MDH Masala Owner - Dharampal Gulati
Motivational Biography in Hindi
Masala King- गुलाटी जी उर्फ दादा जी को आज किसी पहचान की जरूरत नही।एक सफल इंसान के लिए,स्कूली शिक्षा उतनी मायने नही रखती।जितना कुछ कर गुजरने की चाह। Masala King बनने का सफर,आज के युवा के लिए motivation है।Hindi Biography की श्रखला में जानते है,उनके इस inspiring सफर को।
समय का पहिया, जब चलता है। तो वह राजा को रंक और रंक को राजा बना देता है। उम्र, पैसा व शिक्षा कभी बाधक नहीं बनती। बस कुछ कर गुजरने का जुनून ही सफलता(success) की पहचान बन सकता है। इन सभी मानकों(standard) पर खरे उतरते दिखते हैं। मसाला(masala) उद्योग के नामी-गिरामी उद्योगपति, महाशय धर्मपाल गुलाटी जी। जिन्होंने मसालों(masalo) की दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाई। उन्हें मुकद्दर का सिकंदर कहना अतिशयोक्ति(hyperbole) नहीं होगी।
सफलता अक्सर उनके कदम चुमती है, जिनके पास उसे निहारने का वक्त ना हो।
कुछ brands ऐसे होते हैं। जिन्हें हम बरसों से इस्तेमाल करते हैं। ये कब हमारी जिंदगी का अमूल्य हिस्सा बन जाते है,पता ही नही चलता। उनके बगैर सब कुछ अधूरा-सा हो जाता है।हमारे kitchen तक पहुँच बनाने वाले,कुछ ऐसे ही brands है।जो हमारे स्वाद को सालों दर साल से बनाए हुए है।भारतीय मसालों में एक brand ऐसा भी है।जिसने अपनी quality से कभी समझौता नही किया। जो सालों से हमारे घरों में इस्तेमाल हो रहा है।
इंडिया, असली इंडिया।यही तो है असली इंडिया
असली मसाले सच-सच,एमडीएच-एमडीएच्।
सही पहचाना आपने।यह है,एमडीएच (महाशियाँ-दी-हट्टी) मसाले।तो जानते है, MDH मसाले के CEO महाशय धर्मपाल गुलाटी उर्फ़ दादा जी के जीवन के उन पहलुओं को।जिन्होंने एक ताँगेवाले से लेकर masala king बनने का सफर तय किया।

MDH Masala Owner - Dharampal Gulati
जीवन-परिचय
MDH MASALA KING Dharampal Gulati | |
नाम | महाशय धरमपाल गुलाटी |
उपनाम | एमडीएच मसाला किंग, दादाजी, महाशय |
जन्म-तिथि | 27 मार्च 1923 |
जन्म-स्थान | सियालकोट, पाकिस्तान |
पिता | चुन्नी लाल गुलाटी |
माता | चानन देवी |
शिक्षा | 4th पास |
व्यवसाय | महाशियाँ- दी – हट्टी ( MDH) |
पत्नी | स्वर्गीय लीलावंती |
बच्चे | स्वर्गीय संजीव गुलाटी 1992 राजीव गुलाटी (डायरेक्टर एमडीएच) 6 बेटियां (नाम ज्ञात नहीं) |
नेट-वर्थ | ₹5400 करोड़ |
मृत्यु तिथि | 3 दिसंबर 2020 |
मृत्यु का कारण | हृदयाघात |
मृत्यु का स्थान | चानन देवी हॉस्पिटल, नई दिल्ली |
महाशय धर्मपाल गुलाटी जी भारत के साथ-साथ दुनिया भर के लोगों के भोजन को मसालेदार व चटपटा स्वाद देने के लिए जाने जाते हैं । आज महाशय जी की पहुंच हर घर के, रसोईघर तक हो चुकी है। महाशय गुलाटी जी का जन्म 27 मार्च 1923 को पाकिस्तान के सियालकोट में हुआ था। इनके पिता चुन्नीलाल व माता चानन देवी धार्मिक प्रवृत्ति के थे।
महाशय चुन्नीलाल जी ने MDH मसालों की स्थापना 1919 में सियालकोट में एक छोटी सी दुकान से की थी। शुरुआती शिक्षा के तौर पर महाशय जी ने, कक्षा चार तक की पढ़ाई सियालकोट में की। पढ़ाई में मन न लगने के कारण उन्होंने आगे की शिक्षा छोड़ दी। इन्होंने साबुन, बढ़ई, कपड़ा, हार्डवेयर, चावल आदि का व्यापार किया। हालांकि वह लंबे समय तक यह काम नहीं कर सके।इसके बाद उन्होंने नौकरी भी की।फिर अपने पिताजी के मसालों के व्यवसाय में हाथ बटाने लगे। इनके व्यवसाय को डेगी मिर्च वाले के नाम से जाना जाता है।
भारत विभाजन के दौरान महाशय जी सब कुछ छोड़ कर पाकिस्तान से भारत आ गए।उस त्रासदी के दौरान उनके पूरे परिवार को बहुत सी कठिनाई का सामना करना पड़ा।अपना पुश्तैनी मकान, मवेशी और सियालकोट के बाजार पंसारिया में महाशियाँ दी हट्टी तक को छोड़ना पड़ा। भारत आने पर 27 सितंबर 1947 को उनके पास मात्र 1500 रुपए ही थे।इन पैसों से उन्होंने ₹650 का एक तांगा खरीदा। फिर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से कुतुब रोड के बीच तांगा चलाना शुरू किया। महाशय जी का शुरुआती जीवन अत्यंत संघर्षपूर्ण रहा।
