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रतन टाटा का जीवन परिचय
Ratan Tata Biography
जिंदगी में उतार-चढ़ाव का होना बहुत जरूरी है।
क्योंकि ECG में भी सीधी लाइन मतलब डेथ होता है।
ऐसा कहना है एक महान भारतीय उद्योगपति, पद्म भूषण, पद्म विभूषण श्री रतन टाटा जी का। जिन्होंने अपने देश और देश के लोगों के हित के लिए, नीति मूल्यों को जी जान से संभालते हुए। टाटा ग्रुप को बड़ा किया। आज हम उनके जीवन को करीब से जानने की कोशिश करेंगे। इन्होंने एक बड़े कमाल की बात यह भी कही है। कि मैं सही फैसले लेने में believe नही करता। बल्कि decision लेकर उन्हें सही साबित कर देता हूं। इस लाइन को पूरी तरह से ख़ुद पर apply करने वाले इंसान। जिन्होंने अपना बदला, अपनी success से लिया।
यह एक ऐसे शख़्स हैं। जिन्हें चार बार प्यार हुआ। लेकिन शादी नहीं हुई। ये ऐसे शख्स है। जिनका टाटा परिवार के साथ, खून का रिश्ता नहीं है। बल्कि वह गोद लिए हुए पुत्र है। यह ऐसे शख़्स हैं, जिन्होंने अपने राज में टाटा को शिखर पर पहुंचा दिया। ये एक ऐसे शख़्स है, जो अलग मिट्टी के बने है। इन्हें उधोगपति कहे, देशभक्त कहे, दानवीर कहे या एक सफल बिजनेसमैन। यह आप ही decide करें।
ये अपने कुल मुनाफे का 66% तक दान कर देते है। यह एक सफल उद्योगपति होने के साथ-साथ, एक बेहतरीन इंसान भी है। देश पर कभी भी कोई भी, कोई आपदा आई हो। इस दानवीर ने दिल खोलकर पैसा दान किया है। इन्होंने अभी हाल ही में, करोना वायरस जैसी महामारी के समय भी, ₹1500 भारत सरकार को दान किए हैं।

Ratan Tata - An Introduction
Ratan Tata – Ex Chairman of Tata Group Ek Nazar | |
वास्तविक नाम | रतन नवल टाटा |
जन्म-तिथि | 28 दिसंबर 1937 |
जन्म-स्थान | सूरत, बम्बई प्रेसिडेंसी, ब्रिटिश भारत |
पिता | नवल होरमुसजी टाटा |
माता | सुनू कमसिरयित |
धार्मिक मान्यता | पारसी |
स्कूल | • कैपियन स्कूल, मुम्बई • कैथेड्रल एंड जॉन कानन स्कूल, मुम्बई |
कॉलेज | • कॉर्नेल विश्वविद्यालय, इथाका, न्यूयार्क, यू०एस०ए • हॉवर्ड विश्वविद्यालय, बोस्टन, यू०एस०ए |
शैक्षिक योग्यता | • बी.एस. ( संरचनात्मक इंजीनियरिंग एवं वास्तुकला में) • उन्नत प्रबंधन कार्यक्रम |
व्यवसाय | टाटा समूह (सेवामुक्त के अध्यक्ष) |
अन्य संबंधी | • जे०आर०डी० टाटा (चाचा) • सिमोन टाटा (सौतेली मां) • नोएल टाटा (सौतेला भाई) |
वैवाहिक स्थिति | अविवाहित |
पुरस्कार व सम्मान | ● पद्म भूषण 2000 ● पद्म विभूषण 2008 ● Commander of the Legion of Honour, (फ्रांस सरकार द्वारा) 2016 |
इनकम | ₹90 करोड़ / माह ₹860 करोड़ / वर्ष |
नेटवर्क | $1.5 बिलियन |
रतन टाटा का परिवार
Ratan Tata Family
भारतीय समाज में पारसियों ने अपने लिए, एक विशेष स्थान बनाया है। उन्होंने वह सम्मान हासिल किया है। जिसके वह वास्तव में हकदार हैं। देश के आर्थिक विकास में योगदान करने के साथ-साथ, राष्ट्रीय एवं सामाजिक प्रतिबद्धता का निर्वहन भी किया है। उन्होंने अपने परिश्रम और लगन से, अपनी उन्नति के लिए। अवसर पैदा करने पर ध्यान दिया।
