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Nikhat Zareen Biography in Hindi
महिला विश्व चैम्पियन बॉक्सर
‘म्हारी छोरियां छोरों से कम है के’ यह डायलॉग आमिर खान का था। 2016 में आई फिल्म दंगल में। जब वह अपनी बेटियों पर नाज करते दिखे थे। अपनी बेटियों को दिए गए, प्रशिक्षण पर गौरवान्वित महसूस करते दिखे थे।
आज दंगल पार्ट-2 की बारी है। यह दंगल पार्ट-2 गीता या बबीता फोगाट ने नहीं खेला। बल्कि इसे खेला है, निखत जरीन ने। निखत जरीन ने इस दंगल को ऐसा खेला। कि देखने वालों ने, दांतों तले उंगलियां दबा ली।
निखत जरीन वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतने वाली पांचवीं महिला मुक्केबाज बन गई। यह दंगल पार्ट-2 इसलिए है। क्योंकि जिस तरह से पार्ट-1 में महावीर फोगाट ने, अपनी बेटियों का साथ नहीं छोड़ा था। उसी तरह से निखत का साथ, उनके पिता पूर्व फुटबॉलर और क्रिकेटर मोहम्मद जमील ने भी नहीं छोड़ा।
वह चाहते थे कि उनकी चार बेटियों में से कोई एक, खेल को चुने। तब उनकी तीसरी बेटी ने एथलेटिक को चुना। लेकिन चाचा की सलाह पर, वह बॉक्सिंग रिंग में आ गई। चाचा की बेटा पहले से मुक्केबाज है। इसलिए घर में बॉक्सिंग का माहौल मिल गया।
इस महिला बॉक्सर की कहानी से, आज आप ये सीख सकते हैं। कि सफलता के लिए बड़ा मकान नहीं। बल्कि बड़ा मुकाम हासिल करने का इरादा होना चाहिए। जो इस खिलाड़ी के पास था। उसने अपने इन इरादों के बीच, न तो धर्म को आने दिया। न ही कट्टरवाद को चुनौती बनने दिया।

Nikhat Zareen - An Introduction
Indian Gold Champion Boxer Nikhar Zareen | |
पूरा नाम | निखत जरीन |
उपनाम | निखत |
जन्म-तिथि | 14 जून 1996 |
जन्म-स्थान | निजामाबाद, तेलंगाना, भारत |
पिता | मोहम्मद जमील अहमद ( पूर्व फुटबॉलर व क्रिकेटर) |
माता | परवीन सुलताना |
स्कूल | निर्मला हृदय गर्ल्स हाई स्कूल, निजामाबाद |
कॉलेज | ए. वी कॉलेज हैदराबाद, तेलंगाना |
शैक्षिक योग्यता | स्नातक (कला) |
भाई-बहन | • अंजुम मीनाजी (बहन) • अफनान जरीन (बहन) |
चाचा | शमशामुद्दीन (बॉक्सिंग कोच) |
पेशा | भारतीय मुक्केबाज |
मुक्केबाजी में डेब्यू | 13 साल की उम्र में |
वर्ग | फ्लाई वेट |
पहचान | 2022 मुक्केबाजी चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल |
कोच | ● इमानी चिरंजीवी ● आर बी राव (द्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्त 2008) |
शारीरिक मापदंड | • लंबाई – 6 फीट • वजन – 52 किलो • आंखों का रंग – काला • बालों का रंग – भूरा |
इनकम | ₹1 लाख/ माह |
नेट-वर्थ | ₹8 करोड़ |
निखत जरीन का प्रारम्भिक जीवन
Early Life of Nikhat Zareen
निखत जरीन का जन्म 14 जून 1996 को, तेलंगाना के निजामाबाद में हुआ था। निखत एक साधारण मुस्लिम परिवार से संबंध रखती हैं। निखत के पिता का नाम मोहम्मद जमील अहमद है। जोकि खाड़ी देशों में, एक salesperson थे। जो निखत के कैरियर के कारण, अपनी जॉब छोड़कर वापस निजामाबाद आ गए।
इनके पिता पूर्व फुटबॉलर और क्रिकेटर भी रह चुके हैं। इनकी माता का नाम परवीन सुलताना है। निखत की चार बहनें हैं। जिसमे बड़ी बहन अंजुम मीनाजी और उनसे छोटी बहन अफनान जरीन है। ये दोनों डॉक्टर है। जबकि छोटी बहन बैडमिंटन खेलती है। इनके चाचा का नाम शमशामुद्दीन है। जो एक बॉक्सिंग कोच भी हैं।
