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The Hero of Indian Army - CDS Bipin Rawat
राष्ट्रवाद का सेवक, जिससे पूरी दुनिया कापती है
“ए मेरी जमी अफसोस नहीं
जो तेरे लिए सौ दर्द सहे
महफूज रहे तेरी आन सदा
चाहे जान मेरी ये रहे न रहे
तेरी मिट्टी में मिल जावां
गुल बनके मैं खिल जावां
इतनी सी है दिल की आरजू”
क्या आप जानते हैं कि कपड़ों का सबसे महंगा ब्रांड कौन-सा है। वह है, भारतीय सेना की वर्दी। देश के गद्दारों को भले ही ऊपरवाला माफ कर दे। लेकिन एक फौजी किसी भी कीमत पर, यहां तक कि अपनी जान की कीमत पर भी। उसको माफ नहीं कर सकता। दुनिया में करोड़ों कमाने वाले भी, इस वर्दी को नहीं कमा सकते। उस वर्दी को कमाने के लिए, पैसों की जरूरत नहीं होती। बल्कि उसके लायक बनना होता है।
जब एक 18-19 साल का लड़का। सुबह 4:00 बजे उठकर, race track पर खड़ा होता है। तब उसका एक ही लक्ष्य, एक ही सपना होता है। सिर्फ और सिर्फ अपने देश के लिए, कुछ कर गुजरने की तमन्ना। ऐसा करना आसान कहां होता है। दिल में एक जुनून जगा लेना। आसान कहां होता है। जब यह जुनून जग गया। तब आसान कहां होता है। इस जुनून को बुझा देना।
17 साल की उम्र में जब एक लड़का, लड़की के सपने देखता है। तब 17 साल की उम्र में, वह पागल इंडियन आर्मी के सपने देखता है। जिस उम्र में सब सीख रहे होते हैं। कैसे जीना है। तब वह मौत का आलिंगन चुनता है। जब दुनिया करवट बदलती है। तब वह मैदान में हड्डियां घिसता है। सचमुच एक पागल इंसान ही फौजी बनता है। दाढ़ी मूछें भी सही से आई नहीं होती। बस जुनून, उबलता खून, बस एक ही आवाज, मौत की है प्यास। ऐसा ही जज्बा लेकर, हमारे CDS विपिन रावत ने, अपने जीवन का बलिदान दे दिया।

Bipin Rawat -An Introduction
CDS Bipin Rawat Ek Nazar | |
पूरा नाम | जनरल बिपिन लक्ष्मण सिंह रावत |
जन्म | 16 मार्च 1958 |
जन्म स्थान | लैंसडाउन पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड, भारत |
पिता | लेफ्टिनेंट जरनल लक्ष्मण सिंह रावत |
पेशा | आर्मी ऑफिसर |
शिक्षा | ●कैंब्रियन हॉल स्कूल, देहरादून ●सैंट एडवर्ड स्कूल शिमला ●भारतीय सैन्य अकादमी देहरादून ●राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (B.Sc) ●सर्विसेज स्टाफ कॉलेज (MPhil) ●अमेरिकी सेना कमान व जनरल स्टाफ कॉलेज ●चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी, मेरठ (PhD) |
प्रसिद्धि | भारत के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ |
पत्नी | मधुलिका रावत |
बच्चे | कृतिका रावत (बड़ी बेटी) तरिनी रावत (छोटी बेटी) |
पद व नियुक्ति | ●सेकंड लेफ्टिनेंट – (16 दिसंबर 1978) ●लेफ्टिनेंट (1980) ●कैप्टन (1984) ●मेजर (1989) ●लेफ्टिनेंट कर्नल (1998) ●कर्नल (2003) ●ब्रिगेडियर (2007) ●मेजर जनरल (2011) ●लेफ्टिनेंट जनरल (2014) ●जरनल (2017) ●सी डी एस (30 दिसंबर 2019) |
सम्मान | ◆परम विशिष्ट सेवा पदक ◆उत्तम युद्ध सेवा पदक ◆अति विशिष्ट सेवा पदक ◆युद्ध सेवा पदक ◆सेना पदक ◆विशिष्ट सेवा पदक |
वेतन | 500000 प्रतिमाह + अन्य भत्ते |
निधन | 8 दिसंबर 2021 |
मृत्यु स्थान | कुन्नूर, तमिलनाडु, भारत |
मृत्यु का कारण | IAF हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण |
CDS बिपिन रावत का प्रारम्भिक जीवन व परिवार
CDS Bipin Rawat - Early Life and Family
जनरल बिपिन रावत का जन्म 16 मार्च 1958 को हुआ था। इनका जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल के लैंसडाउन में हुआ। यह एक राजपूत वंश से संबंध रखते थे। इनके परिवार ने काफी पीढ़ियों से, भारतीय सेना के जरिए, देश की सेवा की है। इनको इंडियन आर्मी में जाने की प्रेरणा, अपने ही पिता से मिली। इनके पिता लक्ष्मण सिंह रावत भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर रह चुके हैं। इनका पूरा बचपन फौजियों के बीच बीता। इनके अंदर अपने पिता को देखकर, देश प्रेम की भावना जागृत हुई।