गुजरात के सबसे पुराने कस्बे नवसारी में, दादा भाई नौरोजी का जन्म हुआ। 1947 में यह क्षेत्र बड़ौदा के अधीन हो गया। दादा भाई नौरोजी जो ब्रिटिश शासनकाल में, ब्रिटिश संसद के सदस्य चुने गए। टाटा घराने के संस्थापक, जमशेद जी टाटा के पिता नुसीरवानजी टाटा का भी निवास स्थान नवसारी ही है। यहीं पर जमशेद जी टाटा का भी जन्म हुआ। इनका निवास स्थान आज भी यहाँ स्मारक रूप में संरक्षित है।
नुसीरवानजी टाटा के पूर्वज कई पीढ़ी से, पारसी सम्प्रदाय में पुरोहित का कार्य किया करते थे। इसलिए समाज के सम्मानित लोगों में, उनकी गिनती होती थी। नुसीरवानजी ने बदलते समय के साथ कुछ नया करने को सोचा। उन्होंने मुंबई आकर निर्यात करना शुरू किया। फिर उन्होंने जमशेदजी को भी मुम्बई बुला लिया। ताकि वह भी व्यापारिक क्षेत्र में अनुभव के साथ-साथ, कुशलता भी हासिल कर सकें। नुसीरवानजी अपने पुत्र को उच्च शिक्षा के लिए Elphinstone College में करवा दिया।
जमशेदजी टाटा
टाटा समूह में योगदान
युगद्रष्टा व भारतीय उद्योग जगत के अग्रगणी पुरुष जमशेद जी का जन्म 3 मार्च 1839 को नवसारी में हुआ था। इन्हें भारतीय उद्योग का जनक कहा जाता है। इन्होंने अपनी शिक्षा Elphinstone College से पूरी की। इन्होंने सन 1868 में 21000 की पूंजी से, एक व्यापारी फर्म शुरु की। जिसके तहत विदेशों में सैनिक साजो-सामान आपूर्ति शुरु की। 1869 में इन्होंने मुंबई में एक पुरानी तेल मिल खरीद कर, उसे अलेक्जेंडरा कॉटन मिल में बदल दिया।
कुछ ही समय में, यह एक चालू मिल बन गई। जिसे 2 वर्षों बाद, लाभ के साथ बेच दिया। सन 1874 में 15 लाख की पूँजी से द सेंट्रल इंडिया स्पिनिंग एंड वीविंग मैनुफैक्चरिंग कंपनी की शुरुआत की। अपनी सफलता से प्रेरित होकर, इन्होने 1886 में एक बीमारु मिल को खरीदा। जिसे स्वदेशी कॉटन मिल का नाम दिया।
जमशेद जी का इस्पात निर्माण का सपना तब पूरा हुआ। जब उनके पुत्र दोराबजी व चचेरे भाई आर. डी टाटा ने सक्छी में वर्ष 1907 में टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी की स्थापना की। जमशेद जी ने होटल ताज महल का निर्माण मुंबई में कराया। यह होटल उस समय के यूरोपीय मानकों के अनुरूप सभी सुख-सुविधाओं से युक्त था। 7 जनवरी 1865 को भारतीय डाक एवं तार विभाग ने जमशेदजी के सम्मान में डाक टिकट जारी किया।
टाटा परिवार की वंशावली
Ratan Tata Family Tree

रतन टाटा का प्रारंभिक जीवन
Ratan Tata Early Life
