Kiran Bedi – The First Lady IPS Biography
महिलाओं को हमें सशक्त बनाने की जरूरत है। उन्हें ऐसे पद पर पहुंचाने की जरूरत है। जहां उन्हें त्याग करने की बजाय, चुनाव करना पड़े।
एक ऐसी दबंग महिला ऑफिसर। जिसका नाम सुनते ही, गुंडे अपना ठिकाना बदल लेते थे। कोई भी हो, कानून सबके लिए बराबर है। चाहे वह प्रधानमंत्री हो या अन्य कोई भी हो। इन्होंने यह करके दिखा दिया। जितने भी सीनियर से थे। जो male dominated थे। यह सारे के सारे चाहते थे। इनको किसी भी तरीके से हटा दिया जाए। खत्म कर दिया जाए। पूरी तरह से बर्बाद कर दिया जाए। लेकिन यह इतनी ज्यादा honest थी। कोई भी इनका कुछ नही बिगाड़ पाया।
यह पहली महिला IPS officer थी। जिनका Nobel Peace prize के लिए भी nomination था। एशिया का नोबेल प्राइज कहे जाने वाला, रेमन मैग्सेसे अवार्ड से सम्मानित किया गया था। इनको दिल्ली में ट्रैफिक सुधारने के लिए याद किया जाता है। दिल्ली की तिहाड़ जेल में, कैदियों को सुधारने के लिए भी जाना गया। यह पुलिस अधिकारी, समाज सेवी, सुधारक व लेखिका भी है। ऐसी हस्ती को किसी पहचान की जरूरत नहीं। ये हैं, हम सभी की roll model – किरण बेदी जी।
Kiran Bedi – An Introduction
किरण बेदी का बचपन
किरण बेदी जी का जन्म 9 जून 1949 को अमृतसर में हुआ था। ये एक पंजाबी बिजनेसमैन परिवार से संबंध रखती हैं। इनके पिता का नाम प्रकाश लाल पेशावरिया था। जो एक राष्ट्रीय टेनिस प्लेयर थे। वो अपने टेक्सटाइल के, फैमिली बिजनेस में भी हेल्प किया करते थे। इनकी माता का नाम प्रेमलता था। यह भी बैडमिंटन की प्लेयर थी।
किरण जी चार बहनें थी। इनकी बड़ी बहन का नाम शशि था। इनसे छोटी दो बहने ऋतु और अनु थी। इनके पिताजी का सोचना था कि वह अपनी चारों बेटियों को बहुत उच्च शिक्षा दिलाएंगे। वह अपनी बेटियों को दुनिया के चारों कोनों में भेजना चाहते थे। तब इनके grandfather मुन्नीलाल ने कहा था। क्या जरूरत है। इतना ज्यादा पढ़ाने की।
लेकिन इनके पिताजी ने दृढ़ संकल्प कर लिया था। उनकी बेटियां पढ़ेगी भी और बढ़ेंगी भी। उन्होंने अपनी सभी बेटियों को उच्च शिक्षा दिलवाई। किरण जी की upbringing बहुत ज्यादा religious नहीं थी। लेकिन वह हिंदू और सिख दोनों religious को follow करती थी।
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किरण बेदी की शिक्षा
किरण जी ने अपनी शुरुआती पढ़ाई Sacred Heart Convent School, Amritsar से की। इसके साथ ही, उन्होंने extracurricular activity में NCC में शामिल हुई। उन्होंने 9th क्लास में Cambridge college जो एक private institute था। वहां के साइंस की पढ़ाई के साथ, 10th के एग्जाम की तैयारी की। फिर उन्होंने 10th का एग्जाम pass कर लिया।
1968 में किरण बेदी जी ने government college for women, Amritsar से English में BA किया। इसी साल उन्होंने एनसीसी कैडेट ऑफिसर का अवार्ड भी जीता। 1970 में उन्होंने पंजाब यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से पॉलिटिकल साइंस में post graduation किया। 1970 से 1972 तक उन्होंने, खालसा कॉलेज अमृतसर में पॉलिटिकल साइंस की lecturer के रूप में काम किया। इसके बाद उन्होंने, इंडियन पुलिस सर्विस में रहते हुए। 1988 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से Law की डिग्री प्राप्त की। फिर 1993 में आईआईटी दिल्ली से सोशल साइंस में Ph.d की।
किरण बेदी Tennis Player के रूप मे
