Dilip Kumar Biography In Hindi | Dilip Kumar Real Name| यूसुफ ख़ान से दिलीप कुमार तक का सफर

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एक ऐसी शख्सियत, जिनकी अदाकारी से कई कोर्स शुरू होते थे। वही अदाकारी की कई परीक्षाएं, उन पर ही आकर खत्म होती थी। कई पीढ़ियां उनकी अदाकारी को पर्दे पर देख-देखकर बड़ी हुई। कई बड़े अदाकाराओ ने, उन्हें व उनकी फिल्में देखकर अदाकारी करना सीखा। क्योंकि कलाकार, तो दुनिया में आते-जाते रहते हैं। लेकिन अदाकार-ए-आजम सदियों में कभी एक बार ही जन्म लेता है। जो कहलाता है- युसूफ खान उर्फ दिलीप कुमार।

हम और आप में से ज्यादातर लोग इतिहास पढ़ते हैं। लेकिन बहुत कम लोग ऐसे होते हैं। जो इतिहास रचते हैं। ऐसे ही एक शख्स थे- दिलीप साहब। जो सिर्फ अभिनेता नहीं थे। एक दौर थे। एक युग थे। हिंदी सिनेमा के इतिहास में, बहुत से कलाकार आए और चले गए। लेकिन एक कलाकार ऐसे भी थे। जिन्होंने पूरी फिल्म इंडस्ट्री का चेहरा ही बदल दिया। दिलीप साहब की अदाकारी से एक नई परिभाषा का जन्म हुआ।

एक वक्त था। जब Tragedy king के नाम से, यह अभिनेता हिंदी सिनेमा जगत में सफलता की सीढ़ियां चढ़ते जा रहे थे। एक वक्त था। जब फिल्मी पर्दे पर एक से बढ़कर एक हिट फिल्में रिलीज होती जा रही थी। एक वक्त था। जब इनकी हिट फिल्में, सबके दिलों में एक अमिट छाप छोड़ती जा रही थी।

एक वक्त था। जब हमारे मुल्क ने, अपने हर दुख, अपने हर गम, अपने हर ट्रेजेडी, अपने हर प्यार के अंदाज को। एक नाम दे दिया था। वह नाम, वह दास्तान है-  Tragedy king, Super Star दिलीप कुमार की। इसी प्रकार जाने : An Inspiring Biography of Lata Mangeshkar लता दीदी का सुरों भरा सफर।

 Dilip Kumar biography in Hindi

Dilip Kumar – Evergreen Super Star
An Introduction

युसूफ खान उर्फ दिलीप कुमार  
एक परिचय
पूरा नाममोहम्मद यूसुफ सरवार खान
प्रसिद्ध नाम• दिलीप कुमार
• ट्रेजेडी किंग
जन्म11 दिसंबर 1922
जन्म स्थानपेशावर (अविभाजित भारत) 
अब पाकिस्तान में
गृह नगरमुंबई
पितालाला गुलाम सरवार 
(जमींदार और फल व्यापारी)
माताआयशा बेगम
पत्नी• सायरा बानो (1966 – अब तक)
• आसमा रहमान (1980 982)
परिवार 
(अन्य सदस्य)
• नासिर खान (भाई)
• असलम खान (भाई)
• एहसान खान,(भाई)
• अयूब सरवार, (भाई)
• नूर मोहम्मद (भाई)
• फोजिआ खान (बहन)
• सकीना खान (बहन)
• ताज खान (बहन)
• फरीदा खान (बहन)
• सईदा खान (बहन)
• अख्तर आसिफ (बहन)
शिक्षाबार्नेस स्कूल, देवलाली, नासिक, महाराष्ट्र
फिल्म डेब्यूज्वार भाटा (1944)
पसंदीदा अभिनेत्रियां• मीना कुमारी 
• नलिनी जयवंत
पुरस्कारसर्वश्रेष्ठ अभिनेता के लिए – 
फिल्म फेयर अवार्ड (8 बार)
दादा साहब फाल्के पुरस्कार (1994)
शौकखाना बनाना
मृत्यु7 जुलाई 2021 हिंदूजा हॉस्पिटल मुंबई
मृत्यु का कारणलंबे समय तक बीमार रहने के कारण

