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PV Sindhu Biography In Hindi – Full Name
पीवी सिंधु की जीवनी
किसी ने क्या खूब कहा है। यूं ही नहीं मिलती राही को मंजिल, एक जुनून सा दिल में जगाना होता है। पूछा चिड़िया से कैसे बनाया आशियाना, ऊंची भरनी पड़ती है उड़ान। बार-बार तिनका-तिनका उठाना होता है। पीवी सिंधु ने भी तिनके-तिनके से अपनी जिंदगी में उड़ान भरी।
भारत की बेटियां किसी भी चीज में पीछे नहीं है। बस उन्हें सही दिशा देने की जरूरत है। आसमान की बुलंदियां छू रही बैडमिंटन स्टार पीवी सिंधु ने, डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम की इन पंक्तियों को सच करके दिखाया। कि सपने वह नहीं होते। जो सोते समय आप नींद में देखते हैं। सपने तो वह होते हैं। जो नींद ही न आने दे।
जब आप consistent होकर किसी काम में लगते हैं। तो आपकी सफलता पक्की हो जाती है । आपको हमेशा सीखते ही रहना होगा। जब तक आपका हर shot perfect न हो जाए। ऐसा कहना है। विश्व की बैडमिंटन चैंपियन पीवी सिंधु का। जिन्होंने यह मुकाम अपनी मेहनत, जज्बे और जुनून के साथ हासिल किया है।
कैसे लगातार चार साल finals तक पहुंचकर। उन्होंने आखिर में जीत हासिल कर ही ली है। इतनी कम उम्र में, भारत देश का नाम रोशन कर दिया। हाल ही में Tokyo Olympic – 21 में Bronze Medal जीता। इस तरह उन्होंने लगातार दो ओलंपिक में सफलता हासिल की। ऐसा करने वाली वह पहली भारतीय महिला बन गई। इसी प्रकार जाने : 6 Gold Medal – World Champion Mary Kom Biography। इतिहास रचने का जज्बा।
PV Sindhu – An Introduction
पीवी सिंधु – बैडमिंटन खिलाड़ी एक परिचय | |
नाम | पीवी सिंधु |
पूरा नाम | पुसरला वेंकट सिंधु |
जन्म | 5 जुलाई 1995 |
जन्म स्थान | हैदराबाद, तेलंगाना |
पिता | पी० वी० रमन (वॉलीबॉल खिलाड़ी) |
माता | पी० विजया (वॉलीबॉल खिलाड़ी) |
बहन | पी० वी० दिव्या |
शिक्षा | • ऑक्सीलियम हाई स्कूल, सिकंदराबाद • सेंट एन के महिला कॉलेज, मेंहदीपटनम |
शैक्षिक योग्यता | एमबीए |
पेशा | अंतरराष्ट्रीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी |
कोच | पुलेला गोपीचंद |
अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू | उप जूनियर एशियाई बैडमिंटन चैंपियनशिप (2009) |
टर्निंग प्वाइंट | कॉमनवेल्थ यूथ गेम्स में स्वर्ण पदक |
शारीरिक मापदंड | लंबाई : 179 सेंटीमीटर वजन : 65 किलोग्राम शारीरिक संरचना : 34-26-36 आंखों का रंग : काला बालों का रंग : काला |
शौक | फिल्में देखना |
पसंदीदा अभिनेता | • महेश बाबू • प्रभास • ऋतिक रोशन |
पसंदीदा व्यंजन | • बिरयानी • चाइनीस • इटालियन व्यंजन |
पुरस्कार व सम्मान | 2013 : अर्जुन अवॉर्ड 2014 : Indian of the Year (NDTV न्यूज़ चैनल द्वारा) 2014 : Sports person of the Year फिक्की द्वारा 2015 : पद्मश्री 2016 : राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार 2020 : पद्मभूषण |
पदक | 2013: विश्व चैंपियनशिप महिला एकल- गवांग्झू (कांस्य) 2014: विश्व चैंपियनशिप महिला एकल- कोपेनहेगेन (कांस्य) 2016: रियो ओलंपिक महिला एकल। (रजत) 2017: विश्व चैंपियनशिप महिला एकल- ग्लासगो (रजत) 2018: विश्व चैंपियनशिप महिला एकल- नांजिंग (रजत) 2019: विश्व चैंपियनशिप महिला एकल- बेसल (स्वर्ण) 2020: टोक्यो ओलंपिक महिला एकल (कांस्य) |
नेट वर्थ | $7.1 मिलियन 59 करोड़ (2022 के अनुसार) |
पी वी सिंधु का बचपन
Childhood of PV Sinndhu
पुसरला वेंकट सिंधु, जिन्हें हम सभी पी. वी. सिंधु के नाम से भी जानते है। सिंधु का जन्म 5 जुलाई 1995 को हैदराबाद में हुआ। इनके पिता का नाम पी वी रमन है। वह भी एक पूर्व राष्ट्रीय वॉलीबॉल खिलाड़ी रह चुके हैं। सन 2000 में रमन को अपने खेल के लिए अर्जुन अवार्ड से नवाजा गया। इनकी माता का नाम पी विजया है। इनकी मां भी पूर्व राष्ट्रीय वॉलीबॉल खिलाड़ी रह चुकी हैं।