किरण बेदी ने 9 साल की उम्र में ही, अपने पिता से inspire होकर टेनिस खेलना शुरू कर दिया था। इसी वजह से, उन्होंने अपने बालों को छोटा करवा लिया था। स्कूल की छुट्टी के बाद, वह सीधे टेनिस कोचिंग सेंटर जाया करती थी। जहां उनका पूरा परिवार पहले से ही मौजूद होता था।
उन्हें टूर्नामेंट खेलने भारत के बहुत से शहरों में जाना पड़ता था। जिसके लिए वह बिना रिजर्वेशन के यात्रा किया करती थी। उन्हें खेल कोटे में 50% की किराए में छूट मिलती थी। जिसके लिए एक form tennis association के secretary से मिलता था। इसके लिए उन्हें कभी-कभी दिन भर इंतजार करना पड़ता था।
एक बार गुस्से में, उन्होंने सेक्रेटरी साहब से कहा। मैं बड़े होकर आपकी तरह किसी को भी इंतजार नहीं करवाउंगी। मैं दूसरों के समय की कीमत समझूंगी। जिसका खामियाजा उन्हें विम्बल्डन चैंपियनशिप में नाम न भेजे जाने का भुगतना पड़ा। लेकिन सेक्रेटरी साहब ने उनकी जगह किसी और का नाम भेज दिया। तभी से उन्होंने तय किया कि वह पढ़ाई में और ज्यादा मेहनत करेंगे करेंगी।
1964 में उन्होंने अपना पहला टूर्नामेंट नेशनल जूनियर लॉन टेनिस चैंपियनशिप दिल्ली जिमखाना में खेली। जिसमें वह शुरुआती राउंड में हार गई। इसके 2 साल बाद, उन्होंने 1966 में ट्रॉफी जीती। 1965 से 1978 के बीच, उन्होंने बहुत सारी चैंपियनशिप जीती। उन्होंने 30 साल की उम्र तक टेनिस खेला।
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किरण बेदी का विवाह
किरण बेदी टेनिस में एशियन चैंपियन भी रह चुकी हैं। इनके पति बृज बेदी भी टेनिस प्लेयर थे। क्लब में टेनिस खेलने के दौरान ही उनकी मुलाकात हुई। बृज बेदी उनसे उम्र में 10 साल बड़े थे। उनकी सगाई होने वाली थी। लेकिन उनके इस रिश्ते के लिए, लड़की के घर वाले तैयार नहीं थे।
यह सब जानते हुए। किरण ने बृज से कहा था। अगर तुम्हारा यह रिश्ता टूट गया। तो मैं तुमसे शादी कर लूंगी। क्योंकि मुझे तुम्हारे जैसा ही समझदार पति चाहिए। 1972 में उन्होंने बृज बेदी से विवाह कर लिया। फिर 1975 में उन्हें एक बेटी हुई। जिसका नाम उन्होंने सुकृति रखा। जिन्हें वह साइना भी बुलाती थी।
किरण बेदी अपनी सारी सफलता का श्रय अपने पति को देती है। 31 जनवरी 2016 को ब्रिज बेदी की गुड़गांव के एक हॉस्पिटल में cardiac arrest से मृत्यु हो गई।
यह वह दौर था। जब Indian Police Services में male dominant हुआ करते थे। सभी ने उन्हें, हर तरह से discourage किया। उनके हौसले बहुत बुलंद थे। 16 जुलाई 1972 में किरण बेदी ने नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन, मसूरी में पुलिस ट्रेनिंग शुरू कर दी। वह 80 आदमियों के बैच में अकेली पहली महिला आईपीएस ऑफिसर थी।
किरण बेदी की पहेली पोस्टिंग 1975 में चाणक्यपुरी सब डिवीजन में हुई थी। चाणक्यपुरी एक ऐसा एरिया था। जहां सारे के सारे Beaurocrat, बड़े-बड़े politician रहते थे। Prime Minister, Foreign Embassy, Parliament, President House सब कुछ यहीं पर थे। उन्हें यहां पर अपने आप को प्रूफ करना था।
किरण बेदी के Golden Career की शुरुआत
15 नवंबर 1978 को निरंकारी और अकाली सिखों में बहुत ज्यादा clashes रहते थे। तभी 700 से 800 सिखों ने इंडिया गेट के बगल में हो-हल्ला करना शुरू कर दिया। उस समय किरण बेदी DCP थी। तब उन्हें इसे कंट्रोल करने का चार्ज दिया गया।
