शिवलिंग पर क्या चढ़ाना चाहिए | शिवलिंग पर क्या नही चढ़ाना चाहिए [ सम्पूर्ण जानकारी ]

शिवलिंग पर क्या चढ़ाना चाहिए। शिवलिंग पर कितने बेलपत्र चढ़ाने चाहिए। शाम को शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए या नहीं। शिवलिंग पर चावल चढ़ाने के फायदे। शनिवार को शिवलिंग पर क्या चढ़ाना चाहिए। शिवलिंग पर हल्दी चढ़ाना चाहिए। शिवलिंग पर गुड़ चढ़ाने के फायदे। शिवलिंग पर दूध चढ़ाने के फायदे। शिवलिंग पर क्या नहीं चढ़ाना चाहिए।

   महादेव की छत्रछाया और कृपा मात्र भी, किसी भक्त पर हो जाए। तो उसे परेशानी तो क्या, स्वयं मृत्यु तक भी भयभीत नहीं कर पाती। महादेव अतिशीघ्र प्रसन्न होते है। बस हम ही उन पर कितना भरोसा, आस्था व सच्चे मन से उनकी पूजा अर्चना करते है।

       ईश्वर हमसे लगातार संपर्क करता है। वह हर वक्त हमारे चारों ओर मौजूद होता है। लेकिन फिर भी इतनी विशाल मौजूदगी के बाद भी, हमें उसका अनुभव नहीं हो पाता। बहुत पूजा-पाठ करने के बाद भी, कई बार भक्तों को ईश्वर की मौजूदगी का पता नहीं चल पाता। तब प्रभु के दर्शन न होने से, भक्त निराश होने लगते हैं।

       इसका सबसे बड़ा कारण है कि हमें कुछ ऐसी सूक्ष्म बातों का, कुछ ऐसे संकेतों का बोध ही नहीं होता। जो ईश्वर के संकेत होते हैं। इन संकेतों को न समझने के कारण हमारे तार, हमारा संपर्क ईश्वर की ऊर्जा से नहीं हो पाता है।

       इसी क्रम में हमें ये भी समझना होगा कि हमारे द्वारा की गई पूजा अर्चना का फल कब प्राप्त होगा। क्या हमारे द्वारा की गई पूजा ईश्वर को स्वीकार हुई भी या नही। शिवलिंग पर क्या व कैसे अर्पित करें। ताकि भगवान भोलेनाथ को शीघ्र अतिशीघ्र प्रसन्न किया जा सकें।

शिवलिंग पर क्या चढ़ाना चाहिए

शिवलिंग पर क्या चढ़ाना चाहिए

  कहीं पर कोई भी शिवलिंग हो, चाहे वह खंडित ही क्यों न हो। आप उसका पूजन कर सकते हैं। शिवलिंग हमेशा पूज्य माना जाता है। चाहे वह जैसी भी स्थिति में क्यों न हो। हम सदैव अपनी बात को महादेव तक पहुंचाने का प्रयत्न करते हैं। हम सालों-सालों तक मंदिर जाते हैं। पूजा-अर्चना करते हैं।

       ताकि भगवान हमारी मनोकामना को सुने और उसे पूरा करें। लेकिन अनेक सालों बाद भी, हमारी मनोकामना पूरी नहीं होती। वहीं कुछ लोगों की प्रार्थना भगवान तुरंत सुन लेते हैं। ऐसा क्यों होता है। आपने यह भी महसूस किया होगा कि हमारी कुछ न कुछ गलती तो अवश्य होगी। जिसके कारण महादेव, हमारे मन की बात को नहीं सुन रहे।

      इसका तरीका यह है कि आप सदैव महादेव के संपर्क में रहें। लेकिन प्रश्न आता है कि महादेव से संपर्क में रहना, कैसे मुमकिन है। लेकिन यह मुमकिन है। इसके लिए आपको मंदिर भी जाने की आवश्यकता नहीं है। ‘नाम जप’ इसका अत्यंत सरल तरीका है। महादेव का नाम लेने के लिए, कोई भी नियम नहीं है। खुद महादेव नियमों से परे हैं।

      हमारे शास्त्रों में भी कहा है कि आप उठते-बैठते, खाते-पीते, सोते-जागते या फिर किसी भी रोजमर्रा का काम करते वक्त। महादेव का नाम ले सकते हैं। यानी कि ‘नाम जप’ कर सकते हैं। ‘नाम जप’ के लिए कोई भी बंधन नहीं है। लेकिन मंत्रोच्चारण के लिए बंधन है।

      यदि आप सदैव महादेव का ‘नाम जप’ करेंगे। तो आप हमेशा महादेव के संपर्क में रहेंगे। वह आपकी हर बात, हर मनोकामना को सही समय आने पर अवश्य पूर्ण करेंगे। वही अलग-अलग मनोकामना को पूर्ण करने के लिए, अलग-अलग विधान का वर्णन मिलता है। इसे भी आपको जानना आवश्यक है।