रतन नवल टाटा का जन्म संपन्न एवं प्रसिद्ध टाटा परिवार में 28 दिसंबर 1937 में सूरत, बम्बई प्रेसिडेंसी, ब्रिटिश भारत में हुआ। वे सुनू कमसिरयित एवं नवल होरमुसजी टाटा के सुपुत्र है। उनका बचपन थोड़ा दुर्भाग्यपूर्ण बीता। साल 1948 में, उनके माता-पिता का divorce हो गया था। तब उनकी उम्र मात्र 10 साल की थी। इस divorce के बाद, उनके पिता नवल टाटा ने सिमोन दुनोएर नाम की एक महिला से शादी कर ली। इस दूसरी शादी से उनके पिता को एक और बेटा हुआ जिसका नाम नोएल टाटा रखा गया।
इस छोटी उम्र में, उनके माता-पिता का divorce, उनके लिए एक बड़ा सदमा था। मानसिक रूप से काफी टूट गए थे। इसलिए रतन एवं उनके सौतेले भाई नोएल की परवरिश, उनकी दादी नवाजबाई द्वारा की गई। वे दादी के अत्यधिक प्रिय थे। रतन जी की दादी नवाजबाई नवाज व दादा सर रतन टाटा नि:संतान थे। इसलिए नवाजबाई ने होरमुसजी टाटा के पुत्र नवल होरमुसजी को गोद ले लिया। होरमुसजी टाटा उन्हीं की कपड़ा मिल में स्पिनिंग मास्टर थे।
रतन टाटा की शिक्षा
Ratan Tata Education
रतन टाटा की प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के कैंपियन स्कूल में हुई। इसके बाद उन्होंने मुंबई के द कैथेड्रल एंड जॉन कॉनन स्कूल में दाखिला ले लिया। जब वह 15 वर्ष के थे। तब उन्हें आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिए, अमेरिका भेज दिया गया। जहां उन्होंने न्यूयॉर्क के Riverdale Country School से 12वीं तक की पढ़ाई पूरी की। सन 1958 में अमेरिका के कॉरनेल विश्वविद्यालय से आर्किटेक्चर एवं स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में स्नातक किया। इसके बाद उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम का कोर्स किया।
रतन टाटा अपने स्कूल में, एक इंटेलिजेंट स्टूडेंट थे। उसी दौरान, उन्हें IBM से जॉब की offer आई। लेकिन रतन टाटा ने, उस job को ठुकरा दिया। इन्होंने कभी भी अपना नाम का फायदा नहीं उठाया। आपको जानकर आश्चर्य होगा। इन्होंने कॉलेज टाइम में, पैसों के लिए बर्तन साफ करने जैसा काम भी किया। इनका ऐसा मानना था कि मैं अपनी मेहनत के दम पर, अपनी life में किसी भी मुकाम पर पहुँचूँगा।
रतन टाटा की प्रेमिका व विवाह का रहस्य
Ratan Tata Marriage
रतन टाटा की जिंदगी का सबसे बड़ा रहस्य यही रहा। कि उन्होंने अब तक शादी क्यों नहीं की। इसके पीछे बहुत सारी अटकले लगती रही। लेकिन वो हमेशा इस बात को, अपने दिल में ही दबाए रहे। आखिरकार उन्होंने एक इंटरव्यू में, इसका खुलासा किया। इसमें उन्होंने बताया कि कार्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर की डिग्री हासिल करने के बाद। उन्होंने लॉस एंजलिस शहर में एक नौकरी करना शुरू की।
इस नौकरी के लिए, उन्होंने 2 साल वहाँ बिताएं। तभी उन्हें वहां रहने वाली, एक लड़की से प्यार हो गया। वह आज भी अपने उन 2 सालों के पलों को, अपनी जिंदगी का सबसे बेहतरीन समय मानते हैं। वह दोनों एक-दूसरे को बहुत अधिक प्रेम करते थे। वह दोनों ही शादी करने का मन बना चुके थे। लेकिन तभी कुछ ऐसा हुआ। जिसने उनके relationship को, हमेशा के लिए खत्म कर दिया।