उस समय उनके पास लाठी चार्ज करने के अलावा, आंसू गैस का भी सपोर्ट नहीं था। जब किरण बेदी प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए लाठीचार्ज कर रही थी। तभी एक आदमी उनकी तरफ तलवार लेकर दौड़ा। तब किरण बेदी ने बड़ी बहादुरी से उसके ऊपर लाठी से हमला कर दिया। उनकी प्लाटून प्रदर्शनकारियों को भगाने में सफल रही। बहुत आसानी से, इस प्रोटेस्ट को दबा दिया गया। इस बहादुरी के लिए, उन्हें अक्टूबर 1980 में प्रेसिडेंट पुलिस मेडल फॉर गैलंट्री अवॉर्ड दिया गया।
1979 में जब किरण बेदी वेस्ट दिल्ली में posted थी। तब उन्होंने crime को खत्म करने के लिए, स्थानीय लोगों की मदद ली। उन्होंने one door policy बनाई। लोगों को सीधे बात करने के लिए, प्रेरित किया। उन्होंने प्रत्येक वार्ड में एक कंप्लेंट बॉक्स लगाया। वह लगातार लोगों से मिलकर, वहां की जानकारी इकट्ठा करती थी। किरण बेदी ने 3 महीने में ही, वहां के क्राइम को काफी हद तक कम कर दिया। इसके कारण उनकी लोकप्रियता स्थानीय लोगों में बढ़ने लगी।
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किरण बेदी से क्रेन बेदी तक का सफर
अक्टूबर 1981 में किरण बेदी को Traffic Police का DCP बनाया गया। जब 1982 में एशियन गेमस का आयोजन किया गया। तब उन्होंने बड़ी कुशलता व बुद्धिमता से सारे ट्रैफिक को कंट्रोल किया। उन्होंने गलत तरीके से parked की गई गाड़ियों को उठाने के लिए। 6 tow trucks का इस्तेमाल किया। इसमें काफी गाड़ियों को उठाया गया।
एक बार उनके एक पुलिस ऑफिसर निर्मल सिंह कनॉट प्लेस में क्रेन लेकर गस्त लगा रहा थे। तभी वहां एक गाड़ी सड़क पर खड़ी थी। तब उन्होंने गाड़ी वाले को कहा कि आप पार्किंग में जाइए। आप सड़क पर जाम कर रहे हैं। इस पर गाड़ी वाले ने कहा। तुमको पता नहीं मैं कौन हूं। करके दिखाओ। फिर उसने बताया कि यह प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की गाड़ी है।
तब उस officer ने क्रेन को बुलाया और गाड़ी को उठाकर ले गए। DCP Traffic होने के नाते, उनके पास फोन आया। आपके पुलिस ऑफिसर ने यह क्या किया। आप क्या करना चाहेंगी। तब उन्होंने कहा मैं उसे इनाम दूंगी और चालान रद्द नहीं होगा। यहीं से किरण बेदी उर्फ क्रेन बेदी के रूप में जानी जाने लगी।
किरण बेदी की अन्य जगह नियुक्ति
ऐसा कहा जाता है कि श्रीमती इंदिरा गांधी ने, उनसे नाराज होकर। 1983 में उनकी posting गोवा में कर दी। उस समय उनकी बेटी की तबीयत बहुत खराब थी। लेकिन वह दिल्ली में, अपनी बेटी को छोड़कर गोवा चली गई। उनको कुछ ही महीने हुए थे। तभी उनकी बेटी को दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया।
वह तब पहली बार छुट्टी लेकर, दिल्ली आ गई। जब 6 महीने बाद उनकी बेटी ठीक हो गई। तब उन्होंने दिल्ली में ही अपनी posting ले ली। 1986 में जब किरण बेदी नार्थ दिल्ली की DCP बनी। तब उन्होंने Drugs के खिलाफ अभियान शुरू किया। इसी के साथ, बहुत सारे नशा मुक्ति केंद्र बनाए। पूरे भारत में नशे से मुक्त होने के लिए अभियान चलाएं।
उन्होंने नवज्योति पुलिस फाउंडेशन की भी स्थापना की। इसके बाद बाधवा कमीशन ने, किरण बेदी को मिजोरम भेज दिया। जहां उन्होंने शराब और ड्रग्स के खिलाफ बहुत अच्छा काम किया। सितंबर 1992 में किरण बेदी फिर से दिल्ली वापस आ गई।
पुलिस महानिरीक्षक तिहाड़ जेल के पद पर
मई 1993 में किरण बेदी को Inspector General of Prison, तिहाड़ जेल नियुक्त किया गया। उस समय तिहाड़ की हालत बहुत खराब थी। कोई भी ऑफिसर वहां अपनी पोस्टिंग नहीं लेना चाहता था। जेल को Gangster चला रहे थे। चार्ल्स शोभराज भी इसी जेल में थे।
