SpaceX ने Mars पर बसाई मानव बस्ती
SpaceX के CEO- Elon Musk आज विश्व के सबसे धनी व्यक्ति है।SpaceX मानव सभ्यता को 2030 तक मंगल ग्रह पर बसाने की पूरी तैयारी कर रहा है।Musk की महत्वाकांक्षी योजना के साकार होते ही,हमारा नया आशियाना Mars बाहे फैलाये स्वागत को तैयार है।
Mars पर 2030 तक जीवन संभव - SpaceX
Elon Musk इंसानी सभ्यता को मल्टीप्ल प्लेनेटरी यानी कि एक से ज्यादा ग्रह पर बसने वाली सभ्यता बनाना चाहते हैं। जिसके लिये उनकी कंपनी SpaceX अपने कैलिफोर्निया स्थित, अपने हेड क्वार्टर में दिन-रात काम कर रही है। अगर SpaceX अपने इस मिशन में सफल हो पाती है। तो उनके दावे के अनुसार, अगले 10 से 30 सालों के बीच मंगल ग्रह पर एक मिलियन यानी कि 10 लाख लोगों को बसाने में सक्षम हो पाएंगे। लेकिन क्या यह सब इतनी आसानी से हो पाएगा।
मंगल ग्रह पर इंसानी सभ्यता को रहने लायक बनाने के लिए, किन-किन परेशानियों का सामना करना होगा। किस हद तक SpaceX के पास इन समस्याओं का हल है।मंगल ग्रह पर कोई भी mission भेजने के लिए, उसकी हमारी पृथ्वी से दूरी मायने रखती है। जो कि अभी की परिस्थिति के अनुसार, हर 26 महीने के बाद एक-दूसरे से परफेक्ट एलाइन होने पर होती है। इस condition में एक सामान्य space-craft को। पृथ्वी से मंगल तक पहुंचने में लगभग 6 महीने का वक्त लगता है। आज की technology को देखें। एक व्यक्ति के मंगल पर भेजने का खर्चा लगभग $10 billion होता है।
SpaceX के अनुसार, उनके पास इसका हल है। अभी के मौजूदा स्पेसशिप के इंजन reusable नहीं बन पाए है। इसकी वजह से हर space trip के बाद, एक नया space-ship तैयार करना पड़ता है। जिससे इसकी कीमत बढ़ जाती है। लेकिन SpaceX के बनाए, स्पेसशिप reusable है। जो कि अभी के एक बार के बजाय 16 से 20 बार इस्तेमाल किए जा सकते हैं। साथ ही इसमें प्रयोग होने वाले ईंधन केरोसिन के बजाय। Methane से चलेंगे। जोकि मंगल की सतह पर बहुतायत में मौजूद है। ऐसा करने से SpaceX एक व्यक्ति के मंगल पर पहुंचने की कीमत $200000 कर देगी। यह इस यात्रा की कीमत 50 गुना कम कर देगी। लेकिन इससे सिर्फ मंगल तक पहुंचने की समस्या दूर हो सकती है। ना कि वहां पर मानव सभ्यता को बसाने की।
मंगल की सतह का तापमान माइनस 70 से 130 डिग्री तक जाता है। वहाँ ना तो ऑक्सीजन है, और ना ही atmosphere layer है। जो कि हमें पृथ्वी की Ozon layer की तरह पृथ्वी की सतह पर आने वाले radiation से बचा पाए।
Can Colonize on Mars
पिछले 5 दशकों से SpaceX द्वारा बनाई गई। इंटेलिजेंट मशीनरी Mars पर भेजी गई है। इसने लाल ग्रह पर अनेक चौकाने वाली खोजे की है। Mars ऐसे अनेकों ingridents ऑफर करता है। जो हमें जीने के लिए चाहिए। Mars पर बहुत बड़ी polar gaps हैं। जो मुख्य रूप से जमा हुए पानी यानी कि बर्फ से बनी हुई है। यह भी माना जा सकता है कि मंगल ग्रह की मिट्टी में भारी मात्रा में बर्फ मौजूद हो। जैसे कि पृथ्वी पर मिट्टी में moisture पाया जाता है। हो सकता है कि मंगल ग्रह की सतह के नीचे बर्फ की चादरें मौजूद हो।
