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श्रीनिवास रामानुजन - श्रीनिवास रामानुजन का जीवन परिचय
Srinivasa Ramanujan - Biography of Srinivasa Ramanujan
Mathematics एक ऐसा subject है। जो किसी के लिए, तो बहुत टेढ़ी खीर होता है। वहीं किसी के लिए, खेल ही होता है। इसलिए किसी को तो बिल्कुल पसंद नहीं आता। तो किसी को बहुत पसंद होता है। लेकिन mathematics के क्षेत्र में, भारत का परचम फहराने वाले। एक ऐसी शख्सियत, एक ऐसा व्यक्तित्व। जिन्हें हम श्रीनिवास अय्यंगर रामानुजन के नाम से जानते हैं। उनका नाम जब आता है। तो हम भले mathematics को पसंद करते हो या ना करते हो। उनका नाम सम्मान से लेते हैं।
हमारे भारतवर्ष में, बहुत से महापुरुषों ने जन्म लिया है। उनमें से ही एक श्रीनिवास रामानुजन थे। जिन्होंने अपने अल्प जीवन काल में, वह कर दिखाया। जिसके लिए लोग पूरी ज़िंदगी लगा देते हैं। रामानुजन उन महापुरुषों में से थे। जिन्होंने बिना किसी शिकायत के, अपने काम को पूरी लगन और मेहनत से किया। उन्होंने अपनी बुद्धिमता के बल पर, एक बड़ा मुकाम हासिल किया।
भारत के सबसे बड़े गणितज्ञ माने जाने वाले रामानुजन। सिर्फ 32 साल की उम्र में ही, हम सब को छोड़कर इस दुनिया से चले गए। लेकिन फिर भी उन्होंने अपने जीवन काल में गणित के मायने ही बदल दिए। जहां एक और सब को लगता था। वह अपने जीवन में सफल नहीं हो पाएंगे। वहीं दूसरी ओर रामानुजन ने अपनी मेहनत और लगन से सफलताओं का आसमान छू लिया। रामानुजन उन महापुरुषों में से थे। जिन्होंने मानव की भलाई और प्रगति के लिए, सब कुछ त्याग कर दिया। ऐसे महापुरुष के बारे में जानना। आपका कर्तव्य बनता है।

Srinivas Ramanujan - An Introduction
श्रीनिवास रामानुजन - एक परिचय
श्रीनिवास रामानुजन-एक नजर में | |
पूरा नाम (Full Name) | श्रीनिवास अय्यंगर रामानुजन |
पिता (Father) | श्रीनिवास अय्यंगर |
माता (Mother) | कोमलतम्मल |
जन्म-तिथि (Date of Birth) | 22 दिसंबर 1887 |
जन्म-स्थान (Birth Place) | इरोड,कोयम्बटूर, तमिलनाडु |
पत्नी (Wife) | जानकी |
कार्यक्षेत्र (Expertise in) | गणित |
उपलब्धियां (Achievements) | लैडॉ- रामानुजन स्थिरॉक रामानुजन-सोल्डनर स्थिरांक रामानुजन थीटा फलन रॉजर्स-रामानुजन तत्समक रामानुजन अभाज्य कृत्रिम थीटा फलन रामानुजन योग |
शिक्षा (Education) | कैंब्रिज विश्वविद्यालय |
डॉक्टरी सलाहकार (Medical Consultant) | गोडफ्रे हेरॉल्ड हार्डी व जॉन इडेंसर लिटलवुड |
मृत्यु (Death) | 26 अप्रैल 1920 |
मृत्यु स्थान (Death Place) | चटपट चेन्नई तमिल नाडु |
मृत्यु का कारण (Reason for Death) | क्षय रोग |
श्रीनिवास रामानुजन का बचपन
Srinivasa Ramanujan - Early Life
श्रीनिवास रामानुजन का जन्म 22 दिसंबर 1987 को कोयंबटूर के इरोड नामक गांव में हुआ था। रामानुजन की माता का नाम कोमलतम्मल था। वह एक धार्मिक प्रवृति की ग्रहणी थी। जो एक स्थानीय मंदिर में भजन गाया करती थी। उनके पिता का नाम श्रीनिवास अयंगर था। जो पास की साड़ी की दुकान पर, मुनीम का काम किया करते थे।
