Jaya Kishori Biography in Hindi | Jaya Kishori Wikipedia | जया किशोरी का जीवन परिचय

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समय पाय फल होत है, समय पाय झरि जाय।

सदा रहे नहिं एक सी, का रहीम पछिताए॥

जिंदगी की सबसे बड़ी सच्चाई, रहीम दास जी ने, इस दोहे में समझा दी। इस सच्चाई को, जितनी जल्दी हम समझ ले। हमारे लिए उतना ही अच्छा है। हम इसीलिए दुखी होते हैं। Upset होते हैं। हार मान जाते हैं। क्योंकि हमारी हर चीजों से, expectations इतनी high होती है। कि जब वह पूरी नहीं होती। तो हम उदास हो जाते हैं। हार जाते हैं। Depressed हो जाते हैं। तो इसका solution क्या है।

ऐसा क्या करें कि इन सारी feeling का सामना न करना पड़े। इन सारे emotions का सामना न करना पड़े। Simple सा solution है- Accept that, Change is the only Constant. और यह बात सिर्फ दुनिया को लेकर accept मत करो। खुद को लेकर भी करो। अपने रिश्तों को लेकर भी। अपने career को लेकर भी। अपने luxurious को लेकर भी। अपनी lifestyle को लेकर भी।

कोई भी चीज एक समान नहीं चलती। सब change होता है। Situations, change होते हैं। जिंदगी में ups and downs का सामना करना पड़ता है। क्योंकि वह जिंदगी का हिस्सा है। कभी अच्छे दिन होंगे, तो कभी बुरे। लेकिन हम इन चीजों को लेकर normal कब होंगे। जब हम यह सोचना बंद करेंगे। कि सारी चीजें हमेशा same to same रहेगी।  एकदम exact रहेगी। वैसी ही रहेगी, जैसा हम चाहते हैं। क्योंकि यह possible नहीं है।

उदाहरण के लिए, spring season में पेड़ों पर फूल व फल लग आते हैं। अच्छी-अच्छी पत्तियां होती हैं। हरा-भरा हो जाता है। लेकिन वही autumn आते-आते, वह पेड़ पूरा खाली हो जाता है। सब झड़ जाता है। सब नीचे गिर जाता है। इसका मतलब क्या है। कि अगली spring में, वह वापस हरा-भरा नहीं होगा। नही, यह चीज हमेशा आती-जाती रहती है। ये Changes हमेशा लगे रहते हैं। ऐसा इंसान opposite situation में भी calm रहता है।

यह मानकर चलता है कि ऐसा होना है। यह part of life है। तो अपनी जिंदगी से, कि सब all time perfect रहेगा। हमारे हिसाब से रहेगा। यह expectation रखना बंद कर दो। इसकी जगह यह मानना शुरू कर दो। कि जो भी रहेगा। उसे मैं handle  कर लूंगा। जैसी भी situation होगी। मैं बिखरुंगा नहीं। वह मुझे बिखरा नहीं पाएगी। हरा नहीं पाएगी। उदास नहीं कर पाएगी। क्योंकि यह situation, अगर tough है। तो मैं उससे ज्यादा tough हूं।

यह विचार सुप्रसिद्ध कथावाचक व युवा साध्वी जया किशोरी जी के है। जया किशोरी जी कथाओं और कीर्तन के लिए जानी जाती है। वहीं इनके भक्तों की संख्या लाखों में है। इनके जीवन से आप भी बहुत कुछ सीखकर, प्रभावित हो सकते हैं। इसी प्रकार जाने : Bageshwar Dham – महाराज धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का जीवन परिचयजानिए – धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की शक्तियों का रहस्य।

Jaya Kishori Biography in Hindi

Jaya Kishori – An Introduction

युवा साध्वी जया किशोरी जी
एक नज़र
वास्तविक नामजया शर्मा
उपनाम• किशोरी जी 
• युवा साध्वी
• आधुनिक मीरा 
• राधा
जन्मतिथि13 जुलाई 1995
जन्म स्थानसुजानगढ़, चुरू, राजस्थान
पिताराधेश्याम जी हरितपाल उर्फ 
शिव शंकर शर्मा
मातागीता देवी हरितपाल
भाई-बहनचेतना शर्मा (छोटी बहन)
जातिगौड़ ब्राह्मण
स्कूलश्री शिक्षायतन कॉलेज, कोलकाता, पश्चिम बंगाल
कॉलेजकोलकाता महादेवी बिरला वर्ल्ड अकैडमी,
कोलकाता, पश्चिम बंगाल
शैक्षिक योग्यताकॉमर्स में स्नातक
व्यवसाय• कथावाचक 
• भजन गायिका 
• आध्यात्मिक वक्ता
प्रसिद्ध कथा• नानीबाई रो मायरो
• नरसी का भात
वैवाहिक स्थितिअविवाहित
गुरुपं० श्री गोविंदराम मिश्रा
शौक• भगवान के भजन  
• कथा वाचन
• पेड़-पौधे लगाना
• संगीत सुनना एवं गाना
• हारमोनियम बजाना 
• योगा करनाखाना बनाना
नेटवर्थ₹5-6 करोड़