उसी समय रतन टाटा के पास, उनकी दादी की तबीयत खराब होने की खबर पहुंची। अपनी दादी से अधिक लगाव व 7 सालों से उनसे न मिलने के कारण। वह वापस भारत आ गए। उन्होंने उस महिला को भी, अपने साथ भारत चलने को कहा। उन्होंने कहा कि वह इंडिया जाकर शादी कर लेंगे। वह लड़की तो तैयार थी। लेकिन उनके parents ने, उन्हें जाने की permission नहीं दी।
यह बात साल 1962 की थी। जब भारत और चाइना का युद्ध चल रहा था। इस युद्ध के कारण ही, उस लड़की के parents ने उन्हें जाने से मना कर दिया था। ऐसे में, उस महिला ने वादा किया। वह युद्ध खत्म होते ही, उनके पास भारत आ जाएंगी। इसी भरोसे रतन टाटा, अपनी दादी के पास वापस लौट आए। वह भारत में आकर, उस महिला का इंतजार करने लगे। उन्हें पूरा यकीन था कि वह उनके पास जरूर आएंगी। उनका इंतजार काफी लंबा होता गया। आखिर में, उन्हें खबर मिली। उस महिला के माता-पिता ने, उनकी शादी किसी और से कर दी।
यह खबर सुनकर, उन्हें काफी गहरा धक्का लगा। उनका दिल पूरी तरह टूट गया। क्योंकि उन्होंने सच्चे मन से, उस महिला से प्यार किया था। उनसे यह वादा भी किया था। कि वह उसी से शादी करेंगे। लेकिन उस महिला का किसी और से शादी कर लेना। रतन टाटा के लिए, जिंदगी भर का शादी न करने का कारण बन गया। यह बात साबित करती है। कि रतन टाटा अपने वादों और उसूलों के कितने पक्के हैं। यही चीज उनके कामयाब होने का, सबसे बड़ा कारण है।
रतन टाटा का कैरियर
Ratan Tata Career
रतन टाटा पेशे से एक Industrialist, Businessman, Philanthropist, Entrepreneur व Investor है। रतन टाटा की कैरियर की शुरुआत, टाटा स्टील से हुई। टाटा ग्रुप और उनकी family की परंपरा के अनुसार, 1970 तक यह टाटा ग्रुप की अलग-अलग कंपनियों में काम करते रहे। क्योंकि इनके दादाजी का मानना था। जब तक आप अपने बिजनेस को पूरी तरीके से जान नहीं लेते। तब तक आप इसके मालिक नहीं बन सकते। उनकी इसी बात को इन्होंने भी follow किया।
इसके बाद 1970 में, इन्हें Management में promote किया गया।फिर 1971 में इन्हें Nelco कंपनी handover कर दी गई। यह टीवी और रेडियो manufacture करने वाली, एक कंपनी थी। यह कंपनी उस वक्त घाटे पर जा रही थी। इन्होंने अपने अथक प्रयास से, इस कंपनी को मार्केट में, एक अलग पहचान दिलाई। लेकिन देश में आर्थिक मंदी की वजह से, इसे जल्द ही बंद करना पड़ा। यह इनकी life का पहला failure था।
इन्होने हार न मानकर, आगे बढ़ने का फैसला किया। इसके बाद, इन्होंने अपनी एक और डूबी हुई कंपनी Tata Express Mill को खड़ा करने की कोशिश की। लेकिन उन्हें यहां पर भी सफलता नहीं मिल सकी। यह कंपनी भी बंद हो गई।
1991 में रतन टाटा को टाटा ग्रुप का चेयरमैन बनाया गया। अब तक इन्होंने बिजनेस की इतनी नॉलेज इकट्ठी कर ली थी। कि अगले 21 सालों में, लगातार मेहनत करके। वे टाटा कंपनी को इंटरनेशनल लेवल तक ले गए। साथ ही अपनी कंपनी को, India और foreign countries में, expand करते गए । रतन टाटा के आने के बाद, टाटा ग्रुप को 50% प्रतिवर्ष मुनाफा होने लगा। यहां से उन्होंने अपनी बिजनेस की दुनिया में, अपना परचम फहराना शुरू किया।