रामानुजन का बचपन कुंभकोणम में बीता। जो प्राचीन मंदिरों के लिए विश्व विख्यात है। रामानुजन 3 वर्ष की आयु तक बोल नहीं पाते थे। इसके कारण उनके माता-पिता बहुत चिंतित रहते थे। कहीं वह गूंगे तो नहीं है। 1 अक्टूबर 1892 को रामानुजन का दाखिला एक स्थानीय प्राइमरी विद्यायल में कराया गया। रामानुजन बचपन से ही एक प्रतिभाशाली छात्र थे। उनके अजीबोगरीब प्रश्न अध्यापकों को भी चकरा देते थे।
वे अध्यापकों से पूछते, संसार का पहला व्यक्ति कौन था। पृथ्वी और बादलों के बीच की दूरी कितनी है। उनकी ऐसी बातें अध्यापकों को भी निरुत्तर कर देती थी। नवंबर 1897 में मात्र 10 वर्ष की आयु में, उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पूरी कर ली। इस परीक्षा में, वह पूरे जिले में अव्वल रहे। इसी साल वह उच्च माध्यमिक स्कूल गए। उन्होंने अपने घर किराये पर रह रहे। दो विद्यार्थियों के साथ गणित का अभ्यास करना शुरू किया।
श्रीनिवास रामानुजन की कम उम्र मे प्रमेय की रचना
Srinivasa Ramanujan Contribution to Mathematics
रामानुजन, S L Loney के द्वारा लिखित, Advance Trigonometry का अभ्यास करना भी शुरू किया। मात्र 13 साल की उम्र में ही, उन्होंने maths की बहुत सारी Theorem की रचना कर डाली। रामानुजन जब मैट्रिक में थे। तब उन्हें कॉलेज की लाइब्रेरी से गणित का एक ग्रंथ A Synopsis of Elementary Results in Pure and Applied Mathematics मिला। रामानुजन ने इसमें दिए गए, 5000 formulas को पढ़ा।
इस ग्रन्थ से प्रभावित होकर, रामानुजन ने गणित पर खोज करना शुरू किया। उन्होंने हाई स्कूल की परीक्षा में, गणित और अंग्रेजी में अच्छे अंक हासिल किए। जिसके कारण उन्हें सुब्रमण्यम छात्रवृत्ति मिली। कॉलेज की शिक्षा के लिए, प्रवेश भी मिला। रामानुजन अपने गणित प्रेम की वजह से, दूसरे विषयों पर ध्यान नहीं देते थे। 1902 में रामानुजन ने cubic और quadratic equation को आसानी से हल करने के अपने उपाय निकालें।
श्रीनिवास रामानुजन के संघर्ष का दौर
Srinivasa Ramanujan - Struggle
1905 में रामानुजन अपने घर से विशाखापट्टनम भाग गया गए। वहां उन्होंने 1 महीने राजमुंदरी में बिताए। इसके बाद, उनका नाम चेन्नई के Pachaiyappa college में लिखाया गया। यहां पर वे गणित को छोड़कर बाकी सभी विषयों में फेल हो गए। जिसके कारण उन्हें छात्रवृत्ति मिलना बंद हो गई। 1906 में उन्होंने बारहवीं की प्राइवेट परीक्षा दी। इसमें भी वह फेल हो गए। रामानुजन 12वीं में दो बार फेल हुए।
रामानुजन के घर की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी उनकी छात्रवृत्ति भी बंद हो गई थी यह उनके लिए एक कठिन दौर था घर की आर्थिक स्थिति सुधारने के लिए उन्होंने गणित का ट्यूशन पढ़ाना शुरू किया उन्नीस सौ सात में रामानुजन ने एक बार फिर बार्बी की प्राइवेट परीक्षा दी वह फिर से अनुत्तीर्ण हो गए इसी के साथ उनकी कॉलेज की शिक्षा समाप्त हो गई।
श्रीनिवास रामानुजन का विवाह
Srinivasa Ramanujan Wife
वर्ष 1909 रामानुजन का बाल विवाह जानकी के साथ हुआ। जो शादी के समय, मात्र 10 वर्ष की थी। उनके पिता ने इस विवाह में भाग नहीं लिया। जो उस समय के हिसाब से, एक सामान्य बात थी। विवाह के बाद, सब कुछ भूल कर अपने गणित प्रेम में डूब जाना संभव नहीं था।