शिवलिंग पर कितने बेलपत्र चढ़ाने चाहिए

   भगवान शंकर के शिवलिंग पर, जब भी आप बिल्वपत्र अर्पण करें। तो शास्त्र विधि के अनुकूल चढ़ाना चाहिए। अज्ञानता वश कोई कार्य मत कीजिए। अनजाने में जो हो जाए, तो उसका दोष नहीं लगता। लेकिन अगर हमें पता है, उसके बाद भी हम कुछ गलत करते हैं। तो हम दोष के भागी होते हैं। 

        भगवान शंकर को संसार में, अगर कुछ भी प्रिय है  तो वह बिल्वपत्र ही है। अगर आप हजारों-हजारों पुष्प भगवान शंकर पर चढ़ाएं। उसकी जगह अगर आप एक बिल्वपत्र चढ़ाएंगे। तो भगवान शंकर को अत्यधिक प्रसन्नता होती है। एक बिल्वपत्र सैकड़ों फल प्रदान करने वाला होता है। एक बिल्वपत्र चढ़ाने से, आपको करोडों कन्यादान का फल प्राप्त होता है।

        एक बिल्वपत्र में 3 पत्ते होते हैं। ऐसा वर्णन मिलता है कि यह तीन पत्ते भगवान शंकर जी की आंखें मानी जाती है। इसे ऐसे भी समझा जा सकता है कि एक पत्र ब्रह्मा, दूसरा विष्णु और तीसरे महेश है। इसी प्रकार तीन पत्रों में माता लक्ष्मी, मां सरस्वती और मां गौरा जी का वास होता है। 

      इसी तरह से इन 3 पत्रों में आदि भौतिक, आदि दैविक और अध्यात्मिक इन तीनों तापों को शमन करने की शक्ति होती है। इससे समस्त पाप-ताप जलकर भस्म हो जाते हैं। बिल्वपत्र सदैव विषम संख्या में ही  चढ़ाने चाहिए। जैसे कि 108, 51, 21, 11, 7, 5 या 3 आदि संख्या में ही चढ़ाना चाहिए।

       बिल्वपत्र चढ़ाते समय ध्यान रखना चाहिए कि यह खंडित न हो। कम से कम आखरी बिल्वपत्र में, ऊपर के पत्ते पर ॐ तथा नीचे एक में नमः व दूसरे में शिवाय लिखकर चढ़ाएं। यह मंत्र चंदन से लिखना चाहिए। जब आप भगवान शिव पर बिल्वपत्र अर्पित करें। तो आपकी अनामिका, मध्यमा और अंगुष्ठा द्वारा ही पकड़कर चढ़ाएं। इसे मृगमुद्रा कहा गया है। बिल्वपत्र का सीधा भाग यानी चिकना भाग शिवलिंग की पीठ पर होना चाहिए।

 अगर आपको रोज शिवलिंग पर बिल्वपत्र चढ़ाने के लिए नहीं मिले या बिल्वपत्र अभाव हो। तो बिल्वपत्र को पुनः धोकर, भगवान शंकर पर चढ़ाया जा सकता। 1 महीने से 6 महीने तक बिल्वपत्र को बासी नहीं माना जाता। इस बिल्वपत्र की अपार महिमा है।

शाम को शिवलिंग पर जल चढ़ाना चाहिए या नहीं

    कभी-कभी ऐसा सुनने को मिलता है कि सूर्यास्त के बाद शिवलिंग पर जल नहीं चढ़ाना चाहिए। इस शंका का समाधान शास्त्रों के प्रमाण में मिलता है। ‘लिङ्ग पुराण’ में, इस विषय पर एक श्लोक मिलता है। जो इस प्रकार है-

य: प्रातः देवदेवेशंशिवं लिगस्वपिणम्।

पश्येत्सयाति सर्वस्मादधिकां गतिमेव च।।

मध्यान्हे च महादेवंदृष्ट्वायज्ञफलं लभेत्।

सायान्हे सर्वयज्ञानां फलं प्राप्य विमुच्यते।।

       ‘लिङ्ग पुराण’ के इस श्लोक में लिखा गया है। कि भगवान महादेव की उपासना तीनों कालों में, प्रत्येक भक्तों को करनी चाहिए। इसमें स्पष्ट कहा गया है। कि प्रातः काल भगवान शिव की पूजा करने से, आपको मोक्ष व सद्गति की प्राप्ति हो जाती है। आपके मन की सभी मनोकामनाएं परिपूर्ण हो जाती है।