दिलीप कुमार का शुरुआती जीवन

दिलीप कुमार उर्फ युसूफ खान  का जन्म 11 दिसंबर 1922 को पेशावर (अविभाजित भारत) में हुआ था। जो कि अब पाकिस्तान का हिस्सा है। हिंदी सिनेमा के शो मैन राज कपूर और दिलीप साहब बचपन के दोस्त थे। दोनों ने एक ही स्कूल में पढ़ाई भी की थी। दिलीप कुमार का असली नाम मोहम्मद यूसुफ खान था। दिलीप कुमार के पिता का नाम आगा जी उर्फ़ लाला गुलाम सरवार था। जो उस समय के, जमींदार व सूखे मेवों का कारोबार किया करते थे। उनकी माता का नाम आयशा बेगम था।

दिलीप कुमार के अलावा, उनके 12 और भाई-बहन थे। उनके वालिद (पिता) आगा जी ने फैसला किया। अब कारोबार को बढ़ाने के लिए व 13 बच्चों को अच्छी तालीम (शिक्षा) दिलवाने के लिए। उनको पेशावर से मुंबई जाना होगा। 1930 में सारा खानदान मुंबई में आ बसा। दिलीप कुमार ने अपने स्कूल की पढ़ाई  बार्नेस स्कूल, नासिक से की थी। उन्होंने अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी की।

इसके बाद साल 1940 में, उनके अपने वालिद से मतभेद हो गए। उन्होंने घर छोड़कर, पुणे जाने का फैसला कर लिया। उन्होंने पुणे जाकर, एक कैंटीन में नौकरी कर ली। फिर आर्मी क्लब में sandwich की एक छोड़ी-सी दुकान खोली। उन्होंने किसी को नही बताया। कि वह एक अमीर घराने से संबंध रखते हैं। उन्होंने 2 साल जबरदस्त मेहनत की। घर से एक भी पैसा नहीं लिया। दो साल की मेहनत करने के बाद, उनकी जेब में ₹5000 आ गए।

दिलीप साहब ने तब फैसला किया। अब वह आगा जी के साथ ही काम करेंगे। फिर वह मुंबई वापस चले आए। जब दिलीप साहब घर लौटे। तो उनके वालिद ने, उन्हें गले लगा लिया। उनके जमा किए हुए ₹5000 देखकर। वह बहुत खुश हुए। उन्होंने कहा, बेटा जवान हो गए हो। कामयाब हो। जाओ और जाकर अपनी किस्मत आजमाओ। दिलीप साहब उनकी हौसला अफजाई लेकर, नैनीताल जा पहुंचे। यहां पहुंच कर उन्होंने एक कैंटीन का काम किया। इसी प्रकार जाने : Anupam Kher Biography in Hindi एक कश्मीरी पंडित की दास्तां।

यूसुफ ख़ान ऊर्फ दिलीप कुमार का फिल्म इंडस्ट्री मे पहला कदम

यह वही नैनीताल था। जहां युसूफ खान को बॉम्बे टॉकीज की मालकिन व अदाकारा देविका रानी मिली। यह वही नैनीताल था। जहां से युसूफ खान की जिंदगी बदल गई। देविका रानी नैनीताल location ढूंढने की आई थी। यहीं पर देविका रानी की नजर, युसूफ खान पर पड़ी। उन्होंने अपना कार्ड युसूफ खान को थमा दिया। उनसे कहा, जब मुंबई आना। तो मुझसे मिलना जरूर।

युसूफ खान ने उनकी यह बात बहुत गंभीरता से नहीं ली। लेकिन उन्हे कहीं न कहीं एहसास हो गया था। उन्होंने देविका रानी का कार्ड संभाल कर अपनी जेब में रख लिया। जब वह मुंबई पहुंचे। तो उन्हें लगा कि देविका रानी उन्हें फिल्म में लाना चाहती है. लेकिन उनकी कोई रुचि नहीं थी।

लेकिन आखिरकार वो एक दिन Bombay Talkies के दफ्तर पहुँच ही गए। देविका रानी ने उनकी तरफ एक कागज बढ़ाते हुए कहा। ₹1250 महीना दूंगी। इस पर साइन कर दो। युसूफ खान थोड़ा सोच में पड़ जाते हैं लेकिन फिर उन्होंने उस contract letter पर साइन कर दिए।

यूसुफ ख़ान कैसे बने दिलीप कुमार

युसूफ खान का विचार था कि वह acting की तरफ नहीं जाएंगे। बल्कि script writing करेंगे। Acting का उन्हें कोई शौक नहीं था। लेकिन script writing इसलिए, क्योंकि उनकी english और Urdu बहुत अच्छी थी। लेकिन देविका रानी दूरदर्शी थी। उन्हें मालूम था कि इनका जोहर, तो स्क्रीन पर नजर आएगा। उन्होंने युसूफ खान को acting के लिए मना लिया।

