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Mary Kom- Biography in Hindi
सफलता की पूरी कहानी
जितना कठिन संघर्ष होगा। उतनी ही शानदार जीत होगी। यह लाइन अगर किसी पर बिल्कुल सटीक बैठती है। तो वह है, एक गरीब किसान के यहां पैदा हुई- मैरी कॉम। जिन्होंने पूरी दुनिया में, भारत का नाम, अपने शानदार इच्छाशक्ति से पैदा किया। अब तो वह World Champion है। 6 Gold Medal जीतने वाली, दुनिया की पहली महिला boxer बन गई है। हालांकि तीन बच्चों की मां, मैरी कॉम के लिए, यह सफर इतना आसान नहीं रहा। पहले तो वह एक गरीब घर में पैदा हुई। उसके ऊपर से एक लड़की होना। फिर भी उन्होंने अपनी मेहनत और संघर्ष के दम पर, यह कर दिखाया। परिस्थितियां कितनी भी विपरीत क्यों ना हो। अगर हम संकल्प लेकर आगे बढ़े। तो इस दुनिया में कुछ भी नामुमकिन नहीं रह जाता।

Mary Kom - An Introduction
मैरी कॉम - एक परिचय
Mary Kom Personal Information | |
पूरा नाम | मांगते चुंगनेइजंग मैरी कॉम no Mangte Chungneijang Mary Kom |
उप नाम | मैरी कॉम, माग्निफीसेंट मैरी |
पिता | मांगते तोनपा कॉम |
माता | मांगते अक्हम कॉम |
जन्म | 1 मार्च 1983 |
जन्म-स्थान | कंगथे, मणिपुर, भारत |
पति | करुंग ऑंखोलेर कॉम (Footballer) |
बच्चे (बेटे) | रेचुंगवर कॉम व खुपनैवर कॉम (जुड़वाँ- twins) 2007 प्रिंस कॉम- 2013 |
शिक्षा | स्नातक |
स्कूल | Loktak Christian Model High School, Moirang, Manipur |
कालेज | Churachandpur College, (Manipur University, Manipur) |
धर्म | ईसाई |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
शौक़ | Singing, Travelling, Watching TV, Martial |
Mary Kom Professional Information | |
Profession | बॉक्सर |
Sport Category | 44 – 48 Kg |
Coach | के. कोसना मैतेई (प्रथम) गोपाल देवांग एम नरजीत सिंह चार्ल्स अतकिंसन रोंगमी जोसिया |
Debut | घरेलू : State Boxing Championship (2000) अंतरराष्ट्रीय : Women’s World Amateur Boxing Championship (2001) |
Global Recognition | Summer Olympic (2012) |
World Ranking | 1.Pang Chol-mi (North Korea) 2. Busenaz Cakiroglu (Turkey) 3. Mary Kom (India) {as in Nov, 2020} |
Awards | पद्म विभूषण (2020) पद्म भूषण (2013) पद्म श्री (2006) |
Occupation | सांसद – राज्य सभा |
मैरी कॉम का बचपन व शिक्षा
Mary Kom - Childhood and Education
Mary kom का जन्म 1 मार्च 1983 में, मणिपुर के एक छोटे से कस्बे Kangathei में हुआ था। यह एक ऐसी जगह हैं। जहां पर basic facilities भी पूरी नहीं थी। जो connectivity के आधार पर देश से कटा हुआ है। उनके पिता Mangte Tonpa Kom पेशे से एक farm labour थे। इसके साथ ही वह एक Wrestler (पहलवान) भी थे। उनकी मां Akham Kom एक housewife थी। उनका जन्म एक ईसाई परिवार में हुआ। मैरी कॉम बचपन से ही अपने माता-पिता का सहयोग किया करती थी। बचपन में उनका पूरा नाम Mangte Chungneijang Mary Kom रखा गया। इसके साथ ही उनके परिवार में एक छोटा भाई और एक बहन है।
