Secret of OM Chanting – A Magical Word
ॐ उच्चारण के चमत्कारिक फायदे
ॐ(OM) में सारी सृष्टि समाई है।ॐ से ही त्रिदेव की उत्पत्ति हुई। ॐ(OM) में ही छिपा है, हमारी-आपकी सभी समस्याओं का समाधान।एक बार ॐ के महत्व को समझ लिया। फिर जीवन की हर समस्या से मुक्ति संभव है।
अगर आप किसी से कुछ लेके,नही जा सकतें।
तो आप किसी को कुछ देके, जा सकतें है।
ॐ का महत्व
Importance of OM
एक शब्द में समाहित है। सृष्टि का सृजन, पालन और संहार। एक शब्द जो है, सर्वशक्तिमान। ॐ(OM) में है- ब्रह्मा, विष्णु और महेश। जीवन जीने की शक्ति और संसार की चुनौतियां का सामना करने का अदम्य साहस देता है। ॐ का उच्चारण करने मात्र से, हर प्रकार की परेशानियां और रुकावटें दूर होती हैं।
ॐ(OM) एक ऐसा रहस्यमय शब्द है। जिसे हिंदू धर्म का सबसे पवित्र शब्द कहा जाता है। एक ऐसा शब्द, जो हमारी आत्मा को परमात्मा से जोड़ सकता है। एक ऐसा शब्द, जो हमारे मस्तिष्क के ज्ञान चक्षु को खोल देता है।
लेकिन क्या हम इसके बारे में पूरा सच जानते हैं। आखिर क्या है, इसे उच्चारण करने की विधि, इसका असर। अगर हम हिंदू धर्म के ग्रंथों के अनुसार जाने। तो ॐ एक ऐसी ध्वनि है। जो शून्य को मस्तिष्क से जोड़ सकती है।
ॐ का आध्यत्मिक (Spiritual) द्रष्टिकोण
ज्योतिषियों के अनुसार, ॐ(OM) एक मंत्र है। जिसके जाप से कई बीमारियों से छुटकारा मिल सकता है। शरीर की कुंडलिनि अर्थात सातों चक्र जागृत हो सकते हैं। पुराणों के अनुसार, ॐ तीन अक्षरों से मिलकर बना, वह शब्द है।
जिससे भगवान ब्रह्मा, विष्णु और शिव उत्पन्न हुए। इसे सभी मंत्रों का बीज-मंत्र एवं ध्वनियों और शब्दों की जननी कहा जाता है। हिंदू धर्म में, ॐ सबसे महत्वपूर्ण शब्द है। जो अपने आप में एक मंत्र भी है।
ॐ(OM) वास्तविकता में एक शब्द न होकर, तीन अक्षरों से मिलकर बना है-अ, ऊ और म। ब्रह्मा, विष्णु और महेश इन तीनो का, यह संयुक्त स्वरूप है। ॐ शब्द में ही सृजन(creation), पालन(observance) और संहार(destruction) तीनों शामिल हैं।
इसलिए ॐ को ही ईश्वर का स्वरूप माना जाता है। यदि ॐ का उचित रूप में प्रयोग किया जाए। तो यह हमारे जीवन की, हर समस्या को दूर कर सकता है। ॐ शब्द का उचित ढंग से उच्चारण करने मात्र से ही। ईश्वर तक को प्राप्त किया जा सकता है।
ज्योतिष के विद्वानों की द्रष्टिकोण में, ॐ में ही संपूर्ण सृष्टि(nature) समाहित है।ॐ की ध्वनि के उच्चारण से, हमारे चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है। ऐसा भी माना जाता है। ॐ(OM) शब्द की ध्वनि, हमारे सुनने की क्षमता से बहुत अधिक होती है। लेकिन जो लोग ध्यान-साधना में लीन होते है।उन्हें यह चमत्कारी ध्वनि सुनाई पड़ती हैं।
ॐ(OM) के उच्चारण से निकलने वाली ध्वनि, अधिक पवित्र और प्रभावशाली है। ऐसा माना जाता हैं। ॐ के जुड़ते ही मंत्रो की शक्ति, कई गुना बढ़ जाती है।ॐ शब्द के प्रभावशाली उच्चारण के, कुछ नियम और सावधानियां भी होती हैं।
हमारे वेदों में ॐ(OM) को उत्पत्ति का स्रोत माना जाता है। अर्थात इसी से सृष्टि की रचना हुई है। जब इस सृष्टि की भौतिक अवस्था की शुरुआत हुई। तब सबसे पहली ध्वनि ॐ की ही थी। ऐसा नहीं है कि ॐ की ध्वनि को सिर्फ हिंदू धर्म तक ही सीमित रखा गया। जैन धर्म, बौद्ध धर्म और सिख धर्म ने भी इसके बारे में विस्तार से बताया गया है।
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ॐ का वैज्ञानिक (Scientific) द्रष्टिकोण
