Major Sandeep Unnikrishnan Biography in Hindi| विजय गाथा व सम्पूर्ण कहानी

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2 Major Sandeep Unnikrishnan – An Introduction

वीर मरते नहीं, वह वीरगति को प्राप्त होते हैं।

अगर आपकी कोई इकलौती संतान है। जिसे आपने बड़े नाजों से, बड़े लाड-प्यार से पाला है। उसे एक ऐसा काम करना है। जहाँ उसे हर वक्त सर पर, कफन बांधकर निकलना पड़ता है। तो आप क्या करेंगे। शायद आप एक सेकंड भी बिना सोचे। ऐसे काम के लिए मना कर देंगे।

लेकिन इस देश में आज हजारों, लाखों ऐसे परिवार मौजूद हैं। जिन्होंने अपने घर के इकलौते चिराग को, देश के लिए समर्पित कर दिया। इसके पीछे कोई मजबूरी नहीं थी। चाहते तो वह अपने लाड़ले को, डॉक्टर इंजीनियर या आर्टिस्ट कुछ भी बना सकते थे।

लेकिन उन्होंने अपने बेटे को वह बनाया। जिसके बिना आप और हम कुछ भी नहीं है। न आपका वजूद है। न ही हमारा वजूद है। उन्होंने अपने बेटे को, एक सैनिक बनाया। एक ऐसा योद्धा, जो अपनी जान की परवाह किए बिना। मातृभूमि की रक्षा करते हुए। हंसते-हंसते अमर बलिदानी हो गया। ऐसे ही एक शूरवीर शहीद मेजर संदीप उन्नीकृष्णन थे।

 26 नवंबर 2008 को भारत के लोग, आतंक नहीं भूले हैं। इस दिन आतंकवादियों ने मुंबई के ताज होटल में, लोगों को बंधक बना लिया था। वही न जाने कितने ही लोगों को मार दिया था। इस दिन हमारे देश के न जाने कितने ही पुलिसकर्मी, सेना और एटीएस के कई जवान भी शहीद हुए थे।

इन्हीं में से एक थे, मेजर संदीप उन्नीकृष्णन। जिन्होंने उस समय न केवल बहादुरी से लोगों की जान बचाई। बल्कि आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब भी दिया था। इसी प्रकार जाने : CDS Bipin Rawat Biography in Hindi भारत के प्रथम CDS बिपिन रावत का जीवन व बलिदान।

Major Sandeep Unnikrishnan Biography in Hindi

Major Sandeep Unnikrishnan – An Introduction

Major Sandeep Unnikrishnan
Ek Nazar
पूरा नाममेजर संदीप उन्नीकृष्णन
जन्म-तिथि15 मार्च 1977
जन्म-स्थानचेरुवनूर, जिला  कोझीकोड, केरला
पिताके. उन्नीकृष्णन (पूर्व इसरो अधिकारी)
माताधनलक्ष्मी उन्नीकृष्णन
स्कूलद फ्रैंक एंथोनी पब्लिक स्कूल, बेंगलुरु
कॉलेजनेशनल डिफेंस एकेडमी, पुणे
पत्नीनेहा उन्नीकृष्णन
व्यवसाय/ सेवाएं• भारतीय सेना 
• एनएसजी
प्रसिद्धि2008 मुंबई अटैक में वीरगति को प्राप्त
सर्विस/ सेवाएंभारतीय सेना(1999 – 2008)
यूनिट51 स्पेशल एक्शन ग्रुप (एनएसजी)
आर्मी ऑपरेशन• ऑपरेशन विजय 
• ऑपरेशन पराक्रम 
• ऑपरेशन रक्षक 
• ऑपरेशन ब्लैक टांर्नाडो
पुरस्कार व सम्मानअशोक चक्र (मरणोपरांत)
26 जनवरी 2009
मृत्यु तिथि28 नवंबर 2008
मृत्यु स्थानताज होटल, मुंबई
अंतिम संस्कारहेब्बाल, बेंगलुरू, कर्नाटका

Major Sandeep Unnikrishnan – Early Life
मेजर संदीप उन्नीकृष्णन का प्रारम्भिक जीवन

मेजर संदीप उन्नीकृष्णन का जन्म 15 मार्च 1977 को केरला के कोझीकोड जिले के चेरुवनूर में हुआ था। जन्म के बाद, उनका परिवार चेरुवन्नूर से बंगलुरु में आ गया था। वह एक मलयाली परिवार से संबंधित थे। वह बचपन से ही Indian Army को join करना चाहते थे।

