Durlabh Kashyap – kaun tha, story, age, death, history in hindi, gf, cases [ दुर्लभ कश्यप कौन था, कहानी, मृत्यु कैसे हुई, हत्याकांड ]
Durlabh Kashyap Biography
दुर्लभ कश्यप की कहानी
यह कहानी है, एक 20 साल के गैंगस्टर की। जिसकी आंखों में काजल, माथे पर तिलक, कंधे के ऊपर काला गमछा रहता था। उसके कभी लंबे बाल, तो कभी छोटे बाल हुआ करते थे। उसके हाथों में हमेशा चिलम का सामान रहता था। जिसे देखकर, एक बार तो ऐसा लगता था। जैसे किसी छोटे बच्चे ने संयास ले लिया हो।
वह भोलेनाथ का परम भक्त था। जो हर काम करने से पहले, महाकाल की पूजा किया करता था। वह देखने में जितना मासूम था। उसके इरादे उतने ही खतरनाक थे। पूरे मध्यप्रदेश में, हर जगह उसकी खबरों की ही सुर्खियां रहती थी। वह भी किसी अच्छे काम के लिए नहीं, बल्कि उसके द्वारा की गई। हत्या, चोरी, डकैती, अपहरण इन कामों के लिए उसे जाना जाता था।
उसने महज 2 साल में, जुर्म की दुनिया में, वह नाम मुकाम हासिल किया। जो आज तक कोई नहीं हासिल कर सका। जब आमतौर पर 16 साल के बच्चे, अपने जीवन को नई दिशा दे रहे होते हैं। तब इस शख्स ने, अपनी जिंदगी का रास्ता गलत दिशा में दे दिया। यह एक ऐसा अपराधी था। जिसने सोशल मीडिया को ही अपने विज्ञापन का जरिया बना दिया।
वह अपने फेसबुक पेज पर, अपने बायोडाटा में खुले तौर पर लिखता था। कि एक कुख्यात बदमाश, हत्यारा व पेशेवर अपराधी है। उसके यहाँ किसी भी प्रकार के मामले। जिनमें हत्या, रंगदारी व हर तरीके के विवादों को निपटा जाता है। यह कोई और नहीं बल्कि दुर्लभ कश्यप था। जिसकी 2020 में सरेआम हत्या कर दी गई। इसी प्रकार जाने : Sukesh Chandrashekhar – The Greatest Indian Thag Biography in Hindi। देश के सबसे बड़े ठग पूरी कहानी।
Durlabh Kashyap – An Introduction
दुर्लभ कश्यप एक कुख्यात गैंगस्टर | |
नाम (Name) | दुर्लभ कश्यप |
उपनाम (Nick Name) | कोहिनूर |
जन्म-तिथि (Birth Date) | 8 नवंबर 2000 |
जन्म-स्थान (Birth Place) | अब्दालपुरा, जीवाजीगंज उज्जैन, मध्य प्रदेश |
पिता (Father) | मनोज कश्यप(बिजनेसमैन) |
माता (Mother) | पदमा (क्षीरसागर स्कूल, उज्जैन में शिक्षिका) |
जाति (Caste) | ब्राह्मण |
स्कूल (School) | राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालयलोकमान्य तिलक हायर सेकेंडरी स्कूल, उज्जैन |
व्यवसाय (Profession) | • गैंगस्टर • हत्यारा • कुख्यात अपराधी |
शारीरिक मापदंड (Physical Appearance) | • लंबाई 5 फुट 10 इंच • वजन 59 किलोग्राम • आंखों का रंग – भूरा • बालों का रंग – काला |
प्रेमिका (Girl Friend) | शिवांगी |
शौक (Hobbies) | बिल्ली पालना |
दुर्लभ पर फिल्म (Movie) | “लायन ऑफ उज्जैन” |
मुख्य किरदार (Lead Role) | जय रंधावा (पंजाबी अभिनेता) |
हत्या (Death Date) | 7 सितंबर 2020 |
हत्या का स्थान (Murder Place) | उज्जैन, मध्य प्रदेश |