जब सिंधु के माता-पिता Professional volleyball खेल रहे थे। तभी सिंधु ने बैडमिंटन खेलने का निर्णय लिया। सिंधु ने अपनी सफलता की प्रेरणा 2001 में All England Open Badminton champion बने, पुलेला गोपीचंद से ली। असल में, सिंधु ने 8 साल की उम्र से ही badminton खेलना शुरू कर दिया था। सिंधु ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ऑक्सीनियम हाई स्कूल, हैदराबाद से की। इसके बाद इन्होंने सेंट एन के महिला कॉलेज, मेंहदीपटनम से स्नातक किया।
इनकी एक बड़ी बहन भी हैं। जो कि एक डॉक्टर हैं। वह भी Handball की National level player रह चुकी हैं। पीवी सिंधु ने सबसे पहले महबूब अली के प्रशिक्षण में, इस खेल की मूलभूत जानकारी हासिल की। इन्होंने सिकंदराबाद में भारतीय रेलवे के इंस्टिट्यूट में ही अपने प्रशिक्षण की शुरुआत की। इसके तुरंत बाद सिंधु पुलेला गोपीचंद बैडमिंटन अकैडमी में शामिल हो गई। इसी प्रकार जाने : Motivational Biography of Arunima Sinha। जिन्होने बिना पैरो के दुनियाँ फतेह की।
पी वी सिंधु की प्रतिबद्धता
Commitment Of PV Sindhu
सिंधु की प्रतिबद्धता (commitment) को आप ऐसे समझ सकते हैं। यह अपने बैडमिंटन एकेडमी में जाने के लिए, रोजाना 56 किलोमीटर का सफर तय करती थी। इसके बावजूद कभी भी, इन्होंने इस बात का बहाना नहीं बनाया। मैं इतनी दूर से आती हूं। तो मैं late हो सकती हूं। इनके बारे में कहा जाता है। हर व्यक्ति को, विशेष रूप से हर खिलाड़ी को, इनसे कुछ बातें सीखनी चाहिए।
यह कभी भी हार नहीं मानती। अपने लिए बड़े से बड़ा लक्ष्य निश्चित करती है। फिर उसको पाने के लिए, लगातार कड़ी मेहनत करती हैं। ऐसा कहा भी जाता है कि अगर आपको सही गुरु मिल जाए। तो आप हमेशा सही दिशा में ही जाएंगे। वैसा ही सिंधु के साथ भी हुआ।
इनके अंदर खेलने का passion तो पहले से ही था। खेल के basics इन्होंने सीख रखे थे। जैसे ही इन्हें पुलेला गोपीचंद जैसे गुरु का साथ मिला। वैसे ही इनके अंदर का बटमिंटन खिलाड़ी, अपने full form में आ गया। फिर इन्होंने जूनियर लेवल पर अनेक प्रतियोगिताएं भी जीती।
सिंधु को बचपन में सीनियर प्लेयर्स के साथ खेलने का मौका नहीं मिलता था। इसलिए सिंधु को बैडमिंटन कोच महबूब अली ने कहा था। वह wall practice करें। यानी कि दीवाल पर तब तक सटल मारे। जब तक वहां तो पेंट उखाड़ नहीं जाता।
सिंधु का गोपीचन्द अकैडमी मे दाखिला
Sindhu’s Admission in Gopichand Academy
2005 में, 10 साल की सिंधु ने अपने Badminton talent से पुलेला गोपीचंद का ध्यान अपनी ओर खींचा। गोपीचंद ने उनके माता-पिता से, सिंधु को गोपीचंद बैडमिंटन अकैडमी में दाखिला दिलवाया। गोपीचंद को सिंधु की क्षमता पर पूरा विश्वास था। उन्होंने ट्रेनर क्रिस्टोफर पॉल को अपनी अकैडमी मे बुलाया। उनसे सिंधु के लिए, एक training Regiment तैयार करने के लिए कहा।
पॉल ने सिंधु की muscle strength पर काम करना शुरू किया। वहीं गोपी चंद ने उनकी speed और technique पर काम करना शुरू किया। वह सुबह स्कूल जाया करती। स्कूल से आते ही, उनके पिता सिकंदराबाद से गाजीपुर ट्रेनिंग के लिए ले जाया करते। सिंधु इसी दौरान, कार की बैक सीट में बैठकर नींद की झपकी ले लेती। घंटों बैडमिंटन प्रैक्टिस करने के बाद, घर वापस आकर, स्कूल होमवर्क करती।
वह हर दिन अपने घर से 50 से 60 किलोमीटर travel करके, training के लिए जाया करती। इस तरह, हर दिन आने-जाने में 4 घंटे बीतते। यह सब धीरे-धीरे उनकी सेहत पर असर डालने लगा। इसके बाद उनके माता-पिता ने उन्हें हॉस्टल में दाखिला दिला दिया।