21वीं सदी में तो पश्चिमी वैज्ञानिक भी, ॐ(OM) पर research करने में लग गए हैं। क्योंकि योग मुद्रा में, इसका असर शरीर पर चमत्कारी रूप से होता है। भारत की कई universities में ॐ शब्द पर कई research हुए। रोज इसका उच्चारण करने वाले लोग, दूसरों से ज्यादा शांत थे। सबसे बड़ा चमत्कार तो, ये था। ॐ के उच्चारण से उन लोगों की कई बीमारियां, बड़े ही धीमे असर कर रही थी।
मंत्र विज्ञान पर थोड़ा-सा ही असर पाकर, विदेशी लोग हैरान रह गए हैं। मंत्रों में गुप्त अर्थ और उनकी शक्ति होती है। पृथ्वी की उत्पत्ति के समय उत्पन्न हुई, सबसे पहली ध्वनि ॐ(OM) ही थी। जिसने सम्पूर्ण आकाश, पृथ्वी और पाताल के साथ, सारे सँसार को गुंजायमान(resonant) कर दिया था।
ॐ की इस पवित्र ध्वनि की शक्ति और उसके असर का लोहा। आज पूरी दुनिया मान रही है। हमारे धर्म ग्रंथों के अनुसार, ओम की ध्वनि से ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है।
ॐ पर Scientific Research
United state की एक research ने दावा किया। ओम की ध्वनि सुनने पर, मस्तिष्क में एक अलग असर पड़ता है। इसके उच्चारण से subconscious और unconscious mind पर भी असर पड़ता है।
अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशो में ॐ के माध्यम से । न सिर्फ शारीरिक विकार दूर किए जा रहे हैं। बल्कि नशे के गर्त में डूब रहे, विदेशी युवाओं को भी। उनकी इस बुरी लत से छुटकारा दिलाने के लिए। इसी पवित्र ॐ ध्वनि का सहारा लिया जा रहा है।
Dr. Leser-Lasario व दूसरे चिकित्सक कहते हैं। हरि ॐ का उच्चारण करने से। शरीर के विभिन्न अंगों पर अलग-अलग असर पड़ता है। Dr. Leser ने अपने 17 वर्षों के research के पश्चात, यह खोजा। यदि हरि के साथ ॐ को मिलाकर उच्चारण किया जाए। तो पांचों ज्ञानेंद्रियों पर, उसका अच्छा लाभ पड़ता है।
नि:संतान व्यक्ति को मन्त्र के बल पर, संतान भी प्राप्त हो सकती है। ब्रिटेन के एक science journal में प्रकाशित की गई, एक रिपोर्ट के अनुसार। वहां पर इसकी महत्ता(importance) स्वीकार की गई है। जिन आंतरिक बीमारियां का इलाज, आजतक medical science में नही उपलब्ध है।
उनमे केवल ॐ(OM) मन्त्र के नियमित जप से,आश्चर्यजनक रूप में कमी देखी गई है। खासतौर पर Brain, Intestine और Heart से संबंधी बीमारियों में। ॐ के जाप का असर, सर्वरोग हारी औषधि(panacea) के रूप में, काम करता है।
Research and Experiment Institute of Neuroscience के प्रमुख Dr.Morgan और उनके सहयोगियों द्वारा। विगत सात साल से हिंदू धर्म के प्रतीक चिन्ह, ॐ(OM) के प्रभाव पर study जा रही थी। इस दौरान उन्होंने Brain और heart की विभिन्न critical decease से पीड़ित, लगभग 3000 पुरुषों और 2500 महिलाओं पर इसका परीक्षण किया। इस दौरान सभी मरीजों को, केवल वही दवाइयां दी गई। जो उनके लिए जीवन-रक्षक थी। बाकी सारी दवाइयां बंद कर दी गई।
प्रतिदिन सुबह 6:00 बजे से 7:00 बजे तक साफ, स्वच्छ व खुले वातावरण में। योग प्रशिक्षकों के द्वारा ॐ(OM) का जाप करवाया गया। इस दौरान उन्हें विभिन्न ध्वनियों और आवर्तियो(frequency) में ॐ का जप करने को कहा गया। हर 3 महीने बाद मस्तिष्क व ह्रदय के अलावा, पूरे शरीर का scanning किया गया।
4 साल तक लगातार, ऐसा करने के बाद, जो रिपोर्ट आई। वह चौंकाने वाली थी। लगभग 70% पुरुष और 82% महिलाओं में ॐ का जप करने से, पहले से जो बीमारियों थी। उन बीमारियों में 90% तक की कमी दर्ज की गई।
इसके अतिरिक्त इसका एक और प्रभावशाली असर देखने में आया। नशे के शिकार लोगों ने जब, ॐ का जप किया।तब चमत्कारी रूप से उन्हें, इससे छुटकारा मिला। Dr. Morgan का सुझाव था कि स्वस्थ व्यक्ति भी प्रतिदिन ॐ का जाप करके, उम्र भर बीमारियों से दूर रह सकता है।