इसलिए वे नौकरी की तलाश में मद्रास गए। लेकिन उन्हें नौकरी नहीं मिली। इसके साथ ही उनका स्वास्थ्य भी खराब हो गया। इसी कारण उन्हें अपने घर कुंभकोणम वापस लौटना पड़ा। 1910 में रामानुजन बीमार जब पड़ गए। तो उन्हें ऐसा लगा कि शायद वह अब न बचे।
इसलिए उन्होंने अपने गणित की notebook अपने मित्र राधा कृष्ण अय्यर को दी। उनसे कहा कि अगर उन्हें कुछ हो जाए। तो यह नोटबुक pachaiyappa college के गणित प्रोफेसर Shringar value या Madras Christian College के प्रोफेसर Advert Ros को दे दें। लेकिन ठीक होने पर, उन्होंने अपनी नोटबुक वापस ले ली।
श्रीनिवास रामानुजन के कार्य की सराहना
Srinivasa Ramanujan - Appreciation for Work
बीमारी से ठीक होने के बाद, वह फिर से नौकरी की तलाश में मद्रास गए। रामानुजम जब भी किसी से मिलते हैं तो उसे गणित का एक रजिस्टर दिखाते। जिसमें उनके द्वारा किए गए, गणित के महत्वपूर्ण कार्य थे। एक बार वह डिप्टी कलेक्टर वी रामास्वामी अय्यर से मिलने गए। वो Indian mathematical society के founder थे। अय्यर उनके कामों को देखकर स्तब्ध रह गए।
उन्होंने रामानुजन को भारतीय मैथमेटिकल सोसायटी के सचिव के पास भेजा। सचिव आर रामचंद्र राव उनके कामों से खुश तो थे। लेकिन उन्हें विश्वास नहीं था। यह उनका ही कार्य है। रामानुजन के मित्र सी वी राजगोपालाचार्य ने उनके संदेह को मिटाने की कोशिश की। राव ने रामानुजन के Electric integrals, Hypergeometric series व Divergent series पर दिए गए, व्याख्यान को सुना।
राव अब रामानुजन के brilliance से पूर्णतया संतुष्ट हो गए। राव ने पूछा, तुम्हें क्या चाहिए। इस पर रामानुजन ने कहा, मुझे काम व financial support चाहिए। राव ने उनकी ₹25 महीने की छात्रवृत्ति देना निश्चित कर दिया।
श्रीनिवास रामानुजन - पहला शोध पत्र
Srinivasa Ramanujan - First Research Paper
इसी दौरान उनका पहला शोध- पत्र बरनौली संख्याओं के कुछ गुण, journal में छपा। उन्होंने अपनी पहली प्रॉब्लम का 6 महीनों तक इंतजार किया कोई इसका उत्तर दें बाद में उन्होंने खुद इसका जर्नल में उत्तर दिया

जो कि जर्नल ऑफ़ इंडियन मैथमेटिकल सोसायटी में प्रकाशित हुआ। रामानुजन की कुलदेवी का नाम नामगिरी था। वे एक धार्मिक व्यक्ति थे। यह अक्सर दावा करते थे। उनकी देवी नामगिरी सपने में, उन्हें गणित के सूत्र बताती है। जिसे वे बाद में नोटबुक पर लिख लेते थे।
श्रीनिवास रामानुजन - कैंब्रिज यूनिवर्सिटी से आमंत्रण
Srinivasa Ramanujan - Invitation from Cambridge University
अपने मित्रों की सहायता से, उन्होंने कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एच एम बेकर व ई डब्ल्यू होब्सन को अपने पेपर भेजें। लेकिन बिना किसी कमेंट के उन्हें वापस लौटा दिया गया। 16 जनवरी 1913 को रामानुजन ने Godfrey Harold Hardy को, अपने कुछ कार्य भेजें। पहले तो Hardy को यह कोई fraud लगा। Hardy ने उनके कुछ फार्मूला को पहचाना। लेकिन कुछ फार्मूले बिल्कुल नामुमकिन लगे।
Hardy ने उनका कार्य अपने सहयोगी Little Wood को भी दिखाया। उन्होंने रामानुजन को कैंब्रिज आने के लिए आमंत्रित किया। उस समय की ब्राह्मणवादी मान्यता के अनुसार, समुद्र पार करना पाप माना जाता था। इसलिए रामानुजन ने विदेश जाने से इनकार कर दिया। लेकिन उनके बीच पत्र व्यवहार चलता रहा।