मेजर संदीप के पिता के. उन्नीकृष्णन हैं। जो Indian Space Research Organisation, (ISRO) से पद-निवृत्त, एक अधिकारी हैं। इनकी माता श्रीमती धनलक्ष्मी उन्नीकृष्णन है। जो एक ग्रहणी है। मेजर संदीप अपने माता-पिता की इकलौती संतान थे। मेजर संदीप के अंदर, बचपन से ही देश सेवा की भावना भरी हुई थी। इसी प्रकार जाने : Netaji Subhash Chandra Bose Motivational Biography in Hindi।

Major Sandeep Unnikrishnan Education
मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की शिक्षा

 मेजर संदीप ने बेंगलुरु के फ्रैंक एंथोनी पब्लिक स्कूल से, अपनी शुरुआती पढ़ाई की। उन्होंने अपने 14 साल यहां पर बिताए। 1995 में आईएससी विज्ञान विषय से विज्ञान स्नातक उपाधि प्राप्त की। वे बचपन से ही सेना में जाना चाहते थे।

संदीप के दोस्त व उनके टीचर कहते हैं कि संदीप एक बहुत अच्छे एथलीट थे। जो Sports Activity में, हमेशा सक्रिय रहते थे।

Major Sandeep Unnikrishnan – Join National Defence Academy
मेजर संदीप उन्नीकृष्णन का नेशनल डिफेंस मे शामिल होना

मेजर संदीप उन्नीकृष्णन 1995 में National Defence Academy (NDA) में शामिल हुए। उनका चयन NDA के 94th कोर्स के लिए हुआ। NDA में संदीप उन्नीकृष्णन, Oscar Squadron  का हिस्सा थे। उन्हें एनडीए के साथ ही,  Selfless, Generous और Calm and Composed nature के लिए जाना जाता था।

NDA में 3 साल की और IMA में 1 साल की Pre Commission training  पूरी की। उनके खुशमिजाज चेहरे पर, एक दृढ़ और सख्त सैनिक की झलक स्पष्ट रूप से हमेशा दिखाई पड़ती थी। मेजर संदीप दुनिया की सबसे कठिन कमांडो ट्रेनिंग करके, उसमें अव्वल रहे थे। उन्हें 12 जुलाई 1999 को बिहार रेजीमेंट की सातवीं बटालियन का लेफ्टिनेंट नियुक्त किया गया।

Major Sandeep Uniikrishnan – Contribution To Operation Vijay
मेजर संदीप उन्नीकृष्णन का ऑपरेशन विजय मे योगदान

जब मेजर संदीप की नियुक्ति लेफ्टिनेंट के रूप में हुई। तभी कारगिल युद्ध चल रहा था। मेजर संदीप को तब कारगिल युद्ध में भेजा गया। तो उन्हें फॉरवर्ड पोस्ट पर तैनाती दी गई। जुलाई 1999 में ‘ऑपरेशन विजय’ के दौरान, पाकिस्तानी सैन्य दलों के द्वारा। भारी तोपों के हमले जारी थे। तब उन्होंने भारी बमबारी के जवाब में, फारवर्ड पोस्ट में तैनात रहते हुए। अपने धैर्य और दृढ़ संकल्प का परिचय दिया।

 यहां पर दुश्मन की ओर से भारी आर्टिलरी फायर भी हो रहा था। मेजर संदीप उन्नीकृष्णन ने 6 जवानों की एक टीम की मदद से, 200 मीटर दूर एलओसी की उस पोस्ट पर कब्जा किया। जिस पर पाकिस्तान के जवानों का कब्जा था। कारगिल युद्ध के बाद, वह 12 जून 2003 को लेफ्टिनेंट से कैप्टन बना दिया गया। इसके बाद 13 जून 2005 को, मेजर बना दिया गया।

घातक कोर्स जो भारतीय सेना का सबसे difficult course माना जाता है। उसे मेजर संदीप उन्नीकृष्णन ने दो बार किया। Instructor Grading जो भारतीय सेना  की best Grading होती है। उसे हासिल किया। इसके अलावा मेजर संदीप ने High Altitude Warfare School, Gulmarg से ट्रेनिंग के बाद सियाचिन में अपनी सर्विसेज दी।