Jaya Kishori – Early Life
जया किशोरी जी का प्रारम्भिक जीवन

मधुर वाणी व सुंदर मुस्कान की धनी, कथा वाचक जया किशोरी जी का जन्म 13  जुलाई 1995 को हुआ था। इनका जन्म राजस्थान के चुरू जिले के सुजानगढ़ में हुआ था। ये एक गौड़ ब्राहमण परिवार संबंध रखती है।

ऐसा कहा जाता है कि इनका जन्म चंद्र वंश में हुआ है। ऐसा योग बहुत किस्मत वालों को प्राप्त होता है। जया किशोरी जी का वास्तविक नाम जया शर्मा है। इन्हें आज हम सभी किशोरी जी, साध्वी व Meera of Modern Era जैसे नामों से भी पहचानते हैं।

जया किशोरी जी के पिता का नाम पूज्य राधेश्याम जी हरितपाल है। जिनको शिव शंकर शर्मा के नाम से भी जाना जाता है। इनकी माता का नाम पूज्य गीता देवी हरितपाल है। इनकी एक छोटी बहन भी हैं। जिनका नाम चेतना शर्मा है।

इन्होंने अपनी आरंभिक शिक्षा, श्री शिक्षायतन कॉलेज, कोलकाता से पूरी की। प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने के बाद, जया जी ने कोलकाता महादेवी बिरला वर्ल्ड अकैडमी में दाखिला  लिया। इन्होंने यहाँ से कॉमर्स में स्नातक डिग्री प्राप्त की। इसी प्रकार जाने : धीरेन्द्र शास्त्री जी के गुरु – रामभद्राचार्य जी का जीवन परिचयजिन्होंने रामजन्म भूमि का फैसला बदल दिया।

जया किशोरी जी के आध्यात्मिक जीवन की शुरुआत

जया जी के घर में, शुरू से ही भक्तिमय माहौल था। इनका भी मन भगवान की भक्ति में रमने लगा। वह अपना समय, भगवान के भजन और उनकी कथा सुनने में व्यतीत करने लगी। जया जी जब 6 वर्ष की थी। तभी से वह जन्माष्टमी की विशेष पूजा करने लगी थी। इतनी छोटी सी उम्र में ही, उनका भगवान से इतना लगाव हो गया था। कि वह भगवान श्री कृष्ण को ही अपना सब कुछ मानने लगी थी।

यहां तक कि वह भगवान कृष्ण को, अपना भाई मानने लगी थी। बहुत कम उम्र में ही, जया किशोरी ने दुनिया को दिखा दिया। कि भगवान कहीं न कहीं हमारे साथ हैं। जिस उम्र में उन्हें किताब के पन्नो को पलटना चाहिए। मौज मस्ती करनी चाहिए। एक विद्यार्थी जीवन का निर्वाह करना चाहिए। उस उम्र में, जया जी ने भागवत गीता, ‘नानीबाई रो मायरो’ व ‘नरसी का भात’ जैसी कथाएं दुनिया को सुनाना शुरू की।

जया किशोरी जी की भजन से पहचान

जया किशोरी जी ने मात्र 9 वर्ष की अल्प आयु में संस्कृत में लिंगाष्टकम, शिव तांडव स्तोत्रम्, रामाष्टकम्, मधुराष्टकम्, श्रीरूद्राष्टकम्, शिवपंचाक्षर स्तोत्रम्, दारिद्रय दहन शिव स्तोत्रम् आदि कई स्तोत्रों को गाकर हजारों श्रोताओं को प्रभावित किया है।

जया जी ने 10 वर्ष की आयु में, अमोघ फलदाई, संपूर्ण सुंदरकांड गाकर, लाखों भक्तों का मन मोह लिया। जया किशोरी जी बचपन में, भगवान श्री कृष्ण के लिए शास्त्रीय नृत्य भी किया करती थी। इसी प्रकार जाने : Khatu Shyam Ji की सम्पूर्ण कहानी क्यों है हारे का सहारा, खाटू वाले श्याम बाबा।