मैरी कॉम ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा Loktak Christian Model High School से की। फिर 8th तक कि पढ़ाई St. Xavier Catholic School से की। इसके बाद वह नवीं व दसवीं की पढ़ाई के लिए इंफाल चली गई। यहां पर उन्होंने Adim Jati High School,Imphal में दाखिला लिया। लेकिन दुर्भाग्य से, वह हाई स्कूल की परीक्षा पास नहीं कर सकी। फेल हो जाने के बाद, उन्होंने स्कूल छोड़ने का फैसला किया। Mary Kom अपने schooling के समय मे एक अच्छी Athletes थी। इसके साथ वह फुटबॉल भी खेला करती थी। इसके बाद उन्होंने National Institute of Open Schooling (NIOS) से हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा में पास की। फिर यहीं से इन्होंने अपना graduation भी complete किया।
बॉक्सर के रूप मे मैरी कॉम की शुरुआत
Mary Kom's Career Starts As A Boxer
मैरी कॉम की रूचि बचपन से ही खेलकूद में बहुत अधिक रही। उनकी रुचि javelin और 400mt की दौड़ में थी। लेकिन उन्होंने अब तक Boxing में कैरियर बनाने के बारे में नहीं सोचा था। तभी 1998 में मणिपुर राज्य के ही Dingo Singh ने बॉक्सिंग में सफलता हासिल की। Dingo Singh ने Asian Games, Bangkok में Boxing का gold medal जीता था। इससे मैरीकॉम को भी बॉक्सिंग के क्षेत्र में, आने की प्रेरणा मिली। मैरी कॉम ने 15 साल की उम्र में ही, यह निश्चय कर लिया। उन्हें boxing के क्षेत्र में अपना career बनाना है। उन्होंने Boxing की training के लिए, इंफाल शहर की एक sports academy में admission लिया। यहां पर उनके पहले कोच, K.Kosana Meitei बने।
मैरी कॉम अपने घर वालों से बिना बताए बॉक्सिंग की ट्रेनिंग ले रही थी। क्योंकि उनके घर वाले नहीं चाहते थे। कि वह Boxing के खेल को सीखें। क्योंकि इस खेल में चोट लगने का डर रहता है। इसके साथ ही कहीं चेहरे पर चोट लग जाए। फिर उनकी शादी में भी दिक्कत आ सकती थी। इसी कारण शुरुआती दौर में मैरी कॉम का परिवार, उनके Support में नहीं था।
मैरी कॉम की बॉक्सिंग मे सफलताए
Mary Kom's Succes In Boxing
कुछ सालों के बाद साल 2000 में, जब मैरीकॉम ने मणिपुर की स्टेट बॉक्सिंग चैंपियनशिप, अपने नाम की। तब उनकी उपलब्धि को न्यूज़पेपर और टीवी चैनल पर दिखाया गया। इसके कारण ही घर वालों को भी मैरी कॉम के बॉक्सिंग के बारे में पता चला। अब उन्होंने भी मैरी काम की लगन और मेहनत को देखते हुए। उनका support करना शुरू कर दिया।
मैरी कॉम की मेहनत अगले ही साल 2001 में विश्व स्तर पर भी दिखाई देनी शुरू हो गई। जब उन्होंने AIBA Women’s World Championship में silver medal अपने नाम किया। मैरी कॉम बताती है कि ओलंपिक से ज्यादा tough, women’s चैंपियनशिप या Asian चैंपियनशिप होती है। क्योंकि इसमें हर कोई भाग लेता है। सारी दुनियाँ की teams भाग लेती हैं। यहां पर जीतना काफी मुश्किल होता है। इनकी धीरे-धीरे experience में वृद्धि होने के साथ ही। इन्होंने इसी AIBA Women’s World Championship का gold medal 2002 में, अपने नाम कर लिया। इसके बाद, Mary Kom ने बहुत सारे घरेलू और अंतरराष्ट्रीय खेलों में सफलता हासिल करना शुरू कर दी।
2002 में होने वाले विश्व कप भी इन्होंने अपने नाम किया। इसके बाद, 2003 में हिसार, हरियाणा में हुई, एशियन वीमेन चैंपियनशिप जीती। 2004 का वूमेन वर्ल्ड कप, नार्वे जीता। एक बार फिर से 2005 की वूमेन चैंपियनशिप जीती। इसी के बाद 2005 की World Championship में भी सफलता हासिल की। इसके बाद 2006 की वूमेन वर्ल्ड चैंपियनशिप तीसरी बार जीती। इस तरह उन्होंने लगातार, तीन बार वर्ल्ड चैंपियनशिप अपने नाम की।
मैरी कॉम का विवाह