हत्या के समय उम्र (Age when Murdered) | 20 वर्ष |
हत्या का कारण (Murder Reason) | आपसी रंजिश |
दुर्लभ कश्यप कौन था
Durlabh Kashyap kaun tha
दुर्लभ कश्यप का जन्म 8 नवंबर 2000 को उज्जैन में जीवाजीगंज के अब्दालपुरा में हुआ था। वह पिता मनोज कश्यप तथा माता पदमा का इकलौता पुत्र था। दुर्लभ की मां उज्जैन के क्षीरसागर स्कूल में शिक्षिका थी। इनके पिता मुंबई में नौकरी करने के बाद, इंदौर में शिफ्ट हुए। दुर्लभ का कुछ समय इंदौर में भी बीता।
इनका एक संभ्रांत व सम्पन्न परिवार था। मनोज कश्यप ने बाद में, अपना व्यवसाय शुरू किया। तब से ही इनका परिवार उज्जैन में रहने लगा। दुर्लभ के मां बाप ने, अपने बेटे का नाम दुर्लभ भी इसलिये रखा। ताकि वह बड़ा होकर, कुछ अलग और अच्छा करेगा। उनकी उम्मीद थी। कि वह सबसे हटकर, कुछ बड़ा काम करेगा। जिससे उनका नाम रोशन हो।
दुर्लभ के माता-पिता कुछ निजी समस्याओं के कारण, एक दूसरे से अलग रहते थे। दुर्लभ भी कभी अपनी मां के साथ, तो कभी अपने पिता के साथ रहता था। माता-पिता दोनों ही, उसे अपनी जान से ज्यादा प्यार करते थे। इसके घर-परिवार में किसी भी चीज की कमी नहीं थी। इसी प्रकार जाने : सबसे बड़ा Scammer Harshad Mehta- The Big Bull Biography in Hindi।
दुर्लभ कश्यप का शैक्षिक जीवन
Durlabh Kashyap Educational life
माता-पिता दोनों को उम्मीद थी। कि वह एक दिन कुछ अच्छा करेगा। इसी के चलते, उन्होंने उसका दाखिला लोकमान्य तिलक हायर सेकेंडरी स्कूल में करवा दिया। लेकिन स्कूल में ही उसके रंग दिखने शुरू हो गए। थोड़ा ही दिनों के बाद, जब भी स्कूल के सीनियर और जूनियर के बीच लड़ाई होती। तो वह उस लड़ाई में कूद पड़ता।
समय के बीतने के साथ ही, उसका दबदबा इतना बढ़ता गया। कि वह इन लड़ाईयों का निपटारा भी करने लगा। फिर देखते ही देखते स्कूल में, उसकी एक दबंग छात्र की छवि बन गई। इसके बाद जो भी लड़ाई झगड़ा होता है। लोग निपटारा करने के लिए, दुर्लभ कश्यप के पास आते।
स्कूल के इस माहौल ने उसके दिमाग पर असर किया। वह 16 साल की उम्र में ही जुर्म के रास्ते पर चल पड़ा। 2017 के आते-आते, उसने स्कूल के दोस्तों के साथ, गैंग बना लिया। फिर यह मारपीट, उगाही, कार के शीशे तोड़कर कार को लूटना। यह सारी चीजें करने लगा। धीरे-धीरे उसका गैंग बढ़ता गया।
दुर्लभ कश्यप का पहला गुनाह
Durlabh Kashyap First crime
यह बात उस समय की है। जब दुर्लभ महज 16 साल का था। उसने पहली बार, एक ऐसा गुनाह किया। जिसे कानून की नजरों में गलत कहा जाता है। उसका गुनाह था कि उसने अपनी दबंगई का प्रचार, सोशल मीडिया पर किया। उसने अपने फेसबुक एकाउंट के about section पर लिखा था। कि “मैं एक कुख्यात बदमाश हूँ। एक हत्यारा हूं। किसी भी तरह का विवाद निपटाने के लिए, संपर्क करें। मैं हर तरह का विवाद निपटा दूंगा।”