जया किशोरी जी की आध्यात्मिक शिक्षा व गुरु

साध्वी जया जी के शुरुआती गुरु, राधा रानी जी के अनन्य भक्त, बैकुंठ नाथ जी मंदिर वाले। पंडित श्री गोविंद रामजी मिश्र ने ही साध्वी जी का श्री कृष्ण के प्रति असीम प्रेम भाव को देखा। तब उन्होंने उन्हें किशोरी जी की उपाधि, आशीर्वाद स्वरुप प्रदान की। इसके बाद से ही, वे जहां पर भी सत्संग करने जाती हैं। उन्हें जया किशोरी के नाम से जाना जाने लगा।

जया किशोरी जी ने अपनी विधिवत दीक्षा पंडित गोविंद राम मिश्र से ली। पंडित गोविंद राम, उन्हें राधा कहकर भी बुलाते थे। बचपन में ही परम पूज्य गोलोक वासी स्वामी श्री रामसुखदास महाराज जी की वाणी से, अत्यधिक प्रभावित हुई। उनकी वाणी को ही साध्वी जी ने अपना गुरु स्वीकार कर लिया। उनके द्वारा गाए गए, ‘नानीबाई रो मायरो’ को अपनी मातृभाषा मारवाड़ी में तैयार किया।

फिर इसे जन-जन के ह्रदय तक पहुंचाया। साध्वी जी गुरु भगवताचार्य व ज्योतिषाचार्य गुरुदेव पंडित श्री विनोद कुमार जी सहल से श्रीमद् भागवत ज्ञान महायज्ञ की शिक्षा ग्रहण कर रही है। जया किशोरी जी की वाणी में ‘नरसी का भात’ और ‘नानीबाई रो मायरो’ सुनने के लिए, उनके भक्त हमेशा आतुर रहते हैं। इसलिए वे देश के विभिन्न भागों में जाकर। सत्संग का कार्यक्रम करती रहती हैं।

जया किशोरी जी का प्रेम, विवाह व पति

जया जी का शादी को लेकर कहना है कि वह कोई साधु-संत या साध्वी नहीं है। उन्हें भी वैवाहिक जीवन जीना है। लेकिन उसमें अभी बहुत समय है। लेकिन एक समय पर, वह शादी जरूर करेगी। लेकिन उनका मानना है कि इसके पहले वह एक कथावाचक व भजन गायिका है। जिसे वह कभी नहीं छोड़ना चाहेंगी। उनकी इच्छा है कि वह जीवन भर, ठाकुर जी का गुणगान  करती रहे। उन्होंने फिलहाल तो श्याम जी के प्रेम में खुद को समर्पित कर रखा है।

जया किशोरी जी का चैरिटी मे योगदान

साध्वी जया जी कथा में आने वाली समस्त दान राशि को, नारायण सेवा ट्रस्ट उदयपुर, राजस्थान को दान कर देती हैं। जिससे विकलांग व दीन-हीन बच्चों की मदद की जा सके। इसके साथ ही उन्हें रोजगार व समाज में सर उठाकर, जीवन यापन करने का साहस मिलता रहे।

जया जी ने अपनी संपूर्ण कथा, इन बच्चों के निशुल्क ऑपरेशन, भोजन व शिक्षा के लिए समर्पित कर दी है। जया जी  भ्रूण हत्या को, सबसे जघन्य अपराध मानती है। वह अपनी कथा में, सबसे सभी लोगों से प्रार्थना करती है। कि ऐसा जघन्य अपराध न करें। अपने प्रवचनों में, वह कहती हैं। कि गौ हत्या का हम शक्ति से विरोध करते हैं। गौहत्या हमारे देश और समाज पर कलंक है।

प्रवचनों में इन सभी बातों पर जोर देते हुए। जया जी कभी-कभी बहुत भावुक भी हो जाती है। उन्होंने एक ओर कथा के माध्यम से, परिवारों को बांधने का प्रयास किया। तो वही दूसरी ओर खासतौर पर युवा वर्ग में, भगवान के प्रति द्रण विश्वास और भक्ति भावना को जागृत किया।

इन्ही सब कार्यों की वजह से, उन्हें RSS प्रमुख डॉ० मोहन भागवत के हाथों भारतीय छात्र संसद द्वारा, आदर्श युवा अध्यात्म गुरु पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। इसी प्रकार जाने : नीम करोली बाबा की कहानी नीम करोली बाबा के चमत्कार (पूर्ण जानकारी)।

