवरी 2022 को उनका निधन मुम्बई के ब्रीज कैंडी अस्पताल में हो गया। जो पूरे भारतवर्ष के लिए, एक अपार क्षति के समान है। जिसकी भरपाई, किसी भी रुप में संभव नहीं है। सुर साम्राज्ञी भारत रत्न लता मंगेश्कर जी 92 वर्ष की थी।

FAQ :

प्र० लता मंगेशकर का निधन कब हुआ ?

उ० 6 फरवरी 2022 को लता मंगेशकर निधन मुम्बई के ब्रीज कैंडी अस्पताल में हो गया।

प्र० लता मंगेशकर के कितने बच्चे हैं?

उ० लता मंगेशकर जी ने शादी नहीं की थी।

प्र० लता मंगेशकर का पहला गाना कौन सा हैं?

उ० गुलाम हैदर साहब ने 1948 में फ़िल्म ‘मजबूर’ का गीत ‘दिल मेरा तोड़ा‘  गवाया। जो उनके जीवन का पहला हिट गीत साबित हुआ।

प्र० लता मंगेशकर के पति का नाम क्या है?

उ० लता मंगेशकर जी ने कभी शादी नहीं की

प्र० क्या लता मंगेशकर मर चुकी है?

उ० 6 फरवरी 2022 को लता मंगेशकर निधन हो गया था।

प्र० लता मंगेशकर का आखिरी गाना कौन सा है?

उ०  लता मंगेशकर जी ने 2006 में फिल्म ‘रंग दे बसंती’ में ‘लुका छिपी‘ गाना गाया था। यह उनके जीवन का आखरी गाना था

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