श्रीनिवास रामानुजन - इंग्लैंड यात्रा
Srinivasa Ramanujan - Visit to England
हार्डी ने मद्रास में अपने दोस्त Eric Neville से संपर्क किया। उनसे रामानुजन को इंग्लैंड बुलाकर लाने को कहा इस बार रामानुजन और उनका परिवार मान गया। ऐसा माना जाता है कि रामानुजन की माता को नामगिरी देवी का सपना आया था। जिसमे उनकी मां को, रामानुजन लक्ष्य के बीच न आने का आदेश दिया था। रामानुजन अपने परिवार व पत्नी को भारत में छोड़कर इंग्लैंड के लिए रवाना हो गए।
वे 14 अप्रैल 1914 को इंग्लैंड पहुंचे। लंदन पहुंचकर रामानुजन ने हार्डी व लिटिलवुड के साथ काम करना शुरू किया। हार्डी ने रामानुजन के कार्यों का गहराई से अध्ययन किया। उन्होंने हार्डी व लिटिलवुड पर एक गहरा प्रभाव डाला। हार्डी व लिटिलवुड ने उनकी तुलना Leonhard Euler (Great Swiss Mathematician) व Jacob Jacobi (Great German Mathematician) से की। रामानुजन ने लगभग 5 वर्ष कैंब्रिज में हार्डी व लिटिलवुड के साथ बिताए।
श्रीनिवास रामानुजन - कैंब्रिज में सम्मान
Srinivasa Ramanujan - Honored in Cambridge
मार्च 1916 में रामानुजन को Highly Composite Number पर उनके कार्य के लिए Bachelor of Science डिग्री by research दी गई। इसी डिग्री का नाम बाद में, बदलकर Phd कर दिया गया। 6 दिसंबर 1917 को रामानुजन का चुनाव लंदन की मैथमेटिकल सोसायटी में हुआ। 1918 में उन्हें fellow of The Royal Society चुना गया।
रॉयल सोसाइटी के इतिहास में, वे 31 वर्ष की उम्र में चुने जाने वाले पहले व्यक्ति थे। उन्हें Royal Society में चुने जाने का कारण। Electric functions व Theory of numbers पर उनका कार्य था। गुलामी के दिनों में, किसी अश्वेत भारतीय का Royal Society का सदस्य चुना जाना बड़ी बात थी। जिसका मतलब साफ था कि अंग्रेजों को रामानुजन की काबिलियत का लोहा मानना पड़ा।
श्रीनिवास रामानुजन की मृत्यु
Srinivasa Ramanujan Death
रामानुजन शुद्ध शाकाहारी थे। इंग्लैंड जैसे देश में मांसाहार मुक्त भोजन मिलना बड़ी बात की थी। इन सबके बाद भी उन्होंने शाकाहार से हो कोई समझौता नहीं किया। वे अपना भोजन स्वयं ही बनाते थे। प्रथम विश्व युद्ध के दौर में, राशन की भी समस्या थी। वह गणित के प्रश्नों में इतने उलझ जाते थे। वे कभी भोजन बनाते, तो कभी भूखे ही सो जाते थे। जिसका प्रभाव उनके स्वास्थ्य पर स्पष्ट दिखने लगा।
रामानुजन को टीबी हो गया। उस समय टीबी की कोई दवा नहीं होती थी। इंग्लैंड में ऐसे लोगों को सैनिटोरियम में रखा जाता था। रामानुजन को भी कुछ दिनों वहां पर रहना पड़ा। लेकिन बीमारी के दौर में भी, उनका गणित प्रेम नहीं छूटा। डॉक्टरों की सलाह पर, रामानुजन को इंग्लैंड छोड़ना पड़ा।
1919 में वह कुंभकोणम वापस आए। भारत लौटने पर भी, स्वास्थ्य ने उनका साथ नहीं दिया। 1920 में 32 वर्ष की उम्र में उनकी मृत्यु हो गई।
रामानुजन के महत्वपूर्ण सूत्र
Hardy Ramanujan Number
एक बार जब रामानुजन इंग्लैंड के एक हॉस्पिटल में भर्ती थे। तो professor Hardy उनसे मिलने, एक टैक्सी से आए। जिस टैक्सी से वो आये,उसका नंबर 1729 था। हार्डी ने रामानुजन से बातों-बातों में कहा। मैं जिस टैक्सी से आया हूं। उसका नंबर बड़ा अशुभ है। क्योंकि अगर हम 1729 का factor करें।