देविका रानी ने युसूफ खान से, उनका नाम बदलने की पेशकश की। जिसे दिलीप कुमार ने सहर्ष स्वीकार कर लिया। उनके सामने writer Narendra Sharma ने तीन नाम रखे। पहला वसुदेव, दूसरा जहांगीर और तीसरा दिलीप कुमार। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने खुद अपना नाम दिलीप कुमार चुना। इसके पीछे दो कारण थे।

एक इंटरव्यू में, दिलीप कुमार ने खुलासा किया था। उन्होंने अपने पिता की पिटाई के डर से नाम बदला। उन्होंने कहा, मेरे वालिद फिल्मों के सख्त खिलाफ थे। उनके एक बहुत अच्छे दोस्त थे। जिनका नाम लाला बंसी शरनाथ था। इनके बेटे पृथ्वीराज कपूर फिल्मों में acting किया करते थे। मेरे पिताजी अक्सर, उनसे शिकायत किया करते थे। यह तुमने क्या कर रखा है। तुम्हारा नौजवान और इतना सेहतमंद लड़का है। देखो, क्या काम करता है।

दिलीप कुमार ने बताया कि जब मैं फिल्मों में आया। तो मुझे बहुत खौफ था। जब उनके वालिद को मालूम होगा। तो बहुत नाराज होंगे। इसीलिए उन्होंने देविका रानी के दिए गये। नए नाम को अपना लिया। दूसरी वजह यह थी।  देविका रानी, उस वक्त के मशहूर अभिनेता अशोक कुमार का एक competitor खड़ा करना चाहती थी। इसीलिए देविका रानी यूसुफ खान को दिलीप कुमार के रूप में film industry में लाना चाहती थी।

जब दिलीप कुमार को फ़िल्म के लिए, launch किया जाना था। तब देविका रानी और अशोक कुमार के रिश्तो में काफी खटास आ गई थी। इसी तरह की कुछ मजबूरी के चलते, युसूफ खान को दिलीप कुमार बना दिया। इसी प्रकार जाने : Kangana Ranaut Biography in Hindi। सपनों को साकार करने के लिए, छोड़ा घर।

दिलीप कुमार की पहली फिल्म

1944 में ज्वार भाटा फिल्म release हुईं। जिसके मुख्य हीरो दिलीप कुमार थे। लेकिन ज्वार भाटा बॉक्स ऑफिस पर अच्छी नहीं चली। पहली फिल्म फ्लॉप होने के बाद, जब दिलीप कुमार मायूस हुए। तब देविका रानी ने उन्हें भरोसा दिलाया। देविका रानी ने तुरंत ही, दूसरी फिल्म प्रतिमा launch की। इसमें भी दिलीप कुमार प्रमुख किरदार में थे यह फिल्म भी फ्लॉप हो गई एक बार फिर उनकी जबरदस्त आलोचना हुई।

देविका रानी मायूस नहीं थी। उन्हें पता था कि दिलीप साहब में talent है। उनके डायरेक्टर नितिन बोस ने फिल्म मिलन की script उनके सामने रखी। जिसमें उर्दू जवान बोलने वाले की जरूरत थी। अब दिलीप साहब ने फिल्म शुरू होने से पहले ही निश्चय कर लिया। इस बार ये film superhit होगी।

उन्होंने बहुत सारी फिल्मों और उनके कलाकारों को बारीकी से देखा। इस बार फिल्म मिलन ने कामयाबी हासिल की। इसके बाद उनकी फिल्म जुगनू ,नूरजहां के साथ आई। जिसने आसमान की बुलंदियों को छुआ। 1946 से 1948 के बीच दिलीप कुमार ने पांच सुपरहिट फिल्मों में काम किया।

दिलीप कुमार के अफेयर

1948 में दिलीप साहब की फिल्म ‘शहीद’ रिलीज हुई। जिसकी हीरोइन कामिनी कौशल थी। इसी दौरान दिलीप कुमार और कामिनी कौशल का रोमांस शुरू हो गया। फिल्म इतनी सुपरहिट हुई कि आलोचकों को कहना पड़ा। अदाकारी दिलीप कुमार पर आकर खत्म। वो एक बेहतरीन हीरो है। इसके बाद फिल्म ‘दाग’ आई। जिसमें उनकी अदाकारी और परवान चढ़ी। दाग के बाद, महबूब खान की फिल्म ‘अंदाज’ बेमिसाल साबित हुई।