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बिपिन रावत की शिक्षा
Education of Bipin Rawat
विपिन रावत ने देहरादून के कैंब्रियन हॉल स्कूल और शिमला के सैंट एडवर्ड स्कूल से अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी की। फिर इन्होंने नेशनल डिफेंस एकेडमी, खडकवासला से सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद, 1978 में Indian Military Academy (IMA) से अपनी ग्रेजुएशन की शिक्षा पूरी की। यहां अपने बैच में सर्वश्रेष्ठ कैडेट होने के कारण, उन्हें Sword of Honor मिला। शीशों को हीरों में तब्दील करने वाली, IMA पूरा discipline सिखा देती है। इसीलिए हमारी सेना well-disciplined है।
2011 में विपिन रावत को सैन्य-मीडिया सामरिक अध्यन पर शोधकार्य के लिए चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी, मेरठ की ओर से डॉक्टर ऑफ फिलॉसफी (PhD) से सम्मानित किया गया। इसके साथ ही, वे डिफेंस सर्विस स्टाफ कॉलेज, लीवनवर्थ अमेरिका, वेलिंगटन और हायर कमांड कोर्स के ग्रेजुएट भी रहे। उन्होंने मद्रास यूनिवर्सिटी से डिफेंस स्टडीज में एमफिल और मैनेजमेंट तथा कंप्यूटर स्टडी में भी डिप्लोमा किया।
बिपिन रावत का भारतीय सेना मे शामिल होना
Bipin Rawat - Career in Indian Army
बिपिन रावत जब अमेरिका से वापस लौटे। तो उन्होंने भारतीय सेना में शामिल होने का मन बना लिया। उनके प्रयासों से 16 दिसंबर 1978 को, उन्हें सफलता मिली। उन्हें सबसे पहले गोरखा 11 राइफल्स की 5वीं बटालियन में कमीशन मिला। यही से उनके सैन्य सफ़र की शुरुआत हुई। एक बात यह भी रही। कि उनके पिता भी इसी यूनिट में अपनी सेवाएं दे चुके थे। उनकी पहली पोस्टिंग 1979 में मिजोरम में हुई थी। उनके पास कश्मीर घाटी और पूर्वोत्तर में कामकाज का लंबा अनुभव था।
यहां उन्हें सेना के अनेक नियमों को सीखने का व टीमवर्क करने का मौका मिला। उनका कहना था कि गोरखा में रहते हुए। उन्हें जो सीखने को मिला। वह कहीं और सीखने को नहीं मिला। यहां उन्होंने आर्मी की नीतियों को समझा। इसके साथ ही, उन्होंने नीतियों के निर्माण में भी कार्य किया। गोरखा राइफल रहते हुए। उन्होंने आर्मी के अनेक पदों जैसे Corps, GOC-C, Southern Command, IMA Dehradun, Military Operation Directory में Logistic Staff Officer पर भी काम किया।
बिपिन रावत का विवाह व बच्चे
CDS Bipin Rawat - Marriage and Children
बिपिन रावत जी का विवाह 1985 में मध्य प्रदेश के, शहडोल के सोहागपुर में रहने वाली मधुलिका के साथ हुआ था। मधुलिका की पिताजी कांग्रेस से, दो बार विधायक रह चुके हैं। मधुलिका रावत ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से साइकोलॉजी ने पढ़ाई की थी। 2016 में जब जर्नल बिपिन रावत आर्मी चीफ बने। तो मधुलिका को आर्मी वुमन वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष का पद सँभालने का मौका मिला।
इस दौरान उन्होंने कैंसर पीड़ितों की सहायता सहित, कई तरीके के सामाजिक कार्य भी किए। बिपिन रावत जी की दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी का नाम कृतिका रावत है। जिनका विवाह मुंबई में हुआ है। रावत जी की दूसरी बेटी का नाम तरिणी रावत है। यह दिल्ली में रहती हैं। वही दिल्ली हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करती हैं।
बिपिन रावत की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सैन्य सेवाए
Bipin Rawat - Services at International Level
