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यशस्वी जायसवाल का जीवन परिचय
Yashasvi Jaiswal Biography In Hindi
सपने देखना आसान होता है। लेकिन उससे भी आसान होता है। उस सपने को पूरा करना। जब आप उसी प्रकार के सपने देखते हो, जिसे पूरा करने का आपके अंदर साहस होता है। कुछ लोग कहते हैं कि ज्यादा बड़े सपने देखने वाले, मुंह के बल गिरते हैं। लेकिन सत्य तो यह है कि जो सपने देखते हैं। उन्हें पूरा करने में, अपनी जी-जान लगा देते हैं।
वही लोग अपना और अपने देश का नाम रोशन करते हैं। बड़े सपने देखना और उसे पूरा करना। हर किसी के बस की बात नहीं होती। यहां तक कि आजकल बहुत से लोग, कोशिश करने से पहले ही हार मान लेते हैं। एक ऐसा लड़का जिसने यह साबित कर दिया कि सपना चाहे जितना भी बड़ा क्यों न हो।
अगर हम उसे देख सकते हैं। तो उसे पूरा भी कर सकते हैं। यह बात एक ऐसे लड़के की है। जिसमें अपने दम पर एक ऐसा काम कर दिखाया। जो आजकल के युवाओं के लिए, खासतौर पर गरीब या हर वह युवा, जो क्रिकेटर बनना चाहता है। उनके लिए एक मिसाल बन गया है।
एक छोटे से गांव का लड़का, एक दिन टीवी पर क्रिकेट देख रहा था। उस दिन सचिन तेंदुलकर की बैटिंग देखकर, उसके मन में भी क्रिकेटर बनने का सपना जगने लगा। धीरे-धीरे क्रिकेट को लेकर, उसकी दिलचस्पी और भी बढ़ती चली गई। उसने एक दिन ठान लिया कि उसे क्रिकेट ही बनना है। लेकिन अपना सपना पूरा करना इतना आसान नहीं था।
उसके हर मोड़ पर सिर्फ ठोकरें थी और रास्ते में कांटे थे। फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी। अपना सपना पूरा करके दिखाया। कुछ लोगों के लिए, क्रिकेट एक passion होता है। लेकिन यशस्वी जायसवाल जैसे लोगों के लिए, क्रिकेट एक survival है। उनके पास क्रिकेट के अलावा और कुछ भी नहीं है।

यशस्वी जायसवाल - एक परिचय
यशस्वी जायसवाल आल राउंडर भारतीय क्रिकेटर | |
पूरा नाम | यशस्वी भूपेंद्र कुमार जायसवाल |
उपनाम | मोंटी, यशस्वी |
जन्म तिथि | 28 दिसंबर 2001 |
जन्म स्थान | सुरियावा, भदोही, उत्तर प्रदेश |
पिता | भूपेंद्र कुमार जयसवाल |
माता | कंचन जायसवाल |
भाई-बहन | 5 भाई बहन (नाम ज्ञात नहीं) |
व्यवसाय | क्रिकेटर |
भूमिका | सलामी बल्लेबाज |
बल्लेबाजी की शैली | बाएं हाथ के बल्लेबाज |
गेंदबाजी की शैली | लेग ब्रेक गेंदबाज |
शैक्षिक योग्यता | दसवीं पास |
शारीरिक मापदंड | लंबाई : 168 सेंमी० वजन : 62 किग्रा० आंखों का रंग : काला बालों का रंग : काला |
प्रसिद्धि | • लिस्ट ए मैच में दोहरा शतक बनाने वाले दुनिया के सबसे कम उम्र के क्रिकेटर • आई पी एल – 2023 में 62 गेंदों में 124 रन |
कोच | ज्वाला सिंह |
टीम | • घरेलू टीम मुंबई • अंडर-19 टीम मुंबई • आईपीएल टीम – राजस्थान रॉयल्स |