रतन टाटा ने अन्य कंपनियां खरीदी
Ratan Tata - Take Over Other Companies
काफी साल टाटा ग्रुप में काम करने के बाद, रतन टाटा ने बहुत सारी कंपनियों को भी खरीद लिया। जिसमें Tata Motors के साथ Land Rover और Jaguar थी। इसके साथ ही, Tata Tea के साथ Tetley Tea Company थी। वहीं Tata Steel के साथ Corus जैसी और भी कई कंपनियां को उन्होंने खरीद लिया।
रतन टाटा ने शालीनता से लिया अपमान का बदला
Ratan Tata Graciously Avenged the Insult
टाटा ग्रुप पहले से ही Passenger और Commercial Vehicle बनाती थी। लेकिन आम भारतीय के कार का सपना पूरा करने के लिए। रतन टाटा ने 30 दिसंबर 1998 में, पूरी तरीके से इंडिया में बनने वाली कार, Indica लांच की। रतन टाटा का यह dream project था। इसको पूरा करने के लिए, रतन टाटा ने बहुत मेहनत की थी। लेकिन Auto Analyst ने, इस कार को पूरी तरह से criticize किया।
इसका नतीजा यह हुआ कि टाटा इंडिका की sale बहुत गिर गई। टाटा इंडिका को मार्केट में, अच्छा response नहीं मिला। एक साल के अंदर ही, टाटा इंडिका flop हो गई। जिससे टाटा मोटर्स को बहुत नुकसान हुआ। इसके बाद रतन टाटा को, अपने फैसले को लेकर, बहुत आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। तब कुछ करीबी लोगों ने, इंडिका की वजह से हुए। नुकसान की पूर्ति के लिए, अपना कार व्यापार किसी और कंपनी को बेचने का सुझाव दिया।
यह कार लांच करने की योजना, रतन टाटा की खुद की थी। उससे काफी नुकसान भी हुआ था। इसलिए रतन टाटा ने यह सुझाव ठीक समझा। उन्होंने अपने साझेदारों के साथ, इसे बेचने का प्रस्ताव फोर्ड कंपनी के पास लेकर गए। कंपनी के साथ, रतन टाटा की मीटिंग 3 घंटों तक चली। तब फोर्ड कंपनी के चेयरमैन Bill Fort का रतन टाटा के साथ व्यवहार बहुत रूखा था।
बातों ही बातों में, Bill Fort ने रतन टाटा से कहा कि अगर तुम्हें कार बनानी ही नहीं आती थी। तो तुमने इस बिजनेस में इतने पैसे क्यों invest किये। हम यह कंपनी खरीदकर, तुम पर एहसान कर रहे हैं। यह बात रतन टाटा को दिल पर लग गई। वह रातों-रात deal को छोड़कर, वापस चले आए। वे इस बात को लेकर, अपने आपको अपमानित महसूस कर रहे थे। उन्हें अब अपनी success से बिल्कुल को जवाब देना था।
रतन टाटा ने वापस आकर, अपना पूरा ध्यान टाटा मोटर्स पर डाल दिया। उन्होंने इंडिका का नया version इंडिका-2 launch किया। कुछ ही वर्षों में, शुरुआती झटके खाने के बाद, रतन टाटा का कार बिजनेस अच्छा खासा आगे बढ़ने लगा। जो बेहद मुनाफे का बिजनेस साबित हुआ। कुछ ही वर्षों बाद, फोर्ड कंपनी अपनी जगुआर और लैंड रोवर की वजह से, घाटे में चल रही थी। 2008 के आते-आते, यह दिवालिया होने के कगार पर पहुंच गई।