       मध्यान्ह काल अर्थात दिन के समय, अगर आप भगवान महादेव की पूजा करते हैं। तो आपको यज्ञो का फल प्राप्त हो जाता है। वही संध्याकाल के समय, यदि आप भगवान महादेव के शिवलिंग की आराधना करते हैं। उसमें जल अर्पण करते हैं। तो आपको समस्त यज्ञो का फल प्राप्त होता है। तीनों कालों में सबसे अद्भुत महिमा संध्याकाल की बताई गई है। इसलिए भगवान महादेव की पूजा का जो सर्वोत्तम  काल होता है। 

      वह प्रदोष काल होता है। इसलिए प्रदोष काल अर्थात संध्या काल के समय, भगवान महादेव की उपासना। अपने आप में, अनन्य फल देने वाली होती है। यह बेला, ऐसी होती है। जिसमें भगवान शंकर अपने भक्तों को अमिट रूप से फल प्रदान करते हैं। इतना ही नहीं लिंग पुराण के उत्तर भाग के 23 में अध्याय में भी, स्पष्ट प्रमाण देखने को मिलता है। आप संध्याकाल के समय भी शिवलिंग की पूजा कर सकते हैं।

अथते सम्प्रवक्ष्यामि शिवार्चनमनुत्तमम्।

त्रिसन्ध्यमर्चये दीशमग्निकार्यं च शक्ति:।।

       इस श्लोक में संपूर्ण रुप से स्पष्ट हो गया है। कि आप तीनों कालों में शिवलिंग पर जल अर्पण कर सकते हैं। क्योंकि भगवान शिव को, जलधारा अत्यंत प्रिय है। उनकी जटाओं से नित्य मां गंगा मैया प्रवाहित हो रही है।

शिवलिंग पर दूध चढ़ाने के फायदे

 भगवान शिव को सबसे प्रिय श्रावण मास होता है। इस समय सम्पूर्ण पृथ्वी शिवमय हो जाती है। शिव अभिषेक में दूध का प्रमुख स्थान होता है। शिवलिंग पर दूध से अभिषेक करने पर, सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। पौराणिक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष के पान करने से, शिव का शरीर जलने लगा।

      ऐसे में सभी देवी-देवता अनेक उपाय करने लगे। उसी समय शिवजी को दूध अर्पित किया गया। जिससे उनकी पीड़ा व जलन शांत हुई। तभी से शिव को दूध अर्पित करने की परंपरा प्रारंभ हुई। शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से, आपका चंद्रमा मजबूत होता है। अगर आपके घर में, हर समय कोई न कोई व्यक्ति बीमार रहता है। तो शिव को दूध अर्पित करना चाहिए।

     इससे सभी परिवारजनों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है। सभी बीमारियां दूर होती हैं। शिवजी को जल्द प्रसन्न करने के लिए, प्रतिदिन गाय का कच्चा दूध अर्पित करना चाहिए। अगर आप दूध में चीनी मिलाते हैं। या फिर शहद मिलाकर, शिवलिंग पर अर्पित करते हैं। तो इससे आपका मस्तिष्क तेज होता है। अगर आप किसी भी मानसिक बीमारी से जूझ रहे हैं।

    दूध में काले तिल मिलाकर, शिवलिंग पर चढ़ाने से संकट टल जाते हैं।  तो इस प्रकार दूध चढ़ाने से, आपको अद्भुत लाभ प्राप्त होते हैं। इससे सभी मानसिक बीमारियों से छुटकारा मिलता है। भोलेनाथ की कृपा आप पर अवश्य होती हैं।

शिवलिंग पर चावल चढ़ाने के फायदे

 चावल जिसे अक्षत भी कहा जाता है। अक्षत का मतलब जिसका क्षय न हो। अर्थात ऐसे चावल टूटे हुए न हो, अखंडित हो। अक्षत पूर्णता का प्रतीक है। कम से कम 5 दाने शिवलिंग पर चढ़ाने से, अपार ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। अन्न में अक्षत को श्रेष्ठ माना गया है। 

      शिव जी का प्रिय अन्न अक्षत है। शिवजी की पूजा में, अक्षत चढ़ाने का अभिप्राय यह होता है कि हमारा पूजन भी अक्षत की तरह पूर्ण हो। चावल को अन्न में श्रेष्ठ माना जाता है। जिसे भगवान पर चढ़ाते समय यह भाव होता है। कि जो कुछ भी हमें प्राप्त होता है। वह सब भगवान की कृपा से ही मिलता है।

       इसका सफेद रंग शांति का प्रतीक होता है। अतः हमारे प्रत्येक कार्य की पूर्णता ऐसी हो। जिसका फल हमें शांति प्रदान करें। शिवलिंग पर चढ़ाने से, शिवजी अत्यंत प्रसन्न होते हैं। भक्तों को धन, मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। अक्षत चढ़ाने से 3 जन्मों के पाप मिट जाते हैं। वहीं कई हजार गोदानों के बराबर, फल की प्राप्त होती है।