डेब्यू | • प्रथम श्रेणी क्रिकेट – मुंबई बनाम छत्तीसगढ़ – 7 जनवरी 2019 • लिस्ट ए मैच – भारत बनाम बांग्लादेश – 20 सितंबर 2019 • अंडर-19 भारत बनाम श्रीलंका 7 अक्टूबर 2018 |
इनकम | ₹1.25 करोड़ |
नेटवर्क | ₹26 करोड़ लगभग |
यशस्वी जायसवाल का प्रारंभिक जीवन
यशस्वी जायसवाल का जन्म 28 दिसंबर 2001 को उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में हुआ था। यह 6 भाई-बहनों में, चौथे नंबर पर थे। इनके पिता भूपेंद्र कुमार जायसवाल भदोही में, एक छोटी सी हार्डवेयर की दुकान चलाते थे। तो इनकी मां कंचन जायसवाल घर बार संभालती थी।
यशस्वी को बचपन से ही क्रिकेट करने का शौक था। वह घर से ज्यादा, अपने मोहल्ले की गलियों में क्रिकेट खेलते पाए जाते थे। वह जैसे-जैसे हुए बड़े होते गए। उन्हें समझ में आने लगा कि यहां रह कर, कुछ कर पाना नामुमकिन है। वह पिताजी से इस बात की जिद्द कर बैठे। कि उन्हें मुंबई जाना है।
आर्थिक तंगी के चलते, उनके पिता को भी यशस्वी की बात माननी पड़ी। वह भी जानते थे कि आठ लोगों के परिवार में, एक के कम होने से कुछ न कुछ तो फर्क पड़ेगा। वैसे भी यशस्वी के वहां रहने से, कोई फर्क नहीं पड़ता। इसलिए उनके पिताजी ने उसे नहीं रोका। उन्होंने मुंबई में रहने वाले एक रिश्तेदार से बात की। फिर यशस्वी को भेज दिया।
यशस्वी जायसवाल का मुंबई में संघर्ष
यशस्वी महज 11 साल की उम्र में, मुंबई तो पहुंच गए। लेकिन जिस रिश्तेदार के भरोसे, वह मुंबई भेजे गए थे। वहां पहुंचकर पता चला कि वो खुद आर्थिक तंगी व जगह की समस्या से जूझ रहे हैं। ऐसे में, उनको वहां रहने का ठिकाना नहीं मिला। कहा जाता है कि मुंबई जैसे शहर में, बस सर छुपाने की जगह मिल जाए। वही बहुत होता है।
यशस्वी इस छोटी-सी उम्र में, एक अदत छत की तलाश में, इधर-उधर भटकते रहे। आखिरकार कभी न हार मानने वाले यशस्वी पर, किस्मत को तरस आ गया। उन्हें सोने भर की मिल गई। लेकिन इसके साथ शर्त यह थी कि उन्हें उनके काम में हाथ भी बटाना होगा। यशस्वी के पास इस शर्त को मानने के अलावा, कोई दूसरा रास्ता भी नहीं था।
उनकी परीक्षा यहीं पर नहीं रुकी। उनके पास छत बहुत दिनों तक नहीं रही। यह एक दूध डेयरी थी। दूध डेरीवाले ने महसूस किया। कि यशस्वी दिनभर तो क्रिकेट खेलते रहते हैं। शाम को थककर सो जाते हैं। इसके चलते डेरीवाले ने, उसे दूसरा ठिकाना ढूंढने पर मजबूर कर दिया। एक पल को तो यशस्वी के समझ में ही नहीं आया। कि अब वह क्या करें।
इससे बड़ी हैरानी की बात यह रही कि इतनी बड़ी बात, उन्होंने अपने घर वालों को भी नहीं बताई। न ही मुंबई में रह रहे, अपने चाचा को। यशस्वी फिर एक बार सड़क पर आ गए। उनकी एक बार फिर सर छुपाने की तलाश शुरू हुई। लेकिन उसने हार मानना कहां सीखा था। उसने भूखे-प्यासे ऐसे ही कई दिन गुजारे। कभी फुटपाथ पर, तो कभी किसी दुकान के आगे, रातें गुजार कर।
यशस्वी जायसवाल - आजाद मैदान ने दिया आसरा