1729 = 7×13×19
इसमें एक अंक 13 आता है। जिसे पूरे यूरोप में, बड़ा ही अशुभ माना जाता है। इस पर रामानुजन ने कहा। अरे, यह तो बड़ी जादुई संख्या है। क्योंकि यह चार अंको की सबसे छोटी संख्या है। जिसे दो positive number के cube के addition के रूप में, दो अलग-अलग तरीको से व्यक्त किया जा सकता है।
1729 = 13 + 123 = 93 + 103
Hardy एक बार फिर, रामानुजन के जीनियस को देखकर हतप्रभ रह गए। Hospital में लेटे-लेटे, उन्होंने गणित में एक नई खोज कर डाली। बाद में, इसे रामानुजन संख्याओं के रूप में जाना गया।
रामानुजन का जादुई वर्ग
Ramanujan Magic Square
रामानुजन ने एक जादुई वर्ग भी बनाया था। जो देखने में एक सामान्य square जैसा ही दिखता है। लेकिन इसे रामानुजन ने बनाया था। इसलिए कुछ न कुछ तो, खास होना ही चाहिये।
अगर आप इस वर्ग के column और row को अलग-अलग जोड़ें। तो प्रत्येक बार आपको योगफल 139 मिलेगा। अगर आप इसके Diagonal को भी जोड़ें। तो अभी 139 ही मिलेगा। अगर आप इसमें बन रहे, चार छोटे square को भी अलग-अलग जोड़ें। तो भी आपको 139 ही मिलेगा।
इस वर्ग की सबसे विशेष बात यह है। इस वर्ग की पहली row में जो संख्याये लिखी है। असल में, यह रामानुजन के जन्म की तारीख 22 दिसंबर 1887 है। इसका योगफल भी 139 ही है।
जहाँ पर,
A B C D
| | | |
DD / MM / YYYY
रामानुजन के इस तरीके से, आप अपनी Date of Birth का भी वर्ग बना सकते हैं।
रामानुजन ने शून्य और अनंत को हमेशा ध्यान में रखा। उसको समझाने के लिए गणित के सूत्रों का सहारा लिया। रामानुजन की पुस्तक में लिखी गई। बहुत सी theorem बिना derivation के होती थी। मतलब वह theorem का proof उसमें नहीं लिखते थे। इसलिए उन पर कुछ लोगों के द्वारा आरोप भी लगाया गया। उन्हें अपनी theorem का derivation पता ही नहीं है। जो कि गलत था।
Mathematician Bruce C.Berndt ने इस संबंध में रामानुजन के कार्यों का गंभीरता से review किया। उन्होंने कहा कि अगर वह चाहते तो अपनी theorem का proof नोटबुक में लिख सकते थे। लेकिन उन्होंने ऐसा न करना चुना। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं।
हो सकता है, उस समय पेपर बहुत महंगे होते थे। या फिर यह भी हो सकता है। उनकी खोज कहीं चोरी न हो जाए। इस कारण, वह अपने result का derivation नोटबुक में न लिखते हो।
रामानुजन एक धार्मिक व आध्यात्मिक व्यक्ति थे। उन्होंने जो भी किया। उसका श्रेय अपनी कुलदेवी नामगिरी को दिया। जिन्हें माता लक्ष्मी का एक रूप माना जाता था।
Srinivasa Ramanujan Quotes
◆ यह असंभव है की गति के गणितीय सिधांत के बिना हम वृहस्पति पर रोकेट भेज पाते।
◆ गणित के बिना, आप कुछ नहीं कर सकते हो। आप के चारों ओर सब कुछ गणित है। आप के चारों ओर सब कुछ संख्या है।
◆ यदि मुझे फिर से अपनी पढ़ाई शुरू करनी पडी, तो मैं प्लेटो की सलाह मानूंगा और अपनी पढाई गणित के साथ शुरू करूँगा।
◆ मेरे लिए एक समीकरण का कोई मतलब नहीं है जब तक की यह भगवान् के बारे में कोई विचार प्रकट नहीं करता।
◆ मेरी गणित में दिलचस्पी केवल एक रचनात्मक कला के रूप में है।
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