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Praggnanandhaa Biography in Hindi
विश्व के सबसे युवा शतरंज चैम्पियन प्रगनाननंदा का जीवन परिचय
यूं तो हर बच्चा अपने आप में खास और यूनिक होता है। लेकिन जहां कुछ बच्चे डोरेमोन, शिनचेन, छोटा भीम और मोबाइल गेम खेलने व देखने में मस्त होते है। उसी समय कुछ बच्चे ऐसे भी होते है। जो अपने हूनर को पहचानकर, उसे तरासने में व्यस्त हो जाते है। इन्हें बचपन से ही पता होता है कि उन्हें किस दिशा में काम करना है। कैसे अपने जुनून का पीछा करते हुए, सफलता की चोटी पर अपना परचम लहराना है।
ये वही बच्चे होते हैं, जो अपने कठिन परिश्रम, फोकस और जुनूनी जज्बे से, पूरे भारतवर्ष को गौरवान्वित करते है। एक ऐसा ही सुपर बच्चा है। जो आज किसी नगीने से कम नहीं है। इनकी प्रतिभा की रोशनी, आज पूरी दुनिया को रोशन कर रही है। इन्होंने अपनी छोटी सी उम्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्धि पाई है।
जिसके कारण ये आज ही पूरी दुनिया में जाने जाते हैं। इन्होंने छोटी सी उम्र में ही अपनी काबिलियत के कारण, बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। जिसने दुनिया भर में, भारत का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है। यह कोई और नहीं बल्कि भारत के सबसे युवा शतरंज चैंपियन प्रगनाननंदा है। जिन्होंने छोटी सी उम्र में बहुत सारी किताब अपने नाम कर लिए हैं। चलिए, जानते हैं इनके बारे में।

Praggnanandhaa - An Introduction
भारतीय शतरंज का सम्राट प्रगनाननंदा | |
वास्तविक नाम | रमेशबाबू प्रगनाननंदा |
उपनाम | • प्रगा • प्रगनाननंदा |
जन्म-तिथि | 10 अगस्त 2005 |
उम्र | 18 वर्ष |
जन्म-स्थान | पाड़ी, चेन्नई, तमिलनाडु |
पिता | रमेश बाबू (बैंक अधिकारी) |
माता | नागालक्ष्मी |
भाई-बहन | बड़ी बहन – वैशाली रमेश बाबू (चेस प्लेयर) |
स्कूल/ कॉलेज | वेलम्माल मैट्रिकुलेशन हायर सेकेंडरी स्कूल, चेन्नई |
शैक्षिक योग्यता | 10th में अध्यनरत |
गृह नगर | पाड़ी, चेन्नई, तमिलनाडु |
व्यवसाय | चेस प्लेयर |
प्रसिद्ध | एयरथिंग्स मास्टर्स के आठवें चरण में नार्वे के मैग्नस कार्लसन को फरवरी 2022 में हराया |
शारीरिक मापदंड | लंबाई : 137 सेमी वजन : 48 किग्रा आंखों का रंग : काला बालों का रंग : काला |
FIDE रेटिंग | 2707 (2023 के अनुसार) |
विश्व रैंक | 29 |
उपाधियां | 2013 – FIDE Master 2016 – International Master 2018 – Grand Master |
इनकम | ₹8 लाख |
नेट-वर्थ | ₹1.5 करोड़ (2023 के अनुसार) |
प्रगनाननंदा का प्रारंभिक जीवन
Praggnanandhaa Family
चेन्नई अपनी सादगी और शतरंज के लिए जाना जाता है। इसके साथ ही चेन्नई मंदिरों और बेहद ही सामान्य जीवन के लिए भी जाना जाता है। लेकिन शतरंज में, इसका नाम सबसे पहले, पांच बार के विश्व चैंपियन विश्वनाथन आनंद के साथ जुड़ता है। उनका जन्म भी चेन्नई में ही हुआ था। उसी क्रम में प्रगनाननंदा का जन्म भी 10 अगस्त 2005 को चेन्नई के पाड़ी में ही हुआ।
प्रगनाननंदा के पिता के. रमेश बाबू एक बैंक कर्मचारी हैं। इनके पिता बचपन से ही पोलियो ग्रसित हैं। जो अपने बेटे की उपलब्धियां से, बहुत अधिक गर्व अनुभव करते हैं। इनकी माता श्रीमती नागालक्ष्मी जी है। जो एक सामान्य गृहणी है। प्रगनाननंदा के माता-पिता शतरंज के खिलाड़ी नहीं है। आर्थिक स्थिति अच्छी न होने की वजह से, इनके पिता नहीं चाहते थे। कि वह चेस खेलें।