कई दिनों तक यूं ही भटकने के बाद, वह सीधा आजाद मैदान पहुंच गए। वहां पहुंचकर, उन्होंने ‘मुस्लिम यूनाइटेड क्लब’ के फाउंडर इमरान से मदद मांगी। इमरान ने उनके सामने एक प्रस्ताव रखा। अगर वह एक मैच में अच्छा प्रदर्शन करेंगे। तो वह उन्हें मैदान में ही एक टेंट में रहने की परमिशन दे देंगे। यशस्वी इस बात को सुनकर, बहुत खुश हुए।
उन्हें लगा अंततः उनकी तलाश पूरी हुई। उन्हें टेंट तो नसीब हुआ। उन्होंने इसे सकारात्मक रूप में स्वीकार किया। वे इस बात से खुश थे कि मैदान में ही रहने के कारण, अब वह सुबह उठते ही, प्रैक्टिस कर सकते हैं। यह उनका जज्बा ही था। वरना अच्छे-अच्छे इन परिस्थितियों में हताश हो जाते हैं। यशस्वी लगभग 3 साल ऐसे ही टेंट में गुजारे।
टेंट में न ही कोई बिजली थी। न ही कोई टॉयलेट था। लगभग आधा किलोमीटर दूर, एक वाशरूम था। जो देर रात बंद हो जाया करता था। बारिश के दिनों में, सबसे ज्यादा तकलीफ होती थी। क्योंकि मैदान में पानी भर जाने की वजह से, उन्हें बार-बार टेंट की जगह बदलनी पड़ती थी। जहां अक्सर सोते समय चीटियां उनका शिकार करती थी।
यह वही आजाद मैदान है। जिसे क्रिकेट की नर्सरी कहा जाता है। यहां पर बहुत से धुरंधर खिलाड़ियों ने मैच खेले। सफलता की सीढ़ियां चढ़ी। सचिन तेंदुलकर, विनोद कांबली, पृथ्वी शॉ जैसे खिलाड़ियों का खेल यहीं से निखरा। इस मैदान में 22 क्रिकेट पिच हैं। जिसके एक कोने में, यशस्वी ने संघर्ष की शुरुआत की।
यशस्वी जायसवाल का खाने के लिए संघर्ष
यशस्वी ने बहुत सारी दिक्कतें भी झेली। लेकिन उन्होंने इसकी भनक, अपने मां-बाप को नहीं लगने दी। उनकी नजरें तो बस, अपनी मंजिल पर टिकी थी। तब भी उनके पिताजी को, अपने बेटे की चिंता थी। उनके लिए दो वक्त खाने का इंतजाम, तो बामुश्किल हो पाता था। लेकिन बेटे के लिए, कुछ न कुछ भेजते रहते थे। यह बात अलग थी कि वह पैसे भी कम पड़ जाते थे।
यशस्वी ने इस समस्या का हल भी निकाला। उन्होंने शाम के बचे समय में, उसी आजाद मैदान के बाहर, गोलगप्पे बेचना शुरू किया। जिसके अंदर वह दिन भर प्रैक्टिस किया करते थे। यशस्वी को ऐसे ही टेंट में रहने को नहीं मिला था। बल्कि इसके लिए, काम मे हाथ बंटाना पड़ता था। वह सबके लिए रोटियां बनाते थे। जिसके बदले उन्हें भी खाना मिल जाता था।
यशस्वी अक्सर मैदान में खोई हुई गेंदों को, ढूंढ कर लाने का भी काम करते थे। जिसके बदले में, उन्हें कुछ पैसे मिल जाया करते थे। रात में उनके टेंट से वानखेड़े स्टेडियम की लाइट दिखाई पड़ती थी। जिसे देखकर, यशस्वी खुद से कहते थे। एक दिन मैं यहां जरूर खेलूंगा। परिस्थितियां चाहे जैसी भी हो। यशस्वी ने अपनी will power कभी कम नहीं होने दी।
यशस्वी जायसवाल - कोच ज्वाला सिंह की नजर पड़ी
