Kailash Satyarthi - Biogarphy in Hindi
Kailash Satyarthi जी एक ऐसे समाजसेवी है, जो लाखों बच्चों मे एक उम्मीद की किरण है। Biography in hindi में,हम भारत के प्रसिद्ध महान व्यक्तित्व(Great Indian personality) की जीवनी(hindi biography) लेकर आते है।आप Kailash Satyarthi जी के जीवन से प्रेरणा लेकर,अपने जीवन को सफल बना सकते है।
“मैं शोषण से शिक्षा की ओर,औऱ गरीबी से साझा समृद्धि की ओर प्रगति करने के लिये कहता हूँ,एक ऐसी प्रगति जो गुलामी से आजादी की ओर हो,एक ऐसी प्रगति जो हिंसा से शांति की ओर हो।”
– Kailash satyarthi
इंसानियत की किताब पर लिखा एक ऐसा नाम,जो हर बच्चे की आँखों मे चमक, हाथों में कलम, अपने बचपन के जख्मों पर पंचर लगाते, सुई से अपनी उधड़ी जिंदगी टाकने की कोशिश करते,उन लाखों बच्चों में एक उम्मीद की किरण है-कैलाश सत्यार्थी जी। पन्द्रह वर्ष की उम्र में ही अमीर- गरीब,ऊँच-नीच,छुआ-छुत के भेदभाव को समाप्त करने व सत्य की खोज में निकल पड़ने की ललक ने ही, उन्हें कैलाश शर्मा से सत्यार्थी बना दिया।

Kailash Satyarthi ki Biography
नाम : कैलाश शर्मा (सत्यार्थी)
जन्म : 11 जनवरी 1954
जन्म-स्थान : (विदिशा, मध्य प्रदेश)
पत्नी : सुमेधा सत्यार्थी
राष्ट्रीयता : भारतीय
धार्मिक मान्यता: हिन्दू
शिक्षा : B.E,M.E
(Barkatullah University,
Honorary PhD
व्यवसाय : बाल अधिकार कार्यकर्ता,
प्रारंभिक बाल शिक्षा
कार्यकर्ता
पुरस्कार : दी अचेनर अंतरराष्ट्रीय
शांति पुरस्कार,जर्मनी
(1994)
: इतावली सीनेट का
पदक(2007)
: लोकतंत्र के रक्षक
पुरस्कार (2009)
: नोवेल शान्ति पुरस्कार
(2014)
Kailash Satyarthi- A Living Legend
कहते हैं- बच्चे भगवान का रूप होते हैं। इस्लाम, क्रिश्चियनिटी और हमारे वेदों में भी लिखा गया है। अगर आपको भगवान के दर्शन करने हो। तो बच्चों को देख लीजिए। यह बहुत ही innocent होते हैं।जो भी बोलते हैं, सच बोलते हैं। लेकिन इन सबके बावजूद इन छोटे-छोटे बच्चों को खरीदा-बेचा जाता है। उन हालातों में रखा जाता है। जो बहुत दयनीय होती है। Industrial Revolution से इसकी शुरुआत हुई थी। उस वक्त बहुत से कारणों से बच्चों को बड़े-बड़े कारखानों में काम पर लगाया जाता था। वो सिलसिला आज तक चलता चला आ रहा है।
भारत slavery में विश्व में, चौथे स्थान पर है। हमारे यहां slavery के साथ ही child prostitutions इतना ज्यादा होता है। क्या विश्वास करेंगे। शुक्र है कुछ ऐसे इंसानों का, जो उनके लिए मसीहा बनकर आते रहे हैं। भगवान हर जगह नहीं हो सकते इसलिए उन्होंने अपने कुछ सिपाहियों को बैठा रखा है। ऐसे ही एक व्यक्तित्व,जो global Icon है, कैलाश सत्यार्थी जी। कैलाश जी ने अपने UN के एक भाषण में कहा। आज हम military पर 20% से अधिक खर्च करते हैं। वही education पर 2% से कम खर्च करते है। हम लोग, किस समाज में रह रहे हैं।
बचपन मे उनके व्यक्तित्व पर प्रभाव