मंगल पर पानी होने के संकेत, हमें पहले ही मिल चुके हैं। मंगल ग्रह की मिट्टी में नाइट्रोजन की भी खोज हो चुकी है। यह सभी चीजें हमे इशारा करती हैं। इसे जिंदा किया जा सकता है। हमें जाना चाहिए। लेकिन mars पर जाने के लिए हमारे सामने बहुत सी technical चैंलेंज है। Earth और Mars दोनों ही सूर्य को अलग-अलग गति से Orbit करते हैं। धरती 365 दिन में सूर्य का एक आर्बिट करती है। जबकि मंगल ग्रह 687 दिनों में सूर्य का एक orbit कर पाता है।
SpaceX ने Mars ही क्यों चुना
Elon Musk के अनुसार,Mars को ही चुने जाने का क्या कारण है। हमारे सौरमंडल में हमारे पास क्या विकल्प है। Venus यानी कि शुक्र, यहां बहुत ज्यादा pressure है। जिसके कारण यहाँ acid की बारिश होती है। फिर Mercury यानी कि बुध ग्रह है। यह भी सूर्य के बहुत अधिक पास है। इसलिए यहां पर बहुत ज्यादा गर्मी होती है। फिर आते हैं,ब्रहस्पति (Jupiter) और शनि (Saturn) पर। जोकि gaseous planet हैं। इसलिए यहां पर भी नहीं बसा जा सकता। लेकिन इनके चांद पर जाया जा सकता हैं। इनके कई चांद हैं। लेकिन वह सब हमारी पृथ्वी से बहुत ज्यादा दूर है। हम अपनी पृथ्वी के चांद को भी target बना सकते हैं। लेकिन एक बड़ी बस्ती(colony) के हिसाब से बहुत छोटा हो सकता है। यहां पर कोई वायुमंडल(atmosphere) भी नहीं है। हमारे चांद पर मंगल के मुकाबले बहुत कम संसाधन(resources) है। इसलिए फिलहाल मंगल सबसे अच्छा options है।
Mars पर Atmosphere कैसा
आज मंगल विरान पड़ा हुआ है लेकिन इस की कुछ विशेषताएं पृथ्वी से अधिक मेल खाती हैं। मंगल पृथ्वी के मुकाबले सूरज से अधिक दूर है। इसलिए यहां का माहौल भी अधिक ठंडा है। यहां पर औसत तापमान लगभग – 60 डिग्री सेल्सियस होता है। Elon Musk का कहना है, कि यह थोड़ा ठंडा है। लेकिन इसे गर्म किया जा सकता है। इसको लेकर भी बहुत विरोधाभास है। यहां की हवा बहुत अधिक खराब है। यहां के वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा अधिक है। जो लगभग 96% है।इसकी हवा में लगभग 2.5% नाइट्रोजन है। इसके साथ ही लगभग 2% आर्गन है। इन सबके बाद, हमारी जो सबसे काम की गैस है,यानी कि ऑक्सीजन।
वह लगभग 0.174% ही है। Mars का व्यास(diameter), हमारी पृथ्वी से लगभग आधा है। लेकिन यह ग्रह पृथ्वी के सबसे करीब size वाला ग्रह है।सौरमण्डल के बाकी ग्रह या तो पृथ्वी से बहुत छोटे हैं। या फिर पृथ्वी से बहुत अधिक बड़े है। मंगल पर गुरुत्वाकर्षण (gravity) पृथ्वी के मुकाबले, एक तिहाई है। इसका मतलब हम मंगल पर आसानी से एक लंबी छलांग मार सकते हैं। मंगल और पृथ्वी अपने अक्ष पर, लगभग एक ही speed से घूमते हैं। मंगल पर एक दिन पृथ्वी से लगभग 40 मिनट ही बड़ा होता है। यानिकि दिन लगभग बराबर होता है।
SpaceX का Mars पर Colony बसाने का Plan
Elon Musk के अनुसार मंगल पर लाखों लोगों को बताना है इसके लिए सबसे बड़ी दिक्कत पैसों की है एलान मसने इसे ऐसे समझाया कि 2 तरीके के लोग हैं एक वह जो मंगल पर जाना चाहते हैं और दूसरे वह जो इसका खर्चा उठाने के लिए सक्षम है इन दोनों लोगों के बीच की दूरी अधिक है सबसे पहले इन्हें एक दूसरे के पास लाना है इनके अनुसार एक आदमी के मंगल ग्रह पर जाने का खर्च कम से कम होना चाहिए वह इसे $200000 प्रति व्यक्ति करना चाहते हैं इसके लिए उनके पास एक चार सूत्री प्लान है।
Full Reusability