यशस्वी जायसवाल का बुरा वक्त खत्म होने वाला था। एक दिन इसी मैदान पर, जब यशस्वी खेल रहे थे। तभी ज्वाला सिंह की नजर, उन पर पड़ी। जो उनके जीवन में एक उम्मीद की किरण बनकर आए। उनकी ज्वाला फाउंडेशन नाम से एक क्रिकेट एकेडमी है। यह साल 2012 की बात है। जब उनकी बैटिंग देखकर, ज्वाला सिंह हैरान रह गए। उसके खेल को देखकर, ज्वाला सिंह अपने आप को रोक नहीं पाए।
उन्होंने यशस्वी के बारे में पूछा। जब उन्हें पता चला कि वह वही ग्राउंड में, एक टेंट में रहता है। तो उनका दिल भर आया। उन्हें उसकी कहानी, अपनी कहानी से मिलती-जुलती लगी। उस दिन उसी पल, उन्होंने फैसला कर लिया। वह खुद इस लड़के को फ्री में कोचिंग देंगे। उन्होंने यशस्वी को अपने घर में रखा। यही नहीं उनके खाने-पीने से लेकर, सभी चीजों की जिम्मेदारी ली।
इसे आप नियति ही कह सकते हैं। यह यशस्वी के जीवन का टर्निंग प्वाइंट था। इस तरह उस खिलाड़ी को सांचे में ढालने वाला कुम्हार मिल गया था। जल्द ही यशस्वी की मेहनत जल्दी रंग लाई। साल 2015 में, Giles Shield Cricket Tournament में, यशस्वी ने न केवल 319 रन नॉटआउट बनाए। बल्कि 99 रन देकर, 13 विकेट भी झटके। अपने ऑलराउंड खेल के कारण, यशस्वी का नाम ‘लिम्का बुक आफ रिकॉर्ड्स’ में भी दर्ज है।
यशस्वी जायसवाल का क्रिकेट करियर
इसी वजह से, यशस्वी मुंबई के अंडर-16 टीम में भी चुन लिए गए। यहीं से वह अपने खेल के दम पर, इंडिया अंडर-19 का भी हिस्सा बन गए। 2018 में अंडर-19 एशिया कप में, जायसवाल ने अपने नाम का डंका बजा दिया। इस टूर्नामेंट में, जायसवाल ने 318 रन बनाए। जो हाईएस्ट स्कोरर रहे। यही नहीं उन्हें ‘प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट’ भी चुना गया।
यशस्वी का धुआंधार फॉर्म 2019 में भी जारी रहा। इंग्लैंड में हुई द कोरियर रेंज के दौरान, सात मैचों में 294 रन जड़ दिए। जिसमें 4 हाफ सेंचुरी भी शामिल थी। इसी साल विजय हजारे ट्रॉफी के एक मैच में यशस्वी ने 154 गेंदों पर, 203 रन बनाए। इसी के साथ वह लिस्ट ए मैचों में, डबल सेंचुरी जड़ने वाले दुनिया के सबसे युवा बल्लेबाज बन गए। तब वह महज 17 साल 292 दिन के थे।
यशस्वी को लगातार, उनके अच्छे खेल का फल भी मिला। अगले साल होने वाले अंडर-19 वर्ल्ड कप टीम के लिए, उन्हें सिलेक्ट कर लिया गया। इस टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले बल्लेबाज भी बने। जिसमें पाकिस्तान के खिलाफ सेमीफाइनल में, जड़ा गया शतक भी शामिल है। जिसके लिए, उन्हें ‘प्लेयर ऑफ द सीरीज’ का अवार्ड भी मिला।
यशस्वी जायसवाल आईपीएल करियर
यशस्वी के इन सब प्रदर्शनों को देखते हुए। वह जल्द ही आईपीएल फ्रेंचाइजी की नजरों में आ गए। 2020 की नीलामी में, उन्हें राजस्थान रॉयल्स में 2 करोड़ 40 लाख में खरीद लिया। यशस्वी के पास मौका था। अपने सपनों को सच करने का। उम्मीदों और आशाओं का एक नया आसमान, उनके लिए खुल गया था। सफलता उन्हें बाहें फैलाए को बुला रही थी।