इनकी एक बड़ी बहन वैशाली आर भी हैं। जो महिला ग्रांड मास्टर हैं। इन्होंने अपनी बहन के खेल से प्रभावित होकर ही, शतरंज खेलना शुरू किया। इनके बहन के शतरंज खेलने की शुरुआत भी बड़ी रोचक है। इनके माता-पिता वैशाली के अधिक टीवी देखने से चिंतित थे। उन्होंने वैशाली का ध्यान टीवी से हटाने के लिए, शतरंज खेलने की तरफ लगाया। प्रगनाननंदा बचपन से ही अद्भुत प्रतिभाशाली थे।
प्रगनाननंदा की शिक्षा
Praggnanandhaa Education
प्रगनाननंदा की शिक्षा वर्तमान समय में जारी है। उनकी पढ़ाई में भी बहुत रूचि है। वह अपनी कक्षा में हमेशा से सर्वोत्तम परिणाम देते आ रहे हैं। उनके स्कूल को भी उन पर गर्व है। वह चेन्नई के वेलम्माल मैट्रिकुलेशन हायर सेकेंडरी स्कूल के छात्र है। जो इस वर्ष अपनी 10th की परीक्षा देगें।
प्रगनाननंदा के शतरंज खेलने की शुरुआत
प्रगनाननंदा और वैशाली के पिता के. रमेश बाबू ने, टेलीविजन पर कार्टून फिल्म देखने से छुटकारा दिलाने के लिए। इन दोनों को पास के चेस अकादमी में दाखिला दिलवाया था। उस वक्त प्रज्ञानंद की उम्र मात्र 5 साल की थी। उन्होंने अपनी बहन से शतरंज की बारीखियां सीखनी शुरू की। इसके बाद से ही, यह दोनों ही चेस पूरी तरह से रम गए। धीरे-धीरे वह टूर्नामेंट में भी पार्टिसिपेट करने लगे।
प्रगनाननंदा ने मात्र 7 साल की उम्र में ही, वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप का Under-8 का खिताब जीत लिया। इसके बाद प्रगनाननंदा को फ्रीडम मास्टर का टाइटल मिल गया। वहीं वैशाली भी बालिकाओं में Under-12 और Under-14 में, वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप जीत चुकी है। इस वक्त उनके पिता उसे और टूर्नामेंट में पार्टिसिपेट करने के लिए सपोर्ट नहीं कर रहे थे। क्योंकि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, चेस खेलना काफी खर्चीला होता है।
प्रगनाननंदा का चेस करियर
प्रगनाननंदा की जिंदगी में, एक ऐसे शख्स का प्रवेश हुआ। जिन्होंने उसे उन ऊंचाइयों को छूने में अहम भूमिका निभाई। ऑल इंडिया चेस फेडरेशन के अध्यक्ष और रैमको सिस्टम्स के चेयरमैन पी.आर वेंकटरामा राजा ने, उनकी यात्रा और अन्य स्थानों में रहने वाले खर्च की व्यवस्था करने लगे। वर्ष 2016 में, प्रगनाननंदा 10 वर्ष 10 माह और 19 दिन की उम्र में, चेस के इतिहास में, सबसे कम उम्र के इंटरनेशनल मास्टर बन गए। यह हम सभी के लिए, बहुत गर्व की बात है।
23 जून 2018 को, 12 साल 10 महीने और 13 दिन की उम्र में, प्रगनाननंदा रमेशबाबू ने ग्रन्डले ओपन में लुका मोरोनी को हराकर, तीसरा और अंतिम जीएम नॉर्म प्राप्त किया। इसी के साथ ग्रैंड मास्टर बनने वाले, वह विश्व के दूसरे सबसे कम उम्र के खिलाड़ी बन गए। सूची में बदलाव के कारण, प्रगनाननंदा अब 4 सबसे कम उम्र के ग्रैंड मास्टर हैं। इसी प्रकार विश्वनाथन आनंद भी 18 वर्ष की उम्र में, ग्रैंड मास्टर बने थे।
2019 में प्रगनाननंदा वर्ल्ड यूथ चैंपियनशिप में वैलेंटीन बुकल्स को हराकर गोल्ड मेडल जीता था। प्रगनाननंदा के कोच आर.वी रमेश, उनकी उपलब्धियां से पर गर्व महसूस करते हैं। वह पहले चेस प्लेयर रह चुके हैं। 2020 में, स्पोर्टस्टार ऐसेस ने प्रगनाननंदा को ‘यंग एथलीट ऑफ द ईयर’ के खिताब से नवाजा। अगस्त 2020 में, भारत को रसिया के साथ, वर्ल्ड चेस ओलिंपियाड का जॉइंट विनर घोषित किया गया।