जेल में रह रहे कैदी, अमानवीय तरीके से जीवन जी रहे थे। तिहाड़ जेल की क्षमता 2500 कैदियों की थी। लेकिन वहां पर 8000 से 9500 हजार तक कैदी रखे जाते थे। टॉयलेट की हालत बहुत खराब थी। इन्होंने वहां जाकर बहुत सारे बदलाव किये।
सबसे पहले जेल में साफ सफाई की व्यवस्था करवाई। खतरनाक अपराधियों के लिए अलग से बैरक बनवाए।
दूसरे अपराधियों के लिए, वोकेशनल ट्रेनिंग और सर्टिफिकेट की व्यवस्था की गई। जेल में धूम्रपान बंद करवा दिया। मेडिटेशन और प्रार्थना सभा शुरू की गई। बेकरी कार्पेंट्री और सिलाई की छोटी-छोटी यूनिट बनाई गई। किरण बेदी ने जेल में सबसे बड़ा काम योग और विपस्सना मैडिटेशन शुरू करवाया।
जिसका असर यह हुआ कि इन 10 दिनों के शिविर में, क्रूर अपराधियों व आतंकवादियों तक को बदल दिया। धीरे-धीरे तिहाड़ जेल तिहाड़ आश्रम में बदल गया। इन सब कार्यों के लिए किरण बेदी को रमन मैग्सेसे अवार्ड दिया गया। जिसे एशिया का नोबेल पुरस्कार माना जाता है।
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यूनाइटेड नेशन (UN) मे नियुक्ति
1999 में इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस, चंडीगढ़ में उनकी पोस्टिंग हुई। 2003 में United Nations Civilian Police Adviser बनी। वह United Nations में Adviser बनने वाली पहली महिला थी। इन्होंने United Nations की peacekeeping फोर्स में भी बहुत सारे reforms किये।
2005 में वह United Nation से वापस आई। इसके बाद उन्होंने 2007 में पुलिस विभाग से resign कर दिया। 2008 से लेकर 2011 तक किरण बेदी जी ने ‘आप की कचहरी’ नाम का एक टी वी शो भी चलाया। जिसकी बहुत अधिक चर्चा हो हुई।
अन्ना हज़ारे के साथ Anti Corruption Movement मे भागीदारी
2011 में किरण बेदी ने अन्ना हजारे जी के साथ जन लोकपाल बिल के लिए धरना दिया। अन्ना हजारे एक प्रसिद्ध गाँधीवादी समाजसेवी हैं। जिन्होंने एक एंटी करप्शन मूवमेंट, दिल्ली के रामलीला मैदान में चलाया। एक moment में बहुत सारे दिग्गज जैसे अरविंद केजरीवाल, कुमार विश्वास, संतोष हेगड़े, बाबा रामदेव, शांति भूषण, प्रशांत भूषण व किरण बेदी शामिल थी।
अन्ना हजारे जी ने 16 अगस्त 2011 को दिल्ली के रामलीला मैदान में पुराने व कमजोर जनलोकपाल बिल को को बदलने के लिए आंदोलन किया। इसकी जगह एक मजबूत जन लोकपाल बिल को लागू करवाने के लिए, मनमोहन सिंह के सरकार के खिलाफ आंदोलन किया।
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किरण बेदी का BJP मे शामिल होना
अन्ना हजारे के आंदोलन को कांग्रेस सरकार द्वारा कुचल दिया जाता है। धीरे-धीरे अन्ना हजारे का downfall शुरू हो जाता है। अरविंद केजरीवाल अपनी ‘आम आदमी पार्टी’ बना लेते है। किरण बेदी नरेंद्र मोदी से प्रभावित होकर BJP में शामिल हो जाती है।
भारतीय जनता पार्टी 2015 के दिल्ली चुनाव में, किरण बेदी को मुख्यमंत्री के रूप में project किया। लेकिन दुर्भाग्यवश किरण बेदी, दिल्ली चुनाव में हार गईं। आम आदमी पार्टी की जीत गई। दिल्ली के मुख्यमंत्री उनके पूर्व सहयोगी अरविंद केजरीवाल बने।
29 मई 2016 में किरण बेदी की नियुक्ति केंद्र शासित प्रदेश पांडुचेरी में लेफ्टिनेंट गवर्नर के तौर पर हुई। 21 मई 2021 को उनका कार्यकाल समाप्त हो रहा था। लेकिन पांडुचेरी के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले, उन्हें राजपाल के पद से बर्खास्त कर दिया गया। मीडिया में फैली खबरों के अनुसार, उन्हें दिल्ली का उपराज्यपाल नियुक्त किया जा सकता है।
अतिप्रेरणातमक प्रसंग
Hey Prasoon,
Thank you for your kind words.
I really appreciate it.