Draupadi Murmu Biography in Hindi | द्रौपदी मुर्मू की जीवनी | राष्ट्रपति भवन तक का पूरा सफर

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यह कहना बिल्कुल सही है। कि एक महिला के अंदर बहुत ज्यादा पावर होती है। क्योंकि एक नई लाइफ को जन्म देना। एक महिला के ही हाथ में होता है। इसलिए हम कह सकते हैं कि महिलाएं magical होती है। She is Blessed With the Magic to create and Build Life।

पिछले कुछ सालों से हमारी सोसाइटी में महिलाओं की कंडीशन बहुत ज्यादा खराब होती जा रही है। उनकी powers को underestimate किया जाता है। ऐसा क्यों। ऐसा सिर्फ Patriarchal Society के कारण। Patriarchal यानी पितृसत्ता। पितृसत्ता हमारी सोसाइटी के लिए, एक बहुत बड़े खतरे की तरह काम कर रही है।

यह सिर्फ महिलाओं के लिए ही नहीं बल्कि पुरुषों के लिए भी बहुत चिंता का विषय है। ऐसा इसलिए क्योंकि पितृसत्ता की वजह से, पुरुष अपना दबदबा बनाने पर ज्यादा focus करते हैं। वहीं महिलाएं दबने लगती है। ऐसे में दोनों ही genders को भारी नुकसान  है। क्योंकि ऐसी सोच हमें आगे बढ़ने से रोकती है।

वहीं अगर आदिवासी महिलाओं की बात की जाए। तो उनकी स्थिति upper cast  महिलाओं से काफी अलग है। आज भी उन्नतिशील भारत में, आदिवासियों की स्थिति पिछड़ी हुई है। उनका लाइफस्टाइल आज के आधुनिक भारत से काफी पीछे छूटा हुआ है। इनके जीवन-यापन का मुख्य स्रोत खेती-बाड़ी ही है।

आज जब आदिवासी महिलाएं हाशिए पर चली गई। तो उन्हीं के बीच एक ऐसी महिला भी उभरकर सामने आई। जिन्होंने आर्थिक समस्याओं के बावजूद, न सिर्फ शिक्षा ग्रहण की। बल्कि महिलाओं के उत्थान में अपना योगदान भी दिया। वह भारत के बहुत सारे संवैधानिक पदों पर भी काबिल हुई।

इन्होंने जनजाति समाज को, समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का भी काम किया। आज वह भारत के सर्वोच्च पद पर बैठने वाली प्रथम आदिवासी महिला भी हैं। यह हैं, संथाल आदिवासी जाति से आने वाली द्रौपदी मुर्मू। जो भारत की प्रथम नागरिक हैं। इसी प्रकार जाने : S. Jaishankar Biography in Hindi जिन्होने भारत की विदेश नीति ही बदल दी।

Draupadi Murmu Biography in Hindi

Draupadi Murmu – An Introduction

15th The President of India
Draupadi Murmu
Ek Nazar
पूरा नामद्रौपदी मुर्मू
जन्म-तिथि20 जून 1958
जन्म-स्थानबैदोपोसी, रायरंगपुर, मयूरभंज, उड़ीसा
पितास्व० बिरंची नारायण टुडू (किसान)
मातानाम ज्ञात नही
गृह नगरगांव बैदोपोसी, रायरंगपुर, जिला- मयूरभंज, उड़ीसा
जातिअनुसूचित जनजाति (संथाल)
स्कूलके बी हा०से० उपरबेदा स्कूल, मयूरभंज, उड़ीसा
कॉलेजरमादेवी वूमंस कॉलेज, भुवनेश्वर, उड़ीसा
शैक्षिक योग्यताकला में स्नातक
वैवाहिक स्थितिविधवा
पतिस्वर्गीय श्याम चरण मुर्मू (बैंक अधिकारी)
बच्चे• स्व०लक्ष्मण मुर्मू (बेटा) 
• इतिश्री मुर्मू (बेटी)
व्यवसायराजनीतिज्ञ
पहचानएनडीए की ओर से 2022 के राष्ट्रपति
चुनाव के लिए नामित
राजनीतिक पार्टीभारतीय जनता पार्टी
भाजपा में शामिल1997 
इनकमसमीक्षाधीन
नेट-वर्थ9.5 लाख