हॉस्टल में दाखिला दिलाने के बाद, उन्हें परिवार की इतनी याद आने लगी। इसका असर उनकी performance पर भी पड़ने लगा। आखिरकार उनका परिवार भी, उनके साथ रहने आ गया। उनके माता-पिता का support और कोच गोपीचंद की training धीरे-धीरे अपना असर दिखाने लगी। इसी प्रकार जाने : Saikhom Mirabai Chanu Biography in Hindi। चैम्पियन बनने की पूरी कहानी।
पी वी सिंधु की सफलता की शुरुआत
Success Story Of PV Sindhu
सिंधु ने 10 साल की उम्र में ही कई बड़े tournament में खेलना शुरू कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने जीत हासिल करनी भी शुरू कर दी। Under-10 कैटेगरी में उन्होंने 5th Service All India Ranking Championship और Ambuja Cement All India Ranking Event में भाग लिया। इसमें उन्होंने जीत भी हासिल की।
Domestic level पर भी, अब सिंधु की पहचान बनने लगी। उन्होंने under-13 में पांडिचेरी में Sub Junior का title जीता। सिंधु के लिए बटमिंटन, हमेशा से उनकी Priority थी। जब वे दसवीं में थी। तब उन्होंने एक बैडमिंटन इवेंट के लिए, अपने बोर्ड एग्जाम तक छोड़ दिए। फिर उन्होंने अगले साल supplementary section में दसवीं के exams दिए।
सिंधु का पहला इंटरनेशनल टूर्नामेंट 2009 में हुआ। जब Sub Junior Asian Badminton Championship थी। यहाँ उन्होंने bronze medal जीता। सिंधु ने साल 2010 में ईरान में हुए, International Badminton Challenge में single category में silver medal जीता। 2010 में ही सिंधु ने मेक्सिको में जूनियर वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप के क्वार्टर फाइनल तक पहुंची। इसके साथ ही, 2010 में उबर कप की भारतीय नेशनल टीम की सदस्य भी रही।
सिंधु अपने बैडमिंटन इवेंट के कारण, अपनी बहन की शादी का हिस्सा भी नहीं बन पाई। क्योंकि उन्होंने उस वक्त 2012 में, Syed Modi India Grand Prix Gold Event, जो कि लखनऊ में हो रहा था। उस में भाग लेना था। वह फाइनल तक पहुंचने से पहले, एक बार भी नहीं हारी।
पी वी सिंधु की नौकरी व कैरियर
PV Sindhu’s Job And Career
18 साल की होने के बाद, सिंधु को भारत पेट्रोलियम में assistant sports manager की नौकरी मिली। उन्होंने 2013 में मलेशियन ओपन में, पहला Grand Prix Gold Title जीता। इसके बाद साल 2013 के अंत में, सिंधु को भारत सरकार ने अर्जुन अवॉर्ड से सम्मानित किया।
यह उनकी जिंदगी का एक खास पल था। क्योंकि इससे पहले उनके पिता को वॉलीबॉल में शानदार प्रदर्शन के लिए, अर्जुन अवार्ड मिला था। साल 2014 में उन्होंने Teen Asian Games, Glasgow Commonwealth Games और World Badminton Championship में medal जीतने वाली। पहली भारतीय महिला बनी।
साल 2015 में उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया। इसके बाद उन्होंने Macau Open Grand Prix Gold Event में एक बार फिर, जीत हासिल की। इसी प्रकार जाने : Boxer Nikhat Zareen Biography in Hindi। कट्टरवाद को हराकर बनी, वर्ल्ड चैंपियन।
Rio Olympics – 2016
Sindhu Wins Silver Medal
सन 2016 में जब रियो ओलंपिक हुए। तब सिंधु महिलाओं के एकल सेमी फाइनल में जापानी खिलाड़ी Nozomi Okuhara को हराकर फाइनल में पहुंची। उन्होंने फाइनल में सिल्वर मेडल जीतकर, अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। इसी के साथ, वह भारत की सबसे कम उम्र की खिलाड़ी बन गईं।
जो ओलंपिक में रजत पदक जीतने वाली, पहली भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी बनी। उन्होंने विश्व भर में, अपने खेल से सनसनी मचा दी। तब तक भारत का badminton में कोई बड़ा नाम नहीं हुआ था।