 2002 के गुजरात दंगों के दौरान, इनको NSG में चयनित कर लिया गया। फिर मेजर संदीप को ट्रेनिंग ऑफिसर बना दिया गया। इसके बाद, उन्हें जम्मू-कश्मीर और राजस्थान के कई स्थानों पर, भारतीय सेना में नियुक्त किया गया। मेजर संदीप इस दौरान Counter Insurgency Operation का हिस्सा रहे। इसी प्रकार जाने : Indian James Bond NSA Ajit Doval Biography जिससे पूरे विश्व की Army भी काँपती है।

Major Sandeep Unnikrishnan – Joins NSG
मेजर संदीप उन्नीकृष्णन का एनएसजी मे शामिल होना

इसके बाद उन्हें राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) में शामिल होने के लिए चयनित किया गया। प्रशिक्षण पूरा होने पर, उन्हें जनवरी 2007 में, NSG के Special Action Group (SAG) के लिए चुना गया। 51 SAG नेशनल सिक्योरिटी फोर्स की कमांडो बटालियन है। जो एक आतंक विरोधी दस्ता है।

यह close battle action में सक्षम होता है। यानी जब न यह पता हो। कि दुश्मन कितना करीब है। कहां छुपा है। कब हमला कर देगा। तब भी उसे चित्त कर देने की काबिलियत रखता है। अचानक हमले को झेलने के लिए, निरस्त कर देने के लिए। उनके पास खास ट्रेनिंग होती है।

SAG की एक टुकड़ी में 5 कमांडो होते हैं। जो जोड़ियों में आगे बढ़ते हैं। इसमें एक बंदूक ताने 180° सामने की ओर, दूसरा पीछे की ओर बंदूक ताने हुए। पूरी नजर रखता है। इस घातक दस्ते की ऐसी खासियत की वजह से ही। मुंबई की उस कठिन घड़ी में, उन्हें बुलावा भेजा गया।

Major Sandeep Unnikrishnan – Role in Taj Hotel Attrack
मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की ताज होटल हमले मे भूमिका

जब तक मेजर संदीप उन्नीकृष्णन टीम के साथ मुंबई पहुंचे। तब तक शुरुआत के सबसे अहम 10 घंटे निकल चुके थे। ताज होटल एक ऐसी इमारत थी। जिसके भीतरी हिस्से से टीम में, कोई भी वाकिफ नहीं था। उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि उनके पास होटल का कोई भी नक्शा मौजूद नहीं था।

कितने आतंकवादी भीतर थे। यह भी नहीं मालूम था। किस कमरे में कितने लोग थे। मेहमानों में कोई बंधक तो नही था। उनके पास ऐसी कोई भी जानकारी नहीं थी। इन सबके ऊपर, होटल के अंदर बिल्कुल अंधेरा था। इसके साथ ही आतंकी समय-समय पर आगजनी कर रहे थे। लेकिन जब स्थित विपरीत होती है। तो तभी सर्वश्रेष्ठ योद्धा को बुलावा भेजा जाता है।

27 नवंबर को अलग-अलग रास्तों से 14 एनएसजी कमांडो ताज होटल के अंदर दाखिल हुए। मेजर संदीप ने अपनी Hit team के साथ, नीचे की मंजिल से सीढ़ियों  के जरिए। फर्स्ट फ्लोर का रुख किया। रात के करीब 1:00 बज चुके थे। मेजर संदीप की टीम में, उनके अलावा सुनील जोधा, मनोज कुमार, बाबूलाल और किशोर कुमार थे। इसी प्रकार जाने : The Missile Man of India – President Dr. APJ Abdul Kalam Biography

Major Sandeep Unnikrishnan – Launched Operation Tornado
मेजर संदीप उन्नीकृष्णन द्वारा ऑपरेशन टोर्नेटो की शुरुआत

 ताज होटल में प्रवेश के कई रास्ते हैं। एक मुख्य प्रवेश द्वार है। जहां से 26/11 के आतंकी होटल के अंदर दाखिल हुए थे। दूसरा हेरिटेज विंग का हिस्सा है। जहां पर टाटा के संस्थापक की एक मूर्ति लगी हुई है। वहां पर एक बड़ा सा staircase है। यहां से सीढ़ियों के जरिए। हेरिटेज विंग के कमरों तक पहुंचा जा सकता है। मेजर संदीप और उनकी टीम इसी हिस्से से दाखिल हुई थी।

हमले के शुरुआती घंटों में, होटल के सीसीटीवी कैमरे से अंदाजा था। कम से कम 3 आतंकवादी होटल में मौजूद थे। वह लगातार एक कमरे से दूसरे कमरे, एक मंजिल से दूसरी मंजिल जा-जाकर सुरक्षाबलों को उलझाने की कोशिश में लगे हुए थे। इसके ऊपर होटल के अंधकार में डूबे होने के कारण। आतंकियों की सही position का अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता था।