जया किशोरी जी साध्वी या सांसारिक

जया जी ने बचपन से ही ईश्वर की भक्ति का मार्ग चुना। उन्होंने इसी मार्ग पर चलकर, अपना जीवन जीना सही समझा। उनके चेहरे पर, जो चमक है। वो साफ बताती है। वो किसी देवी का ही रूप है। इसलिए उन्हें लोग देवी, पूज्य व साध्वी के नामों से अलंकृत करते हैं। लेकिन वह साध्वी नहीं है। वे बस एक आम साधारण व सांसारिक लड़की हैं। उन्हें सादा रहना, सादे कपड़े पहना पसंद है।

जया किशोरी जी का खाटू श्याम जी में बड़ा विश्वास है। जिसकी वजह से वो हर साल, राजस्थान में पूरे परिवार के साथ, खाटू श्याम मंदिर जरूर जाती है। जया जी जब भी खाटू श्याम जी जाती है। तो वह पंचायती धर्मशाला में रहती है। जब तक वो वहां होती है। तब तक हर शाम भजन व कीर्तन से भक्तिमय माहौल बना देती है।

जया किशोरी जी के हिट्स धार्मिक एल्बम

अगर जया किशोरी जी के भजनों के बारे में बात की जाए। तो उनके करीब 20 एल्बम आ चुके हैं। जिनमें प्रमुख हैं-

● शिव स्त्रोत

● सुंदरकांड

● मेरे कान्हा की

● श्याम थारे खाटू प्यारों

● दीवानी मैं श्याम की

● हिट्स ऑफ जया किशोरी

जया किशोरी जी की इसी लोकप्रियता के चलते। इनके सोशल मीडिया पर लाखों followers हैं। वही youtube पर उनके भजनों में भी लाखों views आते हैं। वह कहती है कि आज के बच्चे ईश्वर के प्रति प्रेम, आस्था और विश्वास को भूलते जा रहे हैं। अपनी गौ माता को, एक जानवर से ज्यादा नहीं समझते।

इसलिए अपनी कथा और  प्रवचनो के माध्यम से, अत्यन्त सरल सीधी निश्चल और मधुर वाणी से। खुद के अनुभवों के आधार पर, समाज को समझाने का प्रयास करती है। इसी प्रकार जाने : Sril Prabhupada Biography in Hindiइस्कॉन मंदिर के संस्थापक का जीवन परिचय।

जया किशोरी जी के अनमोल वचन
Jaya Kishori Suvichar

◆ लक्ष्य एक होता है और रास्ते अनेक। कभी रास्ता बंद हो जाए, तो रास्ता बदलो। लक्ष्मी लक्ष्य नहीं।

◆  एक समझदार व्यक्ति वही है। जो दूसरों को देखकर, उनकी विशेषताओं से सीखता है। उनसे तुलना और ईर्ष्या नहीं करता।

◆ जिसने पहला कदम उठा लिया। वह आखिरी भी उठा ही लेगा। क्योंकि कठिनाई पहले में ही है। अंतिम में नहीं।

◆ विश्वास रखिए आप किसी के लिए कुछ भी अच्छा करोगे। तो कहीं ना कहीं आपके लिए, कुछ अच्छा जरुर हो रहा होगा।

◆ मूर्खों होने में कुछ भी गलत नहीं है। लेकिन जिद्दी होना और इस बात पर जोर देना कि आपकी मूर्खता ज्ञान है। यह एक समस्या है।

◆ बिना विचारों के शब्दों कोई अर्थ नहीं होता कभी-कभी छोटी बात के पीछे बड़ा रहस्य छुपा होता है।

◆ किसी भी पेड़ के कटने का किस्सा न होता। अगर कुल्हाड़ी के पीछे लकड़ी का हिस्सा न होता। अपने ही अपने को काटते हैं। अगर वह उनसे रूद्र खड़े हैं। लेकिन अगर वह साथ खड़े हैं। तो किसी भी दिक्कत का या परेशानी का सामना डटकर कर सकते हैं।

◆ जब एक बच्चा चलने की कोशिश करता है। तो वह बार-बार गिरता है। 10 बार, 20 बार, 50 बार। लेकिन वह एक बार भी यह नहीं सोचता है। कि शायद चलना मेरे लिए नहीं बना। वो गिरता है, उठता है, फिर चलने की कोशिश करता है। तो हम बड़े होकर क्यों भूल जाते हैं। एक-दो ठोकर लगते ही, हमें रुकना नहीं है। यह नहीं सोचना है कि यह रास्ता मेरे लिए नहीं है। गिरना है, उठना है और फिर चलना है।

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