Marriage of Mary Kom
मैरी कॉम ने 2005 में Karung Onkholer kom से शादी कर ली। ऑंखोलेर से इनकी मुलाकात 2001 के national games के दौरान हुई। उस समय ऑंखोलेर एक फुटबॉल player होने के साथ, दिल्ली यूनिवर्सिटी में Law के student थे। इनकी यह मुलाकात, पहले प्यार में बदली। फिर शादी तक जा पहुंची। शादी के बाद भी उनके पति ने उनका पूरा साथ दिया। वह बॉक्सिंग के खेल में उनका हमेशा ही support करते रहे।
2007 में मैरीकॉम ने जुड़वा (twin boys) बच्चों को जन्म दिया। इन्होंने इन दोनों का नाम Rechungvar व Khupneivar रखा। फिर 2013 में एक तीसरे बेटे का जन्म हुआ। जिसका नाम prince kom रखा गया। मैरी कॉम ने मां बनने के बाद भी, बॉक्सिंग का कैरियर जारी रखा। इसके बाद भी, इनकी सफलताओ का सिलसिला जारी रहा। ऑंखोलेर ने मैरी कॉम का हौसला बढ़ाया। फिर उन्हें मां बनने के बाद भी, बॉक्सिंग के लिए प्रेरित करते रहें।
माँ बनने से लेकर विश्व विजेता तक का स्वर्णिम सफर
The Golden Journey from A Mother to A World Champion
मां बनने के बाद, मैरीकॉम ने 2 साल का gap लिया। उनका यह दौर बहुत मुश्किल रहा। इस समय, इन्होंने अपनी बॉक्सिंग पूरी तरह से छोड़ दी थी। इस बीच उन्होंने अपना पूरा समय, अपने घर-परिवार को दिया। इसके बाद दोबारा बॉक्सिंग में आना बहुत ही कठिन काम था। लेकिन ऑंखोलेर ने, इनको बहुत ज्यादा encourage किया। उन्होंने मैरी कॉम को दोबारा बॉक्सिंग की ट्रेनिंग के लिए तैयार किया। इस वक्त, वह अपने बच्चों से दूर रहती थी।
2008 में Asian women’s Boxing championship भारत मे हुई। इसमें मैरी कॉम को सिल्वर मेडल से ही संतोष करना पड़ा। क्योंकि इन्होंने एक लंबे गैप के बाद बॉक्सिंग में कदम रखा था। लेकिन इसके बाद, 2009 में Asian Indoor Games, जो Vietnam में हुए थे। उसमें फिर से 46kg category में गोल्ड मेडल हासिल किया। इसके बाद 2010 में इन्होंने AIBA Women’s World Championship, Barbados में गोल्ड मेडल जीता। फिर इसी साल कजाकिस्तान में एशियन वूमेन बॉक्सिंग चैंपियनशिप हुई। इसमें भी उन्होंने गोल्ड मेडल जीता। इनकी जीत का सिलसिला लगातार चलता रहा।
2010 के एशियन गेम्स में इन्होंने 51kg category में bronze medal जीता। 2011 का Asian Women’s Cup जो China में हुआ। इसमें इन्होंने 48kg की category में जीता। इसके बाद 2012 में वूमेन एशियन चैंपियनशिप हुई, वह इन्होंने दी थी। 2012 में समर ओलंपिक्स लंदन में पहली बार women’s boxer को जगह मिली। जिसमे इन्होंने 51kg category में bronze medal जीता।
मैरी कॉम राज्य सभा सदस्य के रूप मे
Mary Kom As A Member of Rajya Sabha
संविधान के अनुसार, राज्यसभा में सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 निर्धारित की गई। जिसमें 238 के लिए चुनाव का प्रावधान होता है। जबकि 12 सदस्य राष्ट्रपति के द्वारा nominated किए जाते हैं। हर 2 साल में एक तिहाई सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो जाता है। मोदी सरकार ने 12 nominated सीटों में खाली हुई, 7 सीटों पर 6 दिग्गजों के नाम घोषित किये । जिनमें सुब्रमण्यम स्वामी, पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू के साथ, Olympic medalist Mary Kom का नाम प्रमुख था। मैरी कॉम ने 26 अप्रैल 2016 को राज्यसभा के सदस्य के रूप में शपथ ली।
मैरी कॉम पर बनी फिल्म