Dr. Morgan का मानना है। कि विभिन्न आवृत्ति(frequency) और ध्वनियों के उतार-चढ़ाव से,जो कंपन पैदा होता है । वह मृत कोशिकाओं(cells) में पुनर्जीवन पैदा करता हैं। नई कोशिकाओं(cells) का निर्माण करता हैं। ॐ के जप से मस्तिष्क से लेकर नाभि,ह्रदय और पेट में तरंगों का संचार होता है। इस कारण पूरे शरीर में रक्त का संचरण(blood circulation) भी सुव्यवस्थित होता है।
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ॐ (OM) के उच्चारण का सही तरीका
ॐ(OM) के उच्चारण का,यदि आप पूरा लाभ पाना चाहते हैं,तो इसका उच्चारण करने के लिए, ब्रह्म मुहूर्त या शाम का चुनाव करें। उच्चारण करने से पहले, इसकी तकनीक(technique) सीख ले। तभी आपको, इसका पूरा लाभ मिल सकता है।
उच्चारण करते समय, अपनी रीढ़ की हड्डी(spinal cord) को सीधा रखें। जब आप उच्चारण पूरा कर ले। तो लगभग 10 मिनट तक जल को, स्पर्श ना करें। नियमित रूप से उच्चारण करने से दैवीयता(divineness) का अनुभव होने लगेगा।
पतंजलि ने योग सूत्र में, ॐ का वर्णन किया है। यह तीन शक्तियों को represent करता है।इनमें पहली है,creation यानि कि निर्माण। दूसरी है, preservation यानि कि संरक्षण। और तीसरी है, tranformation यानि कि रूपांतरण।
यह हमारे present, past और future तीनों को connect भी करता है। यह भी कहा जाता है। जब सारी ध्वनियों को एक जगह एकत्र किया जाता है।तब ॐ(OM) शब्द ही बनता है। इसकी सही तरीके से chanting करने पर। हमें बहुत से शारीरिक व मानसिक लाभ भी मिल सकते हैं। चलिए जानते हैं ॐ शब्द की सही उच्चारण की विधि।
ॐ chanting का सबसे अच्छा तरीका है। इसे जमीन पर सुखासन के मुद्रा में बैठकर किया जाए। इसका सही समय, सुबह का होता है। इसको आप सोकर उठने के बाद, नहाने के बाद, बिना कुछ खाए और कुछ खाकर। सभी तरीके से कर सकते हैं। लेकिन बेहतर होगा कि इसकी chanting करने के लिए, सुबह उठकर fresh होकर किया जाए।
ॐ तीन ध्वनियों से मिलकर बना है। इसे बोला जाता- AUM। इसका पहला शब्द है-अ। दूसरा है-ऊ और तीसरा है- म। तीनों अपने आप में अलग ध्वनियाँ है। इनके vibration का फर्क भी, हमारे शरीर पर अलग होता है। इसका उच्चारण करने के लिए, हमें जमीन पर रीढ़ की हड्डी(spinal cord) को सीधा कर बैठना चाहिए।
दोनों हाथों को अपने पैरों पर रखे। पेट से अ शब्द का उच्चारण करना चाहिए। इसके लिए पहले, एक गहरी सांस लें। फिर पेट से अ शब्द की ध्वनि, थोड़ी तेज आवाज से निकाले। जिससे हमारे पेट में कुछ vibration पैदा होगे। अब ऊ की ध्वनि के लिए, होठों को थोड़ा-सा गोल करके,श्वास को बाहर निकाले। तब स्वयं ही ऊ की ध्वनि निकलेगी।
इस बात का ध्यान रखें कि यह तीनों ध्वनियां सांस को बाहर निकालते हुए ही करें। Normal श्वास लेने के लिए, नासा छिद्र का उपयोग करें। आखरी ध्वनि म से इसे समाप्त करते हैं। तो इसे करने के लिए आंखें बंद कर, पुनः लंबी सांस लें। फिर होठों को बंद करे। धीरे-धीरे vibration और humming sound निकालते हुए, इसे पूरा करें। इस बात का विशेष ध्यान रखे। ॐ के पूर्ण उच्चारण को श्वांस बाहर निकालते हुए ही करे।
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ॐ (OM) का स्वास्थ्य पर प्रभाव
हमारे शरीर में मुख्यता तीन दोष होते हैं- पित्त, कफ और वात। Om chanting करने से इन तीनों दोषों में लाभ होता है।यह balance होते हैं। इससे सभी मे स्थिरता आती है। अगर आप रोजाना OM chanting करते हैं। तब हमारे आसपास, जो नकारात्मक ऊर्जा(negative energy) होती है।उसका नाश होता है।