दिलीप कुमार ने मधुबाला से शादी करनी चाही। लेकिन मधुबाला के पिताजी बीच में आ गए। उन्होंने इस जोड़ी को अलग कर दिया। मामला अदालत तक गया। लेकिन दिलीप साहब समझौते को तैयार नहीं थे। यहीं से मधुबाला और दिलीप का रिश्ता टूट गया। बाद में, मधुबाला ने किशोर कुमार से शादी कर ली। लेकिन वह इस शादी में खुश नहीं थी। कुछ साल बाद, मधुबाला की मृत्यु हो गई।

मधुबाला के बाद, दिलीप कुमार का अफेयर वैजयंती माला से हुआ। वह उनकी co-star थी। वह भारतनाट्यम डांसर भी थी। इसके साथ ही, बेहद खूबसूरत भी थी। इन दोनों की onscreen chemistry को, लोग बहुत पसंद करते थे। लेकिन यह रिश्ता भी शादी में नहीं बदल सका।

वैजयंती माला के बाद, दिलीप कुमार की हीरोइन और उनकी निजी जिंदगी की leading lady वहीदा रहमान थी। वह हर तरह से दिलीप की जिंदगी में आने के लायक थी। लेकिन फिर से, किस्मत में नहीं था। भले ही उनका प्यार परवान न चढ़ा हो। लेकिन उन्होंने तीन कामयाब फिल्में दी। आदमी, राम और श्याम व दिल दिया दर्द लिया। इसी प्रकार जाने : South Superstar Rajinikanth Biography in Hindi बस कंडक्टर से सुपरस्टर बनने तक का सफर।

दिलीप कुमार का सायरा बानो से निकाह

अब तक दिलीप कुमार 44 साल के हो चुके थे। उनके चाहने वालों में, यह आम चर्चा थी। वह शादी कब करेंगे। किससे करेंगे। वह दिन भी आ ही गया। सायरा बानो यूपी से मुंबई फिल्मों में काम करने के लिए आई। उन्होंने कई बार कोशिश की। वह दिलीप कुमार के साथ फिल्म करें। लेकिन दिलीप कुमार ने, इस पर कोई तवज्जो नहीं दी।

फिर सायरा बानो की सालगिरह का दिन आया। जिसमें दिलीप कुमार भी शामिल हुए। सायरा बानो की खूबसूरती देखते ही, 44 साल के दिलीप कुमार और 22 साल की सायरा बानो, एक-दूसरे को चाहने लगे।

उन्होंने अपनी आत्मकथा में लिखा कि मैं सायरा के साथ flird करके या कोई romance नहीं चला सकता। मैं इनसे शादी करूंगा। उन्होंने सायरा बानो को propose किया। सायरा बानो ने भी खुशी से हामी भर दी। 1966 में सायरा बानो और दिलीप कुमार की शादी हो गई। सायरा बानो और दिलीप कुमार का अच्छा जीवन चल रहा था। लेकिन उनकी कोई औलाद नहीं थी। जिस पर तमाम तरह की चर्चाएं होने लगी।

दिलीप कुमार के बेऔलाद होने की वजह

दिलीप कुमार और सायरा बानो बॉलीवुड की सबसे पुरानी जोड़ी में से एक थी। यह जोड़ी आज भी बेऔलाद क्यों है। इनके विवाह को लगभग 50 साल हो चुके थे। सायरा बानो दिलीप कुमार से 22 साल छोटी हैं। इनके पिता न बन पाने की असली वजह, बहुत कम लोगों को पता है। दिलीप कुमार ने इस बात का खुलासा, अपनी आत्मकथा The Substance and The Shadow में किया था।

इसमे दिलीप कुमार ने कहा था। ‘सच्चाई यह है कि 1972 में सायरा बानो पहली बार Pregnant हुई। 8 महीने की pregnancy में सायरा को ब्लड प्रेशर की शिकायत हुई। इस दौरान पूरी तरह से develop हो चुके,भ्रूण (embryo) को बचाने के लिए, सर्जरी करना संभव नहीं था।