       जो अक्षत भगवान शंकर के ऊपर चढ़े होते हैं। वह भगवान का प्रसाद बन जाता है। इसे खाने से भक्तों को शिवभक्ति की प्राप्ति होती है। इसे प्रसाद रूप में ग्रहण करने से, उनके मन, कर्म और वचन एकाग्र हो जाते हैं। उनके सारे दोष समाप्त हो जाते हैं। घर के अन्न भंडार में, अक्षत के कुछ दाने डालकर रखे। फिर पकाकर खाएं। तो यह साक्षात अन्नपूर्णा का प्रसाद बन जाता है।

शिवलिंग पर गुड़ चढ़ाने के फायदे

   मंगलवार का दिन भगवान हनुमान को समर्पित होता है। हनुमान जी भगवान शंकर के 11वें रुद्रावतार हैं। संपत्ति और जमीन से जुड़े मामले, मंगल के क्षेत्र में ही आते हैं। इसलिए अगर आपके जीवन में, जमीन-जायजाद से जुड़ी समस्या है। तो शिव उपासना से, इसका समाधान संभव है।

        इसके लिए मंगलवार के दिन शिवलिंग पर गुड़ मिला जल, शिवलिंग पर अर्पित करना चाहिए। इसके बाद शिवजी से संपत्ति लाभ की प्रार्थना करें। यह प्रयोग 9 मंगलवार तक करना चाहिए। इससे शीघ्र अतिशीघ्र आपको लाभ प्राप्त होगा।

शिवलिंग पर क्या नहीं चढ़ाना चाहिए

 शिव पुराण के अनुसार, ऐसी कौन सी चीजें हैं। जो हमें शिवलिंग पर, भूल से भी नहीं चढ़ानी चाहिए। हमें यह तो ज्ञात है कि शिवलिंग का अभिषेक करना चाहिए। लेकिन हम यह नहीं जानते कि शिवलिंग पर कौन-कौन सी वस्तुएं कभी भी नहीं चढ़ानी चाहिए। शिव पुराण के अनुसार, यदि भूल से भी यह वस्तुएं शिवलिंग पर चढ़ा दी जाती है। तो भगवान शंकर प्रसन्न होने के बजाय रुष्ट हो जाते हैं।

तुलसी – तुलसी के बगैर भगवान नारायण की पूजा कभी संपन्न नहीं होती। लेकिन भूल से भी तुलसी को शिवलिंग पर अर्पण नहीं करना चाहिए। क्योंकि तुलसी के पति जालंधर राक्षस का, भगवान शंकर ने वध किया था। तुलसी लक्ष्मी स्वरूपा भी है। इसलिए तुलसी का उपयोग, कभी भी शिवलिंग पर नहीं करना चाहिए।

केतकी का फूल – केतकी के फूल ने ब्रह्मा जी के कहने पर, भगवान शंकर से झूठ बोला था। जिसकी वजह से भगवान शंकर रुष्ट हो गए थे। तब उन्होंने केतकी के फूल को श्राप दिया था। कि वह कभी भी भगवान शिव की पूजा में, उपयोग नहीं की जाएगी।

नारियल का पानी- नारियल तो भगवान शिव पर अर्पित किया जाता है। लेकिन नारियल के पानी से, शिवलिंग का अभिषेक करने पर, धन की हानि होती है।

शंख- शंख से अन्य देवी-देवताओं का तो अभिषेक किया जा सकता है। लेकिन शिवलिंग का अभिषेक शंख से नहीं करना चाहिए। क्योंकि पूर्वकाल में, भगवान शंकर ने शंखचूर्ण नामक राक्षस का वध किया था।  उसी राक्षस से शंख की उत्पत्ति मानी गई है।

टूटे हुए चावल- चावल तो भगवान शंकर को अति प्रिय हैं लेकिन कभी भी टूटे हुए चावल भगवान शिव पर नहीं चढ़ाने चाहिए क्योंकि इससे वह दोस्त हो जाते हैं अक्षत पूर्ण होना चाहिए।

हल्दी और सिंदूर- हल्दी और सिंदूर को शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए। क्योंकि यह दोनों सौंदर्य को प्रकट करते हैं। भगवान शंकर हमेशा, अपने शरीर पर भस्म को रमाए रहते हैं। वह सुंदर को कभी पसंद नहीं करते।

न ही सौंदर्य पदार्थों को ग्रहण करते हैं। हल्दी का उपयोग माता पार्वती के पूजन में हो सकता है। श्रृंगार के सामान में, केवल इत्र का प्रयोग भी किया जा सकता है।

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