तांगेवाले से MDH Masala Owner बनने तक का सफर
धर्मपाल जी ने कुछ समय के लिए तांगा, अपने भाई को दे दिया। खुद करोल बाग की अजमल खां रोड पर खोखा लगाकर। महाशियाँ दी हट्टी(MDH)-सियालकोट वाले के नाम से मसाला बेचना शुरू किया। जब लोगों को पता लगा कि ये वही डिग्गी मिर्च वाले है।खरीदारों की संख्या धीरे-धीरे बड़ने लगी। उनके मसाले की गुणवत्ता(quality)इतनी पसंद आई। कि थोड़े समय में उनकी दुकान मसालों की मशहूर दुकान बन गई।
धर्मपाल जी ने छोटी पूंजी से कारोबार शुरू किया था। उन्होंने धीरे-धीरे दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में दुकानें खोली। मांग बढ़ने के साथ ही, उन्होंने फैक्ट्री लगाने का मन बनाया। लेकिन उनके पास इतने पैसे नहीं थे। तब उन्होंने 1968 में बैंक से कर्ज लेकर। दिल्ली के कीर्ति नगर में अपनी पहली मसाला फैक्ट्री लगाई।
उन्होंने भारत के साथ दुनिया के बहुत से देशो में मसाले भेजने शुरू किए।आज MDH विश्व के 100 से अधिक देशो अपने मसाले बेचता है।जिनमे उनके लगभग 62 brands शामिल है। उनकी मेहनत के दम पर एमडीएच अब 2000 करोड़ रुपए का ब्रांड बन गया है।आज महाशय जी के पास MDH मसालो के अतिरिक्त 20 स्कूल और एक हॉस्पिटल भी है। एमडीएच की आज भारत और दुबई में करीब 18 फैक्ट्रियां हैं और बाजार में उनके करीब 62 उत्पाद मौजूद हैं।जिनमे अपनी पहचान बनाने वाले प्रसिद्व brands- डिग्गी मिर्च, किचन किंग,चाट मसाला,मीट मसाला व छोला मसाला है।

MDH Masala Owner - Dharampal Gulati
पुरस्कार व सम्मान
2016: ABCI Annual Award में
महाशय जी को “Indian of the
Year” नवाजा गया।
2017: Excellence Award for Lifetime
Achievement.
2019: व्यापार एवं उद्योग के क्षेत्र में
महत्वपूर्ण योगदान के लिए,
इनको पदम् भूषण पुरुस्कार
से नवाजा गया।
MDH Masala Owner - Dharampal Gulati
देश के सबसे अधिक वेतन लेने वाले CEO
एक report के अनुसार,महाशय जी सन 2017 में सबसे अधिक वेतन लेने वाले FMCG-CEO थे।उनकी salary लगभग 21 करोड़ थी।यह salary कई बड़ी company के सीईओ से कही अधिक थी। economy’s times की report के अनुसार,2017 में MDH का net profit 213 करोड़ था। कंपनी में महाशय जी की 80% हिस्सेदारी थी।एक अन्य report के अनुसार, महाशय जी अपनी income का 90% हिस्सा दान कर दिया करते थे।
MDH Masala Owner - Dharampal Gulati ki Hobbies
महाशय जी, 98 साल उम्र में भी किसी युवा जैसा ही जोश रखते थे। चाहे उनका अपनी सारी branches का नियमित दौरा हो। चाहे फिर सँगीत की धुन पर थिरकना ही क्यों न हो।उनके शौक की बात की जाए, तो उन्हें नियमित योगा करना पसंद था। इसके अलावा उन्हें wrestling करना और kite flying बेहद पसंद थी।
कारों के शौकीन
अपने शौक के चलते,इनके पास महँगी कारो की भरमार है। जिनमें ROLL ROYCE GHOST कार,जिसकी कीमत 6 करोड़ 80 लाख है। CHRYSLER 300C जिसकी कीमत 1 करोड़ है।इसको खरीदने में बहुत सी formalities पूरी करनी पड़ती है। इसे UK से import करना पड़ता है।इसे भारत की सड़को पर चलाने के लिए, सरकार से permission लेनी पड़ती है। HONDA ACCORD इसकी कीमत 40 लाख है। महाशय जी के पास दो TOYOTA FORTUNER है।जिनकी कीमत 70 लाख है। इनके पास एक HONDA WR-V भी है,जिसकी कीमत 11 लाख है।अब आप समझ ही गये होंगे कि महाशय जी कारो के कितने शौकीन है।
MDH Owner Death
स्वाद में हमेशा याद रखे जाने वाले महाशय गुलाटी जी का निधन 3 दिसम्बर 2020 को हो गया। उन्होंने 98 वर्ष की आयु में दिल्ली के एक हॉस्पिटल में अंतिम साँस ली। उनका निधन हृदयाघात होने के कारण हुआ।
अर्श से फर्श तक का उनका यह सफर चिर काल तक अविस्मरणीय रहेगा।उनका यह सफर किसी को भी प्रेरणा देने के लिए पर्याप्त है।ऐसे संघर्षशील व अपने कार्य के प्रति पूर्ण ईमानदारी व निष्ठा रखने वाले, महाशय जी को कोटि- कोटि नमन।
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