A Film on Mary Kom
मेरीकॉम के जीवन संघर्ष को लेकर, उनकी Biopic – MC Mary Kom 2014 में आई। जिसमे Priyanka Chopra ने Mary Kom की भूमिका बखूबी निभाई। वही उनके पति के रूप में दर्शन कुमार ने ऑंखोलेर की भूमिका निभायी। इस film को उमंग कुमार ने निर्देशित किया। वही Creative Director संजय लीला भंसाली है। इस फ़िल्म में संगीत शशिर और शिवम का है। पूरी फिल्म में patriotism की भावना जाग उठती है। केको नाकाहारा की cinematography काबिले तारीफ है।
एक झलक मैरी कॉम की उप्लब्धियों पर
A Glimpse at the Achievements of Mary Kom
वर्ष | प्रतियोगिता | पदक |
2001 | AIBA वीमेन वर्ल्ड चैंपियनशिप | रजत |
2002 | AIBA वीमेन वर्ल्ड चैंपियनशिप | स्वर्ण |
2002 | वीमेन विश्व कप | स्वर्ण |
2003 | एशियन वीमेन चैंपियनशिप | स्वर्ण |
2004 | वीमेन विश्व कप | स्वर्ण |
2005 | एशियन वीमेन चैंपियनशिप | स्वर्ण |
2005 | AIBA वीमेन वर्ल्ड चैंपियनशिप | स्वर्ण |
2006 | AIBA वीमेन वर्ल्ड चैंपियनशिप | स्वर्ण |
2006 | वीमेन विश्व कप | स्वर्ण |
2008 | AIBA वीमेन वर्ल्ड चैंपियनशिप | स्वर्ण |
2008 | एशियन वीमेन चैंपियनशिप | रजत |
2009 | एशियन इंडोर गेम्स | स्वर्ण |
2010 | AIBA वीमेन वर्ल्ड चैंपियनशिप | स्वर्ण |
2010 | एशियन वीमेन चैंपियनशिप | स्वर्ण |
2011 | एशियन महिला कप | स्वर्ण |
2012 | एशियन वीमेन चैंपियनशिप | स्वर्ण |
2012 | ग्रीष्मकालीन ओलंपिक | स्वर्ण |
2014 Advertisements
| एशियन गेम्स | स्वर्ण |
2017 | एशियाई महिला चैंपियनशिप | स्वर्ण |
2018 | विश्व महिला चैंपियनशिप | स्वर्ण |
2019 | महिला विश्व चैंपियनशिप | काँस्य |
2020 – Olympics, जो Tokyo में होने वाले थे। उन्हें कोरोना महामारी (pandemic) के कारण निरस्त (postponed) कर दिया गया। |
मैरी कॉम को पुरस्कार व सम्मान
Awards and Honors to Mary Kom
वर्ष | पुरस्कार व सम्मान |
2003 | अर्जुन अवार्ड (बॉक्सिंग) |
2006 | पद्मश्री (खेल) |
2007 | राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार के लिए दावेदार |
2007 | पीपल ऑफ द ईयर – लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड्स |
2008 | CNN-IBN और रिलायंस इंडस्ट्री का रियल हीरोज अवार्ड |
2008 | पेप्सी एमटीवी यूथ आइकॉन |
2008 | शानदार मैरी, एआईबीए |
2009 | राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार |
2009 | महिला मुक्केबाजी के लिए अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी संघ की राजदूत |
2010 | स्पोर्ट्स वीमेन ऑफ द ईयर सहारा स्पोर्ट्स अवॉर्ड |
2013 | पदम भूषण (खेल) |
2016 | आनरेरी डॉक्टरेट डिग्री(D.Litt) की उपाधि, नार्थ-ईस्टर्न हिल यूनिवर्सिटी द्वारा |
2016 | AIBA की ब्रांड एम्बेसडर |
2019 | DPhill की उपाधि, काजीरंगा यूनिवर्सिटी के द्वारा |
2020 | पदम विभूषण (खेल) |
मैरी कॉम की आत्मकथा
Autobiography of Mary Kom
Olympic gold medalist मैरी कॉम ने 2013 में अपनी ऑटो बायोग्राफी अनब्रेकेबल (Unbreakable) लॉन्च की। इसमें उन्होंने अपने जीवन के, उन कठिन संघर्षों के बारे में उल्लेख किया है। जिसके बारे में दुनिया को नहीं पता है। उन्होंने मां बनने के बाद अपने कैरियर में आई, कठिनाइयों का भी सत्यता के साथ उल्लेख किया है।
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