निखत जरीन की शिक्षा
Education of Nikhat Zareen
निखत जरीन की प्रारंभिक शिक्षा निजामाबाद के निर्मला हृदय गर्ल्स हाई स्कूल से हुई। निखत बचपन में आईपीएस ऑफिसर बनकर, लाल बत्ती वाली गाड़ी में घूमने का सपना देखा करती थी। उन्होंने अपना Graduation हैदराबाद के ए. वी कॉलेज से पूरा किया। वह कला वर्ग में स्नातक है।
निखत जरीन का कट्टरवाद से संघर्ष
Nikhat Zareen - Struggle With Fundamentalism
एक समय निखत जरीन पर, हिजाब पहनने के लिए दवाब डाला गया था। उनसे कहा गया कि मुस्लिम लड़कियां शॉर्ट्स नहीं पहन सकती। वह मर्दों के साथ, बॉक्सिंग की प्रैक्टिस भी नहीं कर सकती। लेकिन निखत इस कट्टरवादी विचारधारा से लड़ती रही। वही आज पूरी दुनिया ने, उन्हें सिर आंखों पर बैठा लिया हैं।
निखत ने अपनी जिंदगी का पहला मैच निजामाबाद में ही लड़ा। वह भी बहुत कम उम्र में। उनका यह मैच था, समाज के खिलाफ। कट्टरवाद के खिलाफ। जिन्हें आज भी लगता है कि मुस्लिम लड़कियों को हिजाब में ही रहना चाहिए। उन्हें शॉर्ट्स पहनकर, बॉक्सिंग जैसे खेलों में participate नहीं करना चाहिए।
निखत के मोहल्ले के लोग, उनके बॉक्सिंग खेलने के खिलाफ थे। वे लोग अक्सर उनके माता-पिता को ताने मारते थे। उनसे कहा जाता था कि आज अगर वह अपनी लड़की को बाहर खेलने के लिए भेजते हैं। तो इससे उस इलाके का माहौल खराब हो जाएगा। जिसके कारण वहाँ रहने वाली, दूसरी लड़कियां भी हिजाब पहनने के इस्लामिक तौर तरीके का विरोध करने लगेंगी।
जिसका साफ मतलब यह था कि उनके आसपास के समाज का सोचना था। अगर निखत की तरह, उनकी बेटियों ने भी, हिजाब पहनने से मना किया। वह भी बॉक्सिंग जैसे खेलों में आ गई। तो वो क्या करेंगे। इसलिए आप अपनी बेटी को रोकिए। इस पर लगाम लगाइये। इस रूढ़िवादी सोच का निखत के परिवार पर कोई असर नहीं पड़ा।
इन तमाम विरोध के बावजूद, उनके पिता ने निखत की हिम्मत टूटने नहीं दी। निखत के ऊपर, एक समय शादी का भी दबाव बनने लगा था। लेकिन तब निखत के पिता ने कहा था। हम अपनी बेटी को ऐसा बनाएंगे। इसके लिए, हमारे घर के बाहर लोगों की लाइन लगेगी।
निखत जरीन का कैरियर मे संघर्ष
Nikhat Zareen - Struggle in Career
निखत के पिता जमील के अनुसार, निखत की दो बड़ी बहनें पढ़ाई में बहुत अच्छी थी। वे दोनों ही शांत स्वभाव की थी। वही निखत बहुत शैतान थी। रोज ही उसकी शिकायत पड़ोसियों से सुनने को मिलती। निखत के अंदर खूब energy थी। उन्होंने उसकी energy को, सही जगह पर लगाने के लिए सोचा।
उनके पिता उन्हें secretariat ground में ले गए। उन्होंने सोचा कि वह थोड़ा पसीना पाएगी। फिर थककर, घर आकर सो जाएगी। लेकिन उसकी energy और भी ज्यादा हो गई। निखत एथलेटिक्स में 100 मीटर और 200 मीटर की कैटेगरी में, district level पर गोल्ड ले आई।
एक दिन ग्राउंड पर, लड़कों को बॉक्सिंग करते हुए देखा। तो उसने पूछा कि वहां पर कोई लड़की क्यों नहीं है। क्या लड़कियां नहीं खेलती। तब उन्होंने बताया कि मोहम्मद अली बहुत बड़े बॉक्सर हैं। उनकी बेटी लैला अली खेलती है। बस वहीं से निखत ने, बॉक्सर बनने का फैसला किया। इसके बाद निखत के चाचा ने भी बॉक्सिंग में उनका पूरा support किया। जो कि एक बॉक्सिंग कोच हैं।