आमतौर पर ऐसी परिस्थिति में, अगर आतंकियों को बाहर निकालना है। तो इसके  लिए, कमरे में ग्रेनेड फेंका जाता है। फिर उसमें दाखिल होकर, तलाशी ली जाती है। लेकिन यहां पर, आतंकी किसी भी कमरे में हो सकते थे। उनके साथ न जाने कितने, आम लोगों के होने की गुंजाइश थी।

मेजर संदीप अपनी टीम में सबसे आगे चल रहे थे। वह सामने से हर आतंकी की गोलियों की ढाल बने हुए थे। पहली मंजिल पर एक-एक कर, सभी गेस्ट रूम का दरवाजा खटखटाया। जिन कमरों में Guest थे। उन्हें बाहर निकालने में मदद की। ऐसे में डरे सहमे 14 लोगों को मुक्त करवाया।

जैसे ही hit team दूसरी मंजिल की ओर बढ़ने लगी। अचानक ऊपर से गोलियों की बौछार आई। कमांडो दीवाल की ओट लेकर बच तो गए। लेकिन वह समझ गए थे कि आतंकियों ने उन्हें देख लिया है। आतंकी बेहतर स्थिति में थे। उन्होंने NSG Commandos की परछाई देख ली थी। उनके ऊपर तक आने का इंतजार किया।

मेजर उन्नीकृष्णन ने इशारे से, सुनील और बाबूलाल को बाएं तरफ की सीढ़ियों से चढ़ने के लिए कहा। तभी दरवाजे के पीछे से, एक ग्रेनेट वहां गिरा आकर गिरा। लेकिन कमांडोज भी जान हथेली पर लेकर निकले थे। अपने दो कमांडोज के कवर फायर की मदद से, मेजर संदीप गोली की दिशा में आगे बढ़ रहे थे। तभी एक दूसरा ग्रेनेट गिरा। इस बार विस्फोट में, कमांडो सुनील जोधा बुरी तरह जख्मी हो गए।

यह फैसला कठिन था। लेकिन मेजर संदीप जानते थे। जितने ज्यादा साथी आगे बढ़ेंगे। आतंकियों को पता चलने का उतना ही खतरा रहेगा। उतनी ही अधिक जानो के जाने की आशंका भी रहेगी। उन्होंने बाबूलाल से सुनील को उपचार के लिए ले जाने को कहा। वह अकेले ही आतंकियों से लोहा लेने के लिए आगे बढ़े।

 दूसरी मंजिल पर पहुंच चुके। मेजर संदीप ने अपने साथियों से कहा। कि ‘वह लोग ऊपर न आए। वह खुद संभाल लेंगे।’ उस वक्त किसी को भी एहसास नहीं था। आतंकियों की एक गोली उनके हाथ में लग चुकी थी। अपनी MP5 बंदूक को सीने के आगे ताने, मेजर संदीप सावधानी से आगे बढ़ा रहे थे।

 लेकिन उन्हें कवर देने के लिए उनका कोई साथी, उनके साथ नहीं था। इसीलिए खतरा भी बड़ा था। अगर मेजर संदीप लौट जाते। तो आतंकियों के चूहे बिल्ली का खेल, एक बार फिर शुरू करना पड़ता। क्योंकि अब तक उन्हें एहसास हो चुका था। आतंकी किस दिशा से और किस मंजिल से, उनकी टीम पर हमला कर रहे हैं। इसी प्रकार जाने : Bhagat Singh Biography – शहीद-ए-आजम भगत सिंह की अनसुनी Life Story।

Martyrdom of Major Sandeep Unnikrishnan
मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की शहादत

मेजर संदीप अब तक, चौथी मंजिल पर पहुंच चुके थे। जहां NSG की दूसरी टीम के कमांडो राजवीर सिंह मौजूद थे। उनकी टीम होटल की छत से, छठी और पांचवी मंजिल को पार करते हुए। चौथी मंजिल तक पहुंची। जानकारी दी गई थी कि कमरा नंबर 471 संदिग्ध है। यहीं पर आतंकियों के अंदर होने की संभावना थी।

कमांडो को इस ऑपरेशन के लिए, Master Key दी गई थी। ताकि सभी  कमरों के दरवाजे खोले जा सके। एक कमांडो दरवाजा खोलता। दूसरा बंदूक तानकर एकदम पोजीशन में रहता। ताकि अगर आतंकी सामने हो। तो उसके हमला करने से पहले ही, उसे ढेर किया जा सके। मेजर संदीप अपनी MP5 को Position में रखते हुए। दरवाजे पर निशाना साधे खड़े थे।