इसमें प्रगनाननंदा का भी एक बड़ा योगदान था। उन्होंने 9वें राउंड में चीन के खिलाफ, पॉइंट स्कोर किया था। अप्रैल 2021 में, प्रगनाननंदा ने विश्व के बहुत से प्रतिभावान खिलाड़ियों को हराकर, पोलगर चैलेंज भी जीता। अगर यह कहा जाए कि प्रगनाननंदा एक लंबी दूरी के खिलाड़ी हैं। तो कहना गलत नहीं होगा। क्योंकि उन्होंने अपनी कम उम्र में ही हार को बर्दाश्त करना और उसका विश्लेषण करके अपनी गलतियां सुधारना सीख लिया है।
वह कभी भी अपनी हार से विचलित नहीं होते हैं। बल्कि वह हर हार को भी, अपनी मुस्कुराहट के साथ स्वीकार करते है। फिर मजबूती के साथ खेलने का संकल्प लेते हैं। वह जीतने के बाद उसे सेलिब्रेट करने के लिए मंदिर जाते हैं। प्रगनाननंदा मैगनस कार्लसन और विश्वनाथ आनंद को अपना आदर्श मानते हैं। वह उन्हीं की तरह, एक दिन वर्ल्ड चैंपियन बनना चाहते हैं।
प्रगनाननंदा की उपलब्धि
प्रगनाननंदा की उपलब्धि | |
वर्ष | टाइटल |
2013 | विश्व युवा चेस चैंपियनशिप अंडर-8 |
2015 | विश्व युवा चेस चैंपियनशिप अंडर-10 |
2016 | अंतरराष्ट्रीय चेस मास्टर |
2017 | विश्व जूनियर के चैंपियनशिप में पहला जीएम नॉर्म |
2018 | हेराक्लीओन फिशर मेमोरियल में दूसरा जीएम नॉर्म |
2018 | ग्रन्डले ओपन में लुका मोरोनी को हराकर, तीसरा जीएम नॉर्म |
2019 | एक्स्ट्राकॉन चेस ओपन |
2019 | विश्व युवा चैंपियनशिप अंडर-18 |
2019 | 2600 रेटिंग |
2021 | चेस विश्व कप-2021 में 90वीं वरीयता के रूप में प्रवेश किया। |
2022 | एयरथिंग्स मास्टर्स रैपिड टूर्नामेंट में मैगनस कार्लसन को हराया |
2022 | चेसेबल मास्टर्स ऑनलाइन रैपिड चेस टूर्नामेंट में एक बार फिर मैगनस कार्लसन को हराकर फाइनल में पहुंचे। |
2023 | टाटा स्टील चेस मास्टर्स 2023 में ग्रैंड मास्टर डिंग लॉरेन को हराया। |
2023 | चेस विश्व कप-2023 (रनरअप) |
प्रगनाननंदा का चेस विश्व कप-2023 में प्रदर्शन
प्रगनाननंदा के विश्व कप का खिताब, अपने नाम करने का सपना टूट गया। फाइनल के ट्राईब्रेकर में पांच बार के चैंपियन रहे, मैगनस कार्लसन से हार का सामना करना पड़ा। मैग्नस कार्लसन ने उन्हें 1.5 – 0.5 से शिकस्त दी। इसके बावजूद प्रगनाननंदा ने मैगनस कार्लसन को कड़ी टक्कर दी। यदि वह यह मुकाबला जीत जाते, तो 21 साल बाद कोई भारतीय इस टाइटल का हकदार होता।
इससे पहले 2002 में, विश्वनाथन आनंद ने इस चैंपियनशिप में जीत हासिल की थी। प्रगनाननंदा का फाइनल तक का यह सफर बहुत ही रोमांचक रहा। उन्होंने पहले मुकाबले में लेगार्ड मैक्सिमें को 1.5 – 0.5 से हराया। दूसरे मुकाबले में नवारे डेबिट को 1.5 – 0.5 से हराया। इसके बाद नाकामुरा हिकारू को 3-1 से शिकस्त देकर, राउंड ऑफ-16 में अपनी जगह निश्चित की।
इसके बाद फेरेक बरक्स को 1.5 – 0.5 से हराकर, क्वार्टर फाइनल में अपनी जगह बनाई। सेमी फाइनल के मुकाबले में, उन्होंने अर्जुन एरिगेसी को 5 – 4 से हराया। इसके बाद, सेमी फाइनल के ही एक मुकाबले में करूआना को 3.5 – 2.5 से हराकर फाइनल में, अपनी जगह सुनिश्चित की।
प्रगनाननंदा की इनकम व नेटवर्क
प्रगनाननंदा अपने परिवार के साथ चेन्नई में ही रहते हैं। इनकी इनकम लगभग ₹12 लाख आँकी गई है। जबकि इनकी कुल संपत्ति की बात की जाए, तो वह लगभग ₹2.15 करोड़ है। चेस विश्व कप 2023 में रनरअप होने पर, उन्हें सम्मान राशि के रूप में, लगभग ₹70 लाख की राशि प्राप्त हुई है।
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