विदिशा के एक सामान्य परिवार में 11 जनवरी 1954 में कैलाश शर्मा जी का जन्म हुआ।पिता जी पुलिस विभाग में सिपाही के पद पर कार्यरत थे,जो बहुत कम उम्र में ही परिवार का साथ छोड़ स्वर्गसिधार गए। परिवार में तीन बड़े भाई व एक बहन में सबसे छोटे थे। बचपन से ही दूसरों के दुःख तकलीफ़ महसूस करने वाले कैलाश जी जब अपने स्कूल जा रहे थे, तो एक बच्चे को मोची का काम करते देख भावुक हो गये।उनके पूछने पर ,बच्चे के पिता ने कहा कि ये तो हमारा पुश्तैनी काम है।इसे भी यही करना होगा।इसका उनके मन पर गहरा प्रभाव पड़ा।अपने सहपाठियों के पास क़िताबों के पैसे न होने से क्षुब्ध होकर,लोगो से पुरानी किताबे लेकर एक बुक बैंक बनाया।जिसमे एक वर्ष के लिए, जरूरत मन्द बच्चों को किताबे उपलब्ध कराते।
कैलाश शर्मा से सत्यार्थी बनने की बड़ी रोचक कहानी है।महात्मा गाँधी जो छुआछूत के खिलाफ थे, सारा देश उनकी जन्म शताब्दी मना रहा था। तब मात्र 15 वर्ष की उम्र में इन्होंने सोचा कि क्यों न गाँधी जी की जयंती,उनके विचारों के अनुरूप ही मनाए।इसके लिए उन्होंने सबसे अछूत माने जाने वाले लोगो से खाना बनाने व उच्च लोगों द्वारा उसमे भागीदारी करने की योजना बनाई। खाना तो बन गया लेकिन उच्च वर्ग ने भागीदारी नकार दी। साथ ही उन्हें भी समाज से बहिष्कृत कर दिया गया।ऐसे में उन्होंने भी उस समाज को छोड़ने का मन बना लिया। परिणामस्वरूप,उन्होंने अपना सरनेम त्याग कर,सत्यार्थी लगा लिया।जिसका अर्थ स्पष्ट था- सत्य की खोज पर चलने वाला।
Satyarthi Ji का कार्यक्षेत्र
बचपन से ही समाज सेवा व बच्चों के उत्थान के लिए सोचने वाले,सत्यार्थी जी का इंजिनीरिंग में कहाँ मन लगने वाला था।शुरुवाती दिनों में, कॉलेज में प्रवक्ता के पद पर कार्यरत रहे।लेकिन हमेशा से समाज के प्रति सेवा की भावना ही प्रबल रही।जिसका परिणाम ये हुआ कि 1980 में उन्होने पूर्ण रूप से इंजीनियरिंग को तिलांजलि दे दी।वो लेबर लिबरेशन फ्रंट के महासचिव बने।इसके साथ ही उन्होंने “बचपन बचाओ आंदोलन” की स्थापना भी की।इसकी धमक ने समूचे विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।इसके बाद से इन्होंने विश्वभर के लगभग 144 देशों के 83,000 से भी अधिक बच्चों को, उनके अधिकार दिलाने में सफलता प्राप्त की।
सन 1998 में सत्यार्थी जी ने, बाल मजदूरी व बाल तस्करी के खिलाफ 103 देशो में लगभग 80,000 किमी की यात्रा की गई।उनकी माँग थी कि बाल मजदूरी व तस्करी के खिलाफ सख्त कानून व नियम बने।उनकी यह माँग अंतरराष्ट्रीय मजदूर संगठन(International Labour Organization) ने स्वीकार कर ली।ततपश्चात उन्होंने 2017 में कन्याकुमारी से भारत यात्रा की शुरुआत की।जिसका उद्देश्य, बच्चों का यौन शोषण व तस्करी के खिलाफ, जागरूकता फैलाने की मुहिम थी।उन्होंने इस यात्रा में 35 दिनों तक,24 राज्यों से होकर,12000 किमी की दूरी तय की।जो जरा सी भी आसान नही थी।उन्हें व उनके परिवार को बहुत बार धमकियां दी गई।इसी दौरान उन्होंने कहा था कि यदि एक बच्चे को बचाने में उनकी जान भी चली जाती है,तो उनकी मौत सार्थक होगी।ऐसे ही व्यक्तित्व के धनी है।
Horrific Incidents
