महामृत्युंजय मंत्र | Mahamrityunjay Jaap | महामृत्युंजय मंत्र जाप के फायदे

महामृत्युंजय मंत्र – जाप के फायदे, जाप कब करना चाहिए, 52 अक्षर का मंत्र, संपूर्ण मंत्र, जप के नियम, 108 बार जाप करने से क्या होता है? [ mahamrityunjay mantra, jaap, benefits, mantra full, mantra ke fayde ]

महामृत्युंजय मंत्र, एक महामंत्र है। इसके द्वारा हम भगवान शिव की आराधना करते हैं। इसे संजीवनी मंत्र भी कहा जाता है। यह अत्यंत प्रभावशाली मंत्र है। इसके ध्वनि के कंपन से जो ध्वनि के कंपन उत्पन्न होता है। उससे शरीर के चारों ओर दैविक शक्तियों का एक सुरक्षा कवच निर्मित होता है।

इस मंत्र के नियमित श्रवण व उच्चारण मात्र से महाविपत्तियां, अमंगल, दुर्घटना, दुर्भाग्य मानवमात्र से कोसों दूर रहती है। यह जीवन में सुख-शांति व समृद्धि लाता है। हम त्रिनेत्रधारी भगवान शिव की आराधना करते हैं। जो सुगंधी के कोष हैं। दो सभी का पोषण कर वृद्धि प्रदान करते हैं।

भगवान शिव से हमारी प्रार्थना है कि वह हमें अमृत्व के लिए, मृत्यु या मर्त्य लोग से मुक्त करें। जिस प्रकार एक परिपक्व ककड़ी, बिना कष्ट के अपने पेड़ से अलग हो जाती है। ठीक वैसे ही भगवान हमें मृत्यु और पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति दिलाए। हमें मोक्ष की ओर ले जाएं। यह महामंत्र मोक्ष प्राप्ति का अत्यंत प्रभावशाली मंत्र है। इसी प्रकार जाने : शिवलिंग क्या हैंशिवलिंग का रहस्य क्या हैं। औरतों को शिवलिंग छूना चाहिए या नही।

महामृत्युंजय मंत्र

महामृत्युंजय मंत्र

ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः 

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् 

उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ त्योर्मुक्षीय मामृतात् 

ॐ स्वः भुवः भूः ॐ सः जूं हौं ॐ

लघु मृत्युंजय मंत्र

ॐ जूं स माम् पालय पालय स: जूं ॐ

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Mahamrityunjay Mantra in English

Om hoom joom sah 

Om boorbhuvah swah

Om tryambakam yajamahe sugandhim pushti vardhanam

Urvarukamiv bandhanan mrityormukshiya maamritat

Om swah bhuwah bhuh 

Om sah joom hoom om

महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ

महामृत्युंजय मंत्र के शब्दों का अर्थ
शब्दशब्दों का अर्थ
त्र्यम्बकंतीन नेत्रों वाले
यजामहेजिनका हम हृदय से सम्मान करते व पूजते हैं।
सुगन्धिंजो एक मीठी सुगंध के समान है।
पुष्टिफलने फूलने वाली स्थिति
वर्धनम्जो पोषण करते हैं बढ़ने की शक्ति देते हैं
उर्वारुकमखरबूजा
इवइस तरह की
बन्धनातबंधनों से मुक्त करने वाले
मृत्यो:मृत्यु से
मुक्षीयहमें स्वतंत्र करें व मुक्ति प्रदान करें
मा
अमृतातअमरता या मोक्ष
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महामृत्युंजय मंत्र इन हिंदी

तीनों कालों में एक जैसा रहने वाला यानि भूत, वर्तमान व भविष्य तीनों में जो न बदले। ऐसा केवल ईश्वर ही हो सकता है। रूद्र अर्थात शत्रुओं को रुलाने वाला तथा शिव यानी सुख देने वाला। जो तीनों कालों में ज्ञान से परिपूर्ण है। उसकी हम सभी निरंतर स्तुति करते हैं। जो कि शुद्ध और सुगंधित है। जो हमें भी शुद्ध और सुगंधित करता है। जो हमारी आत्मा, बुद्धि और बल को बढ़ाता है।

जिस तरह से खरबूजा पूर्ण आयु के बाद पककर, अपनी लता से अलग हो जाता है। फिर वह अमृत्तुल्य मीठा हो जाता है। उसी प्रकार, मुझे भी आप पूर्ण आयु देकर, मृत्यु से अर्थात इस शरीर से अलग कीजिए। मुझे भी मोक्ष को प्राप्त करवाइए। अर्थात मैं अपनी पूर्ण आयु को पाऊं और फिर मोक्ष की प्राप्ति करूं। मैं मोक्ष के आनंद से वंचित न रहूं।

महामृत्युंजय मंत्र की उत्पत्ति

पुरातन काल में जिस तरह देवताओं के पास अमृत था। उसी प्रकार दानवों के पास, इस मंत्र की शक्ति थी। ऋषि शुक्राचार्य के द्वारा, जब इस मंत्र का उच्चारण किया जाता था। तो  दानव पुनः जीवित हो उठते थे। इस मंत्र को मृत संजीवनी भी कहा जाता है।