आखिरकार, दम घुटने से बच्चे की मौत हो गई। उनके मुताबिक इस घटना के बाद, सायरा कभी Pregnant नहीं हो सकी। हालांकि उन्हें बाद में पता चला कि सायरा की कोख में बेटा था।

दिलीप कुमार की दूसरी शादी

दिलीप कुमार के चाहने वालों को, यह उम्मीद थी। वह बाकी जिंदगी सायरा बानो के साथ ईमानदारी से निभाएंगे। लेकिन दिल फेक दिलीप कुमार ने, एक और गलती की। जब वह हैदराबाद, क्रिकेट मैच देखने गए। तो उनकी मुलाकात आसमा रहमान से हुई। देखते ही देखते बात शादी तक पहुंच गई।

दिलीप कुमार ने सायरा बानो को तलाक दे दिया। फिर आसमा रहमान से निकाह कर लिया। यह रिश्ता भी बहुत दिनों तक नहीं चला। क्योंकि झूठ पर बने, रिश्ते बहुत दिनों नहीं चलते। दिलीप कुमार का दिया हुआ धोखा। उनके सामने आया। आसमा ने दिलीप कुमार के साथ बेवफाई की। दिलीप कुमार ने आसमा रहमान को छोड़ दिया। फिर वापस सायरा बानो के पास चले आए।

उन्होंने अपनी आत्मकथा में, एक बार फिर स्वीकार किया। आसमा रहमान से रिश्ता कायम करना। उनकी सबसे बड़ी भूल थी। उन्होंने यह भी स्वीकारा। मैं सारा बानो का बेहद शुक्रगुजार हूं। उन्होंने एक बार फिर से, उन्हें स्वीकार किया। इसी प्रकार जाने : South Super Star Mahesh Babu Biography in Hindi रील से रियल तक का सफर।

दिलीप कुमार की अन्य क्षेत्रों मे शोहरत

दिलीप कुमार को अंदाजा हो गया। वह सारी उम्र love legent बनकर नहीं रह सकते। उन्होंने फैसला किया कि अब वह फिल्मों में leading के अलावा और काम भी करेंगे। फिर उन्होंने production, script writing व direction इन सब चीजों में काम करना शुरू किया। जिसकी झलक फिल्म गंगा-जमुना में दिखाई पड़ती है। दिलीप कुमार के काम ने पूरे हिंदुस्तान की बदलती हुई, सामाजिक व  सियासी हालातों को बयां किया।

इसीलिए मेघना देसाई ने लिखा। जवाहरलाल नेहरू के ideal दिलीप कुमार थे। उन्होंने यह बात ऐसे ही नहीं कह दी थी। असल में दिलीप कुमार, पंडित नेहरू की सोच के मुरीद थे। वह जानते और मानते थे। हिंदुस्तान की तरक्की के लिए secularism और नेहरू का  socialism बहुत जरूरी है। इसीलिए जब उन्होंने फिल्म ‘लीडर’ बनाई। तो उन्होंने पंडित नेहरू के तमाम सोच को पर्दे पर दर्शाया।

दिलीप कुमार को पुरुस्कार व सम्मान

आखिरकार भारत सरकार ने दिलीप कुमार को माना। इस great artist को पहचाना। उन्हें 1994 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया। इसके साथ ही उन्हें 8 बार अलग-अलग फिल्मों के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्म फेयर अवार्ड भी दिया गया । यह फिल्में दाग (1954), आजाद (1956), देवदास (1957), नया दौर (1958), कोहिनूर (1961), लीडर (1965) राम और श्याम (1968) व शक्ति (1983) थी।

पाकिस्तान सरकार ने भी अपना सबसे बड़ा सम्मान ‘निशाने इम्तियाज’ से नवाजा। तब दिलीप कुमार ने इसे पाकिस्तान और हिंदुस्तान के बीच अच्छे रिश्तों की शुरुआत माना। इसके साथ ही, भारत सरकार ने दिलीप कुमार को राज्य सभा का सदस्य चुना।

दिलीप कुमार की म्र्त्यु

ट्रेजेडी किंग दिलीप कुमार 98 वर्ष की उम्र में 7 जुलाई 2021 को, इस दुनिया को अलविदा कह कर चले गए। वह काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। सांस लेने में दिक्कत होने पर, उनका इलाज हिंदूजा हॉस्पिटल, मुंबई में चल रहा था। इसी दिन सांताक्रुज के कब्रिस्तान में उन्हें सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया। अंतिम समय में उनके साथ सायरा बानो थी।

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