यही से उसके जीवन का, वह दौर शुरू हुआ। जो उसे क्राइम के रास्ते पर ले गया। दरअसल, दुर्लभ कश्यप को उस समय नहीं पता था। कि वह क्या कर रहा है। इसका अंजाम क्या होने वाला है। धीरे-धीरे उसकी इस post का reaction भी देखने को मिलने लगा। अब उसकी गैंग विस्तार लेने लगी। जिसका सरगना दुर्लभ कश्यप बन गया।
वह ऐसे लोगों को ही गैंग में शामिल करता। जो अपने इलाके का डॉन होता था। जो अपने इलाके का गैंगस्टर होता था। इस तरह उसके संपर्क में 4000 लड़के आ गए। धीरे-धीरे भारत के हर कोने से, युवा इसे पसंद करने लगे। दुर्लभ कश्यप गैंग का सरगना तो था। लेकिन उसे कोई और ही चला रहा था।
दुर्लभ उस समय नाबालिक था। लेकिन उसे बदमाशी की दुनिया में, धकेलने का काम गुरुचरण और मुकेश जैसे कुख्यात अपराधियों ने किया। दुर्लभ कश्यप फेसबुक पर ऐसी पोस्ट डालकर, लोगों को प्रभावित किया करता था। इसी प्रकार जाने : Kailash Satyarthi ऐसे समाजसेवी, जो लाखों बच्चों मे एक उम्मीद की किरण है।
दुर्लभ कश्यप गैंग का ड्रेस कोड
Durlabh Kashyap Gang Dress Code
दुर्लभ कश्यप के गैंग का एक ड्रेस कोड भी था। जिसे खुद दुर्लभ कश्यप अपनाता था। यही उसके गैंग के सभी सदस्य भी, अपनाने लगे थे। माथे पर लाल टीका आंखों में सुरमा, कंधे पर काला गमछा, बड़े-बड़े बाल। तो कभी छोटे-छोटे बाल, बढ़ी हुई दाढ़ी। इसे देखकर युवा उसके मुरीद हो जाते थे।
दुर्लभ के गैंग में ज्यादातर सदस्य नाबालिग थे। दुर्लभ कश्यप के गैंग के सभी सदस्य, उसी की तरह माथे पर तिलक और आंखों में काजल लगाते थे। कंधे पर उसी की तरह काला कपड़ा भी डालते थे। कम उम्र के लड़कों के बीच दुर्लभ काफी पॉपुलर हो गया था।
इस गैंग की जो पहचान बनी। वह भी उसका ड्रेस कोड ही था। उसकी गैंग में जो भी जुड़ता है। उसके लिए यह ड्रेस कोड जरूरी था। फिर पूरे गैंग के साथ, जब फोटोशूट होता। तो इस फोटोशूट को भी सोशल मीडिया पर डाला जाता। यह दुर्लभ कश्यप गैंग है। बहुत सारे भटके हुए युवा, दुर्लभ कश्यप गैंग से जुड़ना शुरू हो गए। साथ इनके क्राइम भी बढ़ते चले गए।
दुर्लभ कश्यप की पहली गिरफ्तारी
Durlabh Kashyap First Arrest
उज्जैन पुलिस को जब दुर्लभ कश्यप के फेसबुक अकाउंट की जानकारी लगी। तब 27 अक्टूबर 2018 को दुर्लभ और उसके गैंग के 23 लड़कों को गिरफ्तार कर लिया गया। क्योंकि उस वक्त दुर्लभ नाबालिक था। उसके बालिक होने में महज 12 दिन ही शेष थे। इसलिए उसे बाल सुधार गृह में भेज दिया गया। इसके बाद, वह 8 नवंबर को बालिक हो गया।
तब दुर्लभ कश्यप को बड़ो की जेल में भेज दिया गया। लेकिन जेल जाने के बाद भी, उसका गैंग काम करता रहा। इस गैंग का एक वसूल यह भी था। कि अपराध करते समय, कोई भी सदस्य किसी भी तरह का नशा नहीं करेगा। इस दौरान दुर्लभ कश्यप ने बहुत सारे दुश्मन पाल लिए थे।