Rocket और spaceship जैसी बड़ी चीजें। जो इस मिशन में काम आएंगी। उन्हें दोबारा इस्तेमाल में लाया जा सके। आमतौर पर space mission में जिस rocket का प्रयोग होता है।वह एक ही बार काम मे आता है। बीते दशक में SpaceX ने reusable rocket में बहुत तरक्की हासिल की है। 2015 में स्पेसएक्स ने Falcon9 रॉकेट को orbit में launch किया। फिर उसे सही सलामत जमीन पर land करवाया। इसके बाद इसी राकेट को, उन्होंने समुद्र में तैनात एक daron ship पर land करवाया। इससे मिशन का खर्च काफी कम हो जाता है।Elon चाहते हैं कि spaceship से जुड़ा मुख्य rocket और spaceship दोनों ही reusable हो।
Refill in Orbit
पृथ्वी की कक्षा में fuel भरना। पहले राकेट स्पेसशिप को लेकर पृथ्वी की कक्षा में तैनात कर देगा। वह पृथ्वी की परिक्रमा करेगा। उसके बाद राकेट नीचे आ जाएगा।फिर इसी राकेट के ऊपर एक फ्यूल टैंक लगाया जाएगा। यह राकेट पृथ्वी की परिक्रमा कर रही स्पेसशिप के पास ले जाएगा। रॉकेट फिर नीचे आ जाएगा। टैंकर भी fuel भरने के बाद, नीचे वापस आ जाएगा। ऐसा करके छोटा राकेट बनाकर। उसमें ज्यादा सामान और लोग भरे जा सकते हैं। fuel का extra weight नही होगा। Musk के अनुसार ऐसा करने से मिशन का खर्च लगभग 5 गुना कम हो जाएगा।
Mars पर Propoland बनाना
Propoland यानि वही fuel। जिससे राकेट उड़ान भरता है। मंगल पर अच्छा शहर बसाने के लिए, space-ship को पृथ्वी पर भेजना होगा। वरना मंगल space-ship का कब्रिस्तान बन जाएगा। वहां गए लोगों के पास, वापस लौटने का option भी होना चाहिए। इसके लिए जरूरी है। मंगल पर ही propoland बनाया जाये। ऐसा करने से mission का खर्च 5 गुना और कम हो जाएगा। मंगल पर propoland बनाने के लिए सही माहौल है। मंगल के वायुमंडल में खूब सारी कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) है। जमीन के नीचे से पानी निकाला जा सकता है। जिससे CO2 और H2O की मदद से ऑक्सीजन(O2) व मीथेन(CH4) बनाई जा सकती है। मीथेन, जो कि propoland के काम आती है।
सही Propoland का चुनाव
पहले रॉकेट में fuel के लिए तीन chosie हुआ करती थी। पहला था, केरोसिन। जो बहुत refind अवस्था में रॉकेट में प्रयोग की जाती थी। दूसरा option था, hydrogen fuel तीसरा option था- methane।Elon Musk के अनुसार, मिथेन आधारित fuel सबसे सही साबित होगा। उसे मंगल पर आसानी से बनाया जा सकता है। इन चार बातों का ध्यान रखकर, मंगल पर पहुंचने और लौटने का खर्च काफी कम किया जा सकता है।
What is Chronology (कालक्रम)
सबसे पहले तो rocket, spaceship को पृथ्वी की कक्षा में छोड़ेगा। Rocket दोबारा पृथ्वी पर लैंड करेगा। तुरंत उस पर fuel tank रखा जाएगा। राकेट के इसको लेकर स्पेस शिप के पास जाएगा। जो पृथ्वी की कक्षा में परिक्रमा कर रहा होगा। राकेट दोबारा पृथ्वी पर लैंड कर जाएगा। फ्यूल टैंक space-ship में फ्यूल ट्रांसफर करेगा। फिर वह भी पृथ्वी पर वापस आ जाएगा। पृथ्वी की कक्षा में ऐसा 3 से 5 बार किया जा सकता है। यह स्पेसशिप मंगल तक जाएगी। यह solar power पर चलेगी। मंगल पर propoland बनाया जाएगा। उसे दोबारा space-ship में भरा जाएगा। यह space-ship वापस लौट आएगी। यह Room का मोटा-मोटा plan है। Musk के मुताबिक, पृथ्वी की कक्षा में एक साथ हजारों स्पेसशिप होंगे। यह mars की तरफ एक साथ जाएंगे। जब मंगल ग्रह अपनी सही position पर होगा।
Mars की सही Position क्या ?