उस समय रतन टाटा ने उनकी लग्जरी कार जगुआर और लैंड रोवर को खरीदने का प्रस्ताव दिया। जिसे Bill Fort ने खुशी-खुशी स्वीकार कर लिया। Bill Fort उसी तरह, अपने साझेदारों के साथ टाटा समूह के मुख्यालय पर पहुंचे। जिस तरह रतन टाटा उनसे मिलने के लिए, उनके मुख्यालय पहुंचे थे। रतन टाटा ने जगुआर और लैंड रोवर को 2.3 बिलियन में खरीद लिया। इस बार भी Bill Fort ने बिल्कुल वहीं बात दोहराई। जो पिछली मीटिंग में, उन्होंने रतन टाटा से कही थी।
लेकिन इस बार बात थोड़ी positive थी। बिल फोर्ट ने रतन टाटा से कहा। आप हमारी कंपनी खरीदकर, हम पर एहशान कर रहे हैं। आज जगुआर और लैंड रोवर टाटा समूह का हिस्सा है। जो बेहद मुनाफे के साथ आगे बढ़ रहा है। रतन टाटा चाहते तो बिल को करारा जवाब दे सकते थे। लेकिन वह अपनी सफलता के नशे में चूर नहीं थे। यही एक गुण है। जो एक सफल और महान इंसान के बीच में अंतर दर्शाता है। यही सीख है, जो हमें रतन टाटा से सीखनी चाहिए।
रतन टाटा की दानशीलता
Ratan Tata Charity
हमारे देश में जब भी संकट आया है। रतन टाटा हमेशा हमारे देश की मदद करने के लिए आगे आए हैं। 2011 में, जब 26/11 का आतंकी हमला हुआ। तब इनके होटल ताज के लगभग 80 employee की जान गई थी। इसके बाद, वह उन सभी के घरों पर गए। जिनकी अपनों ने जान गवाई थी। इन्होंने उन सभी का पूरा खर्चा उठाया। यहाँ तक की होटल के आसपास के छोटे-मोटे काम करने वाले, जिन्हें इसमें नुकसान हुआ। उन सभी की आर्थिक मदद की।
इसके बाद जब देश में Covid-19 का खतरा आया था। तब रतन टाटा ने भारत सरकार को ₹1500 करोड़ की मदद की। देश मे Pandemic के दौरान, टाटा समूह में जो भी fresher आये थे। उनमें से किसी भी employee को न निकाले जाने का फैसला किया। उनमें 4.5 लाख से भी ज्यादा employees थे। तब रतन टाटा के ग्रुप में एक भी employees को न निकालने के साथ उनकी मदद की। जबकि वहीं दूसरी ओर, पूरे विश्व में लोगों की नौकरियॉ जा रही थी।
टाटा के स्वामित्व की प्रसिद्ध कंपनियां एवं ब्रांड
Ratan Tata Companies
टाटा कंसलटेंसी सर्विसेज (TCS) | टाटा केमिकल | नेल्को लिमिटेड |
टाइटन इंडस्ट्रीज | टाटा मोटर्स | तनिष्क |
टाटा कम्युनिकेशन | टाटा पावर | टाटा स्टील |
टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स | ट्रेंट लिमिटेड | टाटा स्काई |
टाटा टेलीसर्विसेज | टाटा मोटर्स | टाटा चाय |
टाटा केमिकल | वोल्टास लिमिटेड | द ताज ग्रुप |
जगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण | टाटा एआईजी | टाटा टेक्नोलॉजी |
टाटा ग्लोबल बेवरेजेज | टाटा एलक्ससी | टाटा कैपिटल |
टाटा कम्युनिकेशंस | इंडियन होटल्स | टाटा प्रोजेक्ट्स |
टाटा रियल्टी एंड इंफ्रास्ट्रक्चर | टाटा हाउसिंग | टाटा AIA लाइफ |
टाटा एडवांस सिस्टम | टाटा एडवांस सिस्टम | टाटा AIG |