Draupadi Murmu Early Life
द्रौपदी मुर्मू का प्रारम्भिक जीवन

उड़ीसा के बेहद पिछड़े और संथाल जाति से जुड़ी 64 वर्षीय द्रौपदी मुर्मू का जीवन बहुत संघर्षों से भरा रहा है। द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को उड़ीसा के मयूरभंज के रायरंगपुर के बैदोपोसी गांव में हुआ था। संथाल समुदाय में जन्मी द्रोपदी के पिता स्व० बिरंची नारायण टुडू, एक किसान थे।

मुर्मू के परिवार में इनके दो भाई थे। जिनमें भगत टुडू व सारनी टुडू दोनों ही भाई, पिता के खेती-बाड़ी के काम में हाथ बटाया करते थे। इनके पिता व दादा दोनों ही गांव के प्रधान थे। घर की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी। इसीलिए उनके दोनों भाइयों में शिक्षा का अभाव रहा। इसी प्रकार जाने : बिरसा मुंडा इतिहास बिरसा मुंडा जयंती। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के जननायक।

Draupadi Murmu Education
द्रौपदी मुर्मू की शिक्षा

द्रौपदी मुर्मू की शिक्षा में, इनकी दादी का बड़ा योगदान था। उन्होंने द्रोपदी को शिक्षा के लिए प्रेरित किया। इनकी दादी घर व समाज में टूटी-फूटी अंग्रेजी बोला करती थी। द्रौपदी मुर्मू में अपनी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही शुरू की। जब वह कक्षा 7 में थी। तब उनके गांव में आगे की शिक्षा के लिए, कोई भी विद्यालय नहीं था।

तभी गांव में कुछ सरकारी अधिकारी व मंत्री जी का दौरा हुआ। द्रौपदी मुर्मू ने उनके सामने, अपनी आगे की शिक्षा जारी रखने  की इच्छा जाहिर की। उनकी मदद से, उनका दाखिला मयूरभंज के के. बी. हा०से० उपरबेदा स्कूल में हो गया। इसके बाद, उन्होंने सरकारी योजना की मदद से रमादेवी वूमंस कॉलेज, भुवनेश्वर में दाखिला लिया। यहां से उन्होंने कला में स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

शिक्षा पूरी करने के बाद, उनका एक ही मकसद था कि वह कहीं नौकरी कर ले। ताकि अपने परिवार को आर्थिक रूप से मदद कर सके। इसी को ध्यान में रखते हुए। उन्होंने उड़ीसा के सिंचाई विभाग में कनिष्ठ सहायक के तौर पर नौकरी की।

Draupadi Murmu Family – Marriage, Husband, Children
द्रौपदी मुर्मू का विवाह, पति, बच्चे व परिवार

द्रोपदी मुर्मू का विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ। इनके पति एक बैंक में कार्यरत थे। विवाह के बाद ससुराल में, उनकी नौकरी को लेकर दिक्कतें शुरू हो गई। ससुराल वालों का मानना था कि दोनों लोगों के नौकरी करने की वजह से, बच्चों की परवरिश पर असर पड़ेगा।

इसलिए उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने गांव में आकर, इंटीग्रल एजुकेशन सेंटर में पढ़ाना शुरू किया। यहाँ वह वेतन नहीं लेती थी। द्रोपदी मुर्मू के दो बेटे थे। जिनमें बड़े बेटे का नाम लक्ष्मण मुर्मू था। उनकी एक बेटी भी है। जिनका नाम इतिश्री मुर्मू है।