जैसे ही दरवाजा खुला। कमरे में से होटल के कुछ मेहमान बाहर निकले। अब हमले की जगह, उनका बचाव प्राथमिकता बन गया था। लेकिन जैसे ही उन्हें निकाला गया। कमरे के भीतर से गोलियों की बौछार शुरू हुई। इस guest room के अंदर एक छोटा-सा कमरा और था। जहां पर आतंकी छिपा हुआ था। इसकी जानकारी किसी को नहीं थी।

इसीलिए जब गोलियां बरसनी शुरू हुई। सब चौक गए। मेजर संदीप उन्नीकृष्णन सामने खड़े रहे। गोलियां उनको भेदती रही। वह अपने साथियों की ढाल बनकर, मुकाबला करते रहे। जिन लम्हों में, मेजर संदीप उन्नीकृष्णन वीरगति को प्राप्त हुए। उस वक्त ऑपरेशन, अपने चरम पर था। किसी को एहसास नहीं था।

 उनके जैसे दिलेर अफसर को भी कुछ हो सकता है। वायरलेस पर, उनसे संपर्क करने की कोशिश होती रही। लेकिन opreation खत्म होने की, दूसरी सुबह तक किसी को पता नहीं चल पाया था। कि संदीप नहीं रहे। इसी प्रकार जाने : Motivational Biography of Arunima Sinha जिन्होने बिना पैरो के दुनियाँ फतेह की।

मेजर संदीप उन्नीकृष्णन को मरणोपरांत सम्मान

मेजर संदीप उन्नीकृष्णन को मरणोपरांत अशोक चक्र से नवाजा गया। यह सम्मान उन्हें ऑपरेशन टॉर्नेटो के तहत वीरगति प्राप्त करने पर दिया गया। उन्होंने जिस वीरता से 14 लोगों को, आतंकवादियों के चुंगल से मुक्त करवाया। वह स्वयं वीरगति को प्राप्त हुए। यह सम्मान राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल के द्वारा, उनकी मां धनलक्ष्मी उन्नीकृष्णन को दिया गया।

Biopic on Major Sandeep Unnikrishnan
मेजर संदीप उन्नीकृष्णन पर बनी बायोपिक

 मेजर संदीप उन्नीकृष्णन पर एक बायोपिक बनाई गई है। जो 3 जून को release होगी। इस फिल्म का नाम ‘Major’ है। जो कि 26/11 के ताज होटल पर हुए हमले को दर्शाती है। इसमें शहीद मेजर संदीप उन्नीकृष्णन के पूरे जीवन को भी दर्शाया गया है।

इस फ़िल्म के निर्माता साउथ सुपर स्टार महेश बाबू है। इस फिल्म में मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की भूमिका में Adivi Sesh नजर आएंगे। जबकि उनके साथ मुख्य भूमिका में Prakash Raj व Saiee Manjrekar भी नजऱ आएंगे।

FAQ:

प्र०  मेजर संदीप उन्नीकृष्णन कौन थे ?

उ०  मेजर संदीप उन्नीकृष्णन भारतीय सेना के एक जांबाज NSG Commando थे। जिन्होंने 26/11 के हमले में, अपनी शहादत देकर, 14 लोगों की जान बचाई।

प्र०  मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की उम्र कितनी थी?

उ०  मेजर संदीप उन्नीकृष्णन 31 वर्ष (1977-2008) के थे। जब वह शहीद हुए।

प्र० मेजर संदीप उन्नीकृष्णन को किस अवार्ड से नवाजा गया?

उ० मेजर संदीप उन्नीकृष्णन को मरणोपरांत अशोक चक्र से नवाजा गया।

प्र० मेजर संदीप उन्नीकृष्णन का जन्म कब और कहां हुआ था?

उ० मेजर संदीप उन्नीकृष्णन का जन्म 15 मार्च 1977 को चेरुवनूर, जिला  कोझीकोड, केरल में हुआ था।

प्र० मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की पत्नी का क्या नाम है?

उ० मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की पत्नी का नाम नेहा उन्नीकृष्णन है।

प्र० मेजर संदीप उन्नीकृष्णन पर बनी बायोपिक का नाम क्या है?

उ०  मेजर संदीप उन्नीकृष्णन पर बनी बायोपिक ‘मेजर’ है।

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