टाटा ऐसेट मैनेजमेंट कंपनी | टाटा SIA एयरलाइंस | एयर एशिया |
टाटा इनफिनिटी रिटेल | टाटा इंटरनेशनल | टाटा इंडस्ट्रीज |
टाटा इन्वेस्टमेंट कारपोरेशन | टाटा फाइनेंस | रॉलिस इंडिया |
रतन टाटा के बाद टाटा समूह के उत्तराधिकारी
Ratan Tata Successor
TCS के CEO व Managing Director नटराज चंद्रशेखरन वर्तमान में इस 150 साल पुराने टाटा समूह के चेयरमैन हैं। इन्हें टाटा ग्रुप के अध्यक्ष रतन टाटा ने, सायरस मिस्त्री को हटाये जाने के बाद चुना था। जबरदस्त नेतृत्व क्षमता और रतन टाटा से नजदीकी होना। उनकी चुनाव की प्रमुख वजह रही थी। उनकी खासियत है कि वो टाटा ग्रुप को अच्छी तरह से समझते हैं। वह पिछले 35 सालों से, इस ग्रुप से जुड़े हुए है।
यह टाटा ग्रुप के तीसरे ऐसे चेयरमैन है। जो टाटा परिवार से संबंध नहीं रखते हैं। रतन टाटा के उत्तराधिकारी चुने, जाने से पहले जब उनसे पूछा गया। कि आप manufacturing का कामकाज कैसे संभाल पाएंगे। आपके पास स्टील या ऑटो सेक्टर की कंपनी के संचालन का कोई अनुभव नहीं है। तब चंद्रशेखरन का सीधा सा जवाब था।
मैं सब कुछ अकेला नहीं कर सकता। मुझे मेरे साथ काम करने के लिए, एक team की जरूरत है। 59 साल के चंद्रशेखरन के पास, इससे अधिक स्पष्ट और खरा जवाब शायद कुछ और नहीं हो सकता था। यह एक ऐसे रणनीतिकार है। जिनकी पूरे टाटा समूह के बोर्ड बीच विश्वसनीयता है। टाटा परिवार के बाहर से आए हुए, चंद्रशेखरन का सर्वोच्च पद पर पहुंचना। नि:संदेह टाटा ग्रुप में प्रतिभा के सम्मान की संस्कृति का ही सूचक है।
एयर इंडिया का मालिक कौन है
Air India Owner
टाटा समूह ने 68 साल बाद एयर इंडिया की कमान संभाल ली। टाटा समूह के वर्तमान चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने, सरकार से कर्ज में डूबी एयर इंडिया को खरीद लिया। यह सौदा ₹18000 करोड में हुआ। इस तरह से, टाटा ने एयर इंडिया के 100% शेयर अपने नाम कर लिए। ये एयर इंडिया की टाटा समूह में घर वापसी हैं।
टाटा समूह ने ही सन 1932 में एयर इंडिया की शुरुआत की थी। एयर इंडिया की स्थापना जे.आर.डी टाटा ने की थी। उस वक्त इसका नाम Tata Airlines था। बाद में, 29 जुलाई 1946 को यह एक Public Limited गई। तब इसका नाम एयर इंडिया लिमिटेड रख दिया गया था।
रतन टाटा की इनकम, नेट-वर्थ व लाइफ़स्टाइल
Ratan Tata- Income, Net-Worth and Lifestyle
रतन टाटा को देश का रत्न ऐसे ही नहीं कहा जाता। उन्होंने अपने जीवन में कई ऐसे उदाहरण पेश किए हैं। जिससे हर कोई उनके दयालुपन का कायल हो गया है। $1.5 बिलियन के मालिक रतन टाटा, एक शर्मीली व्यक्ति है। वे बाहरी चमक-दमक पर विश्वास नहीं करते। रतन टाटा सालों से मुंबई के कोलाबा में, किताब और कुत्तों से भरे हुए, एक बैचलर घर में रहते हैं। इनकी प्रतिमाह इनकम 90 करोड़ से भी ऊपर है। साल में वे 860 करोड़ रुपए से भी ऊपर कमाते हैं।
F.A.Q
प्र० रतन टाटा के माता-पिता कौन है ?