उन्होंने अपनी बेटी को पढ़ा लिखाकर, इस काबिल बनाया। ताकि वह एक अच्छा और जाना-माना नाम हो। कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद। इति ने एक बैंक में नौकरी हासिल कर ली। इति मुर्मू रांची में रहती हैं। वही उनका झारखंड के गणेश से विवाह हो गया। इति की एक बेटी आध्या श्री है। इसी प्रकार जाने : Arvind Kejriwal Biography in Hindi संघर्ष से लेकर सत्ता तक…. ।

Draupadi Murmu – Struggle in Life
द्रौपदी मुर्मू के जीवन मे संघर्ष

द्रौपदी मुर्मू ने अपने जीवन में कई कठिनाइयों का सामना किया। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने सभी बाधाओं को पार किया। उनके निजी जीवन में, समय ने बहुत बार उनकी परीक्षाएं ली। उनके जीवन में एक समय ऐसा भी आया। जब वह डिप्रेशन का शिकार हो गई।

जिसके पीछे कारण था कि 25 वर्ष की उम्र में, उनके एक बेटे की असमय मृत्यु हो गई। इसी कारण वह डिप्रेशन में चली गई।  इससे बाहर निकलने के लिए, उन्होंने अध्यात्म का रास्ता चुना। जिसके तहत वह ब्रह्मकुमारी संस्था से जुड़ गई। वह जब अवसाद से बाहर आ ही रही थी। कि तभी 2013 में एक सड़क दुर्घटना में, उनके दूसरे बेटे की भी मृत्यु हो गई।

उनके जीवन का कठिन दौर यहीं नहीं रुका। बेटे की मृत्यु के कुछ दिन बाद ही, उनकी मां की भी मृत्यु हो गई। इसके कुछ समय बाद, उनके भाई का भी देहांत हो गया। इस प्रकार द्रौपदी मुर्मू ने मात्र 1 महीने में ही, अपने परिवार के तीन सदस्यों को खो दिया। इन तमाम दुखों से निकलकर, जब द्रौपदी मुर्मू थोड़ा संभल ही रही थी। कि तभी 2014 में, उनके पति श्याम चरण मुर्मू का भी देहांत हो गया।

उनकी मृत्यु के बाद द्रौपदी मुर्मू का सामान्य जीवन में वापस लौटना थोड़ा मुश्किल था। लेकिन उन्होंने ब्रम्हाकुमारी में अध्यात्म के साथ-साथ योग की भी शुरुआत की। उन्होंने डिप्रेशन के खिलाफ लड़ाई लड़ी। आखिरकार वह अपनी आत्मशक्ति के बल पर, इस बुरे दौर पर जीत हासिल करने में सफल हुई।

Draupadi Murmu – Contribution to Society
द्रौपदी मुर्मू का समाज सेवा मे योगदान

 द्रौपदी मुर्मू ने समाज सेवा में अपना बहुमूल्य योगदान दिया। उन्होंने निशुल्क शिक्षा देने के लिए, कई विद्यालयों में शिक्षण कार्य किया। उन्होंने आदिवासी समुदाय की शिक्षा और उत्थान के लिए कार्य किए।

वह कई एनजीओ के संपर्क में आई। जिसके लिए, उन्होंने गांव-गांव में घूमकर जागरूकता अभियान चलाएं। जिनमें उन्होंने educational और cultural development के साथ-साथ social development के क्षेत्र में बहुत सारे काम  किए।

आदिवासियों के लिए, समर्पण की भावना को देखते हुए। कई राजनीतिक दलों ने उनके ऊपर दवाब बनाना शुरू किया। ताकि वह राजनीति के क्षेत्र में आए। द्रौपदी मुर्मू को लगा कि राजनीति में जाने से वह अपने समाज के लिए, अधिक कुशलता से कार्य कर पाएंगी। इसी प्रकार जाने : विशाल हिन्दू ह्रदय सम्राट  Yogi Adityanath की सम्पूर्ण जीवन गाथा