बिपिन रावत ने देश के बाहर, अन्य देशों में भी अपनी सेवाएं प्रदान की। जनरल रावत बेहतर नेतृत्व, कुशलता व उच्च स्तरीय युद्ध नीति बनाने में सक्षम थे। इसीलिए उन्हें कांगो के UN Mission के तहत पहली बार, अंतर्राष्ट्रीय सैन्य सेवाएं देने का मौका मिला। उन्होंने डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो की ब्रिगेड के साथ काम किया। यहां उन्होंने 7000 लोगों की जान को बचाया था। इसके साथ ही शांति स्थापित करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
बिपिन रावत का भारतीय सेना मे महत्वपूर्ण योगदान
Bipin Rawat - Military Career
बिपिन रावत ने सेना में रहते हुए। कई बड़ी लड़ाईयों के साथ Counter Insurgency Operation में अपनी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इससे उन्हें युद्ध की डिफेंस और आक्रमक नीतियां बनाने में, एक लंबा अनुभव मिला। इन्होंने भारतीय सेना में कई बटालियन के लिए काम किया। इससे इन्हें अलग-अलग जगहों की सुरक्षा और युद्ध नीति का अनुभव मिला।
जैसे कि इन्फेंट्री बटालियन में काम करते हुए। इन्हें Line of Actual Control (LAC) का अनुभव मिला। इसी तरह, कश्मीर घाटी में ऑपरेशन को अंजाम देने वाली, 19 इन्फैंट्री डिवीजन के साथ काम करते हुए। कश्मीर की सुरक्षा-नीति को समझने का मौका मिला। इसके साथ ही कई महत्वपूर्ण ऑपरेशंस में भी, इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा।
मणिपुर आतंकी हमला- मणिपुर में हुए एक आतंकी हमले में 18 सैनिक शहीद हुए थे। इसके जवाब में सेना के कमांडो ने, म्यानमार की सीमा में दाखिल होकर हमला किया था। इस हमले में एनएससीएन के कई आतंकी मार गिराए गए थे। यह अभियान 21 पैरा ने चलाया था। जो थर्ड कॉर्प्स की तरह काम करता था। उस समय थर्ड कॉर्प्स के कमांडर विपिन रावत ही थे।
बिपिन रावत सेना प्रमुख व सीडीएस के पद पर आसीन
Bipin Rawat - Appointed as Army Chief and CDS
एक सेनाध्यक्ष की जिम्मेदारी होती है। सेना का मनोबल ऊँचा बनाये रखना। ताकि सीमाओं को सुरक्षित रखा जा सके। सेनाध्यक्ष सरकार के साथ, तालमेल बनाकर काम करना होता है। अपने कार्यकाल में बिपिन रावत ने,अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया। उनके कार्यकाल में पाकिस्तान के आतंकवादियों को भारी नुकसान झेलना पड़ा था। यही वजह थी कि देश में शांति कायम थी।
उनके ही कार्यकाल में, जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हमला हुआ था। इस हमले का बदला लेने के लिए, भारत की वायुसेना ने बालाकोट मे एयर स्ट्राइक की थी। इसी तरह जम्मू कश्मीर में अनुछेद 370 हटाये जाने के बाद, जरनल बिपिन रावत ने सीमा से घुसपैठ पर रोक लगाई थी। यही वजह थी कि पूरी कोशिश करने के बाद भी, पाकिस्तान अब तक कश्मीर में घाटी में कोई बड़ी गड़बड़ी नहीं कर पाया।
सेना प्रमुख बिपिन रावत का सरकार के साथ तालमेल जबरदस्त रहा था। जिसका फायदा उन्हें मिला। उन्होंने देश हित से जुड़े राष्ट्रीय मुद्दों पर, सरकार के साथ पूरे तालमेल के साथ काम किया था। सेना प्रमुख के पद पर आसीन होने से पहले, जरनल बिपिन रावत ने दक्षिणी कमान के कमांडर के रूप में और सहसेनाध्यक्ष का पदभार भी संभाला था। 31 दिसंबर 2016 को, बिपिन रावत को भारतीय सेना का प्रमुख बनाया गया था। उन्होंने दलबीर सिंह सुहाग की जगह ली थी।
इस तरह से विपिन रावत भारतीय सेना के 27 वें प्रमुख बने। बिपिन रावत ने सेना प्रमुख रहते हुए। भारतीय सेना को आधुनिक व बेहतर बनाने के लिए बहुत से काम किए। बिपिन रावत 31 दिसंबर 2019 तक इस पद पर बने रहे। भारतीय सेना के प्रमुख पद से इस्तीफा देने के बाद, बिपिन रावत को Chief of Defense Staff (CDS) बनाया गया।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) क्या है?