लेकिन 2020 के सीजन में, यशस्वी को खुद को साबित करने का मौका नहीं मिला। वह तीन मैचों में सिर्फ 40 रन ही बना सकें। जिसमें एक 34 रनों की पारी भी शामिल है। जबकि राजस्थान रॉयल्स ने, अगले सीजन में भी उन पर भरोसा किया। तब उन्हें अपना टैलेंट दिखाने का पूरा मौका भी मिला। इस साल उन्होंने 10 मैचों में 25 के एवरेज से 249 रन बनाए।
जिसमें चेन्नई सुपर किंग के खिलाफ लगाया गया अर्धशतक भी शामिल था। अगले सीजन में भी लगभग, इतने ही मैचों में उन्होंने 258 रन बनाए। अब तक वो साबित कर चुके थे। कि टैलेंट उनमें कूट-कूट कर भरा है। दुनिया भर के क्रिकेट प्रेमी, उन्हें धीरे-धीरे पहचानने लगे थे।
यशस्वी का आईपीएल में धमाका
30 अप्रैल 2023 मुंबई का वानखेड़े स्टेडियम, यह आईपीएल इतिहास का 1000वां मैच था। जो राजस्थान रॉयल और मुंबई इंडियंस के बीच खेला जाना था। 1000 वां मैच होने के साथ ही, यह किसी और वजह से भी खास होने जा रहा था। टॉस जीतने के बाद, राजस्थान रॉयल्स बैटिंग करने उतरी। ओपनिंग करने यशस्वी जयसवाल और जोस बटलर मैदान पर थे।
एक बड़ा स्कोर बनाने का जिम्मा, यशस्वी जयसवाल ने लिया था। आते ही आते, उनके बल्ले ने आग उगलना शुरू कर दी। उन्होंने अपनी शुरुआत ही कैमरून ग्रीन के पहले ओवर में, छक्का जड़कर की। यहाँ तक कि पावर प्ले खत्म होने तक, राजस्थान रॉयल का स्कोर 65 रन हो गया। जिसमें अधिकतम योगदान यशस्वी का ही रहा। बटलर तो सिर्फ दूसरे छोर से, इस तूफान का मजा ले रहे थे। लेकिन जल्द ही दूसरे छोर पर, विकटों के गिरने का सिलसिला शुरू हो गया।
लेकिन यशस्वी एक छोर पर, पूरी मजबूती से डटे हुए थे। उन्होंने महज 53 गेंदों में, अपना शतक पूरा कर लिया। कोई ऐसा गेंदबाज नहीं बचा था। जिसकी गेंदों को यशस्वी ने सीमा रेखा के पार न पहुंचाया हो। मुंबई इंडियंस के सभी गेंदबाज, यशस्वी की गेंद बल्लेबाजी के आगे नेस्तनाबूद हो गए थे। इसी के साथ वह शतक जड़ने वाले, राजस्थान रॉयल्स के सातवें बल्लेबाज बन गए। यही नहीं वह शतक बनाने वाले, चौथे सबसे युवा खिलाड़ी भी बन गए।
शतक जड़ने के बाद यशस्वी का रूप और उग्र हो गया। वह 124 रन के स्कोर पर पहुंच गए। इस तूफान को अरशद खान ने, उनका विकेट लेकर रोक दिया। लेकिन आउट होने से पहले, वह आईपीएल सीजन की सबसे बड़ी और धुआंधार पारी खेल चुके थे। यशस्वी का पूरा कैरियर यह साबित करता है। कि अगर मन में साहस, हिम्मत, जुनून और जज्बा हो। तो दुनिया की कोई भी ताकत, उसे कामयाब होने से नहीं रोक सकती।
यशस्वी जायसवाल इनकम व नेटवर्थ
यशस्वी जायसवाल हाल-फिलहाल मुंबई में एक किराए के अपार्टमेंट में रहते हैं। इनके पास एक किया सोनेट कार है। जिसकी कीमत लगभग ₹15 लाख है। यशस्वी जायसवाल अब तक सिर्फ आईपीएल से, लगभग ₹13 करोड़ों कमा चुके है। वहीं अगर इनकी कुल संपत्ति की बात की जाए। तो इनके पास अब तक लगभग ₹26 करोड़ की नेटवर्थ है।
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