एक बार एक बहुत बड़े bureaucrats अपने गांव जाते हैं। वहां से अशरफ नाम के एक बच्चे को। जिसकी उम्र मात्र 9 वर्ष होती है। अपने साथ लेकर आते हैं। वह उनके परिवार को विश्वास दिलाते हैं। वह अशरफ को पढ़ाएगे-लिखायेगे। अच्छा खाना देंगे। लेकिन होता, इसका उलट है। उससे घर के सारे काम करवाए जाते हैं। जरा सी गलती होने पर, उसे दो-दो दिनों तक खाने को नहीं दिया जाता। एक बार उसकी तबीयत कुछ खराब होती है। जिसके कारण, वह काम नहीं ठीक से कर पाता। तब उस ब्यूरोक्रेट्स की पत्नी, उसे अपने बेटे के लिए, एक गिलास दूध देने के लिए कहती है।
जब अशरफ दूध लेकर, उसके बेटे को देता है। तो कई दिनों से खाना न खाने के कारण,वह गिलास में बचा हुआ। कुछ दूध पी लेता है। जिसे वह देख लेती हैं। फिर उसे बहुत मारा जाता है। उसके हाथ को गैस जलाकर, जलाया जाता है। प्रेस गर्म की जाती है।उससे उसके शरीर को जलाया जाता है। कई जगह की चमड़ी तक निकाली जाती है। इन सब की वजह से,वह अपनी आवाज तक खो देता है।
ऐसी ही एक घटना 14 वर्ष की बच्ची गुलाबो की है। जिसकी मां शोभा, एक ईट-भट्टे पर काम करती थी। बचपन में ही गुलाबों को भी, इसी काम के लिए बेच दिया गया। उस बच्ची को tuberculosis था। कुपोषण का शिकार थी। उसे शुरू से ही शारीरिक प्रताड़ना दी जाती थी। sexually exploit किया जाता था। खाना भी बेकार क्वालिटी का दिया जाता था। ऐसे में जब कैलाश जी, उस बच्ची को वहाँ से निकालते हैं। तब वह बच्ची कैलाश जी की गोद में ही दम तोड़ देती है। उसके आखरी words होते हैं। मां, मैं जीना चाहती हूं।
पुरस्कार व सम्मान
ऐसे व्यक्तित्व के धनी,सत्यार्थी जी किसी पुरस्कार व सम्मान के मोहताज़ नही है।लेकिन देश व दुनिया ने उनके कार्य को सराहने के लिए,उन्हें बहुत से सम्मानों से अलंकृत किया।
2019:मदर टेरेसा मेमोरियल अवार्ड,समाजिक न्याय के लिये।
2018: दशक के व्यक्तित्व
2017: गिनेस वर्ल्ड अवार्ड
2016: डॉक्टर ऑफ ह्यूमेन लेटर्स(USA)
2015: हूमेंट्रीयन अवार्ड
2014: नोबेल शांति पुरस्कार
2009: डिफेंडर ऑफ डेमोक्रेसी अवार्ड(US)
2008: अलफोंसो क्यूमिन इंटरनेशनल अवॉर्ड(Spain)
2007: इतालियन सीनेट गोल्ड मैडल
2006: फ्रीडम अवॉर्ड(USA)
2002: वालेनबेर्ग मैडल(University of Michigan)
1999:फ़्रेडरिक एबर्ट स्टिफतुंग अवॉर्ड(Germany)
1998: गोल्डन फ्लैग अवॉर्ड(Netherlands)
1994: द अचेनर इंटरनेशनल पीस अवॉर्ड(Germany)
1993: अशोका फेलो (USA)
Bachapan Bachao Aandolan
बाल मजदूरी एक बीमारी नही,बल्कि कई बीमारियों की जड़ है। इन्ही भावनाओं के साथ सत्यार्थी जी ने 1980 में “बचपन बचाओ आंदोलन” की नींव रखी थी। इसके तहत अब तक 144 देशों के 83,000 से ज्यादा बच्चो को बाल मजदूरी जैसी कुप्रथा से मुक्त कराया वह बहुत गरीब परिवार जा चुका है।आज भारत मे 15 राज्यों के 200 से अधिक जिलो में ये आंदोलन सक्रिय भूमिका निभा रहा है।इस आंदोलन में लगभग 70,000 स्वंय सेवक जुड़ें है,जो बच्चो के उत्थान के लिए निरन्तर कार्यरत है।