उज्जैन के एसपी सचिन अतुलकर ने, उसे गिरफ्तार किया था। फिर एक दिन सचिन अतुलकर जेल के दौरे पर आए। तब वह जानते थे कि इसे बेल तो मिल जाएगी। लेकिन यह जानबूझकर बाहर नही आना चाहता है। तब उन्होंने दुर्लभ से कहा था। कि
“तूने कम उम्र में, ज्यादा दुश्मनी पाल ली है। तू जब तक जेल में है। तब तक जिंदा है। बाहर निकलेगा, तो कोई भी तुझे मार देगा। बाद में, सचिन अतुलकर की यह भविष्यवाणी सत्य साबित हुई। उसकी पहली गिरफ्तारी तक उसे मलाल था कि वह क्या कर रहा है। वह यह सब नहीं करना चाहता था। वह गिरफ्तारी के बाद, सुधर भी गया था। इसी प्रकार जाने : Motivational Biography of Arunima Sinha। जिन्होने बिना पैरो के दुनियाँ फतेह की।
दुर्लभ कश्यप की रिहाई
Durlabh Kashyap Released from Jail
मार्च 2020 में देशभर में, कारोना का कहर टूट पड़ा। इस दौरान पूरे देश में जेलों में कैदियों की संख्या अधिक थी। तब जेल प्रशासन ने तय किया। कि जिन लोगों के जुर्म कम है। या फिर जो बेल के हकदार हैं। जिनका संगीन जुर्म नहीं है। उनको जमानत पर रिहा कर दिया जाए। कोरोना के खत्म होने पर, उन्हें वापस लाया जाएगा। इसी में, दुर्लभ कश्यप की भी बारी आ गई। उसे भी इस कोरोना के तहत छोड़ दिया गया।
दुर्लभ जेल से बाहर आने के बाद, कुछ दिन इंदौर में रहता है। फिर अपनी मां के पास उज्जैन पहुंच जाता है। लेकिन उज्जैन में पहुँचने के बाद, जैसे ही वह उन दोस्तों के बीच आता है। जो उसे अपराध करने के, नए-नए तौर-तरीके सिखा रहे थे। तो वह फिर से उसी बदमाशी के रास्ते पर चल पड़ा। जिस दलदल से निकल पाना, कठिन होता है।
जैसे हम जब कोई पौधा लगाते हैं। फिर जैसे-जैसे पौधा बड़ा होता है। तब हम उसे जिस दिशा की तरफ मोड़ देते हैं। वह बड़ा होने के बाद, उसी दिशा में बढ़ने लगता है। दुर्लभ कश्यप के साथ भी, कुछ ऐसा ही हुआ। उसके मिलने वाले कुख्यात बदमाश व उसके गैंग के सदस्य। उसे ऐसी दुनिया में ले गए। जहां से वापस आ पाना बहुत ही ज्यादा मुश्किल होता है।
दुर्लभ कश्यप हत्याकांड
Durlabh Kashyap Story
6 सितंबर 2020 का दिन था। जब दुर्लभ अपनी टीचर मां के साथ घर में था। उसकी मां ने, उस दिन दाल बाटी बनाई थी। वह दाल बाटी खाता है। तभी उसके कुछ दोस्तों उसे नीचे से आवाज़ देते हैं। फिर वह अपनी मां से यह कहकर बाहर निकलता है। कि वह बाहर से एक चक्कर काटकर आता हूं।
वह अपने दोस्तों के साथ, थोड़ी दूर एक चाय की दुकान पर पहुंचते है। चाय की दुकान पर, दुर्लभ और उसके 4 साथी रात को 1:30 बजे चाय पीते हैं। तभी उसका एक दुश्मन चाय की दुकान पर टकरा जाता है। जो बात सचिन अतुल ने उसे जेल में कही थी। कि बाहर जाओगे, तो ठोक दिए जाओगे। 6 सितंबर 2020 शायद वही दिन था।
यह लोग चाय पी रहे होते हैं। तभी शाहनवाज नाम का एक और बदमाश, अपनी पूरी गैंग के साथ पहुंचता है। उसके साथ दुर्लभ की रंजिश थी। कई मौकों पर, वह क्राइम के दौरान, एक-दूसरे के आमने सामने आ गए थे। इसी दौरान शहनवाज और दुर्लभ कश्यप में कहासुनी होने लगती है। तभी शाहनवाज गैंग के लोग, दुर्लभ पर हमला कर देते हैं। तभी दुर्लभ भी पिस्टल निकालकर, शाहनवाज पर गोली चला देता है।