पौराणिक काल में शिव जी के अनन्य भक्त मृकण्ड ऋषि, संतानहीन होने के कारण दुखी  थे। विधाता ने उन्हें संतान योग नहीं दिया था। मृकण्ड ने सोचा कि भगवान भोलेनाथ सारे विधान बदल सकते हैं। इसलिए भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न कर, यह विधान बदलवाया जाए। ऋषि मृकण्ड ने भोलेनाथ की घोर तपस्या की।

भगवान शिव, मृकण्ड के तप का कारण जानते थे। इसलिए उन्होंने जल्दी दर्शन नहीं  दिए। लेकिन मृकण्ड की भक्ति के आगे, भोलेनाथ को झुकना पड़ा। भगवान शिव प्रसन्न होकर ऋषि मृकण्ड को दर्शन दिए। भगवान भोलेनाथ ने कहा, मैं विधि के विधान को बदलकर। तुम्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान देता हूं। लेकिन वरदान के हर्ष के साथ विषाद भी होगा।

ऋषि मृकण्ड को एक पुत्र हुआ। जिसका नाम उन्होंने मार्कण्डेय रखा। ज्योतिषियों ने बताया कि आपका पुत्र मार्कण्डेय अल्पायु है। वह केवल 12 वर्ष ही जीवित रहेगा। मृकण्ड ऋषि का हर्ष, विषाद में बदल गया। मार्कण्डेय जब बड़े होने लगे। तो पिता ने उन्हें शिव मंत्र की दीक्षा दी। एक दिन मार्कण्डेय की माता ने, उन्हें अल्पायु होने की बात बता दी।

तब मार्कण्डेय ने निश्चय किया कि वह माता-पिता के सुख के लिए, उसी सदाशिव भगवान से दीर्घायु होने का वरदान लेंगे। जिन्होंने उन्हें जीवन दिया। जब उनके 12 वर्ष पूरे होने को आए। तो मार्कण्डेय ने महामृत्युंजय महामंत्र की संरचना की। वे शिव मंदिर में बैठकर, इसका अखंड जाप करने लगे। समय पूरा होने पर, यमदूत मार्कण्डेय को लेने आए।

यमदूतों ने देखा कि बालक महाकाल की आराधना कर रहा है। तो उन्होंने थोड़ी देर प्रतीक्षा की। लेकिन यमदूतों को मार्कण्डेय को छूने का साहस नहीं हुआ। वह लौट गए। यह बात, उन्होंने यमराज को बताई। तब यमराज स्वयं मार्कण्डेय के पास पहुंचे। जब बालक मार्कण्डेय ने यमराज को देखा। तो जोर-जोर से महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने लगे। वह शिवलिंग से लिपट गए।

जब यमराज ने बालक मार्कण्डेय को शिवलिंग से खींचकर ले जाने की चेष्टा की। तभी जोरदार हुंकार से मंदिर कांपने लगा। तेज प्रकाश से, यमराज की आंखें चौंधियाँ गई। शिवलिंग से स्वयं भगवान महाकाल प्रकट हो गए। उन्होंने त्रिशूल से यमराज को सावधान किया। यमराज से कहा, तुमने मेरी साधना में लीन भक्त को, खींचने का साहस कैसे किया। यमराज महाकाल के प्रचंड रूप से कांपने लगे। यमराज ने कहा, महाराज मैं आपका सेवक हूं। आपने ही मुझे यह निष्ठुर कार्य सौंपा है।

तब भगवान का क्रोध शांत हुआ। उन्होंने कहा, मैं अपने भक्त की स्तुति से प्रसन्न हूं। मैंने इसे दीर्घायु होने का वरदान दिया। तुम इसे नहीं ले जा सकते। यमराज ने कहा, आपकी आज्ञा सर्वोपरि है। उन्होंने कहा, मैं आपके भक्त मार्कण्डेय द्वारा रचित महामृत्युंजय का पाठ करने वाले जीव को त्रास नहीं करूंगा। महाकाल की कृपा से मार्कण्डेय दीर्घायु हो गए। उनके द्वारा रचित महामृत्युंजय मंत्र काल को भी परास्त करता है। इसी प्रकार जाने : Bhagwan Shiv Ke 12 Jyotirling Ki Kathaउत्पत्ति कब और कैसे हुई।

महामृत्युंजय मंत्र का जाप कब करना चाहिए

महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से, अकाल मृत्यु तो टलती ही है। साथ ही आरोग्यता की भी प्राप्ति होती है। स्नान करते समय, शरीर पर जल डालते वक्त। इस मंत्र का जप करने से स्वास्थ्य लाभ होता है। दूध में निहारते हुए। यदि इस मंत्र का जप किया जाए। तत्पश्चात वह दूध पी लिया जाए। तो यौवन की सुरक्षा में भी सहायता मिलती है।