ॐ के अनुसार ही, हम अपने शरीर को तीन भागों में बाटेंगे।जिन पर अ,ऊ और म का सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
अ का प्रभाव
अगर आपको पेट की problem है। Indigestion की problem है। Liver ठीक से काम नहीं कर रहा है। Liver fatty है। pancreas disturb है। diabetes की समस्या है। Hemoglobin कम रहता है। Indigestion होने के कारण, यदि आपकी पाचन-क्रिया ठीक से नहीं होती। तो आपकी body में पित्त और वात disturb हो जाएगा। आपकी वात बढ़ी हुई है। पैरों में दर्द रहता है।
आपको ॐ(AUM) का उच्चारण करते समय। अ की ध्वनि को अधिक लंबा कीजिए। इससे आपके वात पर, बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। आपकी body में वायु balance होने लगती है। जिनका इन सभी रोगों पर विशेष प्रभाव होता है।
ऊ का प्रभाव
आपको lungs की समस्या है। breathing issues हैं। Heart की समस्या है।आप बार-बार बीमार होते हैं। आपकी immunity कमजोर है। Tonsils की समस्या है। Thyroid की समस्या है। Throat, Lungs व Heart से सम्बंधित किसी भी प्रकार की समस्या हो।
आपको ॐ(AUM) का उच्चारण करते समय, ऊ की ध्वनि को अधिक लम्बा खींचिए।इससे इन सभी बीमारियो से छुटकारा पाया जा सकता है।
म का प्रभाव
आपको Brain से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या है। ENT अर्थात नाक, कान, गले से संबंधित, कोई भी समस्या है। आपको eye-sight की समस्या है। याददाश्त की समस्या। नींद न आना। नींद अधिक आना। आपको parkinsan या paralysis की समस्या हो। गले से ऊपर किसी भी भाग में, किसी भी प्रकार की समस्या हो।
आपको ॐ(AUM) का उच्चारण करते समय, म की ध्वनि को अधिक लम्बा खीचिए। इससे इन सभी रोगों से मुक्ति मिलेगी।
ॐ के उच्चारण(chanting) करने से आपको इसके अतिरिक्त अन्य अनगिनत लाभ प्राप्त होते है। जिनका सम्पूर्ण वर्णन करना सम्भव नही है।ॐ एक cosmic energy है।ये सम्पूर्ण ब्राहमंड में व्याप्त है।
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FAQ:
प्र० ॐ का जाप कितनी बार करना चाहिए?
उ० ॐ वेदों का एक सबसे शक्तिशाली मंत्र है। इसके जाप से बहुत ही असाध्य बीमारियों से छुटकारा मिलता है। तो वही चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का विकास होता है। अतः हमें प्रतिदिन 1008 ॐ का जाप करना चाहिए।
प्र० ॐ का जाप (chanting) कब करना चाहिए?
उ० ॐ chanting का सही समय ब्रह्म मुहूर्त होता है। आप इसे सो कर उठने के बाद, नहाने के बाद, बिना कुछ खाए और कुछ खाकर सभी तरीकों से कर सकते हैं। लेकिन पूर्ण लाभ के लिए, ब्रह्म मुहूर्त सबसे उचित समय है।
प्र० ॐ का रहस्य क्या है?
उ० ॐ तीन ध्वनियों से मिलकर बना है। इसे बोला जाता हैं- AUM। इसका पहला शब्द है- अ। दूसरा है- ऊ और तीसरा है- म। तीनों अपने आप में अलग ध्वनियाँ है। इनके vibration का फर्क भी, हमारे शरीर पर अलग होता है।
प्र० ॐ शब्द का क्या महत्व है?
उ० ॐ में सारी सृष्टि समाई है। ॐ से ही त्रिदेव की उत्पत्ति हुई है। ॐ में ही छिपा है। हमारी आपकी सभी समस्याओं का समाधान। एक बार अगर, आपने ॐ के महत्व को समझ लिया। तो फिर जीवनभर, हर समस्या से मुक्ति संभव है।
प्र० ॐ की शक्ति क्या है?
उ० हमारे शरीर में मुख्यता तीन दोष होते हैं- पित्त, कफ और वात। Om chanting करने से इन तीनों दोषों में लाभ होता है।यह balance होते हैं। इससे सभी मे स्थिरता आती है। अगर आप रोजाना OM chanting करते हैं। तब हमारे आसपास, जो नकारात्मक ऊर्जा(negative energy) होती है।उसका नाश होता है।
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