हालांकि इस खेल में, लड़कियों को शॉर्ट्स और ट्रैक शर्ट पहने की आवश्यकता होती है। जिसे अपनाना जमील परिवार और खासकर उस समाज में आसान नहीं था। लेकिन तमाम चुनौतियों के बाद भी। निजामाबाद की गलियों से निकलकर, निखत हिंदुस्तान के दिलों में छा गई हैं।
चाचा शमशामुद्दीन के बेटे इतिशमुउद्दीन भी मुक्केबाजी करते थे। जिसकी वजह से निखत घर में भी ट्रेनिंग करने लगी। जब निखत 12 साल की थी। तो वह Boxing Class में अकेली लड़की थी। कोई उन्हें छोड़ता नहीं था कि वह लड़की है। ट्रेनिंग की शुरुआत में, वह पलटकर मार भी नहीं पाती थी।
इसी दौरान निखत के ऊपर, एक करारा पंच पड़ा। तब उनकी आंख के पास काला घेरा पड़ गया। उनकी eyebrow भी फट गई। यह देखकर, निखत की मां परवीन बहुत नाराज हुई। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा ही रहा। तो कौन इससे शादी करेगा।
निखत जरीन की कैरियर मे सफलता
Nikhat Zareen - Success in Career
निखत के कोच आरबी राव भी रह चुके हैं। जो स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के कोच हैं। इन्होंने निखत की स्किल को और भी अधिक निखारने में उनकी मदद की।
निखत 13 साल की उम्र में ही, बॉक्सिंग रिंग में उतर गई थी। उन्हें पहली सफलता 2010 में मिली। जब उन्होंने National Sub Junior Meet में, अपना शानदार प्रदर्शन किया। इसके साथ ही 15 साल की उम्र में। निखत ने तुर्की में 2011 महिला जूनियर यूथ वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप के फ्लाई वेट में, स्वर्ण पदक जीता था।
निखत ने यह पदक तुर्की की बॉक्सर उलूक डेमीर को हराकर हासिल किया था। निखत ने बैंकॉक में आयोजित ओपन इंटरनेशनल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में रजत पदक हासिल किया। निखत ने 2014 में नेशनल कप इंटरनेशनल बॉक्सिंग टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल हासिल किया। इसमें उन्होंने रूस की पल्टसेवा एकातेरिना को 51 किलो वर्ग में हराया था।
निखत जरीन और मैरी कॉम का विवाद
Controversy of Nikhat Zareen and Mary Kom
निखत जरीन, एमसी मैरी कॉम को अपना आदर्श मानती थी। लेकिन अब दोनों के बीच में, 36 का आंकड़ा हो गया है। दरअसल यह विवाद टोक्यो ओलंपिक के पहले शुरू हुआ। ये सारा बखेड़ा भारतीय बॉक्सिंग संघ के कारण खड़ा हुआ।
मैरी कॉम को टोक्यो ओलंपिक के लिएबगैर ट्रायल के 51 किलोग्राम-भार वर्ग में चुन लिया गया। इस पर संघ के तत्कालीन अध्यक्ष, राजेश भंडारी ने अजीबो-गरीब तर्क दिया। निखत को भविष्य के लिए बचा कर रखा जा रहा है। निखत को उनकी यह बात, नागवार गुजरी।
निखत ने तब खेल मंत्री रहे, किरण रिजिजू को पत्र लिखकर। इसका पूरी तरीके से विरोध किया। इस बीच एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में हुई। जिसमें एक पत्रकार को जवाब देते हुए। मैरीकॉम ने कहा कि ‘यह निखत जरीन है कौन’। इसके बाद निखत और मैरी कॉम के बीच ट्रायल करवाया गया।