इत्तेफाक से गोली शाहनवाज के कंधे पर लगती है। वह बच जाता है। इसके बाद, शहनवाज के बाकी साथी, दुर्लभ पर टूट पड़ते हैं। दुर्लभ के बाकी साथी, किसी तरह से जान बचाकर, वहां से भाग जाते हैं। तब दुर्लभ कश्यप वहाँ अकेला फंस जाता है। इसी प्रकार जाने : Indian James Bond NSA Ajit Doval Biography जिससे पूरे विश्व की Army भी काँपती है।
दुर्लभ कश्यप की मौत
Durlabh Kashyap Death
शाहनवाज गैंग के लोग दुर्लभ कश्यप पर टूट पड़ते हैं। 34 बार चाकुओं के वार, दुर्लभ पर किए जाते हैं। वह लोग जिस दुकान पर बैठकर, चाय पी रहे थे। वह आखिर में, शाहनवाज गैंग से कहता है। इसे जिंदा मत छोड़ना, वरना मुसीबत हो जाएगी। इसे मार डालो। इसी के बाद, 34 बार चाकुओं से उसके ऊपर वार होते हैं। दुर्लभ कश्यप की वहीं पर मौत हो जाती है।
शाहनवाज गैंग वहाँ से भाग जाता है। फिर पुलिस को खबर दी जाती है। इसके साथ ही चाय वाले के बयान दर्ज होते हैं। फिर पुलिस दोनों तरफ के, कुछ लोगों को गिरफ्तार करती है। इन सब के ऊपर हत्या की धाराएं लगती हैं। सबको जेल भेज दिया जाता है। दुर्लभ कश्यप की मौत के 7 महीने बाद, इस सदमे से उसकी टीचर मां की भी मौत हो जाती है।
पकड़े गए कातिलों में, एक शख्स जेल की छत से कूदकर, खुदकुशी कर लेता है। बाकी अभी जेल में हैं। उन पर अभी मुकदमा चल रहा है। दूसरे दिन जब उसकी मौत की खबर सुर्खियां बनी। तो लोगों को अजीब सी बात यह लग रही थी। कि एक लड़का, जो 16 साल की उम्र में जुर्म की दुनिया में आया। वह अभी ठीक से बड़ा भी नहीं हुआ था। 18 साल की उम्र में जेल गया।
वह 20 साल की जिंदगी जी भी नहीं पाया। ऐसी जिंदगी का वह खुद गुनहगार था। क्योंकि उसके सपने एक बड़ा डॉन बनने के थे। जिसके लिए, उसने यह रास्ता चुना था।
दुर्लभ कश्यप के पिता की मार्मिक अपील
दुर्लभ के पिता मनोज कश्यप चाहते हैं। कि जिस राह पर उनका बेटा गया। कोई और युवा अपराध के उस रास्ते को न चुने। मनोज कश्यप के भावुकता भरे शब्द-
“जितने भी मां-बाप हैं। जिन लोगों को मेरी बात समझ में आ रही है। अगर उनके बच्चे कहीं, किसी बात को समझने को या मानने को, उनसे तैयार नहीं है। तो मैं उन बच्चों के साथ discuss करने को तैयार हूं। उनको उनके भविष्य के बारे में, पूरा सत्य बताने को तैयार हूं। यह मेरा दावा है कि मैं उनके बच्चों को वापस सही राह पर ला सकूं। इसके लिए मुझे जो कुछ भी करना पड़ेगा। वह मैं करूंगा। मुझे इसमें कोई दिक्कत नहीं है। समाज में अगर एक मैसेज जाता है। कुछ लोग सुधर सकते हैं। हम उन्हें सुधार ले। यह हमारी एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।”
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