इस मंत्र का जप करने से बहुत सी बाधाएं भी दूर होती हैं। अतः इस मंत्र का यथासंभव जप करना चाहिए। शिवजी पर अभिषेक करते समय, महामृत्युंजय का जप करने से, जीवन में कभी सेहत की समस्या नहीं आती है। महामृत्युंजय मंत्र का जप, इन परिस्थितियों में करना चाहिए।

1. ज्योतिष के अनुसार यदि जन्म, मास, गोचर, दशा, अंतर्दशा व स्थूल दशा आदि में ग्रह पीड़ा होने का योग है। तो महामृत्युंजय मंत्र का जप कराया जाना चाहिए।

2. कोई किसी महारोग से पीड़ित हो। तो आपको महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए।

3. जमीन-जायदाद के बंटवारे की संभावना हो। तो भी आप महामृत्युंजय मंत्र का जाप कर सकते हैं।

4. महामारी होने की दशा में, आप महामृत्युंजय मंत्र का जप कर सकते हैं।

5. राज्य संपदा के जाने की संभावना हो। तो भी महामंत्र का जप करवा सकते हैं।

6. धनहानि हो रही हो। तो भी आप महामृत्युंजय मंत्र का जप कर सकते हैं।

7. मनुष्य में घोर क्लेश हो रहा हो। तो इसका जप कर सकते हैं।

महामृत्युंजय मंत्र के जप में सावधानियां

महामृत्युंजय मंत्र का जप करना परम् फलदाई होता है। लेकिन इस मंत्र के जप में, कुछ सावधानियां भी बरतनी चाहिए। ताकि उसका संपूर्ण लाभ प्राप्त हो सके। किसी भी प्रकार के अनिष्ट की संभावना न हो।

1. मंत्र का जप उच्चारण की शुद्धता से करें। 

2. मंत्रों का जप एक निश्चित संख्या में करें। पूर्व दिवस में जपे गए मंत्रों से, आगामी दिनों में कम मंत्रों का जप न करें। यदि चाहे तो अधिक जप कर सकते हैं।

3. मंत्र का उच्चारण होठों से बाहर नहीं आना चाहिए। यदि अभ्यास न हो, तो धीमे स्वर में जप करें।

4. जप करते समय धूप व दीप जलते रहना चाहिए।

5. जप को रुद्राक्ष की माला से ही करें।

6. जप करते समय शिव जी की प्रतिमा तस्वीर शिवलिंग या महामृत्युंजय मंत्र पास में रखना अनिवार्य होता है।

7. महामृत्युंजय के सभी जप कुशा के आसन में बैठकर ही करें।

8. महामृत्युंजय जप के सभी प्रयोग पूर्व दिशा की ओर मुख करके ही करें।

9. जप करते समय आलस्य या उबासी न आने दें।

10. जप काल में मांसाहार को पूरी तरह से त्याग दें।

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महामृत्युंजय मंत्र जाप के फायदे

शास्त्रों के अनुसार, शिव पुराण में बताया गया है। कि जो भी व्यक्ति महामृत्युंजय मंत्र का जप नियमित करता है। उसके प्राण हरने से पहले, यमराज को भी एक बार फिर से सोचना पड़ता है। महामृत्युंजय का मतलब मृत्यु पर विजय का मंत्र है। महादेव देवों के देव के नाम से जाने जाते हैं।

वह भक्तों की पुकार जल्द सुनकर, उनके दुख-दर्द दूर करते हैं। भगवान शिव अपने भक्तों पर जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए, किसी भी मनुष्य को बहुत ज्यादा कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता। शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से, सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। 

इसमें भगवान शिव के महामृत्युंजय रूप से लंबी आयु की प्रार्थना की जाती है। शास्त्रों और पुराणों में, असाध्य रोगों से मुक्ति और अकाल मृत्यु से बचने के लिए। आप इसका जप कर सकते हैं। महामृत्युंजय मंत्र एक अमोघ मंत्र है। जिसका शास्त्रों में भी विशेष उल्लेख मिलता है। महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव को खुश करने का महामंत्र माना जाता है।

इस मंत्र से निश्चित रूप से मृत्यु पर विजय प्राप्त की जा सकती है। यह मंत्र बड़े से बड़े संकट व विघ्न को टाल देता है। महामृत्युंजय मंत्र का जप करने के लिए, सबसे अच्छा दिन सोमवार या प्रदोष तिथि मानी जाती है। इस मंत्र के द्वारा आप स्वास्थ्य, सुख, समृद्धि, शांति व मोक्ष सब कुछ प्राप्त कर सकते हैं।

यह मंत्र अपने आप में, हर दुविधा को समाप्त करने में पर्याप्त है। आपके हर संकट को मिटाने के लिए पर्याप्त है। इस महामृत्युंजय मंत्र की इतनी महिमा है कि आप जिस-जिस उद्देश्य के लिए, इसको करते हैं। उन सभी से आपको छुटकारा मिलता है।

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