जिसमें मैरी कॉम विजयी रही। दोनों के बीच मतभेद इतने बढ़ चुके थे। कि उन दोनों ने बाउट के बाद, एक-दूसरे की तरफ देखा तक नहीं। यहां पर हाथ मिलाने की बात तो बहुत दूर थी। बरहाल मैरी कॉम टोक्यो ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल तक भी नहीं पहुंच पाई।
अगर निखत टोक्यो में होती। तो शायद भारत को एक और पदक मिल सकता था। ऐसी उम्मीद की जा सकती थी। जाहिर है कि निखत, मैरी कॉम के हाथों मिले। इस अपमान को भुला नहीं पाई। इस्तांबुल में पदक जीतने के बाद, उनकी पहली प्रतिक्रिया थी। “क्या मेरा नाम ट्विटर पर ट्रेंड कर रहा है।” ऐसा भी कहा व माना जा सकता है। कि यह मैरी कॉम और बॉक्सिंग संघ को निखत जरीन का जवाब था।
निखत जरीन ने वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीती
Nikhat Zareen Wins World Boxing Championship
निखत जरीन ने इस्तांबुल में महिला बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीत ली। निखत ने फाइनल राउंड में थाईलैंड की जिटपोंग जुटामस को हराकर, गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया। निखत ने ये गोल्ड मेडल 52 किलोग्राम कैटेगरी में जीता है।
दरअसल फाइनल बाउट में जजों ने 30-27, 29-28, 29-28, 30-27, 29-28 से भारतीय बॉक्सर निखत के पक्ष में वोटिंग की। फाइनल में शानदार जीत के साथ ही, जरीन ने टूर्नामेंट के हर मुकाबले को सर्वसम्मति से जीत लिया। इससे पहले मैरीकॉम ने साल 2008 में, गोल्ड मेडल जीता था।
वही टूर्नामेंट के इतिहास में, यह भारत का दसवां गोल्ड मेडल है। जूनियर बॉक्सिंग चैंपियनशिप की विजेता रह चुकी। जरीन ने इससे पहले सेमीफाइनल के मुकाबले में, ब्राजील की कारोलिन डी एलमेडा को 5-0 से हराया। निखत से पहले मैरीकॉम ने विश्व महिला मुक्केबाज चैंपियनशिप 6 बार गोल्ड मेडल जीता है।
मैरी कॉम ने 2002, 2005, 2006, 2008, 2010 व 2018 में गोल्ड मेडल जीता है। 2006 में अलग-अलग वेट कैटेगरी में सरिता देवी, लेखा केसी और जेनी आर एल भी वर्ल्ड चैंपियन बनी थी। जीत के बाद, निखत काफी emotional हो गई थी। जब भारत का राष्ट्रगान बज रहा था। तब निखत की आंख में आंसू थे।
निखत का मतलब
Meaning of Nikhat
निखत का मतलब सुगंध, खुशबू, महक होता है। अतः यह स्पष्ट है कि तेलंगाना की यह खिलाड़ी बॉक्सिंग रिंग में आगे भी खुशबू और खुशी बिखेरने के लिए तैयार है। विश्व मंच पर निखत जरीन के साथ, तिरंगा सबसे ऊपर जाता रहेगा। कई बार और बार-बार। निखत देश को तुम पर नाज है।
FAQ
प्र० कौन हैं निखत जरीन?
उ० निखत जरीन 52 किलो भार वर्ग की भारतीय महिला बॉक्सर हैं। जिन्होंने 2022 की वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप का खिताब अपने नाम किया।
प्र० निखत ज़रीन के पिता का क्या नाम है ?
उ० निखत के पिता का नाम मोहम्मद जमील अहमद है। जोकि खाड़ी देशों में, एक salesperson थे। इनके पिता पूर्व फुटबॉलर और क्रिकेटर भी रह चुके हैं।
प्र० निखत जरीन का सम्बन्ध किस खेल से हैं?
उ० निखत जरीन का संबंध बॉक्सिंग से है।
प्र० निखत किस राज्य से हैं?
उ० निखत जरीन का संबंध तेलंगाना राज्य से है।
प्र० निखत ज़रीन की उम्र कितनी है?
उ० निखत जरीन की उम्र 2022 के अनुसार 26 वर्ष है।
प्र० निखत ज़रीन नेट वर्थ ?
उ० निखत जरीन की नेट-वर्थ लगभग 8 करोड़ रुपए है।