उ० रतन टाटा सुनू कमसिरयित(माता) एवं नवल होरमुसजी(पिता) टाटा के सुपुत्र है।
प्र० क्या रतन टाटा का सम्बंध टाटा परिवार से है ?
उ० नही, रतन टाटा का सम्बंध टाटा परिवार से नही है। इनके पिता नवल होरमुसजी टाटा दत्तक पुत्र थे।
प्र० रतन टाटा की पत्नी का नाम क्या है?
उ० रतन टाटा अविवाहित है।
प्र० रतन टाटा के कितने बच्चे हैं?
उ० रतन टाटा के कोई बच्चे नहीं हैं।
प्र० रतन टाटा ने चेयरमैन का पद कब छोड़ा था ?
उ० रतन टाटा ने 28 दिसंबर 2012 को अपना चेयरमैन पद छोड़ा था।
प्र० टाटा समूह के वर्तमान चेयरमैन कौन है?
उ० TCS के CEO व Managing Director नटराज चंद्रशेखरन वर्तमान में इस 150 साल पुराने टाटा समूह के चेयरमैन हैं।
प्र० टाटा समूह के संस्थापक कौन थे ?
उ० टाटा समूह के संस्थापक युगद्रष्टा व भारतीय उद्योग जगत के अग्रगणी पुरुष जमशेद जी टाटा है।
प्र० टाटा एयर लाइन्स की स्थापना किसने की थी ?
उ० एयर इंडिया की स्थापना जे.आर.डी टाटा ने की थी। उस वक्त इसका नाम Tata Airlines था।
प्र० रतन टाटा की 1 दिन की कमाई कितनी है?
उ० रतन टाटा की 1 दिन की कमाई ₹5 करोड़ से ज्यादा है।
प्र० रतन टाटा की कुल संपत्ति कितनी है?
उ० रतन टाटा की कुल संपत्ति ₹8224 करोड़ है।
प्र० एयर इंडिया का मालिक कौन है?
उ० एयर इंडिया के मालिक जे.आर.डी टाटा है ।
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इन्होंने अभी हाल ही में, करोना वायरस जैसी महामारी के समय भी, ₹1500 crore भारत सरकार को दान किए हैं। plz edit it and change the written sentence. Thnx you very much to written this words about Sir Ratan Ji Tata.
Hello Anand ji,
Thanks for reading this blog content. Sir, Your valuable feedback is highly appreciated.
But, this information is already mentioned in this blog.
Please Check the heading ‘Charity Work of Ratan Tata Ji’.
आपने जो भी अपने इस ब्लॉग में रतन टाटा जी के बारे में बताया है। वह मुझे बहुत अच्छा लगा है। रतन टाटा हमारे देश के अनमोल रतन है। मैं आपके माध्यम से रतन टाटा जी के बारे में और भी बहुत कुछ जानना चाहता हूं। आप अगर अपने इस ब्लॉग के माध्यम से मुझे और भी रतन टाटा जी के बारे में जानकारी दें। तो मैं बहुत आपका आभारी रहूंगा
Hey Sahil,
Thanks for your kind words:)
Will try to add more information about Sir Ratan Tata.
Ratan Tata ji ko Salute.