World Badminton Championship
Sindhu Wins Gold Medal
सन 2019 में World Badminton Championship जीतने वाली पहली भारतीय खिलाड़ी बनी। सिंधु ने यह मुकाम कई बार हारने के बाद हासिल किया। पीवी सिंधु इस tournament में कई बार फाइनल मुकाबलों में पहुंचकर, Gold Medal जीतने से चूक गई। लेकिन उन्होंने कभी भी हार नहीं मानी। आखिरकार, उन्होंने इस tournament में gold medal जीतने का अपना सपना पूरा किया।
पीवी सिंधु ने स्विट्जरलैंड में आयोजित BWF World Championship- 2019 में फाइनल में जापानी खिलाड़ी Nozomi Okuhara को वैसे ही हराया। जैसे Okuhara कोई स्कूल की खिलाड़ी हो। उन्हें अभी बैडमिंटन सीखना बाकी हो। इस मैच में सिंधु का दबदबा कुछ इस तरह से था। वे यह चैंपियनशिप 21- 7, 21- 7 से जीत गई।
इसका मतलब उन्होंने Nozomi Okuhara को इस मैच में वापसी का कोई मौका नहीं दिया। इस तरह वह पहली भारतीय खिलाड़ी बनी। जिन्होंने World Badminton Championship जीत ली। इसके पहले पुरुष या महिला वर्ग में, किसी ने भी gold medal नहीं जीता था। इसके अलावा पीवी सिंधु के नाम World Badminton Championship में 5 medal जीतने का खिताब दर्ज है।
सिंधु ने अब तक एक Gold, दो Silver, और दो Bronze Medal जीते हैं। पीवी सिंधु से ज्यादा दुनिया में, अब तक किसी भी महिला खिलाड़ी ने World Badminton Championship में medal नहीं जीते हैं। इसी के साथ, सिंधु महिला एकल में एक Gold, एक Silver और एक Bronze medal जीतने वाली भी दुनिया की चौथी महिला खिलाड़ी बन गई।
Tokyo Olympics – 2020
Sindhu Wins Bronze Medal
पीवी सिंधु ने टोक्यो ओलंपिक में इतिहास रच दिया। किसी भी ओलंपिक में, दो लगातार medal जीतने वाली। वह पहली भारतीय महिला बन गई है। उन्होंने टोक्यो में Bronze Medal अपने नाम किया। इसके पहले उन्होंने रियो ओलंपिक 2016 में Silver Medal जीता था।
PV Sindhu ने bronze medal के मुकाबले मे चीन की, ही बिंगजीआओ को सीधे गेम्स में मात दी उन्होंने पहला गेम 21-13 तो दूसरा गेम 21-15 से जीतकर Bronze medal अपने नाम किया। ही बिंगजियाओ की world ranking 9 है। वहीं PV Sindhu की world ranking 7 है। पहले गेम में कड़ी टक्कर थी। यह 6-6 पर खत्म हुआ। इसी प्रकार जाने : Mithali Raj Biography in Hindi। मिताली का पहला प्यार, क्रिकेट नहीं था।
Controversy Between PV Sindhu And Pullela Gopichand
PV Sindhu के साथ हमेशा, national coach पुलेला गोपीचंद को देखा जाता था। लेकिन इस बार Tokyo Olympic – 2020 में, उनकी जगह South Korean Coach Sang नजर आए। जबकि पुलेला गोपीचंद का पीवी सिंधु की सफलता में बहुत बड़ा योगदान रहा। Rio Olympic – 2016 में भी Pullela Gopichand उनके साथ थे।
इसका मुख्य कारण था कि गोपीचंद के ऊपर 2019 में काफी work load आ गया था। इस कारण वे पीवी सिंधु पर पूरा focus नहीं कर पा रहे थे। ऐसे में पीवी सिंधु और अन्य top shuttler को बोला गया। अब आप Kim Ji Hyun के अंडर में ट्रेनिंग करेंगे। जो कि South Korean coach थे। लेकिन इन्होंने भी 2020 में resign कर दिया।
इसके बाद South Korean Coach Sang को appoint किया गया। फिर सिंधु ने गोपीचंद अकैडमी को मार्च 2021 में छोड़ दिया। फिर Sang के साथ, Gachibowli Indoor Stadium में ट्रेनिंग लेना शुरू की। यही कारण है कि Tokyo Olympics -2020 में गोपीचंद की जगह Sang नजर आए।
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जबरदस्त । लाइफ में कुछ बड़ा करना हो तो ऐसा ही कमिटमेंट रखना पड़ता है, तभी सफलता मिलती है
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