Draupadi Murmu – Political Career
द्रौपदी मुर्मू का राजनीति मे योगदान

द्रौपदी मुर्मू ने पहली बार 1997 में राजनीति में प्रवेश किया। वह भाजपा के सहयोग से रायरंगपुर नगर पंचायत में एक पार्षद का चुनाव लड़ी। जिसमें उन्होंने जीत हासिल की। इसके बाद, उन्हें साल 2000 में उड़ीसा सरकार में स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया।

उस समय वह उड़ीसा में बीजू जनता दल (BJD) और भारतीय जनता पार्टी (BJP)  के गठबंधन वाली सरकार में शामिल हुई।  जिसमें इन्हें मत्स्य पालन व परिवहन विभाग जैसे महत्वपूर्ण विभागों में (2000 से 2004) काम किया।

इसके बाद 2009 में वह पुनः विधायक चुनी गई। जबकि उस समय बीजेपी और बीजेडी का गठबंधन नहीं था। बीजू जनता दल ने चुनाव से कुछ हफ्ते पहले भाजपा से नाता तोड़ लिया था। इस चुनाव में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी BJD  ने जीत दर्ज की थी।

उनके पास उड़ीसा सरकार में परिवहन, वाणिज्य, मत्स्य पालन और पशुपालन जैसे मंत्रालयों को संभालने का अनुभव है। 2013 में उन्हें  बीजेपी कार्यकारिणी के सदस्य के रूप में भी नामित किया गया था। साल 2007 में उन्हें सर्वश्रेष्ठ विधायक (नीलकंठ) पुरस्कार से भी नवाजा गया।

Draupadi Murmu – First Women Governor of Jharkhand
द्रौपदी मुर्मू – झारखंड की पहली महिला राज्यपाल

द्रौपदी मुर्मू के नाम झारखंड की पहली महिला आदिवासी राज्यपाल बनने का भी गौरव है। 18 मई 2015 में यह झारखंड की राज्यपाल नियुक्त की गई। वह 6 साल 1 महीना और 18 दिन तक इस पद पर रही। इस दौरान इनकी एक सख्त छवि भी उभर कर सामने आई।

जब मई 2017 में सीएनटी-एसपीटी एक्ट संशोधन विधेयक को बगैर दस्तखत किए। सरकार को वापस कर दिया। उनका कहना था कि यह विधेयक आदिवासियों के हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे संशोधन विधेयक के खिलाफ राजभवन को करीब अब तक 200 आपत्तियां मिली है। इसी प्रकार जाने : Indian James Bond NSA Ajit Doval Biography जिससे पूरे विश्व की Army भी काँपती है।

Draupadi Murmu – Presidential Candidate
द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति पद की दावेदार

भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाले एनडीए ने, द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है। द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के पीछे NDA का मानना है। कि उन्होंने अपना पूरा जीवन गरीबों को समर्पित किया।

उनके पास एक समृद्ध प्रशासनिक अनुभव है। उनकी नीतिगत मामलों में समझ और उनका दयालु स्वभाव, देश के लिए लाभकारी सिद्ध होगा। उनकी महिला आदिवासी समाज और विवादों से हमेशा दूरी रही है। वह आदिवासियों और बालिकाओं के हितों के लिए हमेशा से काम करती रही है।

यही कारण है कि NDA की तरफ से, उन्हें उम्मीदवार घोषित किया गया। वहीं तमाम विपक्षी दलों ने मिलकर, यशवंत यशवंत सिन्हा को विपक्ष का संयुक्त उम्मीदवार घोषित किया। यशवंत सिन्हा पहले बीजेपी के बड़े नेता हुआ करते थे। अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में, वह वित्त मंत्री और विदेश मंत्री रह चुके हैं।

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2 thoughts on “Draupadi Murmu Biography in Hindi | द्रौपदी मुर्मू की जीवनी | राष्ट्रपति भवन तक का पूरा सफर”

  1. बहुत ही अच्छा जीवन परिचय का वर्णन किया गया, द्रोपती मुर्मू भारत के लिए गर्व की बात है । आपका बहुत बहुत धन्यवाद इतनी रिसर्च करने के लिए।

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