इस आंदोलन का उद्देश्य बाल मजदूरी,बाल यौन अपराध के खिलाफ व मानव तस्करी करने वाले गिरोह से बच्चों को मुक्त कराना है।इस आंदोलन के तहत 2-3 लोगों की जान भी जा चुकी है।
सत्यार्थी जी ने इस आन्दोलन के तहत न केवल बाल मजदूरों को मुक्त कराया, बल्कि देश मे बाल मजदूरी के खिलाफ कड़ा कानून बनाने के लिए बहुत सी रैली भी निकाली।ताकि लोगो मे बजी जागरूकता फैले।उनका यह भी मानना है कि देश मे बाल मजदूरी का मुख्य कारण अशिक्षा,गरीबी,सरकारों की उदासीनता व क्षेत्रीय असन्तुलन है।यह संस्था बच्चो को कानूनी प्रक्रिया से छुड़ाती है, साथ ही उन्हें पुनर्वास की व्यवस्था भी कराती है। दोषियों को सजा दिलवाने के भी कार्य करती है।जिन बच्चों के माता-पिता नही होते है,उन्हें संस्था द्वारा चलाये जाने वाले आश्रम में भेजती है।जहाँ उनके भविष्य के निर्माण की सारी आवश्यक व्यवस्था की जाती है।
Satyarthi Ji की प्रमुख किताबें
2006 : zutshi,Bupinder,Globalization,
Development and Child rights.
2016 : आजाद बचपन की ओर।
2017 : Will for children.
2017 : Because worlds Matter
2018 : बदलाव के बोल
2018 : Every child Matters
Kailash Satyarthi से जुड़ी संस्थाए
- Global compain for Education (शिक्षा के लिए वैश्विक अभियान) में अध्यक्ष के पद पर रहे,जहाँ पर विश्व भर के बच्चों की मदद की।
Action and oxfame व Education International के संस्थापक सदस्यों में रहे।
गुडवीव इंटरनेशनल,जो साउथ एशिया की कपड़े बनाने वाली पहली ऐसी आर्गेनाइजेशन है, जो वस्त्र निर्माण से लेकर लेबलिंग तक किसी मे भी बाल श्रम नही करवाती।
Body Global partnership for Education, जो यूनेस्को द्वारा गठित की गई है।कैलाश सत्यार्थी के कामो को देखकर,उसका सदस्य नियुक्त किया।
Centre for victim of tarchar,the international labour right fund(USA), international cocina foundation के सक्रिय सदस्य के रूप में नियुक्त किये गए है।
वर्तमान में UNO के millennium development goal के प्रमुख के रूप में कार्य कर रहे है।
बंधुआ मजदूर व बाल श्रम को खत्म करने के लिए 2015 से कम कर रहे है।
Kailash Satyarthi Ji Ko Nobal Prize- 2014
सत्यार्थी जी को 2014 में नोबेल पुरस्कार से नवाजा गया ओस्लो में सत्यार्थी जी के साथ ही पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई को भी संयुक्त रुप से शांति का नोबेल पुरस्कार दिया गया।उस समय पूरा देश और अधिक गौरव की अनुभूति कर रहा था।जब कैलाश जी ने मंच से अपने भाषण की शुरुआत वेद के मंत्र से की। उन्होंने पाकिस्तान की मलाला को यह कहते हुए सम्बोधित किया कि आज एक पाकिस्तानी बेटी को भारतीय पिता मिला।वहीं एक भारतीय पिता को पाकिस्तानी बेटी मिली।
दुनिया मे ऐसे विरले कम ही देखने को मिलते है।जो अपना सर्वस्य,दुसरो के लिए व मानवता की रक्षा के लिए न्यौछावर करने को सदा तत्पर रहते है।उन्ही में से एक है, कैलाश सत्यार्थी जी,जिन्होंने बच्चों की सुरक्षा व उनके उज्ज्वल भविष्य के लिये, अपनी सम्पूर्ण जीवन समर्पित कर दिया।ऐसे प्रेरणा के स्रोत को शत-शत नमन।