What is Chief of Defense Staff (CDS)?
मौजूदा वक्त में, पूरी दुनिया में आर्मी, एयरफोर्स, नेवी और साइबर स्पेस की सेनाए, एक साथ मिलकर काम करती है। अमेरिका से लेकर चीन तक, अपनी सेनाओं को शक्तिशाली बनाने के लिए, एक नेतृत्व में ला रहे हैं। ताकि युद्व के हालात में, इन सेनाओं का आपसी तालमेल सर्वश्रेष्ठ रहे।
ऐसा तभी हो सकता है। जब रक्षा मंत्रालय के सभी अंग मिलकर, एक रणनीति का पालन करें। यही काम CDS की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है। हमारे देश में तीन सेनाये हैं। तीनों सेनाओं के एक-एक सेना प्रमुख है। यह तीनों सेना प्रमुख, रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत काम करते हैं। नई व्यवस्था में रक्षा मंत्रालय में डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स नाम का विभाग बनाया गया। जिसका नेतृत्व CDS को सौंपा गया।
बिपिन रावत को पहला भारतीय सीडीएस अधिकारी बनाया गया था। CDS यानी कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, वह अधिकारी होता है। जो थलसेना, वायुसेना और नौसेना तीनों के बीच तालमेल बनाए रखने का कार्य करता है। वह रक्षा मंत्री और गृहमंत्री का मुख्य सलाहकार भी होता है।
बिपिन रावत के हादसे का पूरा सच
Whole Truth behind Bipin Rawat's Death
तमिलनाडु के कुन्नूर के घने जंगलों में, 8 दिसंबर 2021 की दोपहर करीब 12:20 बजे सेना का एमआई-17 वी-5 हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया। यह हेलिकॉप्टर एयरफोर्स के सबसे आधुनिक हेलीकॉप्टर में से एक है। वही सबसे सुरक्षित भी हैं। हादसे के बाद, हेलीकॉप्टर में आग लग गई। इस हेलिकॉप्टर में चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ (CDS) जरनल विपिन रावत व उनकी पत्नी मधुलिका रावत के साथ। सेना के अन्य 14 अफसर और जवान सवार थे।
इस हादसे में जनरल बिपिन रावत समेत 13 लोगों की मौत हो गई। हादसे के बाद, बिपिन रावत को वेलिंगटन के मिलिट्री हॉस्पिटल ले जाया गया। बिपिन रावत के इस हेलीकॉप्टर ने, कोयंबटूर के पास वायु सेना के सुलुर स्टेशन से उड़ान भरी थी। बिपिन रावत अपनी टीम के साथ, वेलिंगटन के डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज में लेक्चर देने के लिए जा रहे थे। जब यह हादसा हुआ। तब उनकी मंजिल मात्र 10 किमी दूर थी।
जनरल बिपिन रावत का पार्थिव शरीर 9 दिसंबर को कुन्नूर से दिल्ली लाया जाएगा उनके आवास पर अंतिम दर्शन किए जाएंगे। जनरल बिपिन रावत व अन्य सैन्य अधिकारियों का अंतिम संस्कार। पूरे राजकीय सम्मान के साथ, 10 दिसंबर 2021 को दिल्ली में होगा।
रावत जी को हम शत शत नमन करते हैं I
राष्ट्र की अपूरणीय क्षति रावत जी को शत शत नमन