पृथ्वी और मंगल अलग-अलग स्पीड से सूर्य की परिक्रमा करते हैं। हर 26 महीने के बाद एक ऐसा टाइम आता है। जब पृथ्वी से मंगल के लिए space mission को भेजा जा सकता है।जब इस समय की अवधि को launch window कहते हैं। जब launch window का समय नजदीक आएगा। उसी समय स्पेसएक्स हजारों जहाज एक साथ मंगल की ओर निकलेंगे खिलान मास मंगल पर लगभग 10 लोगों का शहर बताना चाहते हैं शुरुआत में एक स्पेसशिप 100 लोग और खूब सारा सामान लेकर जाएगा इस तरह से लगभग 10 हजार बार उड़ान भरनी होगी तब जाकर 10 लाख लोग पहुंचेंगे।
इतने सारे लोंगो को मंगल पर बसाने में कितना समय लगेगा।जब पहली बार space-ship को भेजा जाएगा। उसके बाद से लगभग 40 से 100 साल लगेंगे। सभी लोगों को तक पहुंचाने में। SpaceX भविष्य में और बड़े स्पेसशिप तैयार करेगी। इससे एक बार में 100 से ज्यादा लोगों को भेजा जा सकेगा। SpaceX का एक विमान, एक बार में लगभग 550 टन का भार उठा सकेगा। SpaceX ने इसके लिए एक विशेष प्रकार का raffter engine तैयार किया है। जिसका नाम है Rafftar इंजन दो राकेट स्पेसशिप को पृथ्वी की कक्षा में ले जाएगा उसमें बैलेंस डॉक्टर इंजन लगे होंगे उसमें 42 Rafftar इंजन लगे होंगे। ऐसे ही जो space-ship मंगल तक जाएगी। उसमें 9 Rafftar इंजन लगे होंगे।
Star Ship क्या है
SpaceX जिस spacecraft को मंगल पर भेजने की तैयारी कर रहा है। उसका नाम है- StarShip। साल 2020 में स्पसेक्स ने स्टरशिप की कई test flight की। जिसके बाद StarShip की design में कई बदलाव किए गए। इसके कई और टेस्टफ्लाइट होने अभी बाकी है। यही स्टारशिप SpaceX के मार्स मिशन में सबसे पहले काम आएंगे।
Star Ship S8 and S9 Update
Star Ship S9 फरवरी 2021 की शुरुआत में ही दुर्घटना ग्रस्त हो गया।यह 50 मीटर लंबा स्टार शिप,जब धरती पर लौट रहा था। तब तक इसे एक सफल प्रयोग माना जा रहा था। उतरते समय से ‘बैली फ्लॉप’ करना था। जिसमें हवा में ही इंजन बंद करके, पृथ्वी पर लौटाने की योजना थी। Landing से पहले इसे सीधा होना था। प्रक्षेपण के करीब 6:30 मिनट बाद लैंडिंग से स्टारशिप सीधा न रह सका। और जमीन पर आ गिरा। आग की लपटों से घिर गया और विस्फोट हुआ।
इसी परियोजना के तहत, स्टारशिप S8 भी 10 दिसंबर 2020 को ऐसे ही हादसे का शिकार हुआ था। Elon Musk ने बताया कि यह एक प्रयोग है। हम अभी और प्रयास जारी रखेंगे। इसे फिर से उपयोग करने के लिए, बनाया जा रहा है। ताकि अंतरिक्ष यात्राओं में होने वाले खर्च को कम किया जा सके।
मंगल (Mars) पर कैसे जीवन संभव
इसके लिए एलन मस्क ने अधिक खुलासा नहीं किया है। लेकिन वह mars को टेराफॉर्म करने की बात कर रहे हैं। टेराफॉर्म करने का मतलब है। किसी ग्रह का वातावरण बदलकर, उसे हमारे अनुकूल बनाना। Musk के अनुसार, मंगल को थोड़ा-सा गर्म करने की आवश्यकता है। इसके लिए वह मंगल के ध्रुवों पर nuclear weapons चलाने की बात करते है। Nuclear के हमले से, वहां पर बर्फ में फँसी कार्बन डाइऑक्साइड रिलीज हो जाएगी। Green House effect देखने को मिलेगा। फिर मंगल ग्रह गर्म हो जाएगा। उनके इस stand के लिए Elon को आलोचना का भी सामना करना पड़ा।
उन्होंने दूसरा नजरिया यह भी रखा। पहले मंगल पर जीवन glass room के अंदर होगा। यानी glass की इमारतों के अंदर। उसके बाद मंगल को टेराफॉर्म किया जाएगा। जिससे वह पृथ्वी जैसे life support कर सके। Time-Line को लेकर Elon बहुत महत्वकांक्षी रहे हैं। उनका कहना है कि 2022 तक पहला space rocket मंगल तक जा सकता है। इसमें कोई इंसान नहीं होगा। सिर्फ सामान होगा। यह सामान आगे जाने वाले human mission के लिए लाभदायक होगा। Elon Musk के अनुसार, 2050 तक मंगल पर आत्मनिर्भर